Thursday, 15 July 2021

रामबाण योग :- 119 -:

रामबाण योग :- 119 -:

अजवायन

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आमतौर पर लोग अजवाइन को केवल खाना पकाते समय मसाले के रुप में ही उपयोग में लाते हैं, क्योंकि लोगों को यह नहीं पता कि अजवाइन एक बहुत ही उपयोगी औषधि भी है। अजवाइन के बारे में एक आम कहावत है कि अकेली अजवाइन ही सैकड़ों प्रकार के अन्न को हजम करने में सहायता करती है। इसके साथ-साथ अजवाइन खाने के फायदे के रुप में यह भी बताया गया है, कि इससे कई बीमारियां भी ठीक की जा सकती हैं। अधिकांश लोगों को अजवाइन से होने वाले फायदे की जानकारी ही नहीं होती। इसलिए वे अजवाइन का भरपूर लाभ नहीं ले पाते हैं।
अजवाइन मुख्यतः तीन प्रकार की होती है:-
  1. अजवाइन
  2. जंगली अजवाइन
  3. खुरासानी अजवाइन।
यह एक बीज है, जो मसाला एवं औषधि के रूप में इस्तेमाल की जाती है। कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में अजवाइन बहुत फायदेमंद साबित होती है। हमारे देश में हजारों सालों से अजवाइन का प्रयोग मसाले के साथ-साथ एक औषधि के रुप में किया जा रहा है।  मसाला, चूर्ण, काढ़ा और रस के रूप में भी अजवाइन खाने के फायदे मिल जाते हैं। अजवाइन देश के अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न नाम से जानी जाती है। अजवाइन को हिंदी में अजवाइन, अजवाइन, अजमायन, अजवाइन,  जबायन, या अजवां, या फिर अजोवां के नाम से भी जानते हैं। Englishएजोवा सीड्स (Ajova seeds) या एजोवन (Ajowan) या कैरम (Carum or Carom Seeds) या ओमम (Omum) ,Sanskritउग्रगन्धा, ब्रह्मदर्भा, दीप्या, यवानिका, दीप्यका, अजमोदिका, यवानी कहते है।

#- छाती की जलन - अधिक तीखा भोजन करने के बाद छाती में जलन की परेशानी हो जाती है। ऐसे में 1 ग्राम अजवाइन, और बादाम की 1 गिरी को खूब चबा-चबा कर, या पीस कर खाएं। इससे फायदा होता है।

#- पेट रोग - अगर कोई पेट संबंधी रोगों से परेशान रहता है, तो उसे 1 भाग अजवाइन, आधा भाग काली मिर्च, और सेंधा नमक को मिलाकर पीस लेना है। इसे गुनगुने जल के साथ, 1-2 ग्राम की मात्रा में लेना है। सुबह-शाम सेवन करने से पेट संबंधी रोग ठीक होते हैं। 
 
#- अमाशय रोग - अगर किसी व्यक्ति का पाचनतंत्र सही नहीं रहता हो, तो उसे 80 ग्राम अजवाइन, 40 ग्राम सेंधा नमक, 40 ग्राम काली मिर्च, 40 ग्राम काला नमक, 500 मिग्रा यवक्षार लेना चाहिए। इन्हें 10 मिली कच्चे पपीते के दूध (पापेन) में महीन पीस लेना है। इसे कांच के बर्तन में भर लें, और 1 ली नींबू का रस इसमें डालकर धूप में रख दें। इसे बीच-बीच में हिलाते रहें। 1 महीने बाद जब यह बिल्कुल सूख जाए, तो सूखे चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन करें। इससे पाचन-शक्ति स्वस्थ होती है, तथा अपच, अमाशय संबंधी रोग, और बार-बार दस्त होने की बीमारी में लाभ होता है।

#- पेट विकार - 1 ग्राम अजवाइन को इन्द्रायण के फलों में भरकर रख दें, जब यह सूख जाए तब बारीक पीस लें। इसमें अपनी इच्छानुसार काला नमक मिलाकर रख लें। इसे गर्म जल से सेवन करें। इसके प्रयोग से पेट संबंधित सभी विकारों से आराम मिलता है। 1.5 लीटर जल को आग पर रखें। जब पानी पूरी तरह उबलकर 1.25 लीटर रह जाय, तब नीचे उतार लें। इसमें आधा किलोग्राम पिसी हुई अजवाइन डालकर ढक्कन बंद कर दें। जब यह ठंडा हो जाय तो छानकर बोतल में भर कर रख लें। इसे 50-50 मिली दिन में 3 बार सेवन करें। इसके प्रयोग से पेट के पाचन-तंत्र संबंधी विकार ठीक होते हैं।

