रामबाण योग 140
आलूबुखारा , गार्डन प्लम (Garden plum)
आपने अगर आलूबुखारा (plum fruit) का सेवन किया होगा तो इसके बारे में जरूर जानते होंगे। आलूबुखारा एक मौसमी फल है, इसमें अनेक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। अब तक आप आलूबुखारा को एक आम फल के रूप में ही जानते होंगे, लेकिन सच यह है कि कई रोगों के इलाज में आलूबुखारा के फायदे मिलते हैं। साधारण-से दिखने वाले आलूबुखारा के इस्तेमाल से कई रोगों में लाभ होता है। आयुर्वेद में एक-दो नहीं, बल्कि आलूबुखारा के कई फायदे बताए गए हैं, जो आपको जरूर जाननी चाहिए। दरअसल, यह एक ऐसा फल है जो आसानी से सभी जगह मिल जाता है।
आलूबुखारा एक मौसमी और मुलायम फल है जिसके अंदर रस होता है। इसे आहार के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। आलूबुखारा से स्वादिष्ट व्यंजन बनाया जाता है। इसे सौंदर्य लाभ के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाता है। आलूबुखारा का स्वाद मीठा होता है। इसके इस्तेमाल से पेट से संबंधित विकार जैसे- भूख की कमी, बदहजमी, पाचन विकार आदि तो ठीक होते ही हैं, साथ ही कब्ज, बवासीर आदि बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
आलूबुखारा का वानस्पतिक नाम प्रूनस डोमेस्टिका (Prunus domestica L., Syn- Prunus communis Huds) है, और यह रोजेसी (Rosaceae) कुल का है। Hindi – आलूबुखारा
English (aloo bukhara in english) – गार्डन प्लम (Garden plum), प्रून प्लम (Prune plum), Plum tree (प्लम ट्री), यूरोपियन प्लम (European plum) Sanskrit – आल्लूक, अल्लू, रक्तफल, भल्लूक कहते है |
*# - दाद , खाज , खुजली व सिर का गंजापन - आप दाद या खुजली आदि में आलूबुखारे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आलूबुखारे के तने से गोंद निकाल लें। इसमें सिरका मिलाकर लेप करें। इससे गंजेपन की समस्या में फायदा होता है।
*# - बच्चों की व वयस्कों की याददास्त - बच्चे हों या वयस्क, कई लोगों को याददाश्त कम होने की शिकायत रहती है। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जिनके माता-पिता हमेशा यह शिकायत करते हैं कि बच्चों को पढ़ाई गई पाठ याद नहीं रहती। इसी तरह बूढ़े लोगों में भी याददाश्त की कमी संबंधी परेशानी रहती है। ऐसी समस्या में आलूबुखारा का इस्तेमाल करना बहुत अच्छा परिणाम देता है। आलूबुखारे की बीज गिरी का सेवन करने से धीरे-धीरे स्मरण शक्ति बढ़ती है।
*# - अधिक प्यास लगाना - जिस व्यक्ति को अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी होती है, वे आलूबुखारे का प्रयोग कर लाभ ले सकते हैं। आलूबुखारे फल का सेवन करने से अत्यधिक प्यास (तृष्णा) की समस्या से आराम मिलता है।
*# - बदहजमी - भारी या ज्यादा भोजन करने से बदहजमी की समस्या हो जाती है। आपने जो खाना खाया, उसके ठीक से नहीं पचने पर, या मसालेदार खाना खाने पर भी बदहजमी हो जाती है। कभी-कभी अधिक चाय-कॉफी, तंबाकू आदि का सेवन करने से भी बदहजमी हो जाती है। इसमें आलूबुखारा के सेवन से लाभ होता है। आलूबुखारा के बीजों को बादाम की तरह सुखा लें। इस सूखे फल को खाने से अपच की समस्या में लाभ होता है।
*# - भूख की कमी - भूख की कमी में आप आलूबुखारा का सेवन कर सकते हैं। आलूबुखार फल का सेवन करने से भूख बढ़ती है।
*# - दाद, खाज - शरीर के किसी भी अंग में खुजली की बीमारी हो जाती है। दिक्कत की बात तो यह है कि जब खुजली हो जाती है तो जल्दी ठीक नहीं होती, और अनेक स्थानों पर परेशानी या बेइज्जती का कारण भी बन जाती है। आप दाद या खुजली आदि में भी आलूबुखारे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आलूबुखारे के तने से गोंद निकाल लें। इसमें सिरका मिलाकर लेप करें। इससे दाद और खुजली आदि विकारों में लाभ होता है।
*# - घाव - घाव पर भी आलू बुखारा का प्रयोग करना लाभ पहुंचाता है। आप घाव पर आलूबुखारे के गोंद से बने चूर्ण को लगाएं। इसके अलावा गोंद को पानी में मिलाकर घाव को धोने से भी घाव जल्दी ठीक हो जाता है।
*# - नकसीर - नाक से खून आने पर आलूबुखारे के पत्तों का रस निकाल लें। इसे 1-2 बूंद की मात्रा में नाक में डालें। इससे नाक से खून आने की समस्या में लाभ मिलता है।
*# - बच्चों के पेट के कीड़े – ( टोटका )- अनेक बच्चों को पेट में कीड़े होने की शिकायत रहती है। सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि कई वयस्क को भी यह समस्या हो जाती है। पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए आलूबुखारा उपयोगी साबित होता है। आलूबुखारे के पत्तों को पीसकर पेट पर लेप के रूप में लगाएं। इससे पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
# - बुखार - पित्तज विकारों के कारण होने वाली बुखार में आलूबुखारा का सेवन किया जाना चाहिए। इस समस्या के लिए आप आलूबुखारा फल का काढ़ा बन लें, और इसे 10-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे पित्तज बुखार में लाभ होता है।
*# - बच्चों के पेट के कीड़े – ( टोटका )- अनेक बच्चों को पेट में कीड़े होने की शिकायत रहती है। सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि कई वयस्क को भी यह समस्या हो जाती है। पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए आलूबुखारा उपयोगी साबित होता है। आलूबुखारे के पत्तों को पीसकर पेट पर लेप के रूप में लगाएं। इससे पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
# - आलूबुखारा का औषधीय इस्तेमाल इतनी मात्रा में करनी चाहिएः-
काढ़ा (काढ़ा) – 10-20 मिली
# - आप आलूबुखारा का इस्तेमाल इस तरह से कर सकते हैं- आलूबुखारा फल, आलूबुकारा के पत्ते ,
आलूबुखारा के बीज का तेल का प्रयोग कर सकते है |
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