Wednesday 16 February 2022

रामबाण –

अमरबेल –

अमरबेल (Cuscuta (Amarbel) एक लता है। आपने इसे कई पेड़ों से लिपटा देखा होगा। यह प्रायः बबूल, बेर आदि पेड़ पर लिपटी नजर आती है। अमरबेल खेतों में भी मिल जाती है। इसका तना लंबा और पतला होता है। अमरबेल के तने से कई सारी पतली-पतली और शाखाएँ निकलती हैं। शाखाएँ काफी मजबूत होती हैं। इसकी लता और बीज का उपयोग जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। अमरबेल के प्रयोग द्वारा आप रोगों से बच सकते हैं। इसके साथ ही अमरबेल का प्रयोग कर बीमारियों का इलाज भी कर सकते हैं।

 

आयुर्वेद में यह बताया गया है कि अमरबेल (cuscuta) वीर्य को बढ़ाता है, पाचनशक्ति ठीक करता है और आँख के रोगों में लाभदायक होता है। हृदय को स्वस्थ रखता है। यह पित्त, कफ के विकार और खराब पाचन से बनने वाले वात को भी ठीक करता है। यह मल के निकले को आसान बनाता है।

अमरबेल (Dodder Plant) एक परजीवी (Parasitic Plant) और दूसरे पेड़ों पर निर्भर लता है, जो रस्सी की तरह बेर, शाल, करौदें आदि वृक्षों पर फैली रहती है। इसमें से महीन धागे के समान तन्तु निकलकर वृक्ष की डालियों का रस चूसते रहते हैं।

एक ही वृक्ष पर हर साल पैदा होने के कारण इसको अमरबेल (Amarbel Plant) कहते हैं। यह वृक्षों के ऊपर फैलती है, जमीन से बिना जुड़े केवल पेड़ पर ही होने के कारण इसे आकाशबेल (cuscuta) भी कहा जाता है।

इससे यह तो फलती-फूलती जाती है, लेकिन जिस पेड़ पर यह रहती है वह धीरे-धीरे सूखकर खत्म हो जाता है। आकाशवल्ली (Cuscuta (Amarbel) के फल थोड़े पीले-काले रंग के और बड़े होते हैं। इसे लैटिन में Cassytha filiformis Linn. कहते हैं। दोनों में कुछ गुण भेद भी पाया गया है। किसी का मत है कि अमरबेल (cuscuta) वह है जो केवल आम के पेड़ पर फैलती है, अन्य वृक्षों पर फैलने वाली आकाशबेल है।

 

अमरबेल (amaram) का लैटिन नाम कस्कुटा रिफ्लैक्सा (Cuscuta reflexa Roxb., Syn-Cuscuta hookeri Sweet) है और यह कुल कस्कुटेसी ( Cuscutaceae) की लता है। अमरबेल (amar bail) को अन्य इन नामों से भी जाना जाता है- अमरबेल को English – जाएन्ट-डोडर (Giant-dodder); रिफ्लेक्सड डोडर (Reflexed dodder), Sanskrit – अमरवल्ली, खवल्ली, Hindi – आकाश बेल, अमरबेल कहते है |

 

*# - बालों के रोग -  अमरबेल (amar bail) को तिल या शीशम के तेल में पका लें। इसे सिर पर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं। इससे गंजेपन में लाभ होता है।

 

*# -बालो की चमक -  लगभग 50 ग्राम अमरबेल को कूटकर एक लीटर पानी में पका लें। इससे बालों को धोने से बाल में चमक आती है और बाल सुनहरे होते हैं। इससे बालों का झड़ना तो रुकता ही है साथ ही रूसी भी खत्म होती है।

 

*# - मस्तिस्क रोग -  अमरबेल  के 5-10 मि.ली. रस को पानी के साथ रोजाना सुबह और शाम पीने से मस्तिष्क रोग ठीक होता है।

 

*# - आँख रोग -  10-20 मि.ली. अमरबेल (dodder) के रस में चीनी मिलाकर आँखों पर लगाने से आँख आना और आँखों की जलन की परेशानी से आराम मिलता है।

 

*# - जीभ के घाव -  अमरबेल पञ्चाङ्ग (amar bail plant) के पेस्ट को जीभ पर लेप करने से जीभ के घाव तुरंत भर जाते हैं।

 

*# -पेट रोग -  अमरबेल (dodder) को उबालकर पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के रोग ठीक होते हैं। आकाश बेल का रस आधा लीटर और एक किलोग्राम मिश्री को मिलाकर धीमी आँच पर उबालते हुए शर्बत तैयार कर लें। इसे सुबह और शाम 2 मि.ली. की मात्रा में पानी मिलाकर पीने से पेट की गैस और पेट के दर्द की समस्या ठीक होती है।

 

*# - उलटी -  अमरबेल (Cuscuta (Amarbel) पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर उससे पेट पर सेंक करने से उलटी बंद होती है तथा पेट का दर्द ठीक होता है।

*# - बादी व खूनी बवासीर -  अमरबेल (dodder) के 10 मि.ली. रस में 5 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर खूब घोंटकर रोज सुबह पिला दें। तीन दिन में ही खूनी और बादी बवासीर में विशेष लाभ होगा।

