Sunday 13 June 2021

रामबाण योग :- 112 -:

रामबाण योग :- 112 -:

अजमोदा-

आधुनिक रसोईघरों में जिन नई सब्जियों ने आज अपना स्थान बनाया है, उसमें अजमोदा (ajmoda plant) सबसे महत्त्वपूर्ण सब्जी है। अजमोदा को कई स्थानों पर सेलेरी या बोकचॉय के नाम से भी जाना जाता है। लंबे समय से तिब्बती और चीनी इलाकों में इसका प्रयोग सब्जी की भांति किया जाता रहा है। सब्जियों के अलावा अजमोदा का प्रयोग सूप और सलाद में अधिक किया जाता है, लेकिन आपको यह नहीं पता होगा कि इस अजमोदा का उपयोग करके आप अनेक बीमारियों से भी बच सकते हैं। आइये जानते हैं,
अजमोदा (Ajmoda Plant) का पौधा अजवायन (Ajmoda And Ajwain) के पौधे से मिलता-जुलता होता है, लेकिन इसका पौधा अजवायन के पौधे से थोड़ा बड़ा होता है और इसके दाने भी अजवायन से बड़े आकार के होते हैं। अजमोदा का प्रयोग करके एक आयुर्वेदिक औषधि भी बनाई जाती है, जिसमें वैसे तो ढेर सारी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं। इसे ही अजमोदादि चूर्ण ही जाता है। लगभग सभी प्राचीन एवं आधुनिक आयुर्वेदीय ग्रन्थों में अजमोदा का वर्णन पाया जाता है। यूनानियों को अजमोदा का ज्ञान भारतीयों से ही हुआ था।
 अजमोदा (Ajmoda Plant) ढेर सारे पत्तों और सफेद फूलों वाली द्विवार्षिक पौधा है। इसके चमकीले हरे पत्ते बिखरे तथा सिकुडे हुए होते हैं। अजमोदा के दो प्रमुख प्रकार हैं। एक जो पत्तों के लिए बढ़ाई जाती हैं और दूसरी जो शलजम जैसी जडों के लिए बढ़ाई जाती है। इसके फूलने वाला डंठल दूसरे साल में 100 से.मी. तक लंबे हो जाते हैं। इसके फूल पीले या पीली आभा लिए हरे रंग के होते हैं। पत्ते और बीज (ajmoda seeds) मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इसमें एक उड़नशील तेल होता है जिसके कारण इसकी अपनी एक विशेष एवं मसालेदार सुगन्ध होती है।
 अजमोदा का लैटिन भाषा में वानस्पतिक नाम  एपियम ग्रेवोलेंस (Apium Graveolens) तथा Syn-Carum graveolens (Linn.) Koso-Pol. है। इसका एक और नाम carum roxburghianum भी है। यह एपियासी Apiaceae कुल का पौधा है। Hindi अजमोद, अजमोदा, बड़ी अजमोद, अजमूदा, अजमोत , English (ajmoda in english) – Celery , Sanskrit अजमोदा, अयमोदा, अजमोजा, खराश्वा, कारवी, मायूर, ब्रह्मकुशा, लोचमस्तका कहते है।
अजमोदा का प्रयोग हिचकी, उल्टी, मलाशय यानी गुदा (Rectum) के दर्द, खांसी, बवासीर तथा पथरी आदि रोगों में लाभकारी है। पाचनसंस्थान के सभी अंगों पर इसका प्रभाव होता है और इस कारण पेट के रोगों को दूर करने वाली औषधियों में इसे मुख्य स्थान प्राप्त है। अजमोदा (ajmoda plant) के फल का चूर्ण या जड़ के काढ़े का सेवन करने से संधिवात, आमवात जैसे जोड़ों के दर्द वाले सभी रोग, गाउट यानी गठिया, हड्डी की कमजोरी के कारण होने वाले जोड़ो के दर्द, खाँसी, पित्त की थैली की पथरी तथा किडनी यानी गुर्दे की पथरी में बहुत लाभ होता है।
अजमोदा के बीज (Ajmoda Seeds) उत्तेजक, हृदय को बल प्रदान करने वाले,मासिक धर्म को नियमित करने वाले तथा पीब यानी पस निरोधक होते हैं। अजमोदा के बीज का तेल नितम्ब के दर्द को ठीक करता है, जलन समाप्त करता है और हृदय तथा नस-नाड़ियों को सक्रिय करने वाला होता है। अजमोदा की जड़ में भी यही गुण होते हैं।


