Sunday, 13 March 2022

रामबाण योग 138

इमली टैमैरिंड ट्री (Tamarind Tree )

 

इमली (Imli) के स्वाद से सभी परिचित होंगे। खाने में इमली भले ही खट्टी लगती हो, लेकिन सबको बहुत अच्छी लगती है। आमतौर पर लोग इमली की चटनी बनाते हैं और बहुत पसंद से खाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इमली के सेवन से शरीर को अनेक फायदे होते हैं? क्या आप जानते हैं कि इमली के प्रयोग से कई रोगों की रोकथाम की जा सकती है? इस लेख में आप इमली सेहत के लिए कितना लाभदायक है |

 

इमली एक आहार है, लेकिन इसका इस्तेमाल एक औषधि के रूप में भी किया जाता है। कच्ची इमली खट्टी , भारी ,वातशामक और पित्त , कफ तथा रुधिर विकार को उत्पन्न करने वाली होती है |  पकी इमली पाचनतंत्र, कफवात विकार में लाभ पहुंचाती है। इमली के बीज प्रमेहनाशक , संग्राही , वीर्य स्तम्भक एवम वीर्य शोषक होता है | इमली के फूल मधुर कषाय , अम्ल रुचिकारक , कफवातशामक , विशद , अग्निप्रदीपक , लघु तथा प्रमेह नाशक होता है | इमली की मूलत्वक श्वास रोग , अनावर्त , दन्तशोथ तथा व्रण में हितकर होती है |इमली के पत्र कवकरोधी , ज्वर , कृमि ,क्षत ,कामला , पामा, अर्बुद , दाद , रोमकूपशोथ,शीतलामाता ,तथा नेत्राभिष्यंद में हितकर है | इमली से भी अनेक रोगों का उपचार किया जा सकता है। इमली के वृक्ष (imli tree) बड़े-बड़े और छायादार होते हैं।

 

इमली (tamarind benefits in hindi) का वानस्पतिक नाम टैमैरिन्डस इन्डिका (Tamarindus indica L, Syn-Tamarindus officinalis Hook) है, और यह सेजैलपिनिएसी (Caesalpiniaceae) कुल का है, Name of Tamarind in Hindi (chintapandu in hindi) – इमली, अमली, अम्बली कहते है | Sanskrit तिन्तिडी, चिञ्चा, चिञ्चिका, अम्लिका, अम्ली, अम्ला, चुक्रा, दन्तशठा, English – इण्डियन डेट (Indian date), टैमैरिंड ट्री (Tamarind Tree ) कहते है |

*# - सिरदर्द -  सिर दर्दसे आराम पाने के लिए 10 ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगो दें। इसे मसलकर छान लें। इसमें चीनी मिलाकर पीने से पित्तज विकार के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है। 

*# - अंजनन्नामिका,गुहेरी,बिलनी  -  आंखों की पलकों पर कील ( फुंशी ) को गुहेरी कहते हैं। इसमें इमली (emli) के बीज को पानी के साथ घिसकर, चंदन की तरह लगाना चाहिए।

 

*# - नेत्रशोथ ,आँखों की सूजन -  इमली के फूलों को पीसकर थोड़ा गाढ़ा घोल बना लें। इसे आंखों पर बांधने से आँखों की सूजन ठीक होती है।

 

*# - आंख से पानी बहना व सूजन -  इमली के पत्तों का रस और गाय के दूध को कांसे के बर्तन में अच्छे से घोटकर फिर  आंखों के आस-पास लेप करें। इससे आँख लाल होने वाली बीमारी, आंखों से पानी बहना और अश्रुस्राव आंखों की जलन ठीक होती है।

 

*# - खुपानी व तीव्र जलन – ( काजल ) इमली के पत्तों के रस के साथ कालीमिर्च के दानों को घिस लें। इसमें थोड़ा गाय का घी मिलाकर आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे खुजली , खुपानीआंखों की जलन और तिमिर आदि नेत्र रोग ठीक होते है |

 

