रामबाणयोग:-
#- शिरोरोग( सिरशूल)- चाय( आसामटी) केपत्तोंकाफाण्टबनाकर5-15 मिलीग्राममेंपीनेसेसिरशूलकाशमनहोताहै।
#- नेत्राभिष्यंद- चायकेपत्तोंकेफाण्टकी1-2 बूँदोंकेनेत्रोंमेडालनेसे2-3 दिनमेंनेत्राभिष्यंदमेंपूर्णलाभहोताहै।
#- कण्ठरोग( कण्ठक्षत- गलेमेघावआदि)- अमाशयकीविकृतिसेयाउष्णद्रव्योंकेअतिसेवनसेकंठमेक्षत( घाव) होजाताहै।चायकेक्वाथसेदिनमें2-3 बारगण्डूषकरनेसेकण्ठक्षतकारोपणहोकरकंठठीकहोताहै।
#- उदररोग( उदरशूल)- चायकेकाढ़ेमेंपूदीनातथाअकरकरामिलाकरपकालें, फिर15-20 मिलीग्राममात्रापीनेंसेवायुकेकारणउत्पन्नउदरशूल( पेटदर्द) काशमनहोताहै।
#- अग्निदग्ध( आगसेजलना) - अग्नि, अतिउष्णजल, गरमतैलआदिसेशरीरकाकोईभागजलनेपरचायमिश्रितउबलतेहुएपानीयाक्वाथकोठंडाकरकेउसमेंकपड़ेकीपट्टीभिगोकरउसस्थानपररखनेतथाबार- बारउसपरउसीक्वाथकोथोड़ा- थोड़ाडालतेरहनेसेत्वचामेंफफोलेनहींपड़तेतथात्वचामेंदागआदिविकारनहींहोपातेहै।
#- आगसेजलेहुएेस्थानपरशालिचावलकोपीसकरलेपकरनेसेवेदनाकाशमनहोताहै।
#- स्तनपानकरानेवालीस्त्रियोंकोचायकाअतिसेवननहींकरनाचाहिए।अधिकमात्रामेंचायकाप्रयोगकरनेसेशिशुओंमेंअतिनिद्रारोगउत्पन्नहोताहै।
#- समभागधानकालावा।कपित्थ, पिप्पलीमूलचूर्णमेंआवश्यकतानुसारखानेसेउल्टियाँबन्दहोजातीहैतथाअरूचि( भूखनलगना) काशमनहोताहै।
#- चावल( एशियनराइस) कोपकाकरगायकेदूधसेबनातक्र( छाछ) केसाथसेवनकरनेसेगर्मी, अत्यधिकप्यास, जीमिचलाना, अतिसारमेलाभहोताहै।
#- पाददाह( पैरकेतलवोंकीजलन) - शालिचावलकेधोवनसेपैरोंकोधोनेपरपैरोंकीजलनशांतहोतीहै।
#- नारियलपानीवउसकीमलाईकेखानेसेभीहथेलीवतलवोंकीजलनशान्तहोजातीहै।
#- सूजन- शालिचावलोंकोपीसकरपैरोंमेलगानेसेपैरोंकीसूजनतथापैरोंकीजलनमिटजातीहै।
#- सिरदर्द- चांगेरी( सौवरवीड) केरसमेंसमभागप्याज़कारसमिलाकरसिरपरलेपकरनेसेपित्तजसिरशूलकाशमनहोताहै।
#- नेत्ररोग- चांगेरीपत्रस्वरसकोनेत्रोंमेलगानेसेनेत्रशूल, दाहआदिनेत्ररोगोंकाशमनहोताहै।
#- कर्णनाद( कानोंकेअन्दरआवाज़उठना) - चांगेरीकेपत्तोंकास्वरसकीकानमेंडालनेसेकर्णनाद, कर्णशूल, शोथआदिकर्ण- विकारोंमेंलाभहोताहै।
#- मसूड़ोंकेरोग- चांगेरीकेपत्तोंकारसकागराराकरनेसेमसूड़ोंकीसूजन, वेदनातथारक्तस्रावआदिविकारोंकाशमनहोताहै।
#- मुखदौर्गन्ध्य- चांगेरीकेपत्तोंकोचबानेसेमुँहकेअन्दरसेआनेवालीगन्धठीकहोतीहै।
#- दन्तविकार- चांगेरीपत्तोंकोसुखाकरचूर्णबनाकरमंजनकरनेसेदन्तविकारोंकाशमनहोताहै।
#- अजीर्णरोग- चांगेरीपञ्चांगस्वरस5-10 मिलीग्रामकासेवनकरनेसेअजीर्ण( अपच) काशमनहोताहै।
No comments:
Post a Comment