#- दाँत दर्द - अजमोदा को आग पर हल्का भूनकर पीस लें और पाउडर बना लें। इस पाउडर को हल्के-हल्के मसूढ़ों दांतों पर मलने से दाँत दर्द मुँह के अन्य रोगों में तुरन्त लाभ होता है।


#- वातज स्वरभेद - गले का बैठना यानी बोलने में गले में दर्द होना, बहुत प्रयास करने पर भी गले से आवाज का नहीं निकलना आदि की समस्या को स्वरभेद कहा जाता है। एसिडिटी तथा गैस के कारण गला बैठने पर यवक्षार तथा अजमोदा के काढ़े को गाय के घी में पकाकर सेवन करें। इससे गले का संक्रमण ठीक होता है।

#- कण्ठ विकार - 2-3 ग्राम अजमोदा को पानी में उबाल लें। इसमें सेंधा नमक डालकर मुंह में देर तक रख कर गरारा यानी कुल्ला (गंडूष) करें। इससे स्वरभेद आदि कण्ठ-विकारों में लाभ होता है।


#- खाँसी - पान के पत्ते में अजमोदा (Celery Seeds) को डालकर चबा कर धीरे-धीरे चूसने से सूखी खांसी में लाभ होता है।
 
#- श्वास रोग,साँस फुलना - 2-3 ग्राम अजमोदा (Ajmoda Seeds) चूर्ण को गुनगुने पानी या शहद के साथ सेवन करने से दम फूलने में लाभ होता है।

#- हिचकी - भोजन करने के बाद हिचकियाँ आती हों तो अजमोद के 10-15 दाने मुँह में रखकर चूसने से हिचकी बंद हो जाती है।


#- अग्निप्रदीपनार्थ - पिप्पली, अजमोदा आदि भूख बढ़ाने वाले कसैली औषधियों को मिला कर काढ़ा बना लें। काढ़े को पीना संभव हो तो इनका चूर्ण यानी पाउडर बना लें। काढ़े या चूर्ण का सेवन करने से भूख खुल कर लगने लगती है।
 
#- गुल्म रोग - अजमोदा के प्रयोग से पेट में बनी गैस निकल जाती है और इसके कारण होने वाले दर्द आदि समस्याओं में आराम मिलता है। सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली तथा अजमोदा आदि द्रव्यों को मिला कर बनाए गए हिंग्वाष्टक चूर्ण का (2-4 ग्राम) सेवन करने से  गैस से पेट फूलने की समस्या में लाभ होता है।

#- वातजन्य गुल्म - 2-4 ग्राम अजमोदा (Celery Seeds) के चूर्ण को 10 ग्राम गुड़ के साथ मिला लें। इसे गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से अफारा यानी गैस से पेट का फूलना ठीक होता है।
 


#- पेचिश , शूलयुक्त अतिसार - अजमोदा पेचिश की अच्छी दवा है। इसके सेवन से पतले दस्त, मरोड़ें, दर्द आदि ठीक होते हैं। 5 ग्राम मधु, 5 ग्राम मिश्री, 1 ग्राम अजमोदा, 2 ग्राम कट्वंग और आधा ग्राम मुलेठी को पीस कर के बारीक चूर्ण यानी पाउडर बना लें। 100 मिली गाय के दूध में 10 ग्राम गाय के घी के साथ इस चूर्ण को मिलाकर पीने से पेचिश के कारण होने वाला दर्द दूर होता है।

#- प्रवाहिका - पाठा, अजमोदा, कुटज की छाल, नीलकमल, सोंठ तथा पिप्पली सभी को मिला कर कूट-पीस कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण (2-4 ग्राम) को गुनगुने जल के साथ  सेवन करने से पेचिश ठीक होता है।

