Monday, 26 April 2021

रामबाण -: 39 -:

रामबाण -: 39 -:

नीम के पेड़ (Neem Tree) से शायद ही कोई अपरिचित हो। नीम को उसके कड़वेपन के कारण जाना जाता है। सभी लोगों को पता होगा कि कड़वा होने के बाद भी नीम स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है, लेकिन नीम के फायदे क्या-क्या हैं या नीम का उपय़ोग किन-किन रोगों में कर सकते हैं, इस बात की पूरी जानकारी आपको नहीं होगी। नीम के गुणों के कारण इसे धरती का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है। आमतौर पर लोग नीम का प्रयोग घाव, चर्म रोग में फायदा लेने के लिए करते हैं लेकिन सच यह है नीम के फायदे अन्य कई रोगों में भी मिलते हैं। नीम के पत्ते का काढ़ा घावों को धोने में कार्बोलिक साबुन से भी अधिक उपयोगी है। कुष्ठ आदि चर्म रोगों पर भी नीम बहुत लाभदायक है। इसके रेशे-रेशे में खून को साफ करने के गुण भरे पड़े हैं। नीम का तेल (Neem ka Tel) टीबी या क्षय रोग को जन्म देने वाले जीवाणु की तीन जातियों का नाश करने वाले गुणों से युक्त पाया गया है। नीम की पत्तियों का गाढ़ा लेप कैंसर की बढ़ाने वाली कोशिकाओं की बढ़ने की क्षमता को कम करता है। नीम का वानस्पतिक यानी लैटिन भाषा में नाम एजाडिरैक्टा इण्डिका(Azadirachta indica (L.) A. Juss.) तथा Syn- Melia indica (A. Juss.) Brantis है। यह कुल मीलिएसी (Meliaceae) का पौधा है। हिन्दी में – नीमनिम्ब कहते है।


#- बालो के रोग - नीम पत्रस्वरस बालों के लिए बहुत ही लाभकारी है। बाल झड़ने से लेकर बालों के असमय पकने जैसी बालों की समस्याओं में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

#- सफेद बाल काले होना - नीम के बीजों को भांगरा के रस तथा असन पेड़ की छाल के काढ़े में भिगो कर छाया में सुखाएं। ऐसा कई बार करें। इसके बाद इनका तेल निकालकर नियमानुसार 2-2 बूँद नाक में डालें। इससे असमय सफेद हुए बाल काले हो जाते हैं। इस प्रयोग के दौरान केवल गाय का दूध और भात यानी पके हुए चावल ही खाने चाहिए।

#- सफेद बाल काले होना - नीम के बीज के तेल को नियमपूर्वक 2-2 बूँद नाक में डालने से सफेद बाल काले हो जाते है। इस दौरान केवल गाय का दूध ही भोजन के रूप में लेना होता है।

#- बाल कालेघने - नीम के पत्ते एक भाग तथा बेर पत्ता 1 भाग को अच्छी तरह पीस लें। इसका उबटन या लेप सिर पर लगाकर 1-2 घंटे बाद धो डालें। इससे भी बाल काले, लंबे और घने होते हैं।

#- बाल झड़ना - नीम के पत्तों को पानी में अच्छी तरह उबालकर ठंडा हो जाने दें। इसी पानी से सिर को धोते रहने से बाल मजबूत होते हैं, बालों का गिरना या झड़ना रुक जाता है। इसके अतिरिक्त सिर के कई रोगों में लाभ होता है।

#- सिर की खुजली - सिर पर छोटी- छोटी फुन्सियां हो' उनसे पूय निकलता होता केवल खुजली होती हो तो ऐसे अरूंषिका तथा क्षुद्र रोग में सिर को नीम के क्वाथ से धोकर नित्य नीम तैल लगाते रहने शीघ्र लाभ होता है।

#- लींख व जुएँ - बीजों को पीसकर लगाने से या नीम के पत्तों के क्वाथ से सिर धोने से सिर की जूएें व लीखें मर जाती है।

#- आधासीसी - सूखे

नीम

के

पत्ते

,

काली

मिर्च

और

चावल

को

बराबर

मात्रा

में

मिलाकर

बारीक

चूर्ण

बना

लें।

सूर्योदय

से

पहले

सिर

के

जिस

ओर

दर्द

हो

,

उसी

ओर

की

नाक

में

इस

चूर्ण

को

एक

चुटकी

भर

नाक

में

डालें।

इससे

आधासीसी

(

अधकपारी

)

के

दर्द

यानी

माइग्रेन

में

जल्द

लाभ

होता

है।


#- सिरदर्द - नीम

तेल

को

ललाट

पर

लगाने

से

सिर

का

दर्द

ठीक

होता

है।



#- नकसीर - नीम

की

पत्तियां

 

