Tuesday 22 February 2022

रामबाण योग 127

अमलतास

 

आपने अमलतास के पेड़ को अनेक स्थानों पर देखा होगा। यह पेड़ प्रायः सड़कों के किनारे या बाग-बगीचे में दिखाई देते हैं। इसमें पीले-पीले फूल होते है। ये फूल देखने में बहुत ही मनमोहक होते हैं। इन फूलों को घरों में सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। अगर आप अमलतास पेड़ को पहचानते होंगे तो शायद इतनी ही जानकारी रखते होंगे। सच यह है कि अमलतास का पेड़ एक औषधी भी है और अमलतास के पेड़ से फायदे होते हैं।

 

आयुर्वेद के अनुसार, बुखार, पेट संबंधित रोग, त्वचा रोग, खांसी, टीबी और ह्रदय रोग आदि अमलतास के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं कि अमलतास से और क्या-क्या लाभ मिलता है। कई प्राचीन ग्रन्थों में अमलतास का विवरण मिलता है। इसके वृक्ष पहाड़ियों पर अपने मालाकार सुवर्ण फूलों से शोभा बढ़ाते हैं। मार्च-अप्रैल में वृक्षों की पत्तियां झड़ जाती हैं। इसके बाद नई पत्तियां और पीले रंग के पूल साथ ही निकलते हैं। उसके बाद फली लगती है। फली लम्बी गोल और नुकीली हेती है और वर्ष भर लटकी रहती है |

 

भारत में अमलतास (amaltas) को अमलतास के नाम से ही जानते हैं, लेकिन देश-विदेश में अमलतास को और भी नामों से जाना जाता है। अमलतास का वानस्पतिक नाम कैसिया फिस्टुला (Cassia fistula L., Syn-Cassia rhombifolia Roxb., Cassia excelsa Kunth.) है। यह सेजैलपिनिएसी (Caesalpiniaceae) कल का है। इसके अन्य नाम ये हैं- Hindi – अमलतास, सोनहाली, सियरलाठी,English – कैसिया (Cassia), गोल्डन शॉवर (Golden shower), इण्डियन लेबरनम (Indian laburnum), परजिंग स्टिक (Purging stick),   पॅरजिंग कैसिया (Purging cassia),Sanskrit – आरग्वध, राजवृक्ष, शम्पाक, चतुरङ्गुल, आरेवत, व्याधिघात, कृतमाल, सुवर्णक, कर्णिकार, परिव्याध, द्रुमोत्पल, दीर्घफल, स्वर्णाङ्ग, स्वर्णफल,Urdu – अमलतास (Amaltas) कहते है |

 

# - बुखार -  अमलतास फल मज्जा पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसका काढ़ा बनाकर पिएं। इससे बुखार उतर जाता है।

 

 

*# - बच्चों के फोड़े –फुंसिया -  अमलतास के पेड़ से पत्ते लें। इसे गाय के दूध के साथ पीस लें। इसका लेप करने से नवजात शिशु के शरीर पर होने वाली फुंसी या छाले दूर हो जाते हैं।

 

*# - नाक की छोटी –छोटी फुंसियाँ -  अमलतास ट्री के पत्तों और छाल को पीस लें। इसे नाक की छोटी-छोटी फुन्सियों पर लगाएं।

 

*# -मुहं के छाले -  अमलतास ट्री के फल मज्जा को धनिया के साथ पीस लें। इसमें थोड़ा कत्था मिलाकर चूसें। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

 

*# -मुहं के छालें -  केवल अमलतास के गूदे को मुंह में रखकर चूसने से भी मुंह के छाले ठीक होते हैं।

 

 *# -घाव -  अमलतास ट्री, चमेली तथा करंज के पत्तों को गाय के मूत्र से पीस लें। इसे घाव पर लेप के रूप में लगाएं। इससे पुराना से पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।

 

*# घाव -  अमलतास के पत्तों को दूध में पीस लें। इसे घाव पर लगाएं। इससे तुरंत फायदा होता है।

 

*# -दाह ,जलन -  अमलतास के पेड़ की 10-15 ग्राम जड़ लें। आप जड़ की जगह छाल भी ले सकते हैं। इसे दूध में उबालें। इसे पीसकर लेप करने से शरीर की जलन ठीक हो जाती है।

 

*# -कंठ रोग,कंठमाला  -  ( टोटका ) अमलतास के पेड़ की जड़ लें। इसे चावल के पानी के साथ पीस लें। इसे सुंघाने और लेप करने से कंठ के रोगों में लाभ होता है।

 

