Monday 19 September 2016

खाँसी ( Cough )

कारण व लक्षण :-
खाँसी का मूल कारण ज़ुकाम है , ज़ुकाम के बिगड़ जाने से खाँसी हो जाती है । इसके अतिरिक्त यह रोग प्राय: सर्दी - गर्मी , अपच , वायु की धूल आदि के फेफड़ों पर प्रभाव से हो जाता है कभी कभी कोई दवा या खाने- पीने की कोई वस्तु श्वास नली में चले जाने से भी खाँसी होती है । फेफड़ों की नली में कीड़े इकट्ठे हो हो जाने पर उसमें सूजन या ख़राश उत्पन्न हो जाती है इस कारण से भी खाँसी का रोग हो जाता है । छोटे पशुओ , जैसे - भेड़- बकरी , बछड़ा , कटरा तथा लबेराे को घास व चारे के छोटे- छोटे कीड़े पेट में चले जाने से तथा कभी-कभी पानी में लगातार भीगने और सर्दी लग जाने से भी खाँसी का रोग हो जाता है ।
रोग के आरम्भ में पशु को सुखा धस्का उठता है और साँस लेने में कठिनाई होती है तथा गले के नीचे साँय- साँय शब्द की आवाज़ होती हैं । इसके बाद बलगम पैदा होकर तर खाँसी हो जाती है । बछड़ों आदि को कीड़ों के कारण जो खाँसी होती है - उसमें वे गर्दन झुकाकर तथा शरीर को फैलाकर खाँसते है । यदि अधिक दिनों तक उसकी चिकित्सा न की गयी तो सर्दी की खाँसी निमोनिया , दमा आदि का रूप धारण कर लेती है जिसके फलस्वरूप रोगी पशु दुर्बल होकर मर जाता है ।

धँसका :- रोगी पशु के गले में धस्का सा उठता रहता है , जिसके कारण वह खाये- पीयें भोजन को भी भली प्रकार पचा नहीं पाता है और दिन प्रतिदिन कमज़ोर होता जाता हैं ।

तर खाँसी :- तर खाँसी का मूल कारण पशु को ठण्ड लग जाना होता है इसमें रोगी पशु के मुख से कफ निकलता रहता है श्वास में तेज़ी आ जाती है और प्राय मन्द- मन्द बुखार भी हो जाता है जिसके कारण वह कुछ खा- पी नहीं सकता है ।

ख़ुश्क खाँसी :- गले में ख़राश , कफ,न निकलना , पशु के खाँसने पर गले से धुँआँ सा निकलना , प्यास तेज़ी से लगना तथा गर्दन व पैरों की गर्मी प्रतीत होना - आदि इस व्याधि के सामान्य लक्षण हैं ।

औषधि :- 
१. पके हुए अनार का छिल्का १ छटांक , पीसकर गाय के मक्खन में मिलाकर पशु को चटाने से खाँसी में आराम आता हैं ।

२ - केले के सुखने हुए पत्ते की राख २ तौला , गाय का मक्खन या शहद के साथ मिलाकर चटाने से लाभ होता हैं ।

३ - अजवायन १ तौला , नमक १ तौला , और अदरक २ रतौला , गुड़ ५ तौला , लेकर मिला लें , यह एक खुराक है ऐसी ही खुराक प्रतिदिन पशु को प्रात: काल खिलायें ४-५ दिन में ठीक हो जायेगा ।

४ -  यदि कीड़ों के कारण स्वाँस नली में सूजन होने के कारण खाँसी हो गयी हैं तब निम्नांकित योग परम लाभकारी सिद्ध होता हैं । तारपीन का तेल १ छटांक , तथा अलसी का तेल ३ छटांक , लेकर दोनो को दलिया में मिलाकर थोड़ा- थोड़ा पशु को नाल द्वारा पिलायें तो लाभकारी होगा ।

# - यदि दवा पिलाते समय पशु को खाँसी उठे तो उसका मुँह छोड़ देना चाहिए ।

५ - नमक पावडर १ तौला , आक ( मदार ) की जड़ का पावडर १ तौला , हल्दी २ तौला , धतुराफल पावडर ३ माशा , और हींग ६ माशा , लेकर सभी को आपस में मिलाकर आधाकिलो गुनगुने पानी में मिलाकर नाल द्वारा पिलायें यह खाँसी नाशक अच्छा प्रयोग हैं ।

