Monday, 9 November 2015

सूई पेट में चले जाना

यदि किसी प्रकार चारा दाना खाने के साथ पशु के पेट में सुई चली जाये तो उसे महाकष्ट होता है । सुई उसकी आँतों मे चूभने लगती है , जिससे उसके पेट में कष्ट होने लगता है , पशु के पेट में दर्द आरम्भ होने लगता है , उसकी भूख प्यास जाती रहती है तथा उसे दिन रात सुस्ती रहती है । आँखों से पानी बहने लगता है और पशु - प्रतिदिन दूबला होता जाता है , शीघ्र चिकत्सा न मिलने के कारण पशु की मृत्यु हो जाती है ।
विषेश - पशु के पेट में सुई चुभने व अन्य प्रकार के दर्द में निम्न अन्तर है --
अन्य प्रकार के दर्द में पशु की आँख से पानी नहीं गिरता हैं , यदि पशु के पेट में सुई चुभने का दर्द होता हो तो - उसकी आँखों से लगातार पानी टपकता है । सुई चुभने के दर्द से पशु दाँत भी किटकिटाता है । इस रोग का तुरन्त निदान करना चाहिए ।


औषधि :-
1- गुलाबजल २५० ग्राम , चूम्बकपत्थर पावडर २० ग्राम , दोनों को आपस में मिलाकर नाल द्वारा पशु को पिलायें । दवाई पिलाने के तीन घन्टे बाद अरण्डी तेल ५०० ग्राम , डेढ़ किलो गाय के दूध में मिलाकर पशु को पिलाने से सुई गुदामार्ग से बाहर आ जायेगी ।

2 - मुनक्का २० ग्राम , पुराना गुड़ २५० ग्राम , अरण्डी का तेल ५०० ग्राम , सनाय पत्ते १२५ ग्राम , गाय का दूध २ किलो , और ताज़ा जल १ किलो , सभी को आपस में मिलाकर पकाते समय दूध का पानी जल जाने दूध को पर छान लें । चुम्बकपत्थर पावडर गुलाबजल में मिलाकर नाल द्वारा पिलानें के बाद इस औषधिनिर्मित दूध को नाल द्वारा ही पशु को पिला देना चाहिए । इस प्रयोग से सुई गुदामार्ग से बाहर आ जायेगी ।

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