Monday, 15 March 2021

रामबाण :-15-:

रामबाण :-15-:

मृत्वत्सा दोष- बार-बार गर्भश्राव या गर्भपात होना अथवा जन्म के बाद ही कुछ ही दिनों में नवजात शिशु की मृत्यु हो जाये तो जन्म देने वाली माता को दोष दिया जाता है। स्त्रियों के गर्भ का यह दोष मृत्वत्सा दोष कहलाता है।

#- पितौजिया (जियापोता): पितौजिया (जियापोता) की गुठली की माला पहननी चाहिए। इसके पहनने से संतान जीवित रहती है, इसलिए इसको जिया पोता के नाम से भी जाना जाता है।

#- चिरचिटा (अपामार्ग): चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ के साथ लक्ष्मण की जड़ ग्रहण कर एक रंग वाली गाय (जिस गाय के बछड़े मरते हो) के दूध में पीसकर खाने से पुत्र की आयु बढ़ती है।

#- नींबू: नींबू के पुराने पेड़ की जड़ को पीसकरगाय के घी में मिलाकर खाने से भी संतान जीवित जन्म लेती है।

#- भांगरे: ऋतु स्नान (माहवारी समाप्ति) के बाद 7 दिनों तक भांगरे का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।

#- शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:: तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है

#- नपुंसकता:- तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।

#- मासिकधर्म - मासिक धर्म में अनियमियता:: जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है

#- त्रिदोषनाशक - तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम गाय के दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है .

#- स्वपनदोष - स्वपन दोषकारण दिन रात स्त्रियो के साथ सम्भोग के विषय में में सोचकर अपने आप को उत्तेजित रखना। हस्तमैथुन करके वीर्य नष्ट करते रहना। अश्लील वीडियो देखना। अधिक समय अकेले रहना। अधिक सम्भोग करना।गुदा मैथुन करना। वेश्याओं के साथ सैक्स करना।तला चिकना लाल मिर्च खट्टी चीजें अण्डा मांस शराब का ज्यादा सेवन करना।कब्ज रहने से इस तरह के रोग होते हैं।

#- स्वपनदोष - तालमखाने के 6 ग्राम चुर्ण को गाय के मीठे दुध के साथ लेने से स्वप्नदोष रूक जाता है।

#- स्वपनदोष - 10 ग्राम बबुल गोद को रात को आधा गिलास पानी में भीगोकर रखें सुबह मिस्री मिलाकर सुबह फ्रेस होने के बाद पिने से स्वप्नदोष नहीं होता है।तथा चन्द्र प्रभा वटी दो दो गोलि सुबह शाम खाने के बाद गाय के ताजे हल्के गर्म दूध से लेने से लाभ होता है।

#- स्वपनदोष - सौ ग्राम आमला चूर्ण में 20 ग्राम हल्दी का चूर्ण मिलाकर इसमें से आधे से पौना चम्मच दिन में दो बार ताजे पानी के साथ कोई भी दवा का प्रयोग कम से कम 3 महीने तक करें और आप भी स्वप्नदोष को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं इसको किसी भी दवाई से कभी बंद नहीं किया जा सकता केवल कम किया जा सकता है और यह पूरी तरह शादी के बाद ही बंद होता है
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#- नपुंसकता - उटंगन के बीज, जो चपटे और रोमाच्छादित होते हैं, पानी में भिगोनें पर काफी लुआबदार हो जाते हैं। इनको शतावरी, कौंच बीच चूर्ण आदि के साथ सुबह शाम मिस्री मिले गाय के गर्म - गर्म दूध के साथ सेवन करने से काफी लाभ होता है।

#- कामोत्जना वृद्धि - बहमन सफेद या बहमन सुर्ख की जड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह और शाम मिस्री को मिलाकर गाय के गर्म-गर्म दूध से खाने से कामोद्दीपन होता है।

#- पुरूषत्व - ब्रहमदण्डी का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह शाम शहद के साथ सुबह-शाम खाने से पुरुषत्व शक्ति बढ़ती है।

#- नपुंसकता - सालव मिस्री का कनद चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर होती है।

#- नामर्दी - हरमल के बीज का चूर्ण 2 से 4 ग्राम मिस्री को मिलाकर गाय के गर्म - गर्म दूध के साथ सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।

#- दौर्बल्य - आम की मंजरी 5 ग्राम की मात्रा में सुखाकर गाय के दूध के साथ लेने से काम शक्ति बढ़ती है।

#- बलकारक - 2 - 3 महीने आम का रस पीने से ताक़त आती है। शरीर की कमजोरी दूर होती है और शरीर मोटा होता है। इससे वात संस्थान (नर्वस सिस्टम) भी ठीक हो जाता है।