# - बालों का झड़ना -  इमली का प्रयोग बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार बालों में कुछ ऐसे तत्त्व पाए जाते है जिनकी कमी से बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। इमली का सेवन इनकी कमी को दूर कर बालों का झड़ना कम करती है। 

 

# - हृदय रोग -  इमली का सेवन करने से हृदय संबंधी रोगों से बचा जा सकता है क्योंकि इमली में एंटीऑक्सीडेंट का गुण पाया जाता है जो कि हृदय को स्वस्थ रखने में सहायता करता है। 

 

*# - खून की कमी -  खून के कमी में इमली का सेवन फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें आयरन पाया जाता है जो कि हीमोग्लोबिन को बढ़ा कर खून की कमी को दूर करती है। 

 

*# - वजन को कम करता है -  इमली का सेवन वजन को कम करने में फायदेमंद होता  है, क्योंकि इसमें रेचन यानि लैक्सटिव का गुण पाया जाता है जो कि शरीर के गन्दगी को दूर करता  है जिससे अनावश्यक रूप से बढ़ रहे वजन को रोकने में मदद मिलती है। 

 

* # - नर्वस सिस्टम -  इमली का सेवन नर्वस सिस्टम को भी मजबूती प्रदान करने में सहायता करता है, क्योंकि इमली में पाये जाने वाले मिनरल्स जैसे कैल्शियम आदि नर्वस सिस्टम को मजबूत करते है। 

* # - टांसिल -  की समस्या में इमली के पानी से गरारे करने पर आप को आराम मिलता है क्योकि इसमें रोपण यानि हीलिंग का गुण पाया जाता है जो की गले की इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करता है। 

*# - हृदय दाह -  मिश्री के साथ इमली का शर्बत बनाकर पीने से हृदय दाह का शमन होता है |

 *# - पीलिया -  इमली के पानी का सेवन पीलिया में लेना फायदेमंद होता है, क्योंकि इमली में लीवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का गुण पाया जाता है जो कि लीवर को स्वस्थ बनाये रखने  में मदद करता है। 

* # - कान दर्द -  इमली के फल के रस अथवा जम्बीरी नीबू के रस से पकाए हुए तेल को 1-2 बूँद कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। 

# - नव प्रतिश्याय, साइनस -  इमली के पत्ते के जूस का सेवन करने से साइनस की शुरुआती अवस्था में लाभ होता है। 

 

# - मुखपाक, मुहं के रोग -  इमली को पानी में डालकर, अच्छी तरह मसल कर छान लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के रोग जैसे छालों की समस्या में लाभ होता है। 

 

*# - कंठशोथ,गले की खराश -  10 ग्राम इमली (imly) को 1 लीटर पानी में उबाल लें। जब यह आधा रह जाए तो उसमें 10 मिली गुलाब पानी मिलाकर छान लें। इससे कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है।

 

* # - खाँसी -  ( टोटका ) इमली (tamarid) के फल की त्वचा 1 भाग, हल्दी 2 भाग, सर्जरस 3 भाग एवं पुनर्नवा 1 भाग तथा नौ भाग जाति  के पत्ते को पीसकर बत्ती बना लें। इसका धूमपान करने से खांसी में लाभ होता है। 

 

*# - प्रवाहिका, पेचिस – ( टोटका ) इमली की पत्तियों के रस में, लाल किए हुए लोहे को बुझा लें। इसे छानकर 5-10 मिली की मात्रा में दिन में 3-4 बार लें। इसे कुछ दिनों तक सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।

 

*# - सुधा वर्धक पना ( पन्ना \ पानक ) - 25 ग्राम इमली को 500 मिली पानी में मसलकर छानकर इसमे 50 ग्राम मिश्री , 4 ग्राम दालचीनी ,4 ग्राम लौंग और 4 ग्राम इलायची मिलाकर 4 मिली की मात्रा में पिलाएं | इसके प्रयोग से भूख की वृद्धि होती है तथा रोगजन्य दौर्बल्य व वात विकारों का शमन होता है |

