Thursday 17 February 2022

रामबाण  योग 126

अमरुद –

 

अमरूद (Amrud) भारत में मिलने वाला एक साधारण फल है। लगभग अधिकांश घरों या ग्रामीण इलाकों में इसके पेड़ मिल जाते हैं। कुछ पाश्चात्य विद्वानों का कहना है कि इसे अमेरिका से यहाँ पुर्तगीज लोगों द्वारा लाया गया है तथा साथ ही साथ यह भी कहते है कि अमरूद का पेड़ (Guava Tree) भारतवर्ष के कई स्थानों पर जंगलों में होता है। परंतु सच यह है कि जंगली आम, केला आदि के समान इसकी उपज अत्यन्त प्राचीन काल से हमारे यहाँ होती रही है तथा यह यहाँ का ही मूल फल है | इसका प्राचीन संस्कृत नाम अमृत या अमृत फल है तथा बनारस में प्रायः सब लोग इसे अमृत नाम से ही पुकारते हैं। अमरूद (guava in hindi) का स्वाद खट्टा, मीठा और फीका दो तीन तरह का होता है। स्वादिष्ट होने के साथ साथ अमरूद का औषधीय गुण बहुत पौष्टिक  होता है। कई तरह की बीमारियों को दूर करने में लोग इसे घरेलू उपाय के रुप में इस्तेमाल करते हैं।

 

अमरूद (guava in hindi) का लैटिन नाम   Psidium guajava L. (सिडियम गुआजावा) है. इसके कुल का नाम :   Myrtaceae (मिर्टेसी) है ,English: Common guava (कॉमन ग्वावा),Hindi: अमरूद, जामफल (Jamfal),Sanskrit : दृढबीजम्, मृदुफलम्, अमृतफलम्, पेरुक, बिही; Urdu : अमरूद (Amrud),कहते है |

 

आयुर्वेद में अमरूद के कई फायदे बताए हैं, अमरूद में माताओं में दूध बढ़ाने वाले, मल को रोकने वाले, पौरुष बढ़ाने वाले, शुक्राणु बढ़ाने वाले और मस्तिष्क को सबल करने वाले होते हैं। अमरूद का औषधीय गुण प्यास को शांत करता है, हृदय को बल देता है, कृमियों का नाश करता है, उल्टी रोकता है, पेट साफ करता है औऱ कफ निकालता है। मुँह में छाले होने पर, मस्तिष्क एवं किडनी के संक्रमण, बुखार, मानसिक रोगों तथा मिर्गी आदि में इनका सेवन लाभप्रद होता है। आइये अमरूद के प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

# - सिरदर्द -  सूर्योदय से पहले प्रातः कच्चे हरे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठ पाता। अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में तीन-चार बार करना चाहिए।

 

*# - जुकाम –खाँसी -  जुकाम के पुराने रोगी, जिसका कफ न निकल रहा हो, को एक बड़ा अमरूद बीज निकालकर खिला दें और ऊपर से ताजा जल रोगी नाक बंद करके पी ले। दो-तीन दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहकर साफ हो जाएगा। दो-तीन दिन बाद अगर स्राव रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात्रि में बिना जल पीए खा लें। यदि सूखी खाँसी हो और कफ न निकलता हो तो, सुबह एक ताजे अमरूद को तोड़कर, चबा-चबा कर खाने से 2-3 दिन में लाभ होता है। अमरूद का भबका यंत्र द्वारा अर्क निकालकर उसमें शहद मिलाकर पीने से भी सूखी खाँसी में लाभ होता है। एक रिसर्च के अनुसार अमरुद की पत्तियों का सेवन जुकाम खांसी से आराम दिलाने में सहायक होता है क्योंकि अमरुद में पाये जाने वाला विटामिन- सी जुकाम और खांसी से शरीर को लड़ने में मदद करता है।

 

*# - दांत दर्द -  अमरूद के 3-4 पत्तों को चबाने या पत्तों के काढ़े में फिटकरी मिला कर कुल्ला करने से दांत के दर्द में आराम होता है।

 

*# - मुहं के छाले -   अमरूद के कोमल पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।

 

*# - मुखपाक, मुखदौर्गन्ध्य  -   अमरूद के पत्तों को पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में नमक मिलाकर मुँह में 4-5 मिनट तक रख कर कुल्ला करने से मुख के घाव, मुखगत रक्तस्राव तथा मुखदौर्गन्ध्य में लाभ प्राप्त होता है और दाँत स्वस्थ रहते हैं।