#- प्रवाहिका - अजमोद, सोंठ, मोचरस एवं धाय के फूलों को समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को गौतक्र ( छाछ ) के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से पतले दस्त (अतिसार) बंद हो जाते हैं।
 
#- छर्दि - कई बार कुछेक कसैली तथा कड़वी दवाओं के सेवन से रोगी को उल्टी हो जाती है, जिससे उन औषधियों का लाभ नहीं हो पाता। ऐसी औषधियों के साथ अजमोदा के 2-5 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से उल्टी की आशंका नहीं रहती है।

#- छर्दि - 2-5 ग्राम अजमोद एवं 2-3 लौंग की कली को पीस कर 1 चम्मच मधु के साथ चाटने से उलटी बंद होती है।
 
#- उदरशूल - पेट के दर्द का मुख्य कारण आम यानी अनपचा भोजन तथा उसके कारण बनने वाली गैस होती है। अजमोदा भोजन को पचाता है और गैस को समाप्त करता है। तीन ग्राम अजमोदा के चूर्ण में एक ग्राम काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लें। पेटदर्द में आराम होगा।

#- उदरशूल - अजमोदा के एक ग्राम चूर्ण को  सुबह-शाम गुनगुने जल के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।

#- उदरशूल - अजमोदा तेल की 2-3 बूंदों को 1 ग्राम सोंठ के चूर्ण में मिला कर गुनगुने जल के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।


#- बवासीर - ( पोटली ) बवासीर में मस्सों के कारण शौच में असहनीय पीड़ा होती है। इस पीड़ा के लिए ही नीम हकीम लिखते हैं सहा भी जाए और कहा भी जाए। अजमोदा को गर्म कर कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर मस्सों को सेंकने से दर्द में आराम होता है।


#- मूत्रकृच्छ - अजमोदा की जड़ के 2-3 ग्राम चूर्ण को पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पेशाब करने में दर्द, जलन आदि की समस्याएं ठीक होती हैं।

#- मूत्राशय दर्द - ( पोटली ) गैस के कारण मूत्राशय में दर्द होने पर अजमोद और नमक को साफ कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर पेट के निचले हिस्से यानी पेड़ू में सेंक करने से लाभ होता है।
 
#- पथरी - किडनी या मूत्रमार्ग (Urine Passages) में पथरी हो तो ऑपरेशन कराने की आवश्यकता नहीं है। अजमोदा में पथरी को गलाने का गुण होता है। 2-3 ग्राम अजमोदा के चूर्ण मे 500 मिलीग्राम यवक्षार मिला लें। इस चूर्ण को 10 मिली मूली के पत्तों के रस के साथ कुछ दिनों तक नित्य सुबह-शाम पीने से पथरी गल कर निकल जाती है। पेशाब भी खुलकर होता है।


#- जोडो का दर्द व सूजन - अजमोदा में दर्द और सूजन को दूर करने के गुण होते हैं। यह वात का शान्त करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह विचामिन सी तथा एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है और इसलिए गठिया बाय के दर्द को दूर करने में सहायक है। जोड़ों आदि शरीर की सूजन तथा दर्द को मिटाने के लिए इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं - अजमोदा तथा सोंठ को मिलाकर महीन चूर्ण यानी पाउडर बना लें। इस चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में लेकर पुराना गुड़ मिश्रित कर गुनगुने जल के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से जोड़ों की सूजन, गठिया के कारण जोड़ों के दर्द, पीठ जांघ का दर्द तथा अन्य वात रोग नष्ट होते हैं।

#- सूजन व वातविकार, सर्वांगशोथ - अजमोदा, छोटी पीपल, गिलोय, रास्ना, सोंठ, अश्वगंधा, शतावरी एवं सौंफ इन आठ पदार्थों को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को डेढ़ ग्राम की मात्रा में 10 ग्राम गाय के घी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से शरीर में होने वाली सूजन और वात विकारों में लाभ होता है।

#- पीठ व बग़ल दर्द सर्वांगपीड़ा - अजमोदा को तेल में उबालकर मालिश करने से पीठ तथा बगलों में होने वाले दर्द में आराम मिलता है। अजमोदा के पत्तों को गर्म करके रोगी के बिस्तर पर बिछा देना चाहिए, ऊपर से रोगी को हल्का कपड़ा ओढ़ा देना चाहिए। इससे भी दर्द में आराम मिलता है।

