रामबाण योग :- 114 -:
बड़ी अरणी -
प्राचीन काल से ही बड़ी अरणी का उपयोग कई तरह के रोगों के इलाज में औषधि के रूप में होता रहा है। बड़ी अरणी को अंगेथु, गणियारी कई अन्य नामों से भी जाना जाता है । पेट से जुड़े रोगों के इलाज में बड़ी अरणी काफी फायदेमंद है । आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार इसकी पत्तियां, तना, फल तीनों ही सेहत के लिए गुणकारी हैं।
बड़ी अरणी का पेड़ पहाड़ों पर पाया जाता है । बड़ी अरणी और छोटी अरणी में मुख्य अंतर यह है कि बड़ी अरणी का तना काफी बड़ा और मजबूत होता है । इसकी शाखाएं भी विपरीत दिशाओं में दूर तक फैली होती हैं जबकि छोटी अरणी का पौधा आकार में छोटा होता है । ग्रंथों के अनुसार बड़ी अरणी की तासीर गर्म होती है और अग्नि की तरह इसमें रोगों को तुरंत खत्म करने की क्षमता होती है. इसीलिए इसे संस्कृत में अग्निमंथ नाम दिया गया है।
अरणी का वानस्पतिक नाम Premna serratifolia L. (प्रेम्ना सेरेटिफोलिआ) Syn-Premna obtusifolia R. Br., Premna integrifolia L., Premna attenuata R. Br. है. यह Verbenaceae (वर्बीनेसी) कुल का पौधा है। Hindi : बड़ी अरनी, अरनी, अरणी, अंगेथु, गणियारी, गानियार, गानियारी, वाकर , English : क्रीक प्रेम्ना (Creek premna), स्पाइनस फायर बैंड टीक (Spinous fire brand teak), कोस्टल प्रेम्ना (Coastal premna) , Sanskrit : अग्निमंथ, वृहतग्निमन्थ, गणिकारिका, कणिका, श्रीपर्णी, वैजयन्तिका, जया, जयन्ती, नादेयी, वातघ्नी कहते है।
बड़ी अरनी पाचक अग्नि को बढ़ाने वाली, कटु और पौष्टिक होती है । यह कफघ्न, वातघ्न, शोथघ्न, अनुलोमक शीत-प्रशमनकारक तथा पांडुरोग नाशक होती है। इसके पत्र वातानुलोमक, स्तन्यवर्धक तथा आमाशयिक-क्रियाविधिवर्धक होते हैं। इसकी मूलत्वक् स्तम्भक होती है। इसकी मूल विरेचक, अग्निवर्धक, बलकारक, उत्तेजक तथा यकृत् की पीड़ा को दूर करने वाली होती है।
#- हृदय दौर्बल्य - शरीर को निरोग रखने के लिए ह्रदय का स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है । बड़ी अरणी के पत्ते और धनिया दोनों को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं। 10-30 मिली मात्रा में इस काढ़ा को पीने से हृदय की कमजोरी मिटती है।
#- त्रिदोषज गुल्म ,पेट फुलने की सम्सया - पेट फूलने की समस्या होने पर अरनी के उपयोग करना लाभदायक है । इसके लिए बड़ी या छोटी अरणी की जड़ों को 10-15 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं । 40 मिली गुनगुने काढ़े में 30 ग्राम गुड़ मिला कर पिलाने से तीनों दोषों के कारण होने वाली पेट फूलने की समस्या से आराम मिलता है।
#- उदर रोग - बड़ी अरणी की 100 ग्राम जड़ को लेकर आधा लीटर पानी में मंद ऑच पर 15 मिनट तक उबाले , तथा 50-60 ग्राम मिलीग्राम पानी दिन में दो बार पीने से जठराग्नि प्रबल होती है । यह औषधि पौष्टिक भी होती है।
#- अमाशय शूल,उदर रोग - बड़ी अरणी को 400 मिलीग्राम पानी में उबालकर , मसलकर , छानकर 50 मिलीग्राम की मात्रा में पिलाने से अमाशय शूल का शमन होता है।
