Thursday 15 April 2021

रामबाण -:34-:

रामबाण -:34-:


#- नागकेसर -इसकी पत्तियां लाल रंग की होती हैं और उनका अगला हिस्सा चमकीले हरे रंग का होता है। इसके फूल (Nagkesar Flower) सफ़ेद और पीले रंग के होते हैं। इन फूलों के अन्दर पीले केसरी रंग के पुंकेसर गुच्छो में आते हैं, इन्हें ही 'नागकेसर' कहते हैं। नागकेशर कसैला, तीखा, गर्म, लघु, रूक्ष, कफ-पित्तशामक, आमपाचक, व्रणरोपक तथा सन्धानकारक होता है। इसके पुंकेसर से बनने वाले एसेंशियल ऑयल में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इन्ही गुणों की वजह से इसका सेवन कई बीमारियों में लाभप्रद होता है। यह 18-30 मी ऊँचा, माध्यम आकार का हमेशा हरा रहने वाला एक वृक्ष है। यह बुखार, वात संबंधी रोगों, सिर दर्द, गले के रोगों और ह्रदय से जुड़े रोगों में काफी फायदेमंद है। इन गुणों के अलावा भी नागकेसर के कई फायदे हैं


#- हिक्कारोग - हिचकियाँ कभी भी अचानक शुरु हो जाती हैं और फिर जल्दी रूकती नहीं है। हालांकि ऐसे कई घरेलू उपाय हैं जिनकी मदद से आप हिचकियों को रोक सकते हैं। नागकेशर का उपयोग करना भी उन्हीं में से एक है। इसके लिए 500 mg नागकेसर के सूक्ष्म चूर्ण में 1-1 ग्राम शहद एवं मिश्री मिलाकर सेवन करके अनुपान में गन्ने या महुवे के रस का सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।


#- श्वास रोग, श्वासशोथ - नागकेसर में ऐसे गुण होते हैं जिनकी वजह से खांसी और सांसो से जुड़े रोगों में फायदा मिलता है। यह फेफड़ों की सूजन को कम करने में भी लाभकारी है। इसके लिए नागकेशर मूल और छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिएं। जब तक समस्या से आराम मिल जाए नियमित इस काढ़े का सेवन करते रहें।


#- सर्दी ज़ुकाम - खांसी दूर करने के अलावा नागकेसर का सेवन 10-20 मिलीग्राम करने से सर्दी जुकाम में भी जल्दी आराम मिलता है। जुकाम होने पर नागकेसर के पत्तों के पेस्ट को सिर पर लगाएं। इसे लगाने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।


#- बच्चों के खूनीदस्त - खराब खानपान, पेट में ज्यादा गर्मी  या अन्य कारणों से दस्त के साथ-साथ खून भी निकलने लगता है। अक्सर बच्चे इस समस्या से ज्यादा पीड़ित रहते हैं, हालांकि बड़ों में भी यह समस्या होना आम बात है। दस्त में खून की समस्या से आराम दिलाने में नागकेशर बहुत कारगर है। इसके लिए 250-500 मिग्रा नागकेसर चूर्ण को शहद युक्त गाय के मक्खन के साथ या चीनी-युक्त मक्खन के साथ सेवन करने से मल में खून निकलने की समस्या से आराम मिलता है।
 
#- बदहजमी - आज कल की ख़राब जीवनशैली और खानपान की वजह से अधिकांश लोगों का हाजमा बिगड़ा हुआ रहता है। पाचन तंत्र के ठीक तरीके से काम ना करने की वजह से पेट से जुड़ी कई समस्याएं जैसे कि अपच, एसिडिटी या पेट में जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इन समस्याओं से आराम दिलाने में नागकेसर बहुत उपयोगी है. इसके लिए नियमित 0.5-1 ग्राम नागकेशर फल चूर्ण का सेवन करें।


#- दस्त - अगर आप दस्त से पीड़ित हैं तो नागकेसर का सेवन करें। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार इसके सेवन से दस्त से जल्दी आराम मिलता है। दस्त से आराम पाने के लिए 500 mg पुष्पकलिका (nagkesar ka phool) चूर्ण का सेवन करें।
 
#- श्वेतप्रदर - ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर महिलाओं से जुड़ी एक बीमारी है। जिसमें योनि से गाढ़ा सफ़ेद रंग का तरल निकलने लगता है। इसे सफ़ेद पानी की समस्या भी कहा जाता है। अगर आप इस ल्यूकोरिया से पीड़ित हैं तो नागकेसर आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार नागकेशर के 500 mg चूर्ण को मट्ठा में मिलाकर सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।


