Tuesday, 1 June 2021

रामबाण योग :- 106 -:

रामबाण योग :- 106 -:

बैंगन ( वृतान्क ) -

अधिकांश लोगों का बैंगन की सब्जी का स्वाद पसंद नहीं आता है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि बैंगन से सेहत को कोई फायदा नहीं होता है. जबकि ऐसा नहीं है, बैंगन हमारी सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है. यह पेट के रोगों से लेकर बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में फायदा पहुंचाता है. इस लेख में हम आपको बैंगन के फायदे, औषधीय गुण और उपयोग के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
 बैंगन का उपयोग मुख्य रूप से सब्जी के रूप में किया जाता है और देश के कई हिस्सों में इसकी खेती की जाती है. बैंगन के पौधे लगभग 60-100 सेमी ऊँचाई वाले और पत्तेदार होते हैं. इसके फूल बैगनी रंग के होते हैं और इसके फल गहरे बैगनी, सफ़ेद या पीले रंग के लंबे अंडाकार आकार में होते हैं
 बैंगन का वानस्पतिक नाम : Solanum melongena Linn. (सोलेनम् मेलोंजेना) Syn-Solanum esculantum Dunal है. यह Solanaceae (सोलैनेसी) कुल का पौधा है। Hindi-भंटा, बैंगन, बैगुन Sanskrit-वृंताक, वार्ताकी, भण्टाकी, वार्त्ताकफ, भाण्टिका; कहते है। बैंगन कटु, तिक्त, मधुर, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण, स्निग्ध, क्षारीय, कफवातशामक, दीपन, शुक्रकारक, रुचिकारक, हृद्य, वृष्य, बृंहण, ग्राही, निद्राकर, चक्षुष्य, पित्तल तथा शोणितवर्धक होता है। यह ज्वर, कास, अरुचि, कृमि, अर्श, हृल्लास तथा श्वासनाशक है।
अङ्गार पर भुना हुआ बैंगन अत्यन्त लघु, अग्निदीपन तथा किञ्चित् पित्तकारक होता है। तैल तथा नमक युक्त भुना बैंगन गुरु तथा स्निग्ध होता है। श्वेत बैंगन अर्श में हितकर तथा बैंगन की अपेक्षा हीन गुण वाला होता है।
बैंगन का पक्व फल क्षार युक्त, गुरु, पित्तकारक तथा वातकोपक होता है। बैंगन की  मूल श्वासकष्टरोधी, रेचक, वेदनाहर एवं हृद्य होती है। यह तत्रिकाशूल, हृद्दौर्बल्य, शोथ, नासागत व्रण, अजीर्ण, ज्वर, हृदयगत रोग, श्वासगतरोग, श्वासनलिकाशोथ, श्वासकष्ट, विसूचिका एवं मूत्रकृच्छ्र शामक होता है।
 

#- कानदर्द - अगर

आप

कान

दर्द

से

परेशान

हैं

तो

बैंगन

का

उपयोग

करके

आप

इस

समस्या

से

राहत

पा

सकते

हैं

.

विशेषज्ञों

के

अनुसार

बैंगन

के

जड़

के

रस

की

1-2

बूँद

मात्रा

कान

में

डालने

से

कान

का

दर्द

और

सूजन

कम

होता

है




#- दांतदर्द - दांत में दर्द होना एक आम समस्या है, ठीक से दांतों की साफ-सफाई का ध्यान ना रखना इसका मुख्य कारण हैअगर आप भी दांतों के दर्द से परेशान हैं तो बैंगन की जड़ का इस्तेमाल करें,बैंगन की जड़ का पाउडर बना लें और इसे दांतों पर रगड़ें. इससे दांतों का दर्द दूर होता है।

#- आँख का जाला - बैंगनमूल को पानी में घिसकर आँखों पर अंजन करने से आँखों का जाला मिटता है


#- पेट फूलना - पेट फूलना, अपच और भूख ना लगने जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी बैंगन का उपयोग किया जा सकता हैइन समस्याओं से राहत पाने के लिए कच्चे बैंगन की सब्जी बनाकर खाने से अजीर्ण व अरूचि में लाभदायक होता है।

#- वमन - जीमिचला रहा है तो इसे रोकने के लिए बैंगन का उपयोग करेंविशेषज्ञों के अनुसार, 5 मिली बैंगन की पत्तियों के रस में 5 मिली अदरक का रस मिलाकर पीने से उल्टी रुक जाती है


#- बवासीर - खराब खानपान और गलत जीवनशैली के कारण कई लोग कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं और आगे चलकर बवासीर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाते हैंअगर आप भी ख़ूनी बवासीर के मरीज हैं और इससे होने वाले ब्लीडिंग और दर्द से राहत पाना चाहते हैंइसके लिए बैंगन के पत्तों को महीन पीसकर उसमें जीरा और शक्कर मिलाकर सेवन करेंइसके सेवन से रक्तस्राव और दर्द दोनों से आराम मिलता है