#- स्तम्भन - रोज़ मीठे अनार के 100 ग्राम दानों को दोपहर के समय खाने से संभोग शक्ति बढ़ाती है।

#- नपुंसकता - पिप्पली, उड़द, लाल चावल, जौ, गेहूं। सब को 100 - 100 ग्राम की मात्रा में लेकर आटा पीसकर फिर इसको गाय के देशी घी में पूरियां बनाकर, रोज़ 3 पूरियां 40 दिन तक खाऐं। ऊपर से गाय का दूध पी लें। इससे नपुंसकता दूर हो जाती है।

#- नपुंसकता - आंवलों का रस निकाल कर एक चम्मच आंवले के चूर्ण में मिलाकर लें। उसमें थोड़ी सी शक्कर (मिश्री ) और शहद मिलाकर गाय के घी के साथ सुबह-शाम खाऐं।

#- नपुंसकता - अरण्ड के बीज 5 ग्राम, पुराना गुड़ 10 ग्राम, तिल 5 ग्राम, बिनौले की गिरी 5 ग्राम, कूट 2 ग्राम, जायफल 2 ग्राम, जावित्री 2 ग्राम तथा अकरकरा 2 ग्राम। इन सबको कूट - पीसकर एक साफ कपड़े में रखकर, पोटली बना लें और इस पोटली को बकरी के दूध में उबालें। दूध जब अच्छी तरह पक जायें, तो इसे ठंड़ा करके 5 दिन तक पियें तथा पोटली से शिश्नि की सिंकाई करें।

#- मुलेठी, विदारीकन्द, तज, लौग, गोखरू, गिलोय और मूसली। सब चीजे 10 - 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण रोज 40 दिन तक गाय के दूध के साथ सेवन करें।

#- नपुंसकता - नागौरी असगंध और विधारा। दोनों 250 - 250 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चम्मच चूर्ण गाय के देसी घी या शहद के साथ लें।

#- नामर्दी - सालम मिस्री, तोदरी सफेद, कौंच के बीजों की मींगी, ताल मखाना, सखाली के बीज, सफेद काली मूसली, शतावर तथा बहमन लाल। इन सबका 10 - 10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट पीस लें और चूर्ण बना लें। 2 चम्मच रोज़ गाय के दूध से 40 दिन तक बराबर खाने से पूरा लाभ होता है।

#- वीर्यवर्धनार्थ - नारियल कामोत्तेजक है। वीर्य को गाढ़ा करता है।

#- नपुंसकता - 15 चिलगोजे रोज़ खाने से नपुंसकता दूर होती है।

#- दौर्बल्य - शहद और गाय के दूध को मिलाकर पीने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है। शरीर बलवान होता है।

#- नपुंसकता व बांझपन - अंकुरित गेहूंओं को बिना पकायें ही खाऐं। स्वाद के लिए गुड़ या किशमिश मिलाकर खा सकते हैं। इन अंकुरित गेहूंओं में विटामिन ´` मिलता है। यह नपुंसकता और बांझपन में लाभकारी है।

#- वीर्यवर्धनार्थ - पिस्ता में विटामिन `´ बहुत होता है। विटामिन `´ से वीर्य बढ़ता है।

#- लिंग लेप- सफेद कनेर की जड़ की छाल बारीक पीसकर भटकटैया के रस में खरल करके 21 दिन इन्द्री की सुपारी छोड़कर लेप करने से तेजी जाती है।

#- हस्तमैथुन के कारण लिंगदोष - किसी कपड़े को आक के दूध में चौबीस घंटे तक भिगोकर रखा रहने दें, उसके बाद निकालकर सुखा लें। फिर उस पर गाय का घी लपेट कर 2 बत्तियां बना लें और उसको लोहे की सलाई पर रखे। नीचे एक कांसे की थाली रख दे और बत्तियां जला दें, जो तेल नीचे थाली पर गिरेगा। उसे लिंग पर सुपारी छोड़ कर पूरे पर मलते रहें। आधा घंटे तक, उसके बाद एरण्ड का पत्ता लपेट कर ऊपर से कच्चा धागा बांध दें। इससे हस्तमैथुन का दोष दूर हो जाता है।

#- स्तम्भन - लौंग 8 ग्राम, जायफल 12 ग्राम, अफीम शुद्ध 16 ग्राम, कस्तूरी लगभग आधा ग्राम, इनको कूट पीसकर शहद में मिलाकर आधे आधे ग्राम की गोलियां बनाकर रख लें। 1 गोली बंगला पान में रखकर खाने से स्तम्भन होता है। अगर स्तम्भन ज्यादा हो जाऐ, तो खटाई खा ले। स्खलन हो जायेगा।