#- ज्वर में उदरशूल - बड़ी अरणी मूल 5-10 ग्राम का क्वाथ बनाकर 20-40 मिलीग्राम क्वाथ को दिन में दो बीर पीने से ज्वर से पीड़ित व्यक्ति का उदरशूल मिटता है।
#- बद्धकोष्ठ ,कब्ज रोग - 3 ग्राम बड़ी अरणी के पत्ते तथा 3 ग्राम बड़ी हरड़ का छिलका लेकर 250 मिली पानी में पकाकर, काढ़ा बना लें। इसे सुबह-शाम 20-40 मिली की मात्रा में पिएं । इससे कब्ज की समस्या दूर होती है।
#- विबन्ध ( कब्ज रोग ) - 50 ग्राम बड़ी अरणी की जड़ को आधा ली पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 20-40 मिली मात्रा में सुबह शाम पीने से कब्ज दूर होती है। यह काढ़ा बहुत पौष्टिक भी होता है।
#- अतिसार व पेट के कीडें - बड़ी अरणी के पंचांग का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम 20-30 मिली मात्रा में पीने से दस्त से राहत मिलता है, साथ ही साथ इसके सेवन से पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
#- अध्मान ( अफारा ) - बड़ी अरणी के पत्तों का क्वाथ 20-40 मिलीग्राम पीने से अध्मान ( अफारा ) में लाभ होता है।
#- हस्तिमेह - बड़ी अरणी की जड़ व तने के छिलके का क्वाथ बनाकर 40-50 मिलीग्राम क्वाथ सुबह सायं पीने से हस्तिमेह में लाभ होता है। इस क्वाथ के पीने से वसा - मेह में भी लाभ होता है।
#- इक्षुमेह - अरणी मूलत्वक के क्वाथ 40-50 मिलीग्राम में मधु मिलाकर सेवन करने से इक्षुमेह में लाभ होता है।
#- वसामेह - 40-60 मिलीग्राम बड़ी अरणी मूलक्वाथ का सेवन करने से वसामेह में लाभ होता है।
#- शीतपित्त - 2 ग्राम बड़ी अरणी मूल को गाय के घी के साथ मिलाकर 6 दिन तक सुबह सायं खाने से शीतपित्त तथा उदर्द रोग मिटता है।
#- शोथ व मेदोरोग - बड़ी अरणी 10 ग्राम तथा त्रिफला 5 ग्राम लेकर रात को 1 लीटर पानी में मिट्टी के बर्तन में भिगो दें , सुबह क्वाथ बनाकर पीएँ , इसी तरह दोनों समय इस प्रयोग को करें, हल्का व सुपाच्य भोजन लें, बढ़ा हुआ मेंद व शोथ को दूर करने का यह अचूक प्रयोग है। ( यदि इसके प्रयोग से अतिसार की प्रतीति हो तो उसी के अनुसार मात्रा कम कर दें।
#- उदरशोथ ( सूजन ) - बड़ी या छोटी अरणी की जड़ों को 10-15 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर , ठंडा किए हुए पानी में अरणीक्षीर घोलकर पीने से और उसी पानी से मालिश करने से पेट की सूजन की समस्या ठीक होती है।
# - सर्वांगशोथ - बड़ी अरणीमूल का क्वाथ बनाकर 40 मिलीग्राम मात्रा में सुबह सायं पीने से सर्वांग शोथ , उदरशूल , जलोदर , में लाभ होता है । इसके साथ गोमूत्र अर्क का प्रयोग किया जाय तो जल्दी लाभ होता है।
#- पेटदर्द, पेट फुलना व मंदाग्नि - 20 ग्राम बड़ी अरणी के पत्तों को 400 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े को 20-40 मिली की मात्रा में सुबह शाम पीने से पेट फूलना ( अफारा ), पेट में दर्द, मंद जठराग्नि आदि पेट से जुड़ी समस्याओं में लाभ मिलता है।
#- मोच, सूजन - अरणी की जड़ और पुनर्नवा की जड़ दोनों को समान मात्रा में लेकर पीस लें । इसे गर्म करके मोच वाली जगह पर लेप करें. इससे मोच में होने वाली सूजन कम होती है।