#- मूत्रकृच्छ - कई लोग पेशाब करते समय जलन एवं दर्द की समस्या से परेशान रहते हैंअगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो बैंगन के जड़ के रस की 5 मिली मात्रा का सेवन करें।

#- उपदंश - 10-20 मिलीग्राम बैंगनमूल क्वाथ का सेवन करने से उपदंश ( फिरंग ) में लाभ होता है।

#- अण्डकोषवृद्धि - बैंगनमूल को पीसकर अण्डकोष पर लेप करने से अण्डकोषवृद्धि का दोष शान्त होता है

#- जोडो का दर्द - जाड़ों का मौसम आते ही कई लोग जोड़ों के दर्द से परेशान हो जाते हैं, खासतौर पर बुजुर्गों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती हैआप जोड़ों के दर्द से आराम पा सकते हैंइसके लिए बैंगन को भूनकर उसे पीस लें और दर्द वाली जगह पर कपड़े में लपेटकर बांधेंइससे दर्द जल्दी दूर होता है

#- गृध्रसी ( सायटिका )- एक बैंगन को एरण्ड तैल में तलकर उसमें यथोचित मात्रा में हींग तथा नमक मिलाकर सेवन करने से गृध्रसी में लाभ होता है।

#- घाव - शरीर में कहीं छोटा-मोटा घाव हो जाए तो आयुर्वेद में बताए कई घरेलू उपाय अपनाकर आप घाव को जल्दी भर सकते हैंविशेषज्ञों के अनुसार बैंगन की जड़ के चूर्ण को पानी में उबालकर और फिर ठंडा करके घाव को धोने से घाव जल्दी ही शोधन व रोपण होकर ठीक होता है
 
#- चोट - आपको अचानक कोई चोट लग जाए और तेज दर्द हो रहा हो तो बैंगन को भूनकर उसमें हल्दी प्याज मिलाकर चोट वाली जगह पर बांधें. इसके अलावा भुने हुए बैंगन के 10-15 मिली रस में थोड़ा गुड़ मिलाकर खाने से भी चोट का दर्द कम होता है।

#- आघात या चोटजन्य वेदना - बैंगन को भूनकर उसमें हल्दी व प्याज़ मिलाकर बाँधने से भूने हुए बैंगन के 10-15 मिलीग्राम स्वरस में थोड़ा गुड मिलाकर खाने से लाभ होता है।

 #- शोथ - बैंगनमूल को पीसकर सूजन पर लगाने से सूजन दूर होती है।

#- वेदनायुक्त शोथ स्थान पर बैंगन को पकाकर , उसकी पुल्टीश बनाकर बाँधने से लाभ होता है।

#- नारू - बैंगन को भूनकर गौदधि ( दही ) के साथ मिलाकर नारू के स्थान पर बाँधने से नारू में लाभ होता है।

#- कण्डूरोग - बैंगन के पत्तों तथा फलो को पीसकर उसमें शक्कर मिलाकर लगाये और थोड़ी देर बाद गुनगुने पानी से धो देने से खुजली मे राहत मिलती है।

#- खुजली - बैंगन के पत्तों और फलों को कुचलकर उसमें शक्कर मिलाकर खुजली वाली जगह पर लगाएं। इस लेप को लगाने से खुजली जल्दी मिटती है।

#- अनिद्रा - आज कल देर रात तक जागना और काम करना काफी प्रचलन में है जिसकी वजह से लोगों में अनिद्रा की बीमारी बढ़ती जा रही हैअगर आप  भी देर रात तक नींद ना आने से परेशान हैं तो बैंगन को अपनी डाइट शामिल करेंविशेषज्ञों का कहना है कि बैंगन के भरते में शहद मिलाकर खाने से रात में अच्छी नींद आती है

#- बाल ( बच्चो ) का रोग - एलुआ , टंकण , हींग । सौवर्चल नमक, एरण्ड मूल के चूर्ण को बैंगन फल स्वरस में पीसकर शिशु के पेट पर लेप करने से अध्मान ( अफारा ) के कारण उत्पन्न उदरशूल का शमन होता है।

#- स्वेदाधिक्य - बैंगन को पीसकर लगाने से अधिक पसीना निकलना बन्द हो जाता है।

#- विष चिकित्सा - बैंगन पत्र से निर्मित क्वाथ का आँखों में अंजन करने पर धत्तूर मद का निवारण होता है।

#- धतूरा विष - बैंगन के फलों को काटकर पानी में मसलकर पिलाने से धतूरे का विष उतरता है।

#- धतूरा विष - बैंगन के बीज स्वरस को 5 मिलीग्राम की मात्रा में पिलाने से धतूरे का विष उतरता है।

#- बैंगन का सेवन शीतकाल में लाभ होता है । अन्य ऋतुओं में स्वास्थ्य तथा आरोग्य की दृष्टि से बैंगन का सेवन करने वाले व्यक्तियों को आहार में गौदधि ( दही ) व तक्र ( छाछ ) का उपयोग करते रहना चाहिए ।


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