#- लिंग मालिश - चमेली के पत्तों का रस तिल के तेल की बराबर की मात्रा में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पानी उड़ जाए और केवल तेल शेष रह जाए, तो इस तेल की मालिश शिश्न पर सुबह - शाम प्रतिदिन करना चाहिए। इससे नपुंसकता और शीघ्रपतन नष्ट हो जाता है।

#- लिंग मालिश - ढाक की जड़ का काढ़ा आधा कप की मात्रा दिन में 2 बार पीने से, बीज का तेल शिश्न पर मुण्ड छोड़कर मालिश करते रहने से कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।

#- लिंग लेप - हींग को शहद के साथ पीसकर शिश्न या लिंग पर लेप करने से वीर्य ज्यादा देर तक रुकता है और संभोग करने में आंनद मिलता है।

#- नामर्दी - मालकांगनी के तेल को पान के पत्ते पर लगा कर रात में शिशन (लिंग) पर लपेटकर सो जाऐं और 2 ग्राम बीजों को गाय के दूध की खीर के साथ सुबह - शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।

#- छुआरों के अन्दर की गुठली निकाल कर उनमें आक का दूध भर दे, फिर इनके ऊपर आटा लपेट कर पकायें, ऊपर का आटा जल जाने पर छुआरों को पीसकर मटर जैसी गोलियां बना लें, रात्रि के समय 1 - 2 गोली खाकर तथा गाय का दूध पीने से स्तम्भन होता है।

#- नामर्दी- आक की छाया सूखी जड़ के 20 ग्राम चूर्ण को 500 मिली लीटर गाय के दूध में उबालकर दही जमाकर घी तैयार करें, इसके सेवन से नामर्दी दूर होती है।

#- लिंग मालिश - आक का दूध असली मधु और गाय का घी, समभाग 4 - 5 घंटे खरल कर शीशी में भरकर रख लें, इन्द्री की सीवन और सुपारी को बचाकर इसकी धीरे धीरे मालिश करें और ऊपर से खाने का पान और एरण्ड का पत्ता बांध दें, इस प्रकार सात दिन मालिश करें। फिर 15 दिन छोड़कर पुन: मालिश करने से शिश्न के समस्त रोंगों में लाभ होता है।

#- नपुंसकता- मुलहठी का पीसा हुआ चूर्ण 10 ग्राम, 10 ग्राम गाय का घी और 15 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से और ऊपर से मिस्री मिले गाय के गर्म गर्म दूध पीने से नपुंसकता में लाभ होता है।

#- नपुंसकता - जटामांसी, सोठ, जायफल और लौंग। सबको समान मात्रा में लेकर पीस लें। 1 - 1 चम्मच की मात्रा में सुबह सायं गाय के दूध के साथ खाऐं।

#- नपुंसकता- आधा चम्मच काकड़ासिंगी कोष का बारीक चूर्ण एक कप गाय के दूध के साथ सुबह - शाम सेवन कराते रहने से कुछ हफ्ते में नपुंसकता में पूरा लाभ मिलेगा।

#- नपुंसकता - कलौंजी: के तेल को शिश्न कमर पर नियमित रूप से सुबह - शाम कुछ हफ्तों तक मालिश करते रहने से यह नपुंसकता रोग दूर हो जायेगा।

#- नपुंसकता - कनेरसफेद की 10 ग्राम जड़ को पीसकर 20 ग्राम वनस्पति घी में पकायें। फिर ठंड़ा करके जमने पर इसे शिश्न पर सुबह - शाम लगाने से नपुंसकता में आराम मिलता है।

#- नपुंसकता - रोगी के लिंग पर पान के पत्ते बांधने से और पान के पत्ते पर मालकांगनी का तेल 10 बूंद लगाकर दिन में 2 से 3 बार कुछ दिन खाने से नपुंसकता दूर होती है। इस प्रयोग के दौरान गाय के दूध, घी का अधिक मात्रा में सेवन जारी रखें।

#- ध्वजभंग - ध्वज भंग रोग में पान को चबाने से और रोगी के लिंग पर बांधने से लाभ होता है।

#- लिंग मालिश -देशी कपूर–गाय के घी में कपूर को घिसकर शिशन (पेनिस) के ऊपर मालिश करें। प्रयोग रोज़ कुछ हफ्ते तक करने से लिंग दुर्बलता दूर होगी ।

#- यौन दुर्बलता - अजवाइन: तीन ग्राम अजवायन को सफेद प्याज़ के रस 10 मिली लीटर में तीन बार 10 - 10 ग्राम शक्कर मिलाकर सेवन करें। 21 दिन में पूर्ण लाभ होता है। इस प्रयोग से नपुंसकता, शीघ्रपतन शुक्राणु अल्पता के रोग में भी लाभ होता है।

