रामबाण योग :- 107-:
बेली-
बेली का पौधा भी कई तरह की बीमारियों से हमें बचाता है. इस लेख में हम बेली के फायदे, उपयोग के तरीके और औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं । बेली का पौधा 6 मीटर ऊँचा और झाड़ीदार होता है. इसकी खुरदुरी छाल भूरे रंग की होती है. इस पौधे के कांटे और पत्तियों की मदद से इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है. इसके कांटो और पत्तियों की लंबाई 2 से 2.5 सेमी तक होती है. बेली का फल गोल और बीजयुक्त होते हैं । बेली का वानस्पतिक नाम Naringi crenulata (Roxb.) Nicolson (नारिंगी क्रेनुलाटा)
Syn. Hesperethusa crenulata (Roxb.) M.Roem; Limonia crenulata Roxb है. यह Ruteaceae (रूटेसी) कुल का पौधा है. आइए जानते हैं इसे अन्य भाषाओं में किन नामों से जाना जाता है।Hindi – हिन्दी-बेली,Sanskrit – संस्कृत-बिल्पर्णी कहते है। यह ज्वरघ्न, अपस्माररोधी, विरेचक तथा बलकारक होता है। इसकी मूल विरेचक होती है। इसके फल बलकारक, तिक्त तथा कषाय होते हैं।
#- अपच - 1-2 ग्राम बेली के जड़ (मूल) का चूर्ण गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करने से अपच की समस्या में लाभ मिलता है।
#- दाद-खाज और खुजली - खुजली दूर करने के लिए भी आप बेली का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए दाद या खुजली वाली जगह पर बेली के पत्तों को पीसकर लगाएं ।
#- चेहरे पर झाइयां या दाग - बेली के पत्तों को पीसकर चेहरे पर लगाने से झाइयां और दाग-धब्बे कम होते हैं और चेहरे का निखार बढ़ता है।
#- घाव - बेली के पत्तों का काढ़ा बना लें और फिर उससे घाव को साफ करें. इससे घाव या फोड़ा जल्दी ठीक होते हैं.
#- नाडीव्रण - बेली पत्र तथा छाल को पीसकर नाड़ी व्रण पर लगाने से व्रण का शोधन तथा रोपण होता है।
#- फोलिक्यूलाइटिस - फोलिक्यूलाइटिस ( रोमकूपशोथ ) एक त्वचा रोग है जिसमें बालों की जड़ों के आसपास सूजन हो जाती है और वहां छोटे छोटे दाने या रैशेज निकलने लगते हैं. अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो इससे निजात पाने के लिए बेली का उपयोग कर सकते हैं. बेली की छाल को पीसकर गर्म कर लें और इसका पुल्टिस बनाकर उस जगह पर बांध दें. ऐसा करने से जल्दी आराम मिलता है.
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