Sunday, 13 June 2021

रामबाण योग :- 111 -:

रामबाण योग :- 111 -:

अगस्त ( सेस्बेनियाग्रैण्लीफ्लोरा )-

अगस्त (agastya tree) एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसके बारे में  बहुत कम लोगों को पता है। ये सर्दी के दिनों में ही उगते हैं। इसके फूलों से कई तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं। लोग इसके फूलों से सब्जी, पकौड़े, अचार, गुलकंद आदि बनाते हैं। अधिकांश लोगों को अगस्त के बारे में इतना ही पता है। सिर दर्द, पेट दर्द, आंखों की बीमारी और ल्यूकोरिया में भी अगस्त से लाभ मिलता है। अगस्त के बीज, फूल, पत्ते, रस, जड़ हर अंश का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।
इस जड़ी बूटी का नाम अगस्त क्यों पड़ा अगर आप ये जानना चाहते हैं तो ये जानकारी आपके लिए जरूरी है कि मुनिराज अगस्त के नाम से इसकी प्रसिद्धि इसलिए हुई कि जब अगस्त तारे का उदय होता है तब इसके वृक्षों पर फूल लगते हैं। राजनिघंटुकार ने सफेद, पीला, नीला और लाल फूलों के आधार पर इसकी चार प्रजातियां बताई हैं परन्तु अधिकांश रुप में सफेद रंग का फूल ही प्राप्त होता है। इसके कोमल पत्ते, फूल और फलियों का साग बनाकर खाया जाता है।
अगस्त-के फूल-मधुर कड़वा, गुण में रूखे; कफ पित्त दूर करने वाले, ज्वर या बुखार में लाभकारी, प्रतिश्याय (Coryza), रतौंधी, पीनस-रोग में फायदेमंद होते है। अगस्त के पत्ते-कड़वे, तीखे, थोड़े गर्म प्रकृति के, कृमि, कंडू या खुजली, रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना), विष तथा प्रतिश्याय को दूर करने वाले होते हैं। अगस्त की फली कड़वी, छोटी, रुचि,बुद्धि और यादाश्त बढ़ाने वाली होने के साथ-साथ  पांडु या एनीमिया में लाभकारी होती है। इसके अलावा कीड़ा काटने पर विष का प्रभाव कम करने वाली और सूजन कम करने में सहायक होती है। इसका पका फल रूखा और पित्तकारक होता है। इसकी छाल कड़वी, पौष्टिक, पाचक और शक्ति-वर्धक होती है। इसका पत्ता चिन्ता कम करने वाला (Anxiolytic) होता है।अगस्त का वानस्पतिक नाम  Sesbania grandiflora (L.) Pers. (सेस्बेनिया ग्रैण्डीफ्लोरा) Syn. Agati grandiflora (Linn.) Desv. होता है और ये Fabaceae (फैबेसी) कुल का होता है। अगस्त को अंग्रेजी में Scarlet wisteria tree (स्कारलेट विस्टेरिया ट्री) कहते हैं। Sanskrit-मुनिद्रुम, अगस्त्य, मुनिप्रिया, सूर्यप्रिया, वंगसेन, वक्रपुष्प, व्रणारि, मुनिपुष्प;

Hindi-

अगस्त

,

हथिया

,

अगस्तिया

,

बास्ना

; कहते है ।

अगस्त में विटामिन, आयरन, कैल्शियम, विटामिन , बी और सी आदि भरपूर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही इसका रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कई बीमारियों के लिए फायदेमंद साबित होता है। चलिये जानते हैं ये कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद है।


#- खाँसी - मौसम बदला कि नहीं बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े सबको सर्दी-खांसी की शिकायत हो जाती है। अगस्त के जड़ तथा पत्ते के काढ़े में शहद मिलाकर पिलाने से भी सर्दी-खांसी जैसी समस्या से राहत (agathi cheera beenfits) मिलती है।

#- सिरदर्द , आधाशीशी , प्रतिशयाय - जिस तरफ के सिर में दर्द हो, उसके दूसरी ओर के नथुने में अगस्त के पत्तों या फूलों के रस की 2-3 बूंदे टपकाने से , सिरदर्द तथा आधासीसी में लाभ होता है। इसके प्रयोग से प्रतिश्याय जन्य या सर्दी-खांसी के कारण सिरदर्द तथा नाक में जो दर्द होता है उससे राहत मिलती है।

#- रतौंधी -अगस्त के फूलों की सब्जी या साग बनाकर कुछ समय तक सुबह-शाम गाय के मक्खन के साथ सेवन करने से या अगस्त के फूलों के रस की 2-2 बूंद नेत्रों में डालने से नक्तान्ध्य (रतौंधी) में लाभ होता है।


