Friday 25 June 2021

रामबाण योग :- 116 -:



रामबाण योग :- 116 -:

अलसी –

आपने अलसी (flax seeds) का रोज घर में प्रयोग करते होंगे। कई घरेलू व्यंजनों में अलसी का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो असली के बीज बहुत ही छोटे-छोटे होते हैं, लेकिन इसमें इतने सारे गुण होते हैं, जिसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते। क्या आपको यह जानकारी है कि जिस अलसी के बीज को आप सभी केवल खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल में लाते हैं, उससे रोगों का इलाज भी किया जा सकता है? जी हां, अलसी के फायदे और भी हैं। अलसी का दूसरा नाम तीसी है। यह एक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल औषधि के रूप
में भी किया जाता है। स्थानों की प्रकृति के अनुसार, तीसी के बीजों के रंग-रूप, और आकार में भी अंतर पाया
जाता है। देश भर में तीसी के बीज सफेद, पीले, लाल, या थोड़े काले रंग के होते हैं। गर्म प्रदेशों की तीसी सबसे अच्छी मानी जाती है। आमतौर पर लोग तीसी के बीज, तेल को उपयोग में लाते हैं।तीसी के प्रयोग से सांस, गला, कंठ, कफ, पाचनतंत्र विकार सहित घाव, कुष्ठ आदि रोगों में लाभ लिया जा सकता है।तीसी का वानस्पतिक नाम लाइनम यूसीटैटीसिमम (Linum usitatissimum L., Syn-Linum humile Mill., है, और यह लाइनेसी (Linaceae) कुल की है। .– तीसी, अलसी कहते है |

# - सिर दर्द -  सिरदर्द से आराम पाने के लिए अलसी का सही तरह से प्रयोग करने पर अलसी के लाभ पूरी तरह से मिल सकता है। इसके लिए अलसी के बीजों को ठंडे पानी में पीसकर लेप करें। इससे सूजन के कारण होने वाले सिर दर्द, या अन्य तरह के सिर दर्द, या फिर सिर के घावों में फायदा मिलता है।

#- सिर के घाव - अलसी के बीजों को शीतल जल में पीसकर लेप लगाने से सूजन के कारण होने वाले सिरदर्द , माथे की पीड़ा तथा सिर के घावों का शमन होता है।

#- अनिद्रा - ( टोटका ) नींद ना आने की बीमारी में अलसी का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए अलसी, तथा एरंड तेल को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर, कांसे की थाली में अच्छे से पीस लें। इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से नींद अच्छी आती है।  

#- प्रतिशयाय - अलसी के बीजों का धूम्रपान करने से जुकाम में हीतकर होता है।

.# - जुकाम - जुकाम से परेशान हैं, तो तीसी का इस्तेमाल कर सकते हैं। महीन पिसी अलसी को साफ कर धीमी आंच से तवे पर भून लें। जब यह अच्छी तरह भून जाय, और गंध आने लगे, तब पीस लें। इसमें बराबर
मात्रा में मिश्री मिला लें। अलसी खाने का तरीका यह है कि आप इसे 5 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ, सुबह और शाम सेवन करें। इससे जुकाम में लाभ होता है। 

# - आंख रोग  -  अलसी के गुण आँख संबंधी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है।  आंखों की बीमारी, जैसे- आंख आना, आंखों की लालिमा खत्म होने आदि को ठीक करने के लिए अलसी के बीजों को पानी में फूला लें। इस पानी को आंखों में डालें। इससे आंख आने की परेशानी में फायदा होता है। 

#- निद्रा नाश ( काजल ) - अलसी तथा अरण्ड तैल को समभाग मिलाकर काँसे की थाली में काँसे के ही बर्तन से ख़ूब घोटकर रात को आँख में सूरमे की तरह लगाने से नींद बहुत अच्छी आती है।

# - कान की सूजन - कान की सूजन को ठीक करने के लिए अलसी के गुण उपचार स्वरुप बहुत काम आते
हैं। इसके लिए अलसी को प्याज के रस में पकाकर, छान लें। इसे 1-2 बूंद कान में डालें। इससे कान की सूजन ठीक हो जाती है।

