गाय को हिंदू धर्म में माँ का दर्जा दिया है। गाय को यह दर्जा मात्र किसी धार्मिक आज्ञा के कारण नहीं दिया गया अपितु गाय के समस्त गुणों को पहचानने के बाद ही उसे यह दर्जा दिया गया है | गोवंश सैकड़ो साल तक भारतीय समाज आर्थिक आधार रहा है। प्राचीन ऋषि-मुनि भी गाय के औषधीय गुणों से भली-भांति परिचित थे इसीलिए गाय के विभिन्न गुणों के बारे में भारतीय ग्रंथो में विस्तार से वर्णन है | ज्ञानपंती वेबसाइट पर गाय के विभिन्न लाभों के बारे मे एक लेख प्रकाशित हो चुका है और आज हम गाय के घी से घरेलू चिकित्सा के बारे में पढेंगे | आइए जानते है गाय के घी के चिकित्सीय गुण के बारे में -
यौवन : गाय के दूध का घी आपको चिर युवा रखते हुए बुढ़ापे को दूर रखता है.गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है |
बलगम : गाय के घी की छाती पर मालिश करने से बलगम को बाहर निकालने में सहायता मिलती है ।
माइग्रेन : दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह-शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है |
सिरदर्द : सिर में दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो तो गाय के घी की पैरों में तलवे पर मालिश करें |
हाथ-पांव में जलन : होने पर गाय के घी से तलवों में मालिश करें |
गौ घृत – नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरो-ताजा हो जाता है. मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है |
शराब, भांग व गांजे का नशा : 20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांजे का नशा कम हो जाता है |
कमजोरी : यदि अधिक कमजोरी लगे तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पियें ।
कब्ज : गौ घृत -अमृत समान है | गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है |
फफोलों पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है |
अनेक रोगों का नाशक है गौ-घृत |
कब्ज : गौ घृत -अमृत समान है | गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है |
फफोलों पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है |
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