#- सर्व दर्द व सूजन - अजमोदा की जड़ के काड़े को 10-20 मिली मात्रा में पीने से या फिर अजमोदा की जड़ के 2-5 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली सूजन तथा दर्द में आराम मिलता है।


#- कुष्ठ - अजमोद (ajmoda) के 2-5 ग्राम चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर 7 दिन तक दिन में दो-तीन बार सेवन करने से कुष्ठ ( कोढ़ ) रोग ठीक होते हैं।

#- शीतपित्त - अजमोद (ajmoda) के 2-5 ग्राम चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर 7 दिन तक दिन में दो-तीन बार सेवन करने से शीतपित्त कोढ़ रोग ठीक होते हैं। इस प्रयोग का सेवन करने के दौरान उपयुक्त तथा हितकारी भोजन ही लेना चाहिए और वस्त्र-निवास आदि में स्वच्छता का पालन करना चाहिए।
 
#- व्रण , फोड़ा पकाने हेतू - फोड़े यदि कच्चे हों तो उन्हें जल्दी पकाने के लिए अजमोदा को थोड़े गुड़ के साथ पीसकर सरसों के तेल में पका लें। इसे किसी साफ कपड़े में लगा कर घाव पर पट्टी की तरह बांधें। फोड़े शीघ्र पक कर फूट जाएँगे।

#- रक्तस्राव - अजमोदा के फल का 1-4 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से घावों से खून का बहना बंद होता है।
 


#- पुराना बुखार - चार ग्राम अजमोद (ajmoda) को नित्य सुबह ठंडे पानी के साथ बिना चबाए निगल जाएं। पुराने से पुराना बुखार ठीक होगा।
 
#- बच्चो की गुदा में कीडे ( चूरणें ) ( टोटका ) - बच्चों की गुदा में कीड़े हो जाने पर अजमोदा को उपलों की आग पर डालकर धुआं दें और अजमोदा को पीसकर गुदा में लगाएं। कीड़े मर कर निकल जाएंगे।
 
#- अजमोदादि चूर्ण -

#- अजमोदादि चूर्ण (ajmoda in hindi) क्या है? यह एक औषधि है जिसका प्रयोग अनेक रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में यह बताया गया है कि अजमोदादि चूर्ण को सबसे अच्छा पाचक माना गया है। अजमोदादि चूर्ण की 3-6 ग्राम की मात्रा में भूख को बढ़ाता है, पाचनतंत्र को ठीक करता है और पेट की गैस की समस्या से आराम दिलाता है।

#- सदियों से आयुर्वेदाचार्य अजमोदादि चूर्ण के इस्तेमाल से रोगों का इलाज करने का काम कर रहे हैं। आप भी अजमोदादि चूर्ण के फायदे ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि किन-किन बीमारियों अजमोदादि चूर्ण से लाभ होता है। अजमोदादि चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है। दर्दों से मुक्ति के लिए यह प्रमुख औषधि है। इसे विभिन्न पादपों के जड़, तने, फूल, पत्तों आदि के मिश्रण से तैयार किया जाता है। अजमोदादि चूर्ण 3-6 ग्राम की मात्रा , सभी प्रकार के दर्द ख़त्म करता है तथा वायु को शान्त करता है। यह कफ दोष को भी नष्ट करता है।

#- जोडो का दर्द - जोड़ों का दर्द एक ऐसी बीमारी है जिससे हजारों लोग पीड़ित हैं। इस बीमारी के कारण लोगों को जोड़ों में बहुत तकलीफ झेलनी पड़ती है। जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए आप अजमोदादि चूर्ण 3-6 ग्राम मात्रा का उपयोग कर सकते हैं। यह आपको जोड़ों के दर्द से राहत पहुंचाता है।
 
#- सूजन - शरीर के किसी अंग में सूजन हो गई हो तो अजमोदादि चूर्ण 3-6 ग्राम की मात्रा का सेवन करने से लाभ मिलता है।