 *# - वात विकार -  25 ग्राम इमली (imly) को 500 मिली पानी में मसलकर छान लें। इसमें 50 ग्राम मिश्री, 4 ग्राम दालचीनी, 4 ग्राम लौंग और 4 ग्राम इलायची मिलाकर 4 मिली की मात्रा में पिलाएं। इसके प्रयोग से वात विकारों का शमन होता है। 

*# - सीने की जलन -  सीने की जलन होने पर मिश्री के साथ इमली का शर्बत बनाकर पीने से लाभ होता है।

 

*# - पाचनतन्त्र के रोग व पेटदर्द -  इमली की छाल को सेंधा नमक के साथ एक मिट्टी के बरतन में रखे। इसमें पानी मिलाकर भस्म बना लें। 125 मिग्रा भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से पाचनतंत्र की बीमारी  अजीर्ण और पेट दर्द ठीक होते हैं। 

 

# - अतिसार, दस्त -  इमली के बीज के फायदे से दस्त पर रोक भी लगती है। इमली के 10-15 ग्राम पत्तों को 400 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसे पिएं। इससे अतिसार  दस्त में लाभ होता है।

 

*# - आमातिसार, दस्त -  इमली (imly) के पत्तों के 5-10 मिली रस को थोड़ा गर्म करके पिलाने से भी आव युक्त अतिसार  दस्त पर रोक लगती है।

 

*# - अतिसार -   इमली के 15 ग्राम बीज के छिल्के, 6 ग्राम जीरा और मीठा हो जाने लायक ताड़ की चीनी लें। इन तीनों को महीन पीसकर तीन-तीन, चार-चार घण्टे के अंतर पर सेवन करें। इससे जीर्ण आमदोष अतिसार  दस्त की गंभीर समस्या भी ठीक हो जाती है।

 

# - दस्त - इसी तरह 3-6 ग्राम इमली बीज मज्जा चूर्ण को पानी के साथ सुबह और शाम सेवन करें। इससे  अतिसार और आमज अतिसार दस्त में लाभ होता है।

 

*# - अतिसार -  इमली के पुराने वृक्ष (imli tree) के जड़ की छाल और काली मिर्च को आधी मात्रा में लें। इसे गोतक्र ( छाछ ) के साथ पीसकर, मटर के आकार की गोलियां बना लें। एक से दो गोली को दिन में तीन बार देने से आमयुक्त अतिसार पर  दस्त पर रोक लगती है। 

 

# - सूजाक -  आप सुजाक में भी इमली के बीज के फायदे ले सकते हैं। 125 ग्राम इमली के बीजों को 250 मिली  गाय के दूध में भिगो दें। तीन दिन के बाद छिलके उतारकर,गाय के  दूध के साथ पीस लें। सुबह-शाम 6 मिली की मात्रा में गाय के दूध या पानी के साथ सेवन करने से सुजाक में लाभ होता है। 

 

# - खूनी बवासीर -  खूनी बवासीर में 5-10 मिली इमली के फूल के रस को दिन में तीन बार पिएं।

 

# - खूनी बवासीर -  125-500 मिग्रा इमली (tamarid) के बीज के भस्म को गोदधि ( दही ) के साथ चटाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। 

 

# - बहुमूत्र -  10 ग्राम इमली के बीजों को सुबह पानी में भिगो दें। रात में छिलका उतारकर भीतरी सफेद मींगी को पीसकर गाय के दूध के साथ पिएं। इससे बार-बार पेशाब आने की परेशानी में फायदा होगा। 

# - मोच -  मोच होने पर इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप के रूप में लगाएं। इससे मोच में लाभ होता है। 

 

# - सफ़ेद दाग -  सफेद दाग जैसी बीमारी में भी इमली के बीज के फायदे मिलते है । इमली के बीजों की मींगी और बावची को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे लगाने से सफेद दाग में लाभ होता है।

 

*# - फोड़ा -  इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से फोड़ा ठीक होता है।

 

*# - फोड़ा पकाने हेतु -  इमली के पत्तों को पीसकर गर्मकर थोड़ा गाढ़ा काढ़ा बना लें। इसे फोड़ा पर बांधने से फोड़ा पककर शीघ्र फूट जाता है।

