Sunday 6 June 2021

रामबाण :- 108 -:

रामबाण :- 108 -:

नागबला-

नागबला का पौधा अपने औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार कई बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल से जुड़े रोगों और पेट की बीमारियों के इलाज में नागबला बहुत ही उपयोगी है। नागबला क्या है और आप इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं। बरसात के दिनों में यह पौधा खेतों के किनारे मेड़ों पर अपने आप उग जाता है। झाडीनुमा यह पौधा जमीन पर सांप की तरह फैला हुआ होता है, इसी वजह से इसे नागबला कहा जाता है। इस पौधे की जड़ें और तना काफी मजबूत होता है और ये आसानी से टूटते नहीं हैं।


नागबला

का

वानस्पतिक

नाम

Sida

acuta

Burm.f. (

सिडा

एक्युटा

)

है

,

यह

Tiliaceae (

टिलिएसी

)

कुल

का

पौधा

है।

आइये

जानते

हैं

कि

अन्य

भाषाओं

में

इसे

किन

नामों

से

जाना

जाता

है।

 

Hindi :

गुर

-

शुक्री

,

कुकुरबीचा

,

श्री

-

गुर

-

सुक्री

,

कुकुरांड

;

Sanskrit :

नागबला

,

झषा

,

अरिष्टा

,

ह्स्वगवेधुका

,

महाशाखा

,

गौरक्षतण्डुला

,

खरगन्धा

,

चतुपला

,

महोदया

,

महापत्रा

,

महाफला

,

महागन्धा

,

खण्डा

,

खर्वा

,

विश्वदेवी कहते है।यह

मधुर

,

अम्ल

,

कषाय

,

उष्ण

,

गुरु

,

रुक्ष

,

तीक्ष्ण

,

वातपित्तशामक

,

वृष्य

,

बल्य

,

रसायन

,

बृंहण

तथा

पुंसत्त्ववर्धनी

है। नागबला

व्रण

,

मूर्च्छा

,

मोह

,

रक्तपित्त

,

क्षय

,

क्षतक्षीण

,

कुष्ठ

,

दाह

तथा

ज्वरनाशक

होती

है।


 
#- सर्दी- जुकाम - मौसम में बदलाव होने पर या ठंडी चीजों का सेवन कर लेने पर अक्सर लोग जुकाम से पीड़ित हो जाते हैं। आयुर्वेद में बताए गए कुछ घरेलू उपचारों की मदद से आप जुकाम से आराम पा सकते हैं। नागबला की मदद से भी आप सर्दी जुकाम से आराम पा सकते हैं। इसके लिए नागबला की पत्तियों का रस नाक में डालने से और इसकी पत्तियों का सेवन करें। 

#- स्तनों का दर्द - नागबला की पत्तियों को हल्का गर्म करने स्तनों पर रखने या वहां बाँधने से स्तनों में होने वाले दर्द से आराम मिलता है।

#- हृदय रोग - दिल की बीमारियों के मरीजों के लिए नागबला काफी उपयोगी है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप रोजाना 3-5 ग्राम नागबला की जड़ के चूर्ण का सेवन ढूढ़ के साथ करें तो इससे दिल के रोगों के लक्षणों में कमी आती है। एक महीने तक इसका सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है। 
 
#- अगर आप दस्त से परेशान हैं तो नागबला का उपयोग करें, यह दस्त को रोकने में कारगर है। विशेषज्ञों के अनुसार दस्त होने पर नागबला के फल और जड़ के चूर्ण 10 ग्राम का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से पेचिश में भी आराम मिलता है। 
 
#- कब्ज व बवासीर - कब्ज की समस्या से परेशान मरीजों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। इसे अनदेखा करने पर और समय रहते इलाज ना करवाने से आगे चलकर बवासीर की समस्या हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप खानपान में बदलाव लाएं और घरेलू उपचारों की मदद से इसे ठीक करें। विशेषज्ञों का मानना है कि नागबला की जड़ और पत्तियों के 10 ग्राम चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें या इसका काढ़ा बनाकर पिएं। इससे बवासीर में फायदा मिलता है। 
 
#- प्लीहावृद्धि - नागबला में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो प्लीहा को बढ़ने से रोकते हैं। नागबला की पत्तियों का पेस्ट बनाकर 10-12 ग्राम सेवन करें या इन पत्तों को हल्का गर्म करने प्लीहा वाले हिस्से पर रखें। ऐसा करने से प्लीहा वृद्धि की समस्या में लाभ मिलता है। 
 
#- जोडो के दर्द - उम्र बढ़ने के साथ ही जोड़ों में दर्द होना एक सामान्य समस्या है। ऐसे कई आयुर्वेदिक घरेलू इलाज हैं जिनकी मदद से आप गठिया या आर्थराइटिस की समस्या में आराम पा सकते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि नागबला गठिया के इलाज में काफी कारगर है। इसके लिए नागबला की पत्तियों का पेस्ट बना लें और जहाँ दर्द हो रहा हो उन जोड़ों पर लगाएं। इससे जल्दी आराम मिलता है। इसी तरह इन पत्तियों का काढ़ा बनाकर 10-12 मिलीग्राम पीने से भी गठिया में फायदा मिलता है। 
 


#- टी. बी. रोग - आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार नागबला में ऐसे औषधीय गुण हैं जो टीबी के इलाज में बहुत मदद करते हैं। अगर आप टीबी के मरीज हैं तो आप रोजाना सुबह नागबला की जड़ के चूर्ण 2 ग्राम , 2 चम्मच शहद और 1 चम्मच गाय के घी के साथ मिलाकर खाएं। 

#- टी. बी. रोग - जौ, नागबलामूल, अश्वगंधामूल, तिल, गुड़ और उड़द चूर्ण की बराबर मात्रा लें और गाय के दूध के साथ रोजाना सुबह इसका सेवन करें। इससे टीबी में फायदा मिलता है और शरीर की ताकत बढ़ती है। 

#- टी. बी. रोग - 2 ग्राम अर्जुन त्वक्, 2 ग्राम नागबला मूल और 2 ग्राम केवाँच बीज के चूर्ण ो 250 ग्राम गाय के दूध में पकाकर इसमें 3 चम्मच शहद, 1 चम्मच गाय का घी एवं 2 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करें। यह टीबी और खांसी दोनों के इलाज में असरकारक है।

#- टी. बी. रोग - कर्कट शृंगी, अर्जुन त्वक्, अश्वगंधा, नागबला, पुष्करमूल, हरीतकी और गुडूची से निर्मित चूर्ण का 2-5 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवन करें। 
 
#- रक्तपित्त , नाक- कान से ख़ून बहना - गर्मियों के मौसम में कई लोगों को नाक-कान से खून बहने की समस्या होने लगती है। इस समस्या को आयुर्वेद में रक्तपित्त कहा गया है। इसके इलाज के लिए आप नागबला का उपयोग कर सकते हैं। नागबला चूर्ण का सेवन शहद के साथ मिलाकर करने से यह समस्या ठीक होती है।
 


#- वीर्यशक्तिवर्धनार्थ - नागबला आयुर्वेद के अनुसार अगर आप नियमित रूप से नागबला की जड़ी के 5 ग्राम चूर्ण का सेवन गाय के दूध के साथ करें तो इससे वीर्य को पोषण मिलता है और उसकी गुणवत्ता में सुधार आता है।
 


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