 

*# - हृदयविकार तथा कब्ज -  अमरूद का औषधीय गुण पाने के लिए फलों के बीज निकाल कर बारीक-बारीक काटकर शक्कर मिलाकर, धीमी आंच पर चटनी बनाकर खाने से हृदयविकार तथा कब्ज में लाभ होता है।

 

*# - उल्टियां -  अगर आपको उल्टियां हो रही हैं तो अमरूद के उपयोग से आप उल्टियां रोक सकते हैं. इसके लिए अमरूद के पत्तों का काढ़ा 10 मि.ली. पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है।

 

*# - मधुमेह या बहुमूत्रजन्य प्यास -  अमरूद के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पानी में डाल दें। कुछ देर बाद इस पानी को पीने से मधुमेह या बहुमूत्रजन्य प्यास में लाभ होता है।

 

*# -बच्चों की पुरानी पेचिश -  बच्चे का पुराना पेचिश मिटाने के लिए अमरूद की 15 ग्राम जड़ को 150 मिली जल में पकाकर जब आधा जल  शेष रह जाए तो 6-6 मि.ली. तक दिन में दो-तीन बार पिलाना चाहिए।

 

# अतिसार व, हैजा   -   कच्चे अमरूद के फल को भूनकर खिलाने से भी अतिसार में लाभ होता है। अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्रों का काढ़ा बनाकर 20 मि.ली. मात्रा में पिलाने से हैजा की प्रारम्भिक अवस्था में लाभ होता है।

 

*# - हैजा व पेचिश -   अमरूद की छाल का काढ़ा अथवा छाल के 5-10 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से पेचिश, हैजा, दूषित भोजन की विषाक्तता, उल्टी तथा अनपच आदि ठीक होते हैं।

 

# - अजीर्ण -   अमरूद का मुरब्बा, पेचिश एवं अतिसार में लाभदायक है। अमरूद के नये पत्तों को पीसकर स्वरस निकाल लें। इस स्वरस में चीनी मिलाकर प्रातःकाल सेवन करने से सात दिनों में बदहजमी में लाभ होने लगता है।

 

*# - अजीर्ण -  प्रातः अमरूद को नाश्ते में काली मिर्च, काला नमक तथा अदरख के साथ खाने से बदहजमी, खट्टी डकारेंपेट फूलना तथा कब्ज का निवारण होकर भूख बढ़ने लगेगी।

 

*# - आंत्रदर्द व अतिसार -   दोपहर खाने के समय अमरूद को खाने से आंत के दर्द तथा अतिसार में लाभ होता है। अमरूद के गुण का लाभ मिलने के लिए सही मात्रा में सेवन करना ज़रूरी होता है। 

 

*# - कब्ज -  अमरूद का मुरब्बा कब्जियत को दूर करने का एक अचूक उपाय है। अगर आप कब्ज से परेशान है तो अमरुद का मुरब्बा आपके लिए फायदेमंद होगा , क्योंकि अमरुद में लैक्सटिव का गुण पाया जाता है जो कि कब्ज को दूर करने में सहायता करता है। 

 

*# - पेटदर्द व एसिडिटी -  पेट दर्द यदि आपको एसिडिटी के कारण है और साथ ही पेट में जलन हो रही है तो अमरुद के पत्ते का काढ़ा आपके लिए फायदेमंद होगा , क्योकि इसमें क्षरीयता का गुण पाया जाता है जो कि एसिडिटी को शांत कर पेट में आराम देता है। अमरुद का फल कब्ज के कारण होने वाले पेट दर्द में कब्ज को दूर कर आराम देता है। 

 

# - दांत दर्द व मुहं के घाव -   अगर आपको दाँत में दर्द है तो तो अमरुद की पत्तियों को चबाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि कषाय गुण होने के कारण के दर्द में आराम देती है और मुख में छाले या घाव है तो उसको भरने में भी मदद करती है। 

 

*# - शरीर में ठंडक लाने के लिए -   शरीर में ठंडक लाने के लिए अमरुद का सेवन एक अच्छा उपाय हो क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार अमरुद की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसका सेवन शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला होता है। 

 

