रामबाण -1 , अंधपुष्पी -
अधपुष्पी क्या है?
वैसे तो अनेक जगहों पर अर्कपुष्पी तथा अन्धाहुली को पर्यायवाची माना गया है; परन्तु वस्तुत यह दोनों पौधे एकदम भिन्न हैं। अधपुष्पी के पुष्प उल्टे लटके हुए रहते हैं। इसलिए इसको अधपुष्पी कहते हैं। इसके पौधों पर नीचे से ऊपर तक कड़ी तथा सफेद रंग की रोमावली रहती है; इसलिए इसको रोमालु भी कहते हैं।
अधपुष्पी का वानास्पतिक नाम Trichodesma indicum (L.) Lehm. (ट्राइकोडेस्मा इण्डिकम)Syn-Borago indica Linn.(रैननकुलस स्केलेरॅटस) है। इसका कुल Boraginaceae (बोरॉजिनेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Indian Borage (इंडियन बोरेज) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि अधपुष्पी और किन-किन नामों से जाना जाता है। Sanskrit-अधपुष्पी, अंधपुष्पी, अधोमुखा, द्राविका, गोलोमी; Hindi-अन्धाहुली, छोटा कुलफा, रातमण्डी, साल नोटा; कहते है |
प्रकृति से अधपुष्पी कड़वी, तीखी, गर्म और लघु होती है। यह कफवात को कम करने वाली, मूढ़गर्भापकर्षिणी (Extraction of dead foetus), आँखों के लिए लाभकारी और घाव को जल्दी ठीक करने में मदद करती है। इसके पत्ते विष का असर कम करने में लाभकारी, मृदुकारी, गर्भस्वी, गर्भाशय संकोचक (Uterine contraction), आर्तवजनन या मासिक धर्म संबंधी समस्या, प्रवाहिकारोधी यानि पेचिश को ठीक करने में सहायक, गर्म; अश्मरी या पथरी, आमवात या अर्थराइटिस, अर्श या पाइल्स, ग्रहणी या आंतों के रोग, शोथ (सूजन), अतिसार (दस्त), मूत्रकृच्छ्र (पेशाब करते वक्त दर्द) , मूढ़गर्भ (Obstructed labour), कुष्ठ, त्वचा संबंधी रोग, आंखों का रोग, खांसी, कष्टार्तव (Dysmenorrhoea) तथा बुखार के इलाज में फायदेमंद साबित होती है। अंधाहुली के फूल पसीना तथा सांस संबंधी समस्याओं में भी असरदार तरीके से काम करती है। इसकी जड़ प्रवाहिकारोधी (पेचिश) होती है। यह औषध नेत्रों के लिए लाभकारी है।
अधपुष्पी के पौष्टिकता के आधार पर इसके बहुत सारे औषधिपरक गुण भी है जो बहुत सारे बीमारियों के लिए इलाज के रूप में काम करते हैं।
*# - बालों के रोग - अगर आपको बालों का झड़ना कम नहीं हो रहा है और गंजा हो जाने की नौबत आ गई है तो अन्धाहुली की जड़ का काढ़ा बनायें। इस काढ़े से बालों को धोने से बालों का झड़ना कम हो जाता है।
*# - गंजापन -अन्धाहुली या अधपुष्पी की जड़ के छाल को पीसकर, गोघृत (गाय का घी) में भूनकर उसमें थोड़ी भुनी हुई हींग मिलाकर सुबह एक बार गाय के घी के साथ सेवन करने से तथा इन्द्रलुप्त या गंजापन वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है और बालों का झड़ना कम हो जाता है।
# - आखों में दर्द या नेत्राभिष्यंद - अगर दिन भर काम करने के बाद आँखों में दर्द हो रहा है तो अन्धाहुली-पञ्चाङ्ग को पीसकर नेत्र के बाहर चारों तरफ लगाने से दर्द से जल्दी राहत मिलती है।
#- साँस सम्बन्धी समस्या - अन्धाहुली के बीजों की मींगी निकालकर और पीसकर 65 मिग्रा की गोलियां बनाकर सेवन करने से सांस संबंधी रोग में लाभ होता है।
# - अतिसार - अगर खान-पान में गड़बड़ी होने के वजह से अतिसार या दस्त की समस्या हो गई है तो अन्धाहुली की जड़ को पानी के साथ पीसकर पिलाने से अतिसार के कष्ट से जल्दी राहत मिलती है।
# - मूत्रकृच्छ्र - अगर मूत्र करते वक्त दर्द ,रूक-रूक कर निकलना, जलन होना तो यह मूत्रकृच्छ्र के लक्षण हैं। अन्धाहुली-पञ्चाङ्ग को पीसकर पिलाने से मूत्रदाह तथा मूत्रकृच्छ्र से राहत मिलती है।
# - प्रमेह या डाईबिटीज - अंधाहुली या अधपुष्पी के फूलों में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर गुलकंद बनाकर 1-2 ग्राम मात्रा में सेवन करने से प्रमेह में लाभ होता है।
# - मूढ़गर्भनिक्रमणार्थ - 2-4 मिली अन्धाहुली या अंधपुष्पी के पञ्चाङ्ग के रस का सेवन सुबह शाम कराने से मूढ़गर्भ का बाधा कम हो जाता है।
*# - वीर्य के पुष्टि - 2 ग्राम अंधाहुली प पीने से वीर्य की पुष्टिञ्चाङ्ग के चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर गाय के दूध के साथ होती है।
# - संधिशोथ या गठिया - अंधाहुली या अधपुष्पी के पञ्चाङ्ग को पीसकर लेप करने से संधिशोथ या जोड़ों के दर्द से आराम दिलाने में अंधपुष्पी का प्रयोग लाभकारी होता है।
# - पेचिस,प्रवाहिका - 1-2 ग्राम अंधाहुली के जड़ के चूर्ण का सेवन कराने से बच्चों के प्रवाहिका-रोग में लाभ होता है।
# - सर्पदंश - अंधाहुली के जड़ को पीसकर सांप के काटे हुए स्थान पर लेप करने से तथा 1-2 ग्राम जड़ के पेस्ट का सेवन करने से दंश के कारण वेदना, सूजन, जलन और विष का प्रभाव कम होता है।
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