# - टान्सिल -  कफ के कारण टान्सिल बढ़ने पर अमलतास का पानी पीने में आराम मिलता है। टान्सिल में जब दर्द हो रहा हो तब 10 ग्राम अमलतास ट्री की जड़ की छाल लें। इसे थोड़े जल में पकाएं। इसे बूंद-बूंद कर मुंह में डालते रहने से आराम कहते है |

 

*# -सूखी खाँसी -  अमलतास ट्री की 5-10 ग्राम गिरी को पानी में घोटें। उसमें तीन गुना चीनी का बूरा डाल लें। इसे गाढ़ी चाशनी बनाकर चटाने से सूखी खांसी ठीक होती है।

 

# - कफनाशक -  अमलतास फल मज्जा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कफ में लाभ होता है।

 

# - कफनाशक -  अमलतास के फल के गूदा का काढ़ा बना लें। इसमें 5-10 ग्राम इमली का गूदा मिलाकर सुबह और शाम पिएं। यदि रोगी में कफ की अधिकता हो तो इसमें थोड़ा निशोथ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से विशेष लाभ होता है।

 

# - दमा या श्वसनतंत्र विकार - अमलतास के पड़े से गूदे को निकाल लें। दमा या श्वसनतंत्र विकार को ठीक करने के लिए गूदे का काढ़ा बना लें। इसे पिलाने से सांसों की बीमारी में लाभ होता है।

 

*# -बच्चों के शरीर की जलन - चार वर्ष से लेकर बारह वर्ष तक के बच्चे के शरीर में जलन हो रही हो, या वह आंतों की बीमारी से परेशान है तो उसे अमलतास फल की मज्जा को 2-4 नग मुनक्का के साथ देना चाहिए। इससे लाभ होता है।

 

*# -अमलतास गुलकंद से आंत्र विकार -  अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर सेवन कराने से भी आंत के विकारों में लाभ होता है।

 

# -उदर रोग -  पेट के रोगों का इलाज करने के लिए अमलतास के 2-3 पत्तों में नमक और मिर्च मिला लें। इसे खाने से पेट साफ होता है।

 

*# - पेट साफ करने हेतु – ( अनुभूत ) अमलतास फल के 10 से 20 ग्राम गूदे को रात में 500 मिली पानी में भिगो दें। इसे सुबह मसलकर छानकर पीने से पेट साफ हो जाता है, और पेट की गंदगी बाहर निकल जाती है।

 

*# - बच्चों का पेट दर्द – ( टोटका ) अमलतास फल की मज्जा को पीसकर बच्चों की नाभि के चारों ओर लेप करें। इससे पेट के दर्द से आराम मिलता है।

 

# - पाचनतंत्र संबंधी विकार -  अमलतास फल मज्जा, पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा को बराबर मात्रा में लें। इसका काढ़ा बनाकर पिएं। इससे पाचनतंत्र संबंधी विकार ठीक होते हैं, भूख बढ़ती है।  

 

# -गुलकंद -  अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर सेवन कराने से कब्ज में लाभ होता है।

 

*# - कब्ज -  इसी तरह 15-20 ग्राम अमलतास फल का गूदा लें। इसे मुनक्का के रस के साथ सेवन करने से कब्ज ठीक हो जाता है।

 

# - कब्ज -  आरग्वध (अमलतास) के कच्चे फलों के चूर्ण लें। इसके चौथाई भाग सेंधा नमक मिला लें। इसमें नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।

 

# - बवासीर मस्से -  अमलतास, चमेली तथा करंज के पत्तों को गाय के मूत्र के साथ पीस लें। इसे बवासीर के मस्से पर लेप के रूप में लगाएं। इससे बवासीर में लाभ होता है।

 

# -पीलिया -  अमलतास के फल का गूदा लें। इतना ही गन्ना या भूमि कूष्मांड या आंवले का रस लें। इसे दिन में दो बार देने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

# - मधुमेह -  10 ग्राम अमलतास के पत्तों को 400 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसका सेवन करें। इससे मधुमेह या डायबिटीज में लाभ होता है।

 

# -अंडकोष वृद्धि -  15 ग्राम अमलतास फल के गूदा को 100 मिली पानी में उबालें। जब पानी 25 मिली शेष रह जाए तो उसमें गाय का घी मिलाकर पिएं। इससे अण्डकोष (हाइड्रोसील) के बढ़ने की परेशानी में लाभ होता है।

 

# - गठिया -  गठिया की बीमारी के लिए 5-10 ग्राम अमलतास की जड़ को 250 मिली दूध में उबालें। इसे देने से गठिया में लाभ होता है।

 

# - गठिया -  अमलतास के 10-15 पत्तों को गर्म करके उनकी पट्टी बांधने से गठिया में फायदा होता है।

 

# - आमवात -  सरसों के तेल में पकाए हुए अमलतास के पत्तों को शाम के भोजन में सेवन करें। इससे आम का पाचन होता है और आमवात में लाभ होता है।

