Sunday 6 June 2021

रामबाण योग :-109 -:

रामबाण योग :-109 -:

पूदीना ( पूतिहा )


पुदीना (Pudina) सबसे ज्यादा अपने अनोखे स्वाद के लिए ही जाना जाता है। पुदीने की चटनी सिर्फ खाने का जायका बढ़ाती है बल्कि स्वास्थ्यवर्द्धक भी होती है। आयुर्वेद में सदियों से पुदीने का इस्तेमाल औषधि के रुप में हो रहा है। सामान्य तौर पर पुदीने का उपयोग , दंत-मंजन, टूथपेस्ट, चुइंगगम्स, माउथ फ्रेशनर, कैंडीज, इन्हेलर आदि में किया जाता है। पुदीना का पौधा की कई प्रजातियां होती हैं, लेकिन औषधि और आहार के लिए मेंथा स्पीक्टा लिन्न( Mentha spicata Linn.) का ही प्रयोग किया जाता है। इस पुदीने को पहाड़ी पुदीना भी कहा जाता है; क्योंकि यह पहाड़ी इलाके में अधिक होता है। आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना (dried mint) कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है। आप पुदीना का प्रयोग मल-मूत्र संबंधित बीमारियां और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। यह दस्त, पेचिश, बुखार, पेट के रोग, लीवर आदि विकार को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। पुदीना का पौधा का वानास्पतिक नाम (botanical name of mint)) (Mentha spicata Linn(मेन्था स्पाइकेटा) Syn-Mentha viridis Linn. है, और यह Lamiaceae (लेमिएसी) कुल का है। Sanskrit-पूतिहा, रोचिनी, पोदीनक, Hindi-पहाड़ी पुदीना, पुदीना, कहते है।
 
#- बालों का टूटना - प्रतिदिन पुदीना चटनी भोजन में लेवें या ग्रीन टी में पूदीना पत्रस्वरस डालकर प्रयोग करें।पुदीना अपने वातशामक गुण के कारण बालों के रूखेपन को कम करने में सहयोग देता है ऐसा होने से बालों की रूसी एवं उनका बेजान होकर झड़ना या टूटना कम होता है, जिससे बाल प्राकृतिक रूप से बढ़ने लगते हैं।


#- कर्णरोग - कान संबंधी समस्याओं जैसे कान दर्द आदि में पुदीना के लाभ से जल्दी आराम मिलता है। कभी-कभी ठंड लगने पर या कान में पानी चले जाने पर कान में दर्द होने लगता है। ऐसे में पुदीना का रस कान में डालने से आराम मिलता है। आपको पुदीना के पत्ते का रस निकालना है, और इसे 1-2 बूंद कान में डालना है।

#- मुँह के छालें - मुंह के छाले की परेशानी में पुदीने के पत्ते का काढ़ा बना लें। इससे गरारा करने से मुंह के छाले की समस्या ठीक होती है।

 #- दांतदर्द - दाँत दर्द की समस्या किसे नहीं होती।  पुदीने के पत्ते का चूर्ण बनाकर दांत को मांजने से दांतों का दर्द कम होता है। पुदीने के औषधीय गुण दाँत दर्द को कम करने में मदद करते हैं। पुदीना के लाभ दर्द से राहत दिलाने में बहुत मदद करता है।


#- श्वसननलिका शोथ - ठंड लगने पर सांस की नली अक्सर सूज जाती है और फिर गले में दर्द होने लगता है। इससे आराम पाने के लिए पुदीने के पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली सेवन करने से सांस की नली की सूजन से आराम मिलती है।


#- अग्निमांद्य - अक्सर देखा गया है की पाचन शक्ति ख़राब होने के कारण सर में दर्द होता है पुदीने की चाय पुदीना, लहसुन की चटनी ऐसे में बहुत फायदेमंद सिद्ध होती है, क्योंकि यह अपने दीपनपाचन गुण के कारण खाने को अच्छी प्रकार से हजम करने में मदद करती है, जिससे आपका पाचन तंत्र मजबूत होता है  

#- अग्निमांद्य - अक्सर पेट में गड़बड़ी होने पर अपच की समस्या होती है। इसमें नींबू, पुदीना तथा अदरक के 100-100 मिली रस लें। इसमें दोगुना (200 ग्राम) खांड़ मिला लें। इसे चांदी के बर्तन में पका लें। इस काढ़ा को 20 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे अपच की समस्या ठीक होती है।