*# - हीमोग्लोबिन की कमी -   यदि आपको हीमोग्लोबिन की कमी है तो अमरुद का सेवन फायदेमंद हो सकता है क्योंकि अमरुद आयरन प्रचुर मात्रा में होता है। 

 

# - त्वचा निखार -  अमरुद के पत्ते त्वचा के निखार के लिए भी प्रयोग किये जाते है। अमरुद की पत्तियों का लेप कील-मुहासों को दूर करके त्वचा पर निखार लाता है क्योंकि इनमें कषाय गुण पाया जाता है जो त्वचा की गंदगी दूर करता है और तैलीय तत्व को नियंत्रित कर मुंहासों को आने से रोकता है। 

 

*# - गुदाभ्रंश -  अमरूद और नागकेशर दोनों को महीन पीसकर उड़द के समान गोलियाँ बनाकर सेवन कराने से कब्ज के कारण गुदभ्रंश यानी मलद्वार का बाहर निकलना बंद होता है।

 

# - गुदाभ्रंश -  अमरूद के वृक्ष की छाल, जड़ और पत्ते, बराबर-बराबर लेकर मोटा कुट लें तथा एक लीटर जल में उबालें, जब आधा जल शेष रह जाए, तब इस काढ़े से गुदा को बार-बार धोना चाहिए इससे गुदभ्रंश में लाभ होता है।

 

# - गुदाभ्रंश - लगातार होने वाले दस्त के कारण होने वाले गुदभ्रंश में अमरूद के ताजे पत्रों की पुल्टिस बनाकर बाँधने से दर्द और सूजन कम होती है तथा गुदभ्रंश में लाभ होता है।

 

# - खूनी बवासीर -  5-10 ग्राम अमरूद की छाल के चूर्ण को उसके ही काढ़े के साथ सेवन करने से बवासीर के कारण होने वाले रक्तस्राव तथा खुजली का शमन होता है। अमरूद के गुण का लाभ मिलने के लिए सही मात्रा में सेवन करना ज़रूरी होता है।

 

# - गठिया -  अमरूद के कोमल पत्तों को पीसकर गठिया के दर्द वाले स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।

 

# - मस्तिष्क विकारों तथा किडनी की जलन -  अमरूद के पत्ते के काढ़े का सेवन करने से मस्तिष्क विकारों तथा किडनी की जलन का शमन होता है।

 

*# - बच्चो का  आक्षेप रोग यानी ऐंठन तथा कंपन -  अमरूद के पत्ते के अर्क या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से आक्षेप रोग यानी ऐंठन तथा कंपन में लाभ होता है।

 

*# - बुखार -  अगर आप बुखार से तड़प रहे हैं तो अमरूद के कोमल पत्तों को पीस-छानकर पिलाने से बुखार के कष्ट से आराम मिलता है। 

 

*# - एसिडिटी -  अमरूद के बीज निकालकर पीसकर गुलाब जल और मिश्री मिला कर पीने से अत्यंत बढ़े हुए एसिडिटी में आराम होता है।

 

*# - दर्पनाशक -  अमरूद के पत्ते के फायदे को पाने के लिए पत्ते के स्वरस को पिलाये या अमरूद खाने से भांग, धतूरा आदि का नशा दूर हो जाता है।

 

# - अमरुद के अधिक खाने से नुकसान -  गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को विशेष रूप से अमरूद के ज्यादा प्रयोग से बचना चाहिए, क्योंकि इनमें ज्यादा फाइबर होने की वजह से महिलाओं को डायरिया होने की संभावना रहती है।

 

# - सर्दियों में अमरुद का सेवन -  आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों के मौसम में अमरूद खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे खाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है और साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भी बढ़ाते हैं। इसलिए जाड़ों के दिनों में रोजाना ताजे अमरूद का सेवन करें।

 

# - उदररोग -  सर्दियों में अधिकांश लोग पेट से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते हैं और ऐसा देखा गया है कि ये सारी समस्याएँ पाचन तंत्र के ठीक ढंग से काम ना करने के कारण ही होती है। ऐसे में अमरूद का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में मौजूद फाइबर पेट को साफ रखने और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है।

 

# -रोगप्रतिरोधक -  अमरुद का फल जितना स्वादिष्ट और फायदेमंद होता है उसकी पत्तियां भी उतनी ही लाभदायक हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अमरुद की पत्तियों में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी का गुण पाया जाता है जो कि रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाता है और कई मौसमी बीमारियों से बचाता है।

 

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