और

अजवायन

को

बराबर

मात्रा

में

पीस

ले।

इसे

कनपटियों

पर

लेप

करने

से

नाक

से

खून

बहना

यानी

नकसीर

बन्द

होता

है।


 

#- कर्णस्राव - नीम के पत्ते के रस में बराबर मात्रा में मधु मिला लें। इसे 2-2 बूँद सुबह-शाम कान में डालने से लाभ होता है। इसे डालने से पहले कान को अच्छी प्रकार साफ कर लें।

#- कर्णस्राव - कान से पीव निकलती हो तो नीम के तेल में शहद मिला लें। इसमें रूई की बत्ती भिगोकर कान में रखने से लाभ होता है।

#- कर्णस्राव - नीम तेल 40 मिली तथा 5 ग्राम मोम को आग पर गर्म करें। मोम गल जाने पर उसमें फूलाई हुई फिटकरी का 750 मिग्रा चूर्ण अच्छी तरह मिलाकर शीशी में रख लें। इस मिश्रण की 3-4 बूँद दिन में दो बार डालने से कान का बहना बन्द होता है।

#- कर्णस्राव - नीम के पत्ते  के 40 मिली रस को 40 मिली तिल के तेल में पकाएं। तेल मात्र शेष रहने पर छान कर 3-4 बूँद कान में डालें। कान का बहना बंद हो जाएगा।

 

#- नेत्रदर्द - जिस आँख में दर्द हो, उसके दूसरी ओर के कान में नीम के कोमल पत्तों का रस गुनगुना कर 2-2 बूँद टपकाएं। दोनों आँखों में दर्द हो तो दोनों कान में टपकाएं। दर्द समाप्त हो जाएगा।

#- नेत्रदर्द व सूजन - नीम के पत्ते और लोध्र के बराबर चूर्ण को पोटली में बाँधकर उस पोटली को रात में पानी में डाल दें। इस पानी की 2-3 बूंदें आँखों में डालने से आँखों की सूजन तथा दर्द आदि रोग दूर होते हैं।

#- नेत्रसूजन व खुजली - यदि आँखों के ऊपर सूजन के साथ ही दर्द हो और अन्दर खुजली होती हो तो नीम के पत्ते तथा सोंठ को पीसकर थोड़ा सेंधा नमक मिला लें। इसे हल्का गर्म कर लें। एक कपड़े की पट्टी पर इसे रखकर आँखों पर बाँधें। 2-3 दिन में आँखों का यह रोग दूर हो जाता है। इस समय ठंडे पानी एवं ठंढ़ी हवा से आँखों को बचाना चाहिए। अच्छा होगा कि यह प्रयोग रात को करें।

#- आँखों की खुजली व जलन - आधा किलोग्राम नीम के पत्तों को मिट्टी के दो बर्तनों के बीच में रख कंडो की आग में डाल दें। ठण्डा होने पर अन्दर की राख को 100 मिली नींबू रस में मिलाकर सुखा लें। इसे किसी एयरटाइट (जिसमें हवा ना जा सके) बोतल में भर कर रख लें। इस राख को काजल की तरह आँखों में लगाने से आँखों की खुजली तथा जलन में लाभ होता है।

#- काजल - 50 ग्राम नीम के पतों को पानी के साथ महीन पीसकर टिकिया बनाकर सरसों के तेल में पकाएं। जब वह जलकर काली हो जाय तब उसे उसी तेल में मिलाकर उसमें दसवां भाग कपूर तथा दसवां हिस्सा कलमी शोरा मिला लें। इसे खूब घोंटकर कांच की शीशी में भर कर रख लें। इसे रात के समय आँख में काजल की तरह लगाएँ और सुबह त्रिफला के पानी से आँखों को धोएं। इससे आँखों की खुजली, जलन, लालिमा आदि दूर होती है और आँखों की रौशनी बढ़ती है।

#- आँख का सूर्मा - नीम की 20 कोंपलें, जस्ता भस्म 20 ग्राम, लौंग 6 नग, छोटी इलायची 6 नग और मिश्री 20 ग्राम को मिला लें। इसे खूब महीन पीस छानकर काजल बना लें। इसे सुबह-शाम सलाई से आँखों में सलाई द्वारा लगाने से आँखों का धुँध जाला व आँखों के सभी प्रकार के रोग दूर होते हैं तथा आँखों की रौशनी भी बढ़ती है।

