कारण व लक्षण –
इस रोग में पशु एक स्थान पर
घुमता रहता हैं । उसे बेहोशी हो जाती हैं । बाँधने पर पशु बंधी रस्सी के सहारे
खड़ा होता हैं । ऐसा मालूम होता हैं कि उसे आँखों से दिखाई नहीं पड़ रहा हो तो इस
रोग में पशु ऐसे घुमता है जैसे कुम्हार अपना चाक घुमाता हैं । इसे ही घुमना रोग
कहते हैं ।
१ - औषधि - गाय का दूध १ लीटर में हल्दीपावडर १ छटांक मिलाकर दिन में
कम से कम ३ बार पिलाना चाहिए । अधि से अधिक ५-६ बार पिलाना चाहिए ।
२ - औषधि - बकरी का दूध १ लीटर , हल्दीपावडर १ छटांक मिलाकर दिन में ५-६ बार पिलाने से पशु को आराम
आता हैं ।
३ - औषधि - असली मलयगिरी चन्दन को पत्थर पर घिसकर १-१ छटांक दिन में
५-६ बार पिलाने से भी लाभ होता हैं ।
४ - औषंधि - अलसी १२५ ग्राम की मात्रा को भिगोकर दिन में ३ बार
पिलाने से भी लाभ होता हैं ।
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