#- इन्द्री शैथिल्यता - अकरकरा का बारीक चूर्ण शहद में मिलाकर शिश्न पर लेप करके रोजाना पान के पत्ते से लपेट रखने से शैथिल्यता दूर होकर वीर्य बढेगा।

#- लिगंगमर्दन - अकरकरा 2 ग्राम, जंगली प्याज़ 10 ग्राम इन दोनों को पीसकर लिंग पर मलने से इन्द्री कठोर हो जाती है। 11 या 21 दिन तक यह प्रयोग करना चाहिए।

#- नपुंसकता - सरसों का तेल: नपुंसकता दूर करने के लिए कटुपर्णी की एक ग्राम छाल तथा बरगद का दूध दोनों को गर्म कर चने के बराबर गोलियां बनाकर चौदह दिन तक गाय दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से नपुंसकता दूर होती है।

#- हस्तमैथुनार्थ नामर्दी - शोधित कुचला लगभग एक चौथाई से आधे ग्राम सुबह - शाम मिस्री मिले गाय के गर्म गर्म दूध के साथ पीने से हस्तमैथुन या ज्यादा मैथुन से हुई नामर्दी दूर हो जाती है।

#- नपुंसकता - कुलंजनएक कप गाय के दूध मे एक चम्मच कुलंजन के चूर्ण को मिलाकर सुबह शाम पिया जाए, तो नपुंसकता दूर होती है।

#- धात गिरना - कालेतिल और गोखरू गाय के दूध में उबालकर पीने से धातु स्राव बन्द हो जाता है और नामर्दी दूर हो जाती है।

#- पुरूषत्व - कालेतिल और अलसी का 100 मिली लीटर काढ़ा , स्वादानुसार मिश्री सुबह और शाम भोजन से पहले पिलाने से मर्दाना ताकत बढ़ती है।

#- पुरूषत्व - कालेतिल का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम रोजाना 2 बार गाय के दूध के खाने से पुरुषत्व (सहवास) शक्ति की बढ़ती है।

#- इन्द्रियशिथिलता - अश्वगंधा का कपड़े से छना चूर्ण और खांड़ को बराबर मात्रा मे मिलाकर रखें, इसको एक चम्मच गाय के ताजे दूध के साथ सुबह भोजन से 3 घण्टे पहले चुटकी चुटकी चूर्ण खायें और ऊपर से दूध पीते रहें। रात के समय इसके बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह घोंटकर लगाने से इन्द्रिय की शिथिलता दूर होकर कठोर और दृढ़ हो जाती है।

# लिंग मालिश - अश्वगंधा, दालचीनी और कडुवा कूठ समभाग कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5-10 ग्राम की मात्रा सुबह - शाम , सुपारी छोड़ शेष लिंग पर मलें, इसको मलने के पहले और बाद में लिंग को गर्म पानी से धो लें।

#- नपुसंकता - असगंध के चूर्ण में शहद, गाय के घी और मिस्री को मिलाकर सुबह के समय खाने से कुछ महीनो में ही नपुंसकता (नामर्दी) खत्म हो जाती है।

#- यौनरोग - तालमखाना (Talmakhana)-अधिकतर धान के खेतों में पाया जाने वाला तालमखाना लैटिन भाषा में एस्टरकैन्था-लोंगिफोलिया (Asteracantha Longifolia) कहलाता है। रोजाना सुबह और शाम लगभग 3-3 ग्राम तालमखाना के बीज गाय के दूध के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, शुक्राणुओं की कमी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।

#- नपुंसकता - गोखरू (Gokhru)-गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम गाय के दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है।

#- कामोत्तेजना वृद्धि - (Musli)-मूसली काली और सफेद दो तरह की होती है। सफेद मूसली काली मूसली से अधिक गुणकारी होती है और वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है। मूसली का 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह और शाम गाय के दूध के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और शरीर में काम-उत्तेजना की वृद्धि होती

#- वीर्यवर्धनार्थ - उड़द (Urad)- उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, गाय के दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है।

#- स्तम्भन - वीर्य तथा सेक्स क्षमता में वृद्धि के लिए-पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. गाय के दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें।

#- यौनदुर्बलता - तालमखाने के बीज, चोबचीनी, ढाक का गोंद और मोचरस (सभी 100-100 ग्राम) तथा 250 ग्राम मिश्री को कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच गाय के दूध की मलाई मिलाकर खाएं। इससे यौन रुपी कमजोरी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग दूर होते
हैं।


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