#- रतौंधी - अगस्त के 250 ग्राम पत्तों को पीसकर या काढ़ा बनाकर 1 किलो घी में मिलाकर अच्छी तरह पकाकर छानकर रख लें। इस गाय के घी को 2-5 ग्राम मात्रा में सेवन करने से रतौंधी (नक्तान्धता) आदि आँख के रोगों से राहत मिलती है। 

# - रतौंधी - अगस्त के फूलों का साग बनाकर गाय के मक्खन के साथ सेवन करने से भी रतौंधी की परेशानी कम होती है।

#- नेत्रशूल -अगस्त फूल का रस या फूल का मधु (पुष्पों को तोड़ने में मधु जैसा स्राव निकलना) को 2-2 बूंद नेत्रों में डालने से आँखों का दर्द कम होता है।

#- प्रवाहिका - अगस्त की छाल (5-10 ग्राम) का काढ़ा बनाकर 20-30 मिली काढ़े में थोड़ा सेंधानमक और भुनी हुई 2 नग लौंग अथवा हींग मिलाकर सुबह-शाम पीने से दस्त, प्रवाहिका तथा पेट दर्द से राहत मिलती है।


#-स्वरभंग - अक्सर खाँसी के वजह से या ठंड लगने पर या बहुत चिल्लाने पर गले की आवाज में भारीपन या फट जाने पर अगस्त का इस तरह से इस्तेमाल करने पर लाभ मिलता है। अगस्त की पत्तियों के काढ़ा से गरारा करने से सूखी खांसी, जीभ का फटना, गले में खराश तथा कफ के साथ खून निकलना आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।


#- योनिकण्डू - 10 मिली अगस्त-के पत्ते के रस में थोड़ा शहद मिलाकर सेवन करने से तथा अगस्त-के छाले-के रस के पिचु को योनि में धारण करने से सफेद पानी निकलने एवं योनिकण्डु (योनि की खुजली) से राहत मिलती है।


#- सूजन - धतूरे की जड़ और अगस्त की जड़ दोनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और पुल्टिस जैसा बनाकर वेदनायुक्त भाग पर बांधने से दर्द तथा सूजन से राहत मिलती है।
 
#- दाद खाज - खुजली, दाद आदि में । अगस्त-पुष्प के 100 ग्राम चूर्ण को गाय के एक लीटर दूध में डालकर दही जमा दें, दूसरे दिन इस दही में मक्खन निकाल कर प्रभावित स्थान की मालिश करने से लाभ होता है।



#- फोडा - फोड़ा अगर सूख नहीं रहा है तो अगस्त के पत्तों का इस तरह से प्रयोग करने पर जल्दी सूख जाता है। अगस्त के पत्तों को गर्म कर (यदि पुटपाक-विधि से गर्म करें तो अच्छा है), फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट कर बह जाता है।


#- बुखार - अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में अगस्त बहुत मदद करता है। दो या तीन चम्मच अगस्त-पत्ते-के रस में आधा चम्मच शहद मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से शीघ्र ही बुखार का आना रुक जाता है। इसका प्रयोग बराबर 15 दिन तक करना चाहिए।


#- बच्चो का मिरगी - मिर्गी के लक्षणों से राहत पाने में अगस्त बहुत लाभकारी होता है। अगस्त के पत्ते का चूर्ण और कालीमिर्च-चूर्ण के समान मात्रा में लेकर गोमूत्र के साथ पीसकर मिर्गी के रोगी को सुंघाने से लाभ होता है। यदि बालक छोटा हो तो अगस्त के दो पत्तों का रस और उसमें आधी मात्रा में काली मिर्च मिलाकर उसमें रूई का फाहा तरकर उसे सूंघने से मिर्गी शांत हो जाती है।


#- याददाश्त - अक्सर उम्र बढ़ने पर यादाश्त कमजोर होने की समस्या होती है। यादाश्त बढ़ाने में अगस्त बहुत फायदेमंद साबित होता है। 1-2 ग्राम अगस्त-बीज-चूर्ण को गाय के 250 मिली धारोष्ण दूध के साथ सुबह शाम कुछ दिन तक खाने से स्मरण-शक्ति तीव्र हो जाती है।
 
#- रक्तप्रदर - महिलाओं के ब्लीडिंग की समस्या से अगर परेशान है तो अगस्त के फूलों का शाक खाने से रक्तस्राव या ब्लीडिंग बंद हो जाती है।




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