#- मासिकधर्म स्राव - कई महिलाओं को माहवारी के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में रक्त स्राव होने लगता है। हालांकि माहवारी में रक्तस्राव होना आम बात है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना एक समस्या है। इस समस्या को मेनोरेजिया नाम से भी जाना जाता है। अगर आप इस समस्या से पीड़ित हैं तो इस प्रकार नागकेसर का उपयोग करें। इसके लिए 250-500 mg नागकेसर चूर्ण को मट्ठे के साथ तीन दिन तक सेवन करें। इसके अलावा रोजाना के आहार में गौतक्र ( मठ्ठे ) का सेवन करें। ऐसा करने से मेनोरेजिया की समस्या में जल्दी आराम मिलता है।


#- जोडों का दर्द - बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है लेकिन आज के दौर में युवाओं में भी यह समस्या होने लगी है। आर्थराइटिस के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में घरेलू उपायों की मदद से आप काफी हद तक जोड़ों के दर्द की समस्या को कम कर सकते हैं। इसके लिए नागकेसर के बीजों के तेल को जोड़ों पर या दर्द वाली जगह पर लगाएं और मालिश करें। इस तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द से जल्दी राहत मिलती है।

#- व्रण, घाव - अगर आपकी त्वचा पर कहीं घाव हो गया है तो नागकेसर के लाभ इस रोग में ले सकते हैं। इसके लिए घाव पर नागकेसर का तेल लगाएं। इस तेल को लगाने से घाव जल्दी भरने लगता है।


#- शोथहर तैल - नागकेसर का प्रयोग त्वचा संबंधी रोगों जैसे शीतपित्त के लक्षणों को रोकने में किया जाता है, क्योंकि इसके तेल में शोधहर गुण होता है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार ये कण्डुघ्न यानि खुजली को दूर करने वाला होता है। 


#- हैजा- हैजा के लक्षणों को कम करने में नागकेशर फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि नागकेसर 10-20 मिलीग्राम की चूर्ण मात्रा लेवें इस में एन्टीबैट्रिअल गुण पाया जाता है जिससे इसका सेवन हैजा में फायदेमंद हो सकता है। 


#- खाज, खुजली - नागकेसर े चूर्ण10-20 मिलीग्राम का प्रयोग त्वचा के रोग जैसे खाज -खुजली में फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें कण्डुघ्न का गुण होता है जो खुजली को शांत करने में मदद करता है। 


#- अपच - नागकेसर के चूर्ण 10-20 मिलीग्राम का सेवन अपचन के कारण होने वाली आमाशय की जलन (गैस्ट्रिक) के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है, क्योंकि इसमें पाचन का गुण पाया जाता है जो खाने को पचाने में मदद करता है जिसे आमाशय की जलन कम होती है। 


#- हाई कौलेस्ट्राल - नागकेसर के चूर्ण 10-20 मिलीग्राम का सेवन दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है, क्योंकि इसमें आयुर्वेद के अनुसार आम पाचन का गुण होता है जो कि आम को पचाकर कोलेस्ट्रॉल जैसे तत्वो को बनने से रोकता है और दिल को हाई कोलेस्ट्रॉल के हानिकारक प्रभाव से बचाता है। 


#- अस्थमा - नागकेसर के चूर्ण की मात्रा 10-20 मिलीग्राम का प्रयोग अस्थमा के लक्षणों को भी कम करने में किया जाता है क्योंकि नागकेसर में कफ के शमन का गुण पाया जाता है जो कफ को शांत कर अस्थमा के लक्षणों को कम करता है। 


#- कमरदर्द - क्या आप भी कमर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं? अगर ऐसा है तो आपको नागकेसर का उपयोग करना चाहिए। नागकेसर में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो कमर दर्द से जल्दी राहत दिलाने में मदद करते हैं। कमर दर्द होने पर नागकेसर के बीज से बने तेल को कमर पर लगाएं और मालिश करें। इसकी मालिश से दर्द जल्दी दूर हो जाता है।


#- सर्पदंश - सांप द्वारा काट लेने पर लोग इतना घबरा जाते हैं कि वे समझ नहीं पाते कि उस समय किन चीजों का उपयोग किया जाए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नागकेसर के लाभ से साप के जहर के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए जिस जगह पर सांप ने काटा हो उस जगह पर नागकेशर के पत्तियों को पीसकर उसका लेप लगाएं। इस लेप को लगाने से दर्द और जलन से भी राहत जलन व दर्द मे राहत मिलती है।




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