 

# -जोड़ो का दर्द -  जोड़ों के दर्द में अमलतास फल के गूदा और पत्तों का लेप करें। इससे आराम मिलता है।

 

# - लकवा रोग -  अमलतास के 10-15 पत्तों को गर्म करके उनकी पट्टी बांधने से चेहरे के लकवा रोग में लाभ होता है।

 

# - लकवा रोग - इसके अलावा अमलतास के पत्ते के रस को पिलाने से भी चेहरे के लकवे की बीमारी ठीक हो जाती है।

 

 # - कुष्ट,दाद ,खाज -  अमलतास के पत्ते अथवा जड़ को पीसकर लेप करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है। इससे दाद या खुजली जैसे चर्म रोगों में भी लाभ होता है।

 

# - कुष्ट रोग -  अमलतास की पत्तियों तथा कुटज की छाल का काढ़ा बना लें। इसे स्नान, सेवन, लेप आदि करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

 

# - त्वचा रोग -  अमलतास, मकोय तथा कनेर के पत्तों को ( गोतक्र ) छाछ से पीस लें। इसके बाद शरीर पर सरसों के तेल से मालिश करें, फिर लेप को प्रभावित अंगों पर लेप करें। इससे त्वचा रोग में फायदा होता है।

 

# - त्वचा रोग -  कांजी से पत्तों को पीसकर लेप करने से त्वचा रोग जैसे कुष्ठ रोग, दाद, खुजली आदि में लाभ होता है।

 

# - विसर्प रोग - अमलतास के पत्तों तथा श्लेष्मातक की छाल का लेप बना लें। इसे लगाने से विसर्प रोग ठीक हो जाते हैं।

 

# - विसर्प रोग -  अमलतास के 8-10 पत्तों को पीसकर गाय का  घी में मिला लें। इसका लेप करने से भी विसर्प रोग में लाभ होता है।

 

 *# - नाक, कान आदि से खून के बहने -   शरीर के अंगों जैसे नाक, कान आदि से खून के बहने पर अमलतास का प्रयोग करना लाभ देता है। 25-50 ग्राम अमलतास फल के गूदा में 20 ग्राम मधु और शर्करा मिला लें। इसे सुबह और शाम देने से नाक-कान से खून का बहना रुक जाता है।

*# - रक्तवाहिकाओं की परेशानी -   रक्तवाहिकाओं की परेशानी में अमलतास के पत्ते को पानी और तेल में पकाएं। इसका सेवन करें। इससे रक्तवाहिकाओं से जुड़ी परेशानियों में लाभ होता है।

 

* # - गर्भवती स्त्रियों के स्ट्रेच मार्क्स -  अमलतास के पत्तों को दूध में पीस लें। इसे गर्भवती स्त्रियों के शरीर पर होने वाली धारियों पर लगाएं। इससे तुरंत फायदा होता है।

 # - पित्त विकार -  अमलतास के फल के गूदा का काढ़ा बना लें। इसमें 5-10 ग्राम इमली का गूदा मिलाकर सुबह और शाम पिएं। इससे पित्त विकार ठीक होता है। यदि रोगी में कफ की अधिकता हो तो इसमें थोड़ा निशोथ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से विशेष लाभ होता है।

# - पित्त विकार -  अमलतास फल के गूदा का काढ़ा बनाकर पिलाएं, या अमलतास फल के गूदा से पेस्ट बना लें। इसे गाय के दूध में पकाएं और पिएं। इससे पित्त विकारों में लाभ होता है।

 

# - पित्त विकार -  अमलतास फल के गूदा और एलोवेरा के गूदे को जल के साथ घोट लें। इसका मोदक बना लें। इसे रात में सेवन करें। इससे पित्त के विकारों में फायदा होता है। इसके लिए जल के स्थान पर गुलाबजल का प्रयोग भी किया जा सकता है।

 

# - पित्तज विकार -  लाल निशोथ के काढ़ा के साथ अमलतास के फल का गूदा का पेस्ट मिला लें। इसके अलावा बेल के काढ़ा के साथ अमलतास के गूदा का पेस्ट, नमक एवं मधु मिला सकते हैं। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से पित्तज विकार ठीक होता है।

 

# - वातज विकार -  अमलतास फल के गूदा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर मात्रा में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पिएं। इससे वात संबंधित विकार में लाभ होता है।

 

# -पैर में  बिवाई फटना -   कई लोगों या अनेक महिलाओं को पैर के एड़ियों के फटने की शिकायत रहती है। ऐसे में अमलतास के पत्ते का पेस्ट बनाकर एड़ियों पर लगाएं। इससे एड़ी के फटने (बिवाई रोग) में लाभ होता है।

 

 

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