#- पेट रोग - 1 किलोग्राम अजवाइन में, 1 लीटर नींबू का रस और पांचों नमक 50-50 ग्राम लें। इन्हें कांच के बरतन में भरकर रख दें। इसे दिन में धूप में रख दिया करें। जब रस पूरी तरह सूख जाय तब दिन में दो बार 1-4 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे पेट सम्बन्धी बीमारियां ठीक होती हैं।  


#- पाचनशक्ति बढ़ायें - अजवाइन के गुण  हजम शक्ति बढ़ाने में बहुत मदद करती है। बस इसको सेवन करने का सही मात्रा और तरीका पता होना ज़रूरी होता है। जिस भी व्यक्ति को दूध ठीक से ना पचता हो, उसे दूध पीने के बाद थोड़ी अजवाइन खा लेनी चाहिए।

#- हाज़मा - यदि गेहूं का आटा, मिठाई आदि ना पचता हो तो उसमें अजवाइन के चूर्ण को मिलाकर खाने से फायदा होता है।

#- बदहजमी - पाचन-क्रिया खराब हो गई हो, तो 25 मिली अजवाइन के काढ़ा को दिन में 3 बार पिलाने से लाभ होता है।  


#- ऐसिडीटी - एसिडिटी के परेशानी से राहत पाने के लिए अजवाइन के फायदे का सही तरह से उपयोग करना ज़रूरी होता है। अक्सर बाहर का कुछ उल्टा-सीधा खा लेने पर खट्टी डकारें, और पेट में गुड़गुड़ाहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसके लिए आप 250 ग्राम अजवाइन को 1 लीटर गौमूत्र में भिगोकर रख लें। इसे 7 दिन तक छाया में सुखा लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे जलोदर, खट्टी डकारें आना, पेट दर्द, पेट में गुड़गुड़ाहट आदि रोगों में लाभ होता है।

#- पेट गैस ,अफारा - अजवाइन को बारीक पीसकर, उसमें थोड़ी मात्रा में हींग मिला लें। इसका लेप बना लें। इसे पेट पर लगाने से पेट के फूलने, और पेट की गैस आदि परेशानियों में तुरंत लाभ होता है।

#- पेट गैस - वचा, सोंठ, काली मिर्च तथा पिप्पली से काढ़ा बना लें। इस चूर्ण को खाने से पैट की गैस की समस्या ठीक होती है।

#- अत्यधिक डकार आना - समान मात्रा में अजवाइन, सेंधा नमक, सौवर्चल नमक, यवक्षार, हींग, और सूखे आंवला लें। इनका चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को 2-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें। इससे डकार की परेशानी ठीक होती है।  


#- छर्दि - उल्टी और दस्त से परेशान हैं, तो दिव्यधारा की 3-4 बूंदे, बतासे या गुनगुने जल में डालकर लें। अगर एक बार में फायदा ना हो, तो थोड़ी-थोड़ी देर में 2-3 बार दे सकते हैं।

#- डायरियाँ - 3 ग्राम अजवाइन, और 500 मिग्रा नमक को ताजे पानी के साथ सेवन करें। इससे दस्त (diarrhea) में तुरन्त लाभ होता है। अगर एक बार में आराम ना हो, तो अजवाइन के इस पानी (ajwain water) को 15-15 मिनट के अन्तर पर 2-3 बार लें।  


#- पेट दर्द - अजवाइन, सेंधा नमक, हरड़. और सोंठ के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। इससे पेट का दर्द ठीक होता है।

#- पेट में मरोड़े व दर्द - पेट में मरोड़े या दर्द की स्थिति में, 3-4 बूंद अमृतधारा को बतासे में डालकर देने से तुरन्त लाभ होता है।

#- पेटदर्द व अफारा - पेट का दर्द, पेट फूलना आदि पेट संबंधी विकारों में 10 ग्राम अजवाइन, 6 ग्राम छोटी हरड़ लें। इन्हें 3-3 ग्राम गाय के घी में भुनी हुई हींग, और 3 ग्राम सेंधा नमक के साथ चूर्ण बना लें। इसे 2 ग्राम की मात्रा में थोड़े गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।  
 
#- मासिकधर्म विकार - अजवाइन, मासिक धर्म रुकावट जैसी परेशानी में भी असरदार होता है। आप 10 ग्राम अजवाइन, और 50 ग्राम पुराने गुड़ को 400 मिली जल में पका लें। इसे सुबह-शाम सेवन करें। इससे गर्भाशय की गंदगी साफ होती है, और मासिक धर्म संबंधी विकार भी ठीक होते हैं।

