Thursday 15 April 2021

रामबाण :-32-:

रामबाण :-32-:


#- आँखरोग - आंखों के लिए धातकी बेहद गुणकारी औषधि है। इसके फूल और तिनिश सार को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गाय के दूध एवं शहद के साथ अच्छी तरह मिलाकर सेवन करें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है। कफ आदि के कारण पलक उठाने में हो रही परेशानी में भी धातकी लाभदायक साबित होती है।


#- दांतरोग - धातकी के पत्तों और फूल, दोनों को बराबर हिस्सा लेकर काढ़ा बना लें। इसे गले में अटकाकर कुल्ला (गरारा) करने पर दांतों के सभी तरह के रोग में फायदा होता है।

#- बच्चों के दाँत निकलते समय दर्द - जब छोटे बच्चों के दांत निकलते हैं तो प्राय: बच्चों को दर्द होता हैं। ऐसा होने पर आंवला, पिप्पली और धातकी के फूल (dhataki pushpa), को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इस चूर्ण के 1 ग्राम में शहद मिलाकर सुबह और शाम रोज बच्चों के मसूड़ों पर मालिश करें। ऐसा करने से दांत निकलते समय होने वाला दर्द दूर हो जाता है। दांत आसानी से निकल जाता है।

#- दस्त रोग- दस्त (Diarrhoea) होने पर धातकी के एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद या एक कप गौतक्र (छाछ ) मिलाकर सेवन करें। इससे दस्त और पेचिश में काफी लाभ होता है।

#- बार बार शौच आना - जिन्हें बार-बार शौच जाना पड़ता है, उन्हें इस दिव्य औषधि धातकी का सेवन जरूर करना चाहिए।

#- सोंठ, धातकी के फूल, मोचरस और अजमोदा को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रित चूर्ण की 1-3 ग्राम मात्रा का सेवन गौतक्र( छाछ ) के साथ करें। इससे दस्त और और पेचिश दोनों में लाभ होता है।
 
#- पेचिश- पेचिश के उपचार के लिए धातकी के 10 ग्राम फूलों को लगभग 400 मिलीलीटर पानी में उबालें। पानी का एक चौथाई बच जाने पर उबालना बंद कर दें। इस काढ़ा को सुबह खाली पेट और शाम में भोजन से 1 घंटा पहले सेवन करें। दवा के इस्तेमाल के दौरान आसानी से पचने वाला भोजन करें। कुछ समय के लिए दूध और घी नहीं खाएं। इसके सेवन से निश्चित तौर पर फायदा होगा।

#- पेचिश - धातकी के फूल के 1-3 ग्राम चूर्ण को गाय को दूध से बनी दही के साथ सेवन करें। इससे पेचिश का इलाज होता है।

#- पेचिश - सोंठ, धातकी के फूल, मोचरस और अजमोदा को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रित चूर्ण की 1-3 ग्राम मात्रा का सेवन गौतक्र ( छाछ ) के साथ करने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।
 


#- ख़ूनी बवासीर - धातकी (dhatki) के फूलों का शर्बत पिलाने से बवासीर में लाभ होता है। खूनी बवासीर या अन्य किसी कारण से खून बहने को रोकने के लिए धातकी के फूल के एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद मिलाएं। इसे दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से खून आना बंद हो जाता है, या धीरे-धीरे कम हो जाता है।


#- प्लीहा, तिल्ली रोग - धातकी के फूलों का 2-3 ग्राम चूर्ण लें। इसे चित्रक की जड़ और हल्दी के चूर्ण के साथ मिला लें। अगर इनमें से किसी एक का भी सेवन 50 ग्राम गुड़ के साथ किया जाए तो प्लीहा विकार जैसे तिल्ली के बढ़ने और प्लीहा के बढ़ने से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में सहायता मिलती है।  
 


#- मधुमेह - मधुमेह ऐसी बीमारी हो चली है जो सामान्य तौर पर हर घर में पहुँच रही है। इसके लिए धातकी के फूल, पठानी लोध्र और चंदन को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इस मिश्रण को दिन में 3 बार शहद के साथ एक चम्मच लें। कुछ हफ्ते तक इसका नियमित सेवन करने से मधुमेह या डायबिटीज में लाहोता है।
 


