रामबाण :- 110 -:
नारंगी फल-
#- देश भर में संतरा और नारंगी के नाम से मशहूर इस फल (narangi fruit) को देश–विदेश में कई नामों से जाना जाता है। नारंगी का वानस्पतिक नाम सिट्रस रेटिकुलेटा (Citrus reticulata Blanco, Syn-Citrus deliciosa Ten.) है ।
#- बदबूदार घाव व सूजन - नारंगी का छिलका, पत्ता और फूलों को भून लें। इसे पीसकर लगाने से शरीर के रोम छिद्रों के सूजन का उपचार होता है। यह बदबूदार घाव को ठीक करने में असरदार औषधि की तरह काम करता है।
#- सर्दी ज़ुकाम - 10-20 मिलीग्राम नारंगी के रस में शहद तथा सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से सर्दी जुकाम, टीबी रोग, अस्थमा तथा सांस संबंधी रोगों का उपचार होता है।
#- सर्दी ज़ुकाम - 1 से 2 बूंद नारंगी फल के रस को नाक के रास्ते लेने से सर्दी और जुकाम में लाभ होता है।
#- सर्दी ज़ुकाम - 10-20 मिलीग्राम नारंगी (narangi) फल के छिलके के काढ़ा बना लें। इसमें 5-10 मिलीग्राम नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से सर्दी और जुकाम में लाभ होता है।
#- हृदय रोग - नारंगी के फूल के रस को छाती पर मालिश करें। इससे ह्रदय से संबंधित अनेक बीमारियां खत्म होती हैं।
#- हृदय रोग - नारंगी फल (naranja fruit) के छिलके का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिलीग्राम में पीने से हृदय रोगों में लाभ होता है।
#- उल्टियाँ - सूखे नारंगी के छिलके का चूर्ण बना लें। इसके साथ ही इलायची, जीरा, सोंठ तथा मरिच को बराबर भाग में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण (2-4 ग्राम) में सेंधा नमक मिलाकर गौतक्र ( छाछ या मट्ठा ) के साथ पिए। इससे उल्टी रुकती है।
#- उल्टियाँ - नारंगी (narangi) फल के छिलके का चूर्ण बनाकर 500 मिलीग्राम मात्रा में खिलाने से उल्टी का निदान होता है।
#- पेटदर्द - नारंगी फल 10-15 मिलीग्राम मात्रा में खाएं। इससे पेट के दर्द तथा अपच की समस्या में लाभ मिलता है।
#- गर्भवती के दस्त - 10-15 मिलीग्राम नारंगी के फल (narangi) के रस को पिएं। इससे गर्भवती महिलाओं में दस्त की समस्या दूर होती है।
#- मूत्राशय सूजन - 10-15 मिलीग्राम कच्चे नारियल के पानी में 10-20 मिलीग्राम नारंगी के रस को मिला लें। इसका सेवन करने से मूत्राशय के सूजन, कीडनी के सूजन तथा मूत्रनलिका के सूजन में आराम मिलता है। इससे पेशाब आने में तकलीफ, कम पेशाब आने की परेशानी आदि रोग ठीक होते हैं।
#- गठिया रोग - नारंगी (narangi) के पत्ते, फूल तथा छाल से पेस्ट बना लें। इसे थोड़ा गर्म कर दर्द तथा सूजन वाले जोड़ों पर लगाएं। इससे सूजन तथा दर्द, दोनों में आराम मिलता है।
#- लिवर रोग - नारंगी फल (naranja fruit) के छिलके का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिलीग्राम में पीने से लिवर स्वस्थ बनता है और लिवर की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है।
#- त्वचा रोग व रूसी - नारंगी के पत्ते तथा छाल को पीस लें। इसका लेप करने से रूसी से निजात मिलता है। यह लेप त्वचा पर चकत्ते की पुरानी परेशानी और एक्जिमा जैसी अत्यंत खुजली वाले रोगों के लिए भी लाभप्रद है। इससे शरीर की सामान्य खुजली और दूसरे त्वचा रोगों का भी उपचार किया जा सकता है।