#- अग्निमांद्य - पूदीना , आर्द्रक, नींबू तथा घृतकुमारी स्वरस के अर्क मेंजीरा , त्रिजात ( दालचीनी, इलायची, नागकेसर ) तथा लवण मिलाकर सेवन करने से भोजन के प्रति रूची उत्पन्न होती है । तथा जठराग्नि प्रदीप्त होती है।

#- 1 चम्मच पुदीना पत्रस्वरस का सेवन करने से अग्निमांद्य , छर्दि, अतिसार में लाभ होता है तथा आंत्रकृमियों का शमन होता है।

#- अरोचक - कभी-कभी दवा के कारण, या लंबे समय से बीमार रहने के कारण भूख कम लगने लगती है। अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो इसके लिए 6-6 ग्राम वृक्षाम्ल, पुदीना, सोंठ तथा मरिच, 50 मिली अनार का रस लें। इसके साथ ही, 3 ग्राम पिप्पली, 1 ग्राम लौंग, 3 ग्राम बड़ी इलायची, 18 ग्राम सेंधा नमक और 35 ग्राम जीरा लें। इनकी जितनी मात्रा हुई, उतनी मात्रा में ही इसमें मिश्री मिला लें। इसका चूर्ण बना लें। इसे 1-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे भूख ना लगने की परेशानी ठीक होती है।


#- उलटी, छर्दि - पुदीने का सेवन करना लाभ पहुंचाता है। अक्सर एसिडिटी होने पर, या दवा के साइड इफेक्ट के कारण, या फिर अन्य कारणों से भी उल्टी होने लगती है। अगर आप भी उल्टी की परेशानी से ग्रस्त हैं तो पुदीना के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से उल्टी बन्द हो जाती है। 


#- उदर विकार - 10-20 मिलीग्राम पूदीना पञ्चांग क्वाथ में लवण तथा कालीमिर्च मिलाकर ग्रीष्मऋतु में शीतल पेय के रूप में प्रयोग करने से उदर विकारों मे लाभ होता है।उबकाई महसूस होने या आने की वजह ज्यादातर अग्निमांद्य या पाचन तंत्र का बिगड़ जाना होता है। पुदीने के सेवन से उबकाई महसूस होने के कष्ट से आराम मिलता है क्योंकि पुदीने में वातकफ शामक और दीपनपाचन गुण होते है जो आपके पाचन तंत्र स्वस्थ बनाये रखने  में और अग्नि को दीप्त करने में सहयोग देते हैं  


#- उदरशूल - सामान्य तौर पर पेट की गड़बड़ी खान-पान में बदलाव की वजह से होता है। 10-15 मिली पुदीना के काढ़े में नमक तथा मरिच मिला लें। इसे पीने से पेट का रोग ठीक होता है। कभी-कभी जंक फूड खाने या मसालेदार खाना खाने से बदहजमी हो जाती है और पेट में दर्द होने लगता है। पुदीना का काढ़ा या पुदीना की चाय बनाकर पिलाने से आराम मिल जाता है।


#- अतिसार - पुदीना के पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे अपच और दस्त की समस्या ठीक होती है।


#- अस्थमा व कफनि:सारक - पुदीना अपने वात -कफ शामक गुण के कारण अस्थमा में भी लाभदायक होता है इसकी तासीर गर्म होने के कारण फेफड़ों में जमे बलगम को पिघला कर उसे बाहर निकालने में सहायता करती है इससे इस बीमारी के लक्षणों के कम होने में सहायता मिलती है


#- इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम - एक ऐसी अवस्था है जो अग्निमांद्य से उत्पन्न होती है जिसमें पाचन तंत्र की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। इस स्थिति में शरीर में आम की उत्पत्ति शुरू हो जाती है जो कभी कभी मल के साथ निकलता हुआ भी दिखाई देता है 1 चम्मच पुदीना पत्रस्वरस को पानी में मिलाकर सेवन करने से यह अपने दीपन-पाचन गुण के कारण भोजन एवं आम को पचाता है । अरूची को दूर कर रूची को उत्पन्न करता है ।

#- मासिकधर्म - मासिक धर्म में दर्द और ऐंठन यानि क्रैम्प का कारण बढ़ा हुआ वात दोष होता है  पुदीना के 5 मिलीग्राम पुदीना पत्रस्वरस को पानी मे मिलाकर सेवन से हम इस दर्द और ऐंठन को दूर कर सकते हैं, क्योंकि इसमें वातशामक और उष्ण गुण होते है जो दर्द और ऐंठन में राहत देते हैं।