#- गर्भधारण - अन्य परिस्थितियाँ सामान्य रहने पर भी जिन महिलाओं को गर्भ नहीं ठहर रहा होता है, उनके लिए धातकी (dhatki) मददगार हो सकती है। धातकी के फूल के चूर्ण और नील कमल के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। मासिक धर्म शुरू होने के दिन से 5 दिन तक शहद के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करें। इससे स्त्री गर्भधारण कर लेती है। प्रयोग असफल होने पर अगले मासिक धर्म के दिन से इसे फिर से प्रयोग किया जा सकता है।

 
#- पेट के कीड़े - पेट में यदि कीड़े हो गए हो तो धातकी की मदद ली जा सकती है। इसके फल के 3 ग्राम चूर्ण को सुबह खाली पेट में ताजा पानी के साथ लगातार कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं।


#- अल्सर रोग - अल्सर होने पर आँतों से खून आने लगता है। इस बीमारी में धातकी फायदेमंद होता है। धातकी के फूल के चूर्ण का लोध्र की छाल के साथ उपयोग करें। इससे अल्सर में काफी आराम मिलता है।
 


#- नासूर साइनस - नासूर (साइनस) होने पर अलसी के तेल में धातकी के फूल से बने चूर्ण को मिला लें। इसे थोड़ा शहद मिलाकर रोजाना साइनस के घाव में लगाते रहें। ऐसा करने से जल्द आराम मिलता है।
 


#- अग्निदग्ध - धातकी के फूलों को पीसकर अलसी के तेल या शहद में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे बाद में जला निशान भी खत्म हो जाता है। इसके फूलों को गुलाब जल में पीसकर लेप करने से पूरे शरीर में जलन में फायदा होता है।
 


#- कुष्ठ रोग - धातकी (dhatki) के फूल के पेस्ट को लेप और उबटन के रूप में प्रयोग करें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

#- कुष्ठ रोग - इसके अलावा कटेरी और धाय के फूल को जलाकर उसकी भस्म बना लें। इसमें सरसों का तेल मिलाकर कुष्ठ पर लेप करने से भी फायदा होता है।
 


#- बुखार - धातकी फूल से बने एक चम्मच चूर्ण को सुबह और शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे पित्त विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक हो जाता है। इसके कारण होने वाली परेशानियों से बचाव होता है।


#- रक्तस्राव - धातकी के फूल, फल, चन्दन, पठानी लोध, अनन्त मूल, महुआ, नागरमोथा और हरीतकी को समान मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को कूटकर 30 ग्राम चूर्ण को लगभग एक लीटर पानी में भिगो दें। इसके बाद इस पानी में लगभग 5 ग्राम पकी हुई मिट्टी भी भिगो दें। थोड़ी देर बाद पानी छान लें। अब इसमें मुलेठी भिगो दें। जब मुलेठी अच्छी तरह भीग जाय तो पानी छान लें। इसमें मिश्री या चीनी मिलाकर पीने से तेजी से होने वाला रक्स स्राव रुक जाता है। इसे प्रतिदिन ताज़ा-ताजा बनाकर दिन में दो बार कुछ दिन तक लगातार सेवन करें।

#- रक्तस्राव - दूब का एक चम्मच रस और धाय के फूल का एक चम्मच चूर्ण मिलाकर सेवन करने से भी खून बहना रुक जाता है। कहीं से भी खून बह रहा हो, चाहे नकसीर हो या बवासीर अन्य रक्तस्राव, कुछ दिन के इस्तेमाल से खून बहना रोकने में पूर्ण लाभ होगा। तीन सप्ताह तक लगातार इसका सेवन करने से लाभ होता है।  

#- रक्तस्राव - यदि नाक से खून रहा हो तो धातकी का फूल इसे रोकने में मदद कर सकता है। इसके फूल में मोचरस, पठानी लोध्र, आम की गुठली और मंजीठ को पीसकर चीनी के शरबत में मिलाएं। इसे कपड़े से छानकर निचोड़ लें। इस रस को 1-2 बूंद की मात्रा में नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता है।
 
#- श्वेतप्रदर - श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिाय से परेशान महिलाओं के लिए भी धातकी फायदेमंद होता है। धातकी के फूल से बने दो चूर्ण को चम्मच (लगभग 3 ग्राम) लें। इसे शहद, गौदधि (दही ) या मिश्री के साथ सुबह खाली पेट और शाम को भोजन से एक घंटा पहले सेवन करें। इससे ल्यूोकरिया या श्वेत प्रदर में शीघ्र लाभ होता है।
 


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