कारण व लक्षण -
यह एक वायु रोग है । इस रोग में पशु का शरीर जकड़ सा
जाता है इस लिए इस रोग को जकड़ा रोग कहते हैं । गाय -भैंस के पैरों में वायु विकार
के कारण पशु खड़ा नहीं हो पाता हैं ।
१ - औषधि - बकरबेल,
हाड़ा बेल , ( । ) यह
बेल काष्ठिय पौधों पर चढ़ती है और तने से लिपटी रहती है । और पत्तियों को तोड़ने
से इसके डंठल से दूध निकलता है ।
बकरबेल २ किलो की कूट्टी काटकर २० भाग करलें । एक भाग सवा किलो पानी
में उबालें और एक किलो शेष रहने तक उबाले यह एक खुराक के लिए प्रयाप्त है । अब
मेंथी का चूर्ण १ किलो , कूटकी
२०० ग्राम , मालकंगनी
२०० ग्राम , कालीजीरी
१०० ग्राम , इन
दवाइयों को कूटकर चालीस खुराक बना लेंएक खुराक लेकर ।बकरबेल की पानी में बनी खुराक
दोनों को मिलाकर सुबह -सायं देने से लाभ होगा यह दवाई दस दिन तक दवाई खिलाऐ ।
मालिश के लिए मरहम-- तारपीन का तेल १५० ग्राम , सरसों का तैल २५० ग्राम , मोम देशी १०० ग्राम , सज्जी १०० ग्राम , मर्दा सिंह २५ ग्राम , को लेकर सज्जी व मूर्दा
सिंह को कूटछानकर बाक़ी दवाइयों को मिलाकर किसी बर्तन में रखकर धीमी आँच पर गर्म
कर ले , यह मरहम
बन जायेगा । एकबार पशु को स्नान के बाद लगाये । लाभ अवश्य होगा ।
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