#- मासिकधर्म - इसी तरह 3 ग्राम अजवाइन के चूर्ण को गाय के गर्म दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे भी मासिक धर्म में लाभ होता है।  


#- सर्दी-जुकाम - ( पोटली ) सर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए 200 से 250 ग्राम अजवाइन को मलमल के कपड़े में बांध लें। इसे पोटली बनाकर तवे पर गर्म कर लें। इसे सूंघें। इससे सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है।

#- सर्दी-जुकाम,सिरदर्द - 2-3 ग्राम अजवाइन के चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ पिएं। इसे दिन में दो-तीन बार सेवन करना है। इससे जुकाम, खांसी तथा सिर दर्द में लाभ होता है।

#- सर्दी-जुकाम - 1 ग्राम अजवाइन, 1 ग्राम सोंठ, तथा 2 नग लौंग को 200 मिली पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई (¼) बच जाए तो पानी को छानकर पिएं। इससे जुकाम सर्दी में लाभ होता है।

#- कफज कास - कफ वाली खांसी हो, और कफ अधिक निकलता हो, या फिर बार-बार खांसी आती हो तो, 125 मिग्रा अजवाइन के रस में 2 ग्राम घी, और 5 ग्राम शहद मिला लें। इसे दिन में 3 बार खाएं। इससे कफ वाली खांसी में लाभ होता है।

#- खाँसी - 2 ग्राम मुलेठी और 1 ग्राम चित्रक-जड़ का काढ़ा बना लें। इसमें 1 ग्राम अजवाइन मिलाकर रात में सेवन करें। इससे खांसी में लाभ होता है।

#- खाँसी - 5 ग्राम अजवाइन को 250 मिली पानी में पकाएं। जब पानी आधा हो जाए, तो इसे छानकर नमक मिला लें। इसे रात को सोते समय पिएं। इससे खांसी में लाभ मिलता है। 


#- खाँसी -बुखार - 2 ग्राम अजवाइन तथा आधा ग्राम छोटी पिप्पली का काढ़ा बना लें। इसे 5 से 10 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे खांसी-बुखार ठीक होते हैं।

#- पुरानी खाँसी - अगर खांसी पुरानी हो गई हो, और पीला (दुर्गन्धमय) कफ निकल रहा हो। इसके साथ ही पाचन-क्रिया मन्द पड़ गई हो, तो 25 मिली अजवाइन का काढ़ा बना लें। इसे दिन में 3 बार लेने से लाभ होता है।

#- सर्दी-जुकाम - पुदीना का रस या 10 ग्राम पुदीना के फूल के साथ 10 ग्राम अजवाइन का रस लें। इसे 10 ग्राम देसी कपूर के साथ एक साफ शीशी में डालकर अच्छे से बंद कर लें। इसे धूप में रखें। कुछ देर बाद तीनों चीजें मिलकर एक दवा का रूप ले लेगी। यह दवा अनेक बीमारियों में काम आती है। यह सर्दी-जुकाम, कफ, सिर दर्द आदि रोगों में बहुत फायदेमंद होता है।

#- सर्दी-जुकाम होने पर 3-4 बूंद दिव्यधारा, रुमाल में डालकर सूंघें। इसके अलावा, आप अमृतधारा की 4-5 बूंद को गर्म पानी में डालकर भांप के रूप में भी ले सकते हैं। इससे लाभ होता है। 


#- आँतों के कीडें - अजवाइन के 3 ग्राम महीन चूर्ण को दिन में दो बार गौतक्र ( छाछ ) के साथ सेवन करें। इससे आंत के हानिकारक कीड़े खत्म हो जाते हैं।

#- पेट के कीड़ों द्वारा होने वाले रोग - अजवाइन के 2 ग्राम चूर्ण को काला नमक के साथ सुबह-सुबह सेवन करें। इससे अपच, गठिया, पेट के कीड़ों के कारण होने वाली पेट की बीमारियां जैसे- पेट फूलना, तथा पेट दर्द, पाचन-तंत्र की कमजोरी, एसिडिटी आदि ठीक होती हैं। 



#- बच्चो का पेटदर्द - कई बार छोटे बच्चों को पेट में दर्द जैसी परेशानी हो जाती है। इस परेशानी में बारीक साफ कपड़े के अन्दर अजवाइन को रख लें। इसे शिशु के मुंह में चटाएं। इससे शिशु के पेट का दर्द तुरन्त ठीक हो जाता है।  