# - खाँसी ,दमा - अलसी के बीज खाने के फायदे  खांसी और दमा रोग में भी मिलते हैं। अलसी के बीजों से काढ़ा बना लें। इसे सुबह और शाम पीने से खांसी, और अस्थमा में लाभ होता है। ठंड के दिनों में मधु, तथा गर्मी में मिश्री मिलाकर सेवन करना चाहिए।

# - खाँसी व अस्थमा - इसी तरह 3 ग्राम अलसी के चूर्ण को, 250 मिली उबले हुए पानी में डालें। इसे 1 घण्टे तक छोड़ दें। इसमें थोड़ी चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे सूखी खांसी तथा अस्थमा में लाभ होता है।

# - खाँसी - इसके अलावा, 5 ग्राम अलसी के बीजों  को 50 मिली पानी में भिगोकर रखें। 12 घंटे बाद छानकर
पानी को पी लें। सुबह भिगोआ हुआ पानी शाम को, और शाम को भिगोया हुआ पानी सुबह को पिएं। इस पानी के सेवन से खांसी, और दमा में फायदा होता है। इस दौरान ऐसा कुछ नहीं खाना, या पीना चाहिए, जो बीमारी को
बढ़ाने वाला हो।

# - खाँसी व अस्थमा - आप खांसी, या दमा के इलाज के लिए 5 ग्राम अलसी के बीजों को कूटकर छान लें।इसे जल में उबाल लें। इसमें 20 ग्राम मिश्री मिला लें। यदि ठंड का मौसम हो तो मिश्री के स्थान पर शहद मिलाएं। इसे सुबह और शाम सेवन करें। इससे खांसी, और अस्थमा में लाभ होता है।

# - खाँसी - अलसी के औषधीय गुण से खांसी को ठीक किया जा सकता है। आप तीसी के भूने बीज से 2-3 ग्राम चूर्ण बना लें। इसमें मधु, या मिश्री मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। इससे खांसी ठीक हो जाती है।

# - दमा - आप खांसी, और दमा के उपचार के लिए यह तरीका भी आजमा सकते हैं। 3 ग्राम अलसी के बीजों को मोटा कूट लें। इसे 250 मिली उबलते हुए पानी में भिगो दें। इसे एक घंटा ढक कर रख दें। इसे छानकर, थोड़ी चीनी मिला लें। इसका सेवन करने से भी सूखी खांसी, और दमा की बीमारी ठीक हो जाती है।

# - दमा - इसके अलावा, अलसी के बीजों को भूनकर शहद, या मिश्री के साथ चाटें। इससे खांसी, और दमा का इलाज होता है।

# - वात-कफ विकार - अलसी के औषधीय गुण का फायदा वात-कफ विकार में भी ले सकते हैं। 50 ग्राम भूनी अलसी के चूर्ण में बराबर-बराबर मात्रा में मिश्री, और एक चौथाई भाग मरिच मिला लें। इसे 3-5 ग्राम की मात्रा में सुबह, मधु के साथ सेवन करने से वात-कफ दोष विकार ठीक होते हैं।

# - थायराइड - आप थायराइड का उपचार करने के लिए भी अलसी का प्रयोग कर सकते हैं। अलसी के लाभ का पूरा फायदा उठाने के लिए बराबर-बराबर मात्रा में अलसी के बीज, शमी, सरसों, सहिजन के बीज, जपा के फूल, तथा मूली की बीज को छाछ से पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को गले की गांठों आदि पर लेप करने से थायराइड में लाभ होता है।

#- सर्वांगशूल व शोथ - अलसी की पुलटीश सब पुल्टिसों में उत्तम है। 4 भाग कूटी हुई अलसी को , 10 भाग उबलते हुए पानी में डालकर धीरे- धीरे मिलाएँ । यह पुलटीश बहुत मोटी नहीं होनी चाहिए लगाते समय इसके निम्न भाग पर तैल चुपड़कर लगाना चाहिए । इसके प्रयोग से सूजन व पीड़ा दूर होती है।

