क्या है नकसीर ?
हृष्ट- पुष्ट पशुओं की नाक पर चोट लग जाने, अधिक छींके आने , धूप की गर्मी से अथवा गरम औषधियों के प्रभाव आदि कारणों से नाक की सुक्ष्म शिराएँ फट जाता हैं और ख़ून बहने लगता हैं इसी को नकसीर कहते हैं ।
३ - चिरायता एक छटांक कुटकी और गिलोय ढाई-ढाई तौला और शक्कर २५० ग्राम , लेकर सभी को पानी में घोलकर शर्बत बनाकर नाल द्वारा पशु को पिलायें । नकसीर फूटने में इस योग का सफल प्रयोग है ।
२- पशु के नाक में जोंक लगना ( Leiches in the Nostils )
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कारण व लक्षण :- जोंक एक पानी का कीड़ा होता हैं जो गन्दे पानी तालाब आदि में रहता हैं यह कीड़ा पशु के शरीर में चिपटकर उसका ख़ून चूसता रहता है । कभी-कभी पोंखर तालाब में पानी पीते समय जोंक पशु के नाक में चली जाती है और अन्दर ही चिपट जाती हैं । और ख़ून चूसती रहती हैं तब पशु की नाक से ख़ून बहने लगता हैं और साँस लेने में भी कठिनाई होती है ।
१ - औषधि :- पीने वाले तम्बाकू को पानी में उबालकर गुनगुना- गुनगुना पशु की नाक में डालना भी हितकारी हैं तम्बाकू की तेज़ गन्ध के कारण जोंक उस स्थान को छोड़कर स्वयं ही बाहर आ जायेगी ।
२ - औषधि - नमक को पानी में घोलकर उसमें थोड़ी सी पीसी हुई हल्दी भी डालकर घोल लें इसके बाद इस पानी को पशु के नाक में टपकाने से जोंक अपने आप तड़पकर बाहर आ जायेगी तभी उसको चिमटी से पकड़कर बाहर निकाल लेना चाहिए ।
३ - औषधि - पशु को दिनभर पानी न पिलाकर प्यासा रखें जिसके कारण पशु की स्वाँस गरम हो जायेगी पानी न मिलने के कारण जोंक प्यासी हो जायेगी उसके बाद पशु की नाक पर बाहर की साईड में पानी की धार डाले , जोंक पानी की ख़ुशबू पाकर बाहर को आयेगी तभी चिमटी से जोंक को पकड़कर बाहर निकाल लेना चाहिए ।
हृष्ट- पुष्ट पशुओं की नाक पर चोट लग जाने, अधिक छींके आने , धूप की गर्मी से अथवा गरम औषधियों के प्रभाव आदि कारणों से नाक की सुक्ष्म शिराएँ फट जाता हैं और ख़ून बहने लगता हैं इसी को नकसीर कहते हैं ।
औषधि -
१- सिर पर ठन्डे पानी की लगातार धार डालते रहने से रक्त जमकर नाक से ख़ून बहना बन्द हो जाता हैं ।
२ - थोड़े से पानी में फिटकरी पीसकर ,घोलकर उसमें माजूफल घिसकर डाल लें इस पानी की बूँदें पशु के नाक में टपकाने रूई का फोहा तर करके नाक में रखने से रक्त गाढ़ा होकर नकसीर बन्द हो जाती है
३ - चिरायता एक छटांक कुटकी और गिलोय ढाई-ढाई तौला और शक्कर २५० ग्राम , लेकर सभी को पानी में घोलकर शर्बत बनाकर नाल द्वारा पशु को पिलायें । नकसीर फूटने में इस योग का सफल प्रयोग है ।
२- पशु के नाक में जोंक लगना ( Leiches in the Nostils )
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कारण व लक्षण :- जोंक एक पानी का कीड़ा होता हैं जो गन्दे पानी तालाब आदि में रहता हैं यह कीड़ा पशु के शरीर में चिपटकर उसका ख़ून चूसता रहता है । कभी-कभी पोंखर तालाब में पानी पीते समय जोंक पशु के नाक में चली जाती है और अन्दर ही चिपट जाती हैं । और ख़ून चूसती रहती हैं तब पशु की नाक से ख़ून बहने लगता हैं और साँस लेने में भी कठिनाई होती है ।
१ - औषधि :- पीने वाले तम्बाकू को पानी में उबालकर गुनगुना- गुनगुना पशु की नाक में डालना भी हितकारी हैं तम्बाकू की तेज़ गन्ध के कारण जोंक उस स्थान को छोड़कर स्वयं ही बाहर आ जायेगी ।
२ - औषधि - नमक को पानी में घोलकर उसमें थोड़ी सी पीसी हुई हल्दी भी डालकर घोल लें इसके बाद इस पानी को पशु के नाक में टपकाने से जोंक अपने आप तड़पकर बाहर आ जायेगी तभी उसको चिमटी से पकड़कर बाहर निकाल लेना चाहिए ।
३ - औषधि - पशु को दिनभर पानी न पिलाकर प्यासा रखें जिसके कारण पशु की स्वाँस गरम हो जायेगी पानी न मिलने के कारण जोंक प्यासी हो जायेगी उसके बाद पशु की नाक पर बाहर की साईड में पानी की धार डाले , जोंक पानी की ख़ुशबू पाकर बाहर को आयेगी तभी चिमटी से जोंक को पकड़कर बाहर निकाल लेना चाहिए ।
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