#- सायटिका - अजमोदादि चूर्ण दर्द के लिए रामबाण औषधि है। आप सायटिका में भी अजमोदादि चूर्ण 3-6 ग्राम मात्रा का प्रयोग कर सकते हैं। इससे फायदा होता है।


#- अमाशय के रोग - आज खान-पान के असंतुलन और फास्ट फूड के सेवन के कारण पाचनतंत्र विकार एक आम समस्या हो गयी है। हजारों लोग पाचनतंत्र की समस्या से ग्रस्त हैं, और बीमारी से छुटकारा पाने के लिए अनेक उपाय करते हैं। आप अजमोदादि चूर्ण 3-6 ग्राम गर्म पानी के साथ इस्तेमाल करेंगे तो पाचनतंत्र की बीमारी में फायदा मिलेगा।

#- पेट गैस - यह पाचनतंत्र में सुधार लाता है। यह पेट की गैस की समस्या को ठीक करता है। इस परेशानी के लिए अजमोदादि चूर्ण 3-6 ग्राम का गर्म पानी े साथ सेवन कर सकते है।


#- कफ दोष के कारण शरीर में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। आप कफ दोष को ठीक करने के लिए भी अजमोदादि चूर्ण 3-6 ग्राम की मात्रा का सेवन कर सकते हैं।
 


# निषेध - अजमोदादि चूर्ण का सेवन इन लोगों को नहीं करना चाहिएः-
अगर रोगी पहले से ही बढ़े हुए पित्त यानी एसिडिटी से पीड़ित हो तो उसे अजमोदादि चूर्ण का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे ये नुकसान हो सकता हैः- सीने में जलन, पेट में जलन , एसिडिटी , सिर में चक्कर आना ऐसे रोगी अजमोदादि चूर्ण का प्रयोग करें।

#- अजमोदादि चूर्ण के सेवन से ये नुकसान भी हो सकते हैं - गर्भावस्था के दौरान अजमोदादि चूर्ण का उपयोग नहीं करना चाहिए। अजमोदादि चूर्ण की तासीर गर्म होती है। इसके कारण रक्तस्राव हो सकता है। तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी अजमोदादि चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए।
 
#- मात्रा - अजमोदादि चूर्ण का इस्तेमाल इतनी मात्रा में करना चाहिएः- 3 से 6 ग्राम ।
  • अनुपान- हल्का गर्म पानी गुड़ के साथ।
 
#- अजमोदादि चूर्ण के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है
अजमोदादि चूर्ण
अजमोदा विडंगानि सैंन्धवं देवदारु च।। 
चित्रक पिप्पलीमूलं शतपुष्पा  पिप्पली।
मरिचं चेति कर्षांशं प्रत्येकं कारयेद्बुध।।
कर्षास्तु पञ्च पथ्याया दश स्युर्वृद्धदारुकात्।। शारंगधर संहिता (.. 6/113-115)
 


#- विधी व सामग्री -
अजमोदा (CarumRoxburghianum (DC) Craib.)फल12 ग्राम।
  1. विडंग (Embeliaribes Burm. f.) फल 12 ग्राम।
  2. सैंधवलवण (Rock Salt) 12 ग्राम।
  3. देवदारु (Cedrusdeodara (Roxb.) Loud.)सार 12 ग्राम।
  4. चित्रक (Plumbagozeylanica Linn.) जड़ 12 ग्राम।
  5. पीपल की जड़ (Piperlongum Linn.) जड़ 12 ग्राम।
  6. शतपुष्पा (Anethumsowa Kurz.) फूल 12 ग्राम।
  7. पीपल (Piperlongum Linn.) फल 12 ग्राम।
  8. मरिच (Pipernigrum Linn.) फल 12 ग्राम।
  9. पथ्या (हरीतकी)(Terminaliachebula Retz.) फल 12 ग्राम।
  10. वृद्धदारुक (Argyreiaspeciosa Sweet.) पत्ते 12 ग्राम।
  11. नागर (शुण्ठी) (Zingiberofficinale rosc.)।

  • सभी घटकों को कूट पीसकर छानकर रख लें और मात्रनुसार प्रयोग करें ।


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