#- बच्चो का निद्रा में मूत्रत्याग - जो बच्चे बिस्तर गीला कर देते हैं, उन्हें रात में 500 मिग्रा अजवाइन खिलाएं। इससे फायदा हो सकता है।  
 
#- बच्चो के पेट के कीडें - छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हो जाते हैं। इसके कारण बच्चों को पेट संबंधी कई तरह की परेशानियों हो जाती हैं। इस बीमारी में अजवाइन के 500 मिग्रा चूर्ण लें, और इतना ही काला नमक मिला लें। इसे रात के समय गुनगुने जल के साथ सेवन कराएं। इससे आराम मिलता है।  
 


#- कानदर्द - कान के दर्द से परेशान रहता है, तो उसे 10 ग्राम अजवाइन को 50 मिली तिल के तेल में पका लेना है। इसे छानकर रख लेना है। इस तेल को गुनगुना कर, 2-2 बूंद कान में डालें। इससे कान का दर्द ठीक होता है।

#- प्रसवोपरान्त दर्द - प्रसव के बाद प्रायः महिलाओं को शरीर में दर्द की शिकायत होती है। इस स्थिति में महिलाओं को भूख भी कम लगती है। ऐसे में महिलाओं को हल्का भोजन करने को कहा जाता है, ताकि अन्न का पाचन सही से हो पाए। प्रसव के बाद बहुत सालों से, अजवाइन को दवा के रूप में महिलाएं प्रयोग करती रही हैं। महिलाओं को अजवाइन का सेवन करने से ना सिर्फ गर्भाशय संबंधी विकारों से राहत मिलती है, बल्कि प्रसव के बाद की पीड़ा से भी आराम मिलता है।

#- आँतों के कीडे - महिलाओं को अजवाइन का लड्डू, या लड्डू जैसा चूर्ण बना लेना है। भोजन के बाद 2 ग्राम इस चूर्ण का सेवन करना है। इससे आंतों के हानिकारक कीड़े खत्म होते हैं, और रोगों से बचाव होता है।  
 
#- मधुमेह - मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रित करने में मदद करना। इसके लिए 3 ग्राम अजवाइन को 10 मिली तिल के तेल के साथ दिन में सेवन करें। आपको दिन में तीन बार सेवन करना है। 


#- शारीरिक दर्द - शरीर में दर्द है तो अजवाइन को पानी में पीसकर, लेप के रूप में लगाएं। दर्द वाले अंग को धीरे-धीरे सेक लें।। इससे लाभ होगा।

#- शारीरिकदर्द - अजवाइन को आग पर डाल कर, उसके धुएं से सेकाई करने पर भी शरीर का दर्द दूर होता है। 


#- नपुंसकता व शीघ्रपतन - 3 ग्राम अजवाइन में 10 मिली सफेद प्याज का रस, तथा 10 ग्राम शक्कर मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करें। 21 दिन में पूरा लाभ होता है। इस प्रयोग से नपुंसकता, शीघ्रपतन की समस्या, और शुक्राणु की कमी में लाभ होता है। 


#- दाद-खाज - अजवाइन का गाढ़ा लेप करने से दाद, खुजली, संक्रमण वाले घाव में लाभ होता है। इससे दाद, ुन्सी,गीली खुजली आदि चर्म रोगों में लाभ होता है।  

#- व्रण - अजवाइन को उबलते हुए जल में डाल दें। इसके घुल जाने के बाद छान लें। इसे ठंडा करके घावों को को धोनें से लाभ होता है।

#- शीतपित्त - ( अनुभूत ) 50 ग्राम अजवाइन को 50 ग्राम गुड़ के साथ अच्छी प्रकार कूट लें। इसकी 1-1 ग्राम की गोली बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के साथ लें। इससे एक सप्ताह में ही शरीर पर फैली हुई पित्ती (शीत पित्त) दूर हो जाएगी।

#- बहूमूत्र -50 ग्राम अजवाइन को 50 ग्राम गुड़ के साथ अच्छी प्रकार कूट लें। इसकी 1-1 ग्राम की गोली बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के साथ लें। इसके सेवन से बार-बार पेशाब आने की बीमारी में भी लाभ होता है।  


#- मूत्रकृच्छ - अगर किसी को पेशाब संबंधी समस्या रहती है, तो उसे 2 से 4 ग्राम अजवाइन को गर्म पानी के साथ लेना चाहिए। इससे पेशाब संबंधी परेशानी ठीक होती है। 