 

# - लीवर व बुखार  -  5-10 मिली अमरबेल के रस का सेवन करने से बुखार, लिवर विकार तथा कब्ज में लाभ होता है।

 

*# - फैटी लीवर व किडनी रोग -  अमरबेल के 10-20 मिली काढ़े को पीने से या इसके पेस्ट को आमाशय तथा पेट पर लेप करने से फैटी लीवर ठीक होता है। आकाशवल्ली का प्रयोग पेशाब को बढ़ाने के लिए तथा किडनी की बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है।

 

*# - अपरा (Placenta) -   10-20 मिली अमरबेल (Cuscuta (Amarbel) के काढ़े को पिलाने से प्रसूता स्त्री की अपरा (Placenta) जल्दी निकल जाती है।

                                              

*# - हाइड्रोसिल -  अमरबेल (dodder plant) का काढ़ा बनाएं। काढ़े की भाप से अण्डकोष को पसीना आने तक सेंकने से अण्डकोष की सूजन ठीक होती है।

 

*# - योनि विकार -  अमर बेल का काढ़ा बनाकर उससे योनि को धोने से योनि के विकार ठीक होते हैं।

 

*# - जोड़ो का दर्द -  अमरबेल के काढ़े या अमरबेल को पीसकर गुनगुना कर लेप करने से गठिया जैसी बीमारी में होने वाली परेशानी जैसा- जोड़ों का दर्द तथा सूजन की समस्या से आराम मिलता है। इस काढ़े का प्रयोग स्नान करने के लिए भी करना चाहिए।

 

*# - पुराना घाव -  अमरबेल के 2-4 ग्राम चूर्ण या ताजी बेल को पीसकर सोंठ और घी मिलाकर लेप करने से पुराना घाव भी भर जाता है।

*# - घाव व सुजन -  अमरबेल (Cuscuta (Amarbel) पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर उससे घाव को धोने से घाव तथा त्वचा की सूजन ठीक होते हैं।

 

*# - खुजली -  अमरबेल को पीसकर लेप करने से खुजली शांत होती है।

 

*# - पित्त विकार व रक्त शोधक  -  4 ग्राम ताजी अमरबेल का काढ़ा बनाकर पीने से पित्त के कारण होने वाले विकार ठीक होते हैं। इसससे खून भी साफ होता है।

 

*# - शारीरिक कमजोरी -  ( पोटली ) 10 ग्राम ताजी अमरबेल (Cuscuta (Amarbel) को मसलकर साफ महीन कपडे में पोटली बांधें। इसे आधे लीटर गाय के दूध में डालकर धीमी आँच पर पकाएं। जब इसका एक चौथाई दूध जल जाए तब ठंडा कर मिश्री मिलाकर पिएँ। इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है।

 

*# - तीसरे व चोथे दिन का बुखार -  ( टोटका ) अमरबेल पञ्चाङ्ग (dodder plant) के चूर्ण का सेवन करने से बुखार ठीक होता है। तीसरे या चौथे दिन आने वाले बुखार में भी अमरबेल को गले में बांध लेने से बुखार नहीं चढ़ता है।

 

 

*# - शिशु रोग -  ( टोटका ) अमरबेल (amarbel) को शुभ मुहूर्त में लाकर सूती धागों में बाँधकर बच्चों के गले व बाँह में बांधने से विभिन्न प्रकार के शिशु रोग ठीक होते हैं।

 

 

*# - कैंसर की रोकथाम  -  अमरबेल का स्वरस 10-20 मिलीग्राम का सेवन करे , कैंसर को रोकने में अमरबेल का प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार इसमें कैंसरोधी गुण पाया जाता है साथ ही इसमें आयुर्वेद के अनुसार  इसमें रसायन गुण के कारण यह कैंसर के लक्षणों को रोकने में मदद करती है। 

 

*# -मधुमेह -  अमरबेल का स्वरस 10-20 मिलीग्राम का सेवन करे क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार अमरबेल में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते है। इसके कारण यह डायबिटीज जैसी समस्या में उसके लक्षणों को कम कर लाभ पहुंचता है।  

 

*# - हड्डियों को करे मजबूत -  अमरबेल में बल्य गुण पाए जाने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाये रखने में भी सहयोगी होता है ।  

 

*# - रोगप्रतिरोधक -  अमरबेल स्वरस 10-20 मिलीग्राम का सेवन करने से आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुधारने में भी अमरबेल मदद करती है क्योंकि इसमें रसायन गुण पाया जाता है।  

 

*# - चोट में जलन -   चोट लगने पर यदि जलन अदि लक्षण होते है तो ऐसे में अमरबेल स्वरस 10-20 मिलीग्राम का सेवन व चोट पर अमरबेल की पुल्टिस लगाने अमरबेल में पाए जाने वाले पित्त शामक एवं शीत गुण इनको ठीक करने में मदद कर सकता है।  

 

*# - आंख रोग -  एक रिसर्च में बताया गया है की अमरबेल आँखों की थकान को दूर करता है, आँखों का सूखना या धुंधलापन दूर करने में भी सहयोगी होता है।  

 

# - सेवन मात्रा - रस – 10-20 मि.ली.|

 

 

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