मन मस्त फ़क़ीरी धारी है , अब एक ही धुन, गौ की सेवा।
गौ की सेवा , गौ की सेवा , गौ की सेवा , गौ की रक्षा ।।
मनमस्त फ़क़ीरी ---------------------------
हम धन्य है , गैय्या मैय्या के , सेवा का अवसर है पाया है ।
जो दिया दूध दही घृत इसने , उससे जीवन मुस्काया है ।।
अब जीवन है गौ के अर्पण , गैय्या प्राणों से प्यारी है ।।१।।
मनमस्त फ़क़ीरी ---------------------------
ऋषियों ,मुनियों , सन्तों की माँ , मानव की माँ , भगवान कीमाँ ।माँ ।
पुरखों ने की गौ की सेवा , वह परम्परा फिर लानी है ।
गौ सेवा का इतिहास रचें , अब अपनी ही तो बारी है ।।२।।
मनमस्त फ़क़ीरी ---------------------------
इस समय घोंर कलयुग आया , गौ हत्या कलयुग की छाया ।
नेता नहीं रोके गौ हत्या , यह काम हाथ अपने आया ।
सबको जोड़े गौ सेवा से , गौ भक्ति- शक्ति हमारी हैं ।।३।।
मनमस्त -------
फ़क़ीरी ---------------------------
मेरे कुछ स्वारथ के साथी , दुनिया के खोटें आकर्षण ।
गौ सेवा से सब छूट गयें , छुटें साथी सब रूठ गये ।
जो सुख नहीं बंगले गाड़ी मे , वो आनंद है गौ चरणों मैं ।
वो आनंद है गौशाला में , क्या करना है सुख सुविधा का काँटों की राह हमारी हैं ।।४।।
मनमस्त फ़क़ीरी --------------------
२ -
कोई चलता पग चिन्हों पर , कोई पग चिन्ह बनाता है ।
है वही सूरमा इस जग में , दुनिया मे पूजा जाता है ।। टेक ।।
देता संघर्षों को न्योता , मानवता के ख़ातिर जग मे ।
ठोकर से करता दूर सदा , जो भी बाधा आती मग में ।।
जो दान लहू का देकर भी , अपना कर्तव्य निभाता हैं ।
है वही सूरमा इस जग मे , दुनिया मे पुजा जाता हैं ।।१ ।।
कोई चलता पग चिन्हों पर .......................................
आहार निंद और भय लिप्सा , असुरों की भी तो नीति यही ।
इतने को ही जीवन समझे , यह मानवता की रीती नही ।।
जो काट असत उर के बन्धन , अपने को दिव्य बनाता हैं ।
है वही सूरमा इस जग में , दुनिया मे पुजा जाता हैं ।। २ ।।
कोई चलता पग चिन्हों पर ...............................................
तो उठो देव आदर्श बनो , असुरों के भय की मुर्ती बनो ।
युग युग युग तुमको करे नमन , तुम मानवता प्रतिमुर्ती बनो ।।
हे भारत माँ अमर पुत्र , भावी भवतिव्य बुलाता हैं ।
है वही सूरमा इस जग मे , दुनिया मे पुजा जाता हैं ।। ३ ।।
कोई चलता पग चिन्हों पर .....................................................
३ -
जीवन मे कुछ करना है तो , हिम्मत होने मत बैठो ।
आगे आगे बढ़ना है तो , हिम्मत हारे मत बैठो ।।
चलने वाला मंज़िल पाता , बैठा पिछले रहता है ।
ठहरा पानी सड़ने लगता ,बहता निर्मल रहता हैं ।।
पाव मिले चलने की ख़ातिर , पाव पसारे मत बैठो ।।१।।
आगे आगे बढ़ना है तो .....................................
तेज दौड़ने वाला खरहा , दो पल चलकर हार गया ।
धीरे धीरे चलकर कछुआ , देखो बाज़ी मार गया ।।
चलो क़दम से क़दम मिलाकर , दूर किनारे मत बैठो ।।२।।
आगे आगे चलना है तो हिम्मत ...............................
यह मत कहो कि जग में कर सकता क्या अकेला।
लाखों में वार करता इक सूरमाँ अकेला।। टेक।।
आकाश में करोड़ों तारें हैं टिमटिमाते।
अंधकार जग का हरता इक चन्द्रमा अकेला।। 1।।
लोहे की पटरियों पर होते अनेक डिब्बे।
लेकिन सभी को इंजन है खींचता अकेला।। 2।।
होते हैं ओखली में अनगिनत धान के कण।
लेकिन सभी को मूसल दल डालता अकेला।। 3।।
एक रोज शहाजहाँ के दरबार में अमरसिंह।
अपनी कटार का बल दिखला गया अकेला।। 4।।
लंका पुरी जला के असुरों का मद मिटा के।
हनुमान राम दल में आ मिल गया अकेला।। 5।।
जापान में सजाकर आजाद हिन्द सेना।
नेता सुभाष जौहर दिखला गया अकेला।। 6।।
# - पहला सुख निरोगी काया,
दूजा सुख घर में हो माया।
तीजा सुख कुलवंती नारी,
चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी।
पंचम सुख स्वदेश में वासा,
छठवा सुख राज हो पासा।
सातवा सुख संतोषी जीवन,
ऐसा हो तो धन्य हो जीवन ।
# - देश हमे देता है सबकुछ हम भी तो कुछ देना सीखे
सूरज हमे रोशनी देता हवा नया जीवन देती है
भूख मिटाने को हम सब की धरती पर होती खेती है
औरों का भी हित हो जिसमे हम ऐसा कुछ करना सीखे ॥१॥
गरमी की तपती दुपहर मे पेड सदा देते है छाया
सुमन सुगन्ध सदा देते है हम सबको फूलों की माला
त्यागी तरुओं के जीवन से हम परहित कुछ करना सीखे ॥२॥
जो अनपढ है उन्हे पढाये जो चुप है उनको वाणी दे
पिछड गये जो उन्हे बढाये समरसता का भाव जगा दे
हम मेहनत के दीप जलाकर नया उजाला करना सीखे ॥३॥