#- बुखार - जो कोई अपच की वजह से बुखार से पीड़ित है, तो उसे रात में 10 ग्राम अजवाइन को 125 मिली जल में भिगो देना है। इसको मसलने के बाद छानकर पीना है। सुबह-शाम पीने से बुखार उतर जाता है।

#- शीतज्वर - इंफ्लुएंजा (शीतज्वर) में 2 ग्राम अजवाइन सुबह-शाम खिलाएं। इससे फायदा होता है।

#- बुखार - बुखार में पसीना अधिक निकल रहा है, तो 100 से 200 ग्राम अजवाइन को भून लें। इसे महीन पीसकर शरीर पर लगाएं। इससे फायदा होता है।  


#- मलेरिया - मलेरिया बुखार हो तो रात में 10 ग्राम अजवाइन को,  100 मिली जल में भिगों दें। सुबह पानी गुनगुना कर जरा-सा नमक डालकर, कुछ दिन तक सेवन करें। 


#- शराब छोड़ने के लिए - जब शराब पीने की इच्छा हो, और रोका ना जा सके, तो 10-10 ग्राम अजवाइन को दिन में 2-3 बार चबाएं। इससे शराब पीने की इच्छा में कमी आती है।

#- शराब छोड़ने के लिए - आधा किलो अजवाइन को 4 लीटर पानी में पकाएं। जब पानी आधा से भी कम रह जाए तो छानकर शीशी में भरकर रख लें। जो शराब छोड़ना चाहते हैं, वे लोग इस काढ़ा को भोजन से पहले 1 कप पिएं। यह बहुत ही अधिक फायदेमंद होता है।


#- हैजा - हैजा में अमृतधारा की 4-5 बूंद विशेष रूप से गुणकारी मानी जाती है। अमृतधारा को हैजे की शुरुआती अवस्था में देने से तुरन्त लाभ होता है। एक बार में आराम ना हो तो 15-15 मिनट के अन्तर से 2-3 बार दे सकते हैं।  
 
#- चोट - ( पोटली ) किसी भी प्रकार की चोट लगी हो तो कपड़े का दो तह बना लें। इसकी पोटली बना लें, और 50 ग्राम अजवाइन को इसमें रखकर गर्म कर लें। इसे चोट लगने वाले स्थान (1 घंटे तक) पर रखें। इससे आराम मिलता है। चोट को ठीक करने के लिए अजवाइन की सेकाई एक रामबाण औषधि है। 


#- सूजाक - अजवाइन के तेल की 3 बूंद को 5 ग्राम शक्कर में मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करें। इससे सुजाक में लाभ होता है।  
 


#- कांटा चुभने पर - अगर पैर में कांटा चुभ गया है, तो पिघले हुए गुड़ में 10 ग्राम पिसी हुई अजवाइन मिला लें। इसे थोड़ा गर्म करके कांटा वाले स्थान पर बांध दें। इससे कांटा अपने आप निकल जाएगा।  
 
#- बवासीर - बवासीर में लाभ लेने के लिए अजवाइन में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें। इससे पेट का फूलना, तथा बवासीर में लाभ होता है।  


#- किडनी दर्द - जिस किसी व्यक्ति को किडनी में दर्द संबंधी परेशानी हो, उसे 3 ग्राम अजवाइन के चूर्ण को सुबह-शाम, गाय के गर्म दूध के साथ लेना है। इससे लाभ होता है। 


#- कीटदंश , बिच्छुदंश - बिच्छू, ततैया, भंवरी, मधुमक्खी जैसे जहरीले कीटों के काटने पर भी दिव्यधारा को लगाने से आराम मिलता है। अजवाइन के पत्तों को पीसकर भी लगाने से लाभ होता है।  


#- जूँऐ व लीखें - 10 ग्राम अजवाइन के चूर्ण में 5 ग्राम फिटकरी मिलाएं, और इसे गौदधि ( दही ) या गौतक्र ( छाछ ) में मिलाकर बालों में लगाएं। इससे लीखें तथा जूं मर जाती हैं। 

#- प्रयोग - हमेशा ताजी अजवाइन को ही उपयोग में लाना चाहिए, क्योंकि पुरानी हो जाने पर इसका तैलीय अंश खत्म हो जाता। तैलीय अंश के खत्म होने से इसका पूरा फायदा नहीं मिलता। काढ़ा के स्थान पर, रस का प्रयोग करना बेहतर होता है। अजवाइन का अधिक सेवन करने से सिद दर्द की शिकायत हो सकती है।
इसलिए अजवाइन के नुकसान या दुष्प्रभाव से बचने के लिए, सेवन की मात्रा काम कम कर दें।


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