 

*# - घाव -  इमली के पत्ते का काढ़ा बनाकर घावों को धोने से घाव ठीक होता है।

 

*# - सूजन - इमली के पत्तों का थोड़ा गाढ़ा काढ़ा बनाकर सूजन पर बांधें। इससे सूजन और दर्द ठीक होते हैं। 

 

*# - बेहोशी की बीमारी या लू लगने पर -   बेहोशी की बीमारी या लू लगने पर इमली फल के गूदे को ठंडे पानी में पीसकर सिर पर लगाएं। 

 

*# - लू लगना -  पकी हुई इमली को पानी में पीस लें। इस पानी में कपड़ा भिगोकर शरीर को कुछ देर तक पोछें। इससे लू का असर मिटता है। 

 

*# - उल्टी, अधिक प्यास लगने की परेशानी, हैजा, खाना न पचनाशराब का नशा का न उतरना (हैंगओवर) दूर -  पुरानी इमली (imlee) के एक किग्रा गूदे को दो-गुने पानी में भिगो लें। दूसरे दिन सुबह आग पर दो तीन बार उबालने के बाद मसलकर छान लें। इसमें दो किलो खांड मिलाकर चाशनी बना लें। इस गर्म चाशनी को छानकर ठंडा होने दें। इसे बोतल में भर लें। इसे तीन-तीन घण्टे के अंतर से 10 से 20 मिली तक की मात्रा में सेवन करें। इससे उल्टी, अधिक प्यास लगने की परेशानी, हैजा, खाना न पचनाशराब का नशा का न उतरना (हैंगओवर) दूर होता है।

 

*# - कफज विकार व वीर्य का पतलापन -   इसके साथ ही यह कफज विकारों में भी लाभदायक होता है। इमली के बीजों को पानी में कुछ दिन भिगोकर छिलका उतार दें। छिलके निकले सफेद बीजों को सुखाकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार गाय के दूध के साथ सेवन करने से वीर्य का पतलापन दूर होता है|

 

# - मुत्रकृच्छ, वीर्य का पतलापन  -  इमली (emli) के बीजों को भूनकर, छिलका उतार लें। इनका चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर लगातार 15 दिन तक सुबह-शाम सेवन करने से वीर्य का पतलापन, मूत्र रोग जैसे- पेशाब में जलन होना, पेशाब का रुक-रुक कर होने जैसी परेशानी में लाभ होता है।

 

*# - वीर्य रोग -  10 ग्राम इमली के बीजों को पानी में चार दिन तक भिगोकर छील लें। इसमें दो भाग गुड़ मिलाकर चने के समान गोलियां बनाकर रख लें। रात में सोते समय एक-दो गोली सेवन करने से वीर्य रोग ठीक होता है। 

 

*# - पित्तज्वर -  25 ग्राम इमली को रात भर एक गिलास पानी में भिगोकर सुबह छान लें। पानी में बूरा मिलाकर ईसबगोल के साथ पिलाने से पित्तज्वर ठीक होता है।

 

*# - पित्तज विकार -  इमली (imlee) के कोमल पत्तों और फूलों की सब्जी बनाकर सेवन करें। इससे जलन और पित्तज विकारों का शमन होता है।

 

*# - बुखार में होने वाली जलन -  10 ग्राम इमली और 25 ग्राम छुहारों को 1 लीटर गाय के दूध में उबाल लें। इसे छानकर पिलाने से बुखार में होने वाली जलन और घबराहट ठीक होती है। 

 

*# - उलटी और बुखार -  इमली का शर्बत बनाकर पिलाने से पित्तज उल्टी और बुखार ठीक होते हैं। 

 

# - इमली के उपयोगी अंग – छाल,पत्ते,फूल,फल,बीज का उपयोग होता है |

 

#- इमली (tamarid) से सेवन की मात्रा ये होनी चाहिए- फल- 4-30 ग्राम, बीज का चूर्ण- 1-3 ले सकते है |

 

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