६ -  मुलहटी पावडर १ तौला , नमक पावडर १ तौला , गाय का मक्कखन ४ तौला मिलाकर एक खुराक तैयार हो जाती है , ऐसी ही चार- पाँच खुराक पशु को दिनभर में चटाने से पशु का बलगम पतला होकर बाहर निकलने लगता है ओर पशु ठीक होने लगता हैं ।

७ -  बबूल का गोंद १ तौला , कालीमिर्च पावडर १ तौला , नमक पावडर १ तौला , पीपरामूल पावडर १ तौला , काकडा सिंगी पावडर १ तौला , गन्ने की राब या गुड़ ५ तौला , के साथ मिलाकर चटाना भी लाभकारी रहता है ।

#- धँसका :- धस्का में पशु को चावल का गरम माण्ड पिलायें । जौं के आटे में अडूसे के पत्ते और सांभर नमक डालकर दिन मे ३-४ बार खिलाना उपयोगी रहेगा ।

#- तर खाँसी :- के लिए इन दवाओं का उपयोग कर सकते हैं --

८ - गुड ७० ग्राम , सोंठ पावडर १० ग्राम , मिलाकर गोली बनाकर दिन में दो बार खिलाना गुणकारी होता हैं ।

९ -  फिटकरी को भूनकर पावडर ५० ग्राम , हींग भूनकर ५० ग्राम , सोंठ पावडर ५० ग्राम , कायफल पावडर ५० ग्राम , सुहागा ५० ग्राम , बायबिड्ंग पावडर ५० ग्राम , कुटकी पावडर ५० ग्राम , सफ़ेद ज़ीरा पावडर ५० ग्राम , कालीमिर्च पावडर ५० ग्राम , इसके बाद यह चूर्ण लेकर मेंथी का आटा १ किलो लेकर उसमे मिलाकर थोड़ा पानी डालकर आटा गुथकर ५०-५० ग्राम के लड्डू बनाकर रंख लेवे दिन में तीन बार खिलाने से लाभँ होगा ।

१० - प्याज़ २५० ग्राम , नमक २ तौला , दोनों की चटनी बनाकर खिलाने से लाभँ मिलता हैं । प्याज़ की चटनी बनाते समय पानी का उपयोग नहीं करना होता हैं ।

# - तर खाँसी में पशु को कुछ बास की पत्तियाँ नियमित खाने को देने से जल्दी लाभ होता हैं ।

  ख़ुश्क खाँसी -
१२ - औषधि :- सुखी खाँसी गर्मी से उत्पन्न होती हैं ।पीड़ित पशु के गले में धुँआँ सा उठता है , पशु खाँसने लगता हैं इससे प्यास बहुत लगती हैं ।

१३ -  सेंधानमक और अडूसे के पत्ते का रस ५०-५० ग्राम लेकर जौ के आटे में पानी गुँथकर लड्डू बनाकर खिलाने चाहिए ।

१४ -  पुरानी शुद्ध सरसों का तेल ३०० ग्राम , पिलाने से सूखी खाँसी में लाभकारी होता हैं ।

१५ - गाय का घी व देशीशराब बराबर मात्रा में लेकर घी को पिघलने तक गरम करकें गुनगुना लेकर उसमें शराब मिलाकर पशु को नाल द्वारा पिलाना हितकर होता हैं ।

१६ - गोंद कतीरा १५ ग्राम , देशी बबूल का गोंद १५ ग्राम , रात को पानी में भिगोकर रख दें , प्रात: काल होने पर जब वह फूलकर मोटे हो जाये , जौं का आटा आवश्यकतानुसार लेकर सब को आपसे मिलाकर गुँथकर लड्डू बना लें और रोगी पशु को खिलायें आराम होगा ।

सुखी खाँसी या तर खाँसी का इलाज करने से पहले यह ठीक प्रकार से देख लेना चाहिए कि उसका मूल कारण अधिक गर्मी या ठन्ड लग जाना , बिना मौसम की वस्तु खा जाना या कोई विषैला प्रभाव अथवा किसी अन्य रोग का होना तो नहीं हैं यदि खाँसी का कारण पेट सम्बन्धी या कोई और बिमारी हो तो पहले उसका इलाज कर उसके बाद खाँसीनाशक दवाओं का उपयोग करना चाहिए , कभी- कभी तो मूलरोग के ठीक होते ही खाँसी अपने आप ही ठीक हो जाती हैं ।

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