Wednesday 9 March 2022


रामबाण योग 136

आलू आइरिश पोटैटो (Irish potato), व्हाइट पोटैटो (White potato)

 

आलू सबसे आम और महत्वपूर्ण भोजन स्रोतों में एक है। भारत के हर रसोईघर में आलू के बिना कोई भी व्यंजन बनाना मुश्किल होता है। लेकिन क्या आप इसके फायदों के बारे में जानते हैं। वैसे आम तौर पर लोगों का मानना है कि आलू खाने से वजन बढ़ता है लेकिन ये सच नहीं है। आलू में इतने पौष्टिक तत्व और गुण हैं कि इस खाद्द पदार्थ को कई बीमारियों के लिए औषधि के रुप में उपयोग किया जाता है।

 

आलू मीठा और गर्म तासीर का होता है। यह खाने में रुची बढ़ाने के साथ-साथ सूजन कम करने में मददगार होता है। इससे प्राप्त सोलैनिन (Solanine) वेदना कम करने वाला तथा तंत्रिका शूलरोधी (Anti-neuralgic) यानि नर्व के दर्द से राहत दिलाता है। 50-200 मिग्रा की मात्रा में सोलैनीन का प्रयोग करने से कण्डू यानि चर्म रोग कम होता है। आलू पचाने में भारी तथा मल को गाढ़ा करने वाला होता है। लेकिन इसको ज्यादा खाने से शरीर में आलस्य पैदा होता है।  

 

आलू का वानस्पतिक नाम Solanum tuberosum L. (सोलेनम ट्यूबरोसम) Syn-Solanum andigenum Juz. & Buk., Solanum subandigena Hawkes है और इसका कुल Solanaceae (सोलेनेसी) होता है। आलू को अंग्रेजी में Potato (पोटैटो) कहते हैं| Sanskrit-स्वादुकन्द, म्लेच्छकन्द, सुकन्दक; Hindi-आलू; अंग्रेजी --आइरिश पोटैटो (Irish potato), व्हाइट पोटैटो (White potato), जूलू पोटैटो (Zulu potato); कहते है | आलू एक ऐसा सब्जी है जो सस्ता भी है और पौष्टिक गुणों से भरपूर भी होता है। आलू के फायदे (potato benefits)के कारण आयुर्वेद में इसको औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

 

# - मुखपाक व मुहं के छाले कभी-कभी पौष्टिकता की कमी के कारण या असंतुलित खान-पान के कारण मुँह में छाले पड़ने लगते हैं।  आलू के भुने हुए कंद या गांठ  का सेवन करने से मुखपाक या मुँह के छाले कम होते हैं।

 

# - गले की जलन (कण्ठदाह) और साइनसाइटिस -   बहुत ठंड लग जाने पर या सर्दी होने पर साइनसाइटिस का दर्द होने लगता है। साइनसाइटिस में आलू गुणकारी होता है।   2-5 मिली आलू के पत्ते के रस में मधु तथा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से गले की जलन (कण्ठदाह) और साइनसाइटिस से आराम मिलता है।

 

*# - खाँसी - अक्सर मौसम के असर के कारण खाँसी ठीक होने का नाम ही नहीं लेता। खाँसी से राहत पाने के लिए   2-5 मिली आलू के पत्तों के रस का सेवन करने से पुरानी खाँसी ठीक होती है।

 

# - किडनी रोग -   किडनी में समस्या होने पर मूत्र संबंधी समस्या होना शुरू हो जाता है। मूत्र कम होना इनमें से एक है।  आलू के कंद को भूनकर खाने से कम मूत्र होने की परेशानी कम होती है |

 

*# - माता का दूध बढ़ाने के लिए -    शिशु का मूल खाद्द माँ का दूध होता है। दूध की कमी शिशु के लिए कष्टदायक हो जाता है। ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में आलू गुणकारी होता है।  भुने हुए आलू के कंद का सेवन करने से स्तन में दूध की मात्रा बढ़ती है।

 

*# - अग्निदग्ध -  आलू के कंद को पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लेप करने से घाव तथा सूजन को कम करने में मदद मिलती है।

 

# - दाद , खाज ,खुजली -   कभी-कभी किसी चीज के एलर्जी के कारण दाद-खाज खुजली की समस्या हो जाती है।  कच्चे आलू को काटकर दाद तथा खाज वाले स्थानों पर मलने से लाभ होता है।

 

*# - चेहरे के दाग-धब्बे -   प्रदूषण के कारण आजकल दाग-धब्बे की समस्या आम हो गई है।  कच्चे आलू को पीसकर चेहरे पर लगाने से स्किन में ग्लो आता है और दाग धब्बा कम कम होते है |

 

 * # - दौर्बल्य -  अगर किसी बीमारी के कारण कमजोरी महसूस हो रही है तो आलू को भूनकर हलवा बनाकर सेवन करने से यह पौष्टिक तथा बलदायक फल प्रदान करता है। और आलू को भूनकर अदरख तथा पुदीना डालकर जूस बनाकर पीने से भूख बढ़ता है और कमजोरी दूर होती है। कमजोरी दूर करने के लिए आलू खाने के कितने फायदे हैं यह तो आपको पता चल ही गया होगा। 

 

# - गठिया रोग -  गठिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रभावित स्थान पर सूजन के साथ दर्द का अनुभव होता है। आलू में एंटी इंफ्लेमटरी गुण पाए जाने के कारण यह इस स्थिति में ऐसे लक्षणों को कम करने में मदद करता है। 

 

# - स्टार्च -  एक रिसर्च के अनुसार आलू में स्टार्च भरपूर मात्रा में उपस्थित होता है इसलिए यह शरीर में स्टार्च की कमी को भी पूरा करने में मदद करता है। 

 

# - उच्च रक्तचाप -  एक रिसर्च के अनुसार आलू में कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम की उचित मात्रा पायी जाती है जो कि बढे हुए रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। 

 

# -प्रयोग -   आयुर्वेद में आलू के कंद (bulb) और  पत्ते का इस्तेमाल औषधि के रुप में ज्यादा किया जाता है।

 

# - विशेष -   हरे आलू के फल तथा हरे छिलके वाले कंद में कभी-कभी विषाक्त प्रभाव भी देखने को मिलता है,  हरे छिलके वाले आलू व अंकुरित आलू का भोजन में प्रयोग नहीं करना चाहिय , इसके प्रयोग से उलटी व, दस्त, पेचिश लग जाती है |

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