#- अपच व पेटदर्द - बड़ी अरणी की पत्तियों की सब्जी बनाकर खाने से पेट दर्द और अपच व बादी ( वात ) की समस्या दूर होती है ।
#- बवासीर दर्द की पोटली - बड़ी अरणी के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से तथा इसके पत्तों की पोटली बनाकर बांधने से बवासीर के दर्द से राहत मिलती है।
#- बवासीर दर्द - मूली, त्रिफला, मदार, बांस, वरुण, बड़ी अरणी, सहिजन और अश्मतंक के पाटों का काढ़ा बना लें । इस काढ़े को एक टब में डालें और उस टब में कुछ देर तक बैठें. ऐसा करने से बवासीर के दर्द से तुरंत आराम मिलता है ।
#- सिफ़लिस - 10-12 मिली बड़ी अरणी के पत्तों के रस को कुछ दिनों तक सुबह शाम पीने से सिफलिस में लाभ मिलता है। इसके पत्तों को उबालकर सिकाई करने से या पत्तियों को लिंग पर बांधने से भी सिफलिस के कारण लिंग में होने वाली सूजन में कमी आती है।
#- गठिया दर्द - बड़ी अरणी के पंचांग का काढ़ा बनाकर सुबह शाम 20-30 मिली मात्रा में पीने से गठिये के दर्द से आराम मिलता है ।
#- गठिया दर्द - बड़ी अरणी पंचांग को पीसकर गुनगुना करके जोड़ों पर लगाने से आर्थराइटिस, गठिया आदि में होने वाले दर्द से आराम मिलता है।
#- अर्टिकरिया - 2 ग्राम बड़ी अरणी की जड़ के चूर्ण को, गाय के घी के साथ मिलाकर 6 दिन तक सुबह शाम खाने से अर्टिकरिया की समस्या में लाभ मिलता है।
#- ठंड का बुखार ( टोटका ) - बड़ी अरणी की जड़ या तने की छाल को पीसकर थोड़ा सा कपूर मिलाकर माथे पर लेप करने से ठंड लगकर आने वाले बुखार में लाभ होता है।
#- बच्चो के ठंड से बुखार - बड़ी अरणी के 10-15 पत्तों और 10 काली मिर्च को पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से ठंड लगकर आने वाले बुखार में में लाभ होता है। बच्चों के लिए इसे कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए ।
#- रक्त शोधक - 5 ग्राम बड़ी अरणी की जड़ की छाल में 3 ग्राम नीम की छाल मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह शाम पीने से रक्त साफ होता है।
#- रक्तशोधनार्थ - 5 मिली बड़ी अरणी के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन पिलाने से भी रक्त की शुद्धि होती है।
#- मोटापा - 10 ग्राम बड़ी अरणी तथा 5 ग्राम त्रिफला लेकर रात को 1 लीटर पानी में मिट्टी के बर्तन में भिगों दें । सुबह इसका काढ़ा क्वाथ बनाकर पीएं. सुबह और शाम दोनों समय इसका उपयोग करें साथ में हल्का व सुपाच्य भोजन लें । इससे कुछ ही दिनों में मोटापा दूर होने लगता है । अगर इस काढ़े के सेवन से आपको दस्त होने लगें तो इसकी मात्रा कम कर दें ।
#- प्रयोग विधी - बड़ी अरणी के जड़ के चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए । इसी तरह इससे तैयार काढ़े को 20-40 मिली मात्रा में और पत्तियों के रस को 5-10 एमएल मात्रा में लेना चाहिए ।
विशेष
:
दोनों
अरणी
के
बहुत
से
गुण
एवं
उनके
प्रयोग
काफी
समान
हैं
,
बड़ी
अरणी
में
छोटी
अरणी
की
तुलना
में
गन्ध
व
तीक्ष्णता
ज्यादा
होती
है।
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