#- कील मुँहासे - नारंगी फल के छिलके सुखाकर पावडर बनाकर उसमें गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। इससे चेहरे के कील-मुंहासे ठीक होते है और मुंह की खूबसूरती बढ़ जाती है।
#- रोगप्रतिरोधक क्षमता व टाइफाइड - नारंगी (naragi) के 10-20 मिली रस का सेवन करने से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। इसके सेवन टॉयफाइड बुखार आदि बीमारियां ठीक होती है।
#- खुजली - नारंगी के फूल का रस निचोड़ लें। इसके 1-2 बूंद को नाक में डालने और फूल के रस से मालिश करने से खुजली ठीक होती है। इससे शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।
#- खाँसी - नारंगी फल के रस में नमक डालकर पीने से बुखार तथा खांसी में लाभ होता है।
#- आमदोष - 15-20 मिलीग्राम फल के छिलके के काढ़ा बना लें। इसमें नींबू का रस मिलाकर सुबह में खाली पेट सेवन करें। इससे आमदोष का पाचन होकर अपच की समस्या दूर होती है। इस काढ़े का सेवन भूख न लगने, पेट फूलने, उल्टी, दस्त तथा कब्ज में लाभप्रद है।
#- पेट के कीड़े - नारंगी (naragi) फल के रस का सेवन करने से पेट के कीड़े को समाप्त करने, अत्यधिक प्यास, दस्त, अफारा तथा अपच में लाभ होता है।
#- भूख बढ़ाना - सूखे नारंगी (narangi fruit)के छिलके का चूर्ण बना लें। इसके साथ ही इलायची, जीरा, सोंठ तथा मरिच को बराबर भाग में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण (2-4 ग्राम) में सेंधा नमक मिलाकर गौतक्र ( छाछ या मट्ठा ) के साथ पिए। इससे भूख बढ़ती है।
#- रक्तविकार - 5 मिलीग्राम चिरायता के रस में 20 मिलीग्राम नारंगी का रस मिला लें। इसे पिलाने से विभिन्न प्रकार के रक्त विकारों में लाभ होता है। रक्त संबंधी रोगों में संतरा खाने के फायदे बहुत है।
#- स्नायु रोग - संतरे में उष्ण एवं गुरु गुण होने के कारण यह स्नायु रोग जैसे पीड़ा आदि में भी लाभ पहुँचाता है। साथ ही स्नायु को पोषण करता है।
#- मलेरिया - 10-20 मिलीग्राम नारंगी रस लें, एक रिसर्च के अनुसार यह साबित किया गया है कि नारंगी में एंटी मलेरिया का गुण पाए जाता हैं जो मलेरिया से लड़ने में सहयोगी होते हैं।
#- वातदोष , बी पी - रक्तचाप के बिगड़ने का मुख्य कारण वात दोष का असंतुलित होना होता है। ऐसे में नारंगी में मौजूद वात शामक गुण रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
#- एंटीकैंसरकारक - एक
रिसर्च
के
अनुसार
नारंगी
में
एंटी
कैंसरकारक
गुण
भी
पाए
जाते
हैं।
इससे
ये
शरीर
से
कैंसर
के
लक्षणों
को
कम
करने
में
भी
सहयोगी
होता
हैं।
इसलिए एक नारंगी प्रदान खाना चाहिए।
#- आँखों में जलन - 10-20 मिलीग्राम नारंगी रस की मात्रा लेने सें, एक रिसर्च के अनुसार नारंगी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाने के कारण यह आँखों में होने वाली जलन खुजली आदि समस्याओं से भी राहत दिलाने में मदद करता है।
#- अवसाद डिप्रेशन - डिप्रेशन भी एक वात व्याधि है जो कि वात दोष के असंतुलित होने के कारण होती है। 10-15 मिलीग्राम नारंगी रस में पाए जाने वाले वातशामक गुण के कारण यह इस अवस्था में भी लाभ पहुँचाता है।
# पाचनतंत्र को रखे दुरुस्त - छोटे शिशु को रोजाना नारंगी फल (narthangai) के रस (5-10 मिलीग्रा) पिलाने से पेट तथा आंतों की बीमारियां ठीक होती हैं। इससे बच्चे की रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
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