# - बद ,गांठ - अलसी के चूर्ण को गाय के  दूध, और पानी में मिला लें। इसमें थोड़ी हल्दी का चूर्ण डालकर खूब पका लें। यह गाढ़ा हो जाएगा। इस गर्म गाढ़े औषधि को आप जहां तक सहन कर सकें, गर्म-गर्म ही गांठ पर लेप करें। ऊपर से पान का पत्ता रख कर बांध दें। इस प्रकार कुल 7 बार बांधने से घाव पककर फूट जाता है। घाव की जलन, टीस, पीड़ा आदि दूर होती है। बड़े-बड़े फोड़े भी इस उपाय से पककर फूट जाते हैं। यह लाभ कई दिनों तक लगातार बांधने से होता है।

*# - फोड़ा -  इसी तरह अलसी को पानी में पीसकर, उसमें थोड़ा जौ का सत्तू, तथा खट्टी गोदधि ( दही) मिला लें। इसे फोड़े पर लेप करने से भी फोड़ा पक जाता है।

# - वातज फोड़े - वात रोग के कारण होने वाले फोड़े में अगर जलन, और दर्द हो रहा हो, तो तिल और तीसी
को भून लें। इसे गाय के दूध में उबाल लें। ठंडा होने पर इसी दूध में पीसकर फोड़े पर लेप करें। इससे लाभ होता है।

# - पक्वव्रण ,पके फोड़े - पके फोड़े के दर्द को ठीक करने के लिए यह उपाय भी कर सकते हैं। बराबर-बराबर मात्रा में अलसी, गुग्गुल, थूहर का दूध लें। इसके साथ ही मुर्गा, तथा कबूतर की बीट, पलाशक्षार, स्वर्णक्षीरी, तथा मुकूलक का पेस्ट लें। इनका लेप घाव पर करें। इससे घाव ठीक हो जाता है।

# -व्रणोपनाह , घाव - घाव को पकाने के लिए तिल की बीज, अलसी की बीज, खट्टा गोदधि  ( दही), सुराबीज, कूठ, तथा सेंधा नमक को पीसकर चूर्ण की पिण्डिका बना लें। इसे घाव पर लेप करने से घाव जल्दी पककर ठीक हो जाता है।

# - दर्द व सुजन - अलसी,तीसी (agase beeja) के इस्तेमाल से दर्द, और सूजन में भी बहुत फायदा होता है। इसमें अलसी से बनाई हुई गीली दवा बहुत काम करती है। एक भाग कुटी हुई अलसी को, 4 भाग उबलते हुए पानी में डालकर धीरे-धीरे मिलाएं। यह गीली होनी चाहिए, लेकिन बहुत गाढ़ा नहीं होना चाहिए। इसे दर्द, या सूजन वाले अंग पर तेल की तरह चुपड़ कर लगाएं। इसके प्रयोग से सूजन, और दर्द दूर होती है।

*# - अग्निदग्ध का घाव व दर्द - शुद्ध अलसी का तेल, और चूने का निथरा हुआ जल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर अच्छी प्रकार मिला लें। यह सफेद मलहम जैसा हो जाता है। अंग्रेजी में इसे Carron oil  कहते हैं। इसको आग से जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे तुरंत आग से जले हुए घाव का दर्द ठीक हो जाता है। रोज 1 या दो बार लेप करते रहने से घाव ठीक होता है।

# -कामशक्तिवर्धनार्थ - कई लोगों की शिकायत होती है कि उनकी सेक्स करने की ताकत में कमी आ गई है। इसी तरह अनेक लोग वीर्य, या धातु रोग से पीड़ित रहते हैं। इन सभी परेशानियों को तीसी, या अलसी का प्रयोग ठीक कर सकता है। 2 ग्राम  काली मिर्च और 5 ग्राम  शहद के साथ 3 ग्राम  अलसी का सेवन करें। वीर्य की पुष्टी होकर सेक्स करने की ताकत बढ़ती है, और वीर्य दोष दूर होता है।