  #- मूत्र विकार - अगर पेशाब करते वक्त दर्द या जलन होता है पुदीने का इस तरह सेवन करने से लाभ मिलेगा।  500 मिग्रा पुदीना के पत्ते में 500 मिग्रा काली मिर्च को पीस लें। इसे छानकर मिश्री मिलाकर पुदीना की चाय की तरह पिएं। इससे मूत्र विकार ठीक होते हैं।

#- गठिया रोग - पुदीना के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में पीने से गठिया का दर्द कम होता है।


#- श्लीपद, हाथीपाँव - श्लीपद या हाथीपांव होने पर पैर हाथी की तरह फूल जाता है, और दर्द के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। हाथीपांव के दर्द से राहत पाने के लिए पुदीना का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली की मात्रा में सेवन करें।


#- दुर्गन्धयुक्त घाव - पुदीना के पत्ते को पीसकर लेप लगाने से ना सिर्फ घाव से आने वाला दुर्गंध कम होता है, बल्कि घाव भी जल्दी भरता है।

#- घाव - पुदीना के पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे घाव को धोने से भी घाव जल्दी भरता है।


#- त्वचा विकार - रैशेज, मुंहासे या घाव होने पर त्वचा पर काले-धब्बे पड़ जाते हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए पुदीना के पत्तों को पीस लें। इसे दाग वाले जगह पर लगाने से काले धब्बे मिट जाते हैं। त्वचा संबंधी किसी भी समस्या में पुदीना के फायदे असरदार तरीके से काम करते हैं।


#- मौसम के बदलाव के कारण बुखार आने पर पुदीना के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में पिएं। इससे बुखार ठीक हो जाता है।

#- बुखार के बाद भूख कम लगना- पुदीने की चटनी बनाकर खिलाने से भी बुखार, और बुखार के कारण होने वाली भूख की कमी ठीक होती है। पुदीना के औषधीय गुण बुखार से जल्दी आराम दिलाने में मदद करते हैं।


#- सर्वांग दाह - शरीर की जलन से छुटकारा पाने के लिए पुदीने के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 15 मिली पीने से जलन कम होता है। शरीर के जलन को कम करने  में पुदीना के औषधीय गुण फायदेमंद तरीके से काम करता है। 


 #- शोथ दर्द - अगर शरीर के किसी अंग में सूजन के कारण दर्द हो रहा है तो पुदीने का प्रयोग इस तरह करने से आराम मिलता है।  सूजन होने पर सूखा पुदीना के पत्ते का सिरके में पीस लें। इसका लेप करने से कफ दोष के कारण होने वाली सूजन ठीक होती है।


#- बिच्छुदंश - बिच्छु के काटने पर जो दर्द और जलन होता है, उससे राहत दिलाने में पुदीना मदद करता है। इसके लिए सूखा पुदीना के पत्तों को पीस लें। जिस जगह पर बिच्छु ने काटा है, वहां लगाने से दर्द और जलन कम होता है।

#- यदि कोई व्यक्ति कब्ज या मूत्र सम्बंधित किसी परेशानी से जूझ रहा हो तो उसे पुदीने का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि पुदीना मलमूत्र स्तम्भक होता है


#- पुदीना की चाय बनाने की विधि-सामग्री-
  • 2 कप पानी , पुदीने की कुछ पत्तियां , पुदीने के पत्ते, पानी में तब तक उबालें जब तक यह पानी 1/4 कप हो जाए। यह मिश्रण बन जाने के बाद इसे छान कर गरम-गरम ही सेवन करें    


#- पुदीने की चाय - सर्दियों के मौसम में अगर आप सर्दी-जुकाम से परेशान हैं तो ऐसे में पुदीना की चाय पीकर आप राहत पा सकते हैं।विशेषज्ञों के अनुसार पुदीना में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो सर्दी के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा पुदीने की चाय (Pudina tea) जुकाम में होने वाले गले के दर्द से भी आराम दिलाती है।


#- पुदीने की चाय- सर्दियों में गले में खराश और दर्द होना एक आम समस्या है. इनसे निजात पाने के लिए आप पुदीना का उपयोग कर सकते हैं. खासतौर पर पुदीने की चाय (Pudina Tea) पीने से गले के दर्द और खराश में जल्दी आराम मिलता है


#- पुदीने की चटनी - पुदीने की चटनी घर पर बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए पुदीने की पत्तियों को पहले साफ पानी से धुल लें। फिर इसमें आवश्यकता अनुसार नमक, हरी मिर्च , लहसुन आदि सामग्री को मिलाकर ग्राइंडर में पीस लें। इस चटनी को ताजा ही प्रयोग में लें, ज्यादा देर तक स्टोर करके ना रखें।
 


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