#- काजल - दस ग्राम साफ रूई को फैला लें। इस पर नीम के 20 सूखे पत्ते या नीम का फूल 10 ग्राम बिछाकर एक ग्राम कपूर का चूर्ण छिड़क कर रूई को लपेट कर बत्ती बना लें। इस बत्ती को 10 ग्राम गाय के घी में भिगोकर, जला लें। इससे काजल बना लें। इस काजल को रात के समय आँखों में लगाने से पानी गिरना, लाली , नेत्रों का कसकसाना आदि आँखों के समस्त रोग दूर होते हैं। यह बच्चों के लिए और भी गुणकारी है।

# वमनी व सालक रोग - वमनी अथवा सलाक रोग में आँखों की पलकें मोटी हो जाती हैं, खुजली होती है, बरौनी झड़ जाती है तथा पलकों के किनारे लाल हो जाते हैं। इस रोग में नीम के पत्तों के रस को पका कर गाढ़ा कर लें। इसे ठंडा करके काजल के रूप में लगाते रहने से लाभ होता है।

#- मोतियाबिंद - नीम की बीज की मींगी का चूर्ण महीन करके सूर्मा बनाकर नित्य (1 या 2 सलाई) आँखों में सलाई द्वारा लगाने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।

#- आँख की फूली - नीम के फूलों को छाया में सुखाकर बराबर भाग कलमी शोरा मिलाकर महीन पीसकर कपड़े से छान लें। इसको आँखों में सूर्मा , काजल की तरह लगाने से आँख की फूली यानी मोतियाबिन्द, धुंध, जाला इत्यादि रोगों में लाभ होता है और आँखों की ज्योति बढ़ती है।

#- रतौंधी रोग - रतौंधी में नीम के कच्चे फल का दूध आँखों में काजल की तरह लगाएं। निश्चित लाभ होगा।


#- दातुन - अत्यंत

प्राचीन

काल

से

ही

नीम

दातुन

यानी

दाँतों

को

साफ

करने

के

लिए

नीम

की

दातुन

का

प्रयोग

होता

रहा

है।

नीम

की

दातुन

करने

से

दांत

संबंधित

रोग

नहीं

होते

हैं।


#- दंतविकारों - नीम

की

जड़

की

छाल

का

चूर्ण

50

ग्राम

,

सोना

गेरू

50

ग्राम

तथा

सेंधा

नमक

10

ग्राम

,

इन

तीनों

को

मिला

कर

खूब

महीन

पीस

लें।

इसे

नीम

के

पत्ते के

रस

में

भिगो

कर

छाया

में

सुखा

दें।

यह

एक

भावना

हुई।

ऐसी

ही

तीन

भावनायें

देकर

और

सुखाकर

शीशी

में

रख

लें।

इस

चूर्ण

से

दाँतों

को

मंजन

करने

से

दाँतों

से

खून

गिरना

,

पीव

निकलना

,

मुंह

में

छाले

पड़ना

,

मुंह

से

दुर्गन्ध

आना

,

जी

का

मिचलाना

आदि

रोग

दूर

होते

हैं।


#- दन्तविकार- 100

ग्राम

नीम

की

जड़

को

कूट

कर

आधा

लीटर

पानी

में

एक

चौथाई

शेष

रहने

तक

उबालें।

इस

पानी

से

कुल्ला

करने

से

दांतों

के

अनेक

रोग

दूर

होते

हैं।


 

#- टी. बी. रोग - नीम

के

तेल

की

4-4

बूँदों

को

कैप्सूल

में

भरकर

दिन

में

तीन

बार

सेवन

करने

से

टी

.

बी

.

जैसे

रोग

में

फायदा

मिलता

है।


 

#- दमा - 3-6

बूँद

शुद्ध

नीम

के

बीज

के

तेल

को

पान

में

डाल

कर

खाने

से

दम

फूलना

आदि

सांसों

के

रोगों

में

लाभ

होता

है।


 

#- पेट के कीड़े - नीम

की

छाल

,

इन्द्रजौ

और

वायबिडंग

को

बराबर

मात्रा

में

लेकर

चूर्ण

बना

लें।

इस

चूर्ण

की

1.5

ग्राम

मात्रा

में

चौथाई

ग्राम

भुनी

हींग

मिला

लें।

इस

मिश्रण

को

मधु

में

मिलाकर

दिन

में

2

बार

सेवन

करने

से

पेट

के

कीड़े

समाप्त

हो

जाते

हैं।


#- पेट के कीड़े - बैंगन या किसी और सब्जी के साथ नीम के 8-10 पत्तों को छौंक कर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

#- पेट के कीड़े - नीम के पत्तों का रस निगकालकर 5 मिली मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते है।

 



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