*# -  पेशाब रोग -

पेशाब संबंधित रोगों को ठीक करने के लिए भी अलसी का इस्तेमाल करना बहुत अच्छा फायदा देता है। इसके लिए 50 ग्राम अलसी, 3 ग्राम मुलेठी को कूट लें। इसे 250 मिली पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में हल्की आंच पर पकाएं। जब 50 मिली पानी रह जाए तो, इसे छानकर 2 ग्राम कलमी शोरा मिला लें। इसे 2 घंटे के अंतर से 20-20 मिली की मात्रा में पिएं। इससे मूत्र रोग जैसे, पेशाब करने में दिक्कत, पेशाब की जलन, पेशाब में खून आना, पेशाब में मवाद आने संबंधी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।


*# - पेशाब रोग - इसके अलावा 10-12 ग्राम अलसी की बीज के चूर्ण में 5-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे 3-3 घंटे पर सेवन करने से पेशाब संबंधित बीमारी ठीक होती है।

*# - सुजाक - अलसी के औषधीय गुण से सुजाक रोग में भी लाभ लिया जा सकता है। इसके लिए अलसी के तेल की 4-6 बूंदों को मूत्रेन्द्रिय (योनि) के छेद में डालें। सुजाक ठीक हो जाता है। 


* #- मूत्ररोग - अलसी और मुलेठी को समभाग लेकर कूट लें। 40-50 ग्राम चूर्ण को मिट्टी के बर्तन में डालकर उसमें 1 लीटर उबलता जल डालकर ढक दें । एक घन्टे बाद छानकर , इसमें 25 से 30 ग्राम तक कलमी शोरा मिलाकर , बोतल में रख लें । तीन घंटे के अंतर से 25-30 मिलीग्राम तक इस जल का सेवन करने से 24 घन्टे में ही पेशाब की जलन , पेशाब का रूक-रूक कर आना , पेशाब में ख़ून आना , पेशाब में मवाद आना ,पेशाब करते समय सिंग में सूरसूराहट होना आदि शिकायतें दूर होती है।

*#- पेशाब मे जलन व मूत्रशुद्ध होना - 10 ग्राम अलसी और 6 ग्राम मुलेठी , दोनों को ख़ूब कुचलकर एक लीटर जल में मिलायें, आधा भाग शेष रहने तक पकाये । तीन घन्टे के अन्तर से लगभग 25 मिलीग्राम काढ़े में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करने से जलन तत्काल दूर होकर मूत्र साफ होकर आने लगता है।

#- प्रमेह - 5-7 मिलीग्राम अलसी तैल का सेवन करने से प्रमेह ( डायबीटीज़ ) में लाभ होता है।

# - बवासीर - बवासीर के लिए 5-7 मिली अलसी के तेल का सेवन करें। इससे कब्ज ठीक होता है, और बवासीर में लाभ होता है।

# - टी .बी . रोग - टीबी के लिए 25 ग्राम अलसी के बीजों को पीसकर, रात भर ठंडे पानी में भिगोकर रखें। इस पानी को सुबह कुछ गर्म करें, और इसमें नींबू का रस मिलाकर, पिएं। इससे टी.बी. के रोगी को बहुत लाभ होता है। 

# - संधिशूल,जोड़ों के दर्द या गठिया -  जोड़ों के दर्द या गठिया में भी अलसी जड़ी-बूटी बहुत काम करता है। अलसी तेल या अलसी की बीजों को इसबगोल के साथ पीसकर लगाने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।

 *# - कमर दर्द -  इसी तरह अलसी के तेल को गर्म कर, शुंठी का चूर्ण मिला लें। इससे मालिश करने से कमर दर्द, तथा गठिया में लाभ होता है।

#- गठिया - अलसी के तैल की पुल्टीश को गठिया की सूजन पर लगाने से लाभ होता है।

# - नकसीर  - वात-रक्त विकार में अलसी खाने से फायदे होते हैं। अलसी को दूध के साथ पीसकर लेप करने से वातप्रधान वातरक्त व वात के कारण होने वाले विकार ठीक होते हैं।तथा वेदना का शमन होता है।

#- गण्डमाला - समभाग अलसी , शमी , सरसों , सहजन बीज , जपापुष्प , मूली बीज , को गौतक्र ( छाछ ) के साथ पीसकर बनायें कल्क का गले की गाँठों पर लेप करने से लाभ होता है।

# - मात्रा - तीसी या अलसी का चूर्ण- 2-5 ग्राम



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