रामबाण :- 25 -:
#- दमनक का वानास्पतिक नाम Artemisia nilagirica (Clarke) Pamp. (आर्टिमिजिया निलगिरिका) Syn-Artemisia vulgaris auct. (non Linn.) होता है। इसका कुल Asteraceae (ऐस्टरेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Indian wormwood (इण्डियन वॅर्मवुड) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि दमनक और किन-किन नामों से जाना जाता है। दमनक प्रकृति से कड़वा, तीखा, कषाय, शीतल होता है। यह रूखा, तीखा, त्रिदोष यानि वात, कफ, और पित्त को कम करने वाला, गन्धित, ग्राही, स्तम्भक (Styptic), बलकारक तथा रसायन होता है। यह विष, कुष्ठ, कण्डू (खुजली), विस्फोट (Blister), आमदोष को हरने वाला होता है। इसके पत्ते कड़वे, सूजन कम करने वाले, घाव ठीक करने में मददगार, मूत्र संबंधी रोग, वाजीकारक (Libido), भूख बढ़ाने में सहायक, पाचन में सहायक, कृमि को खत्म करने वाला, बुखार के इलाज में लाभदायक तथा रक्त की कमी को पूरा करने में फायदेमंद होते हैं।इसकी जड़ बलकारक एवं पूयरोधी यानि एंटीसेप्टिक होती है।इसके फूल सांस संबंधी समस्या, खाँसी, सूजन, कुष्ठ, त्वचा रोग, मूत्रकृच्छ्र, दर्द, पेट की कृमि, बुखार तथा पाण्डु या पीलिया के इलाज में सहायक होते हैं।दमनक में पौष्टिकारक गुण होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-
#- कानदर्द - दमनक के पतों का रस कान दर्द से राहत पाने में दमनक का इस्तेमाल ज्यादा काम करता है। दमनक पत्ते के रस के 1-2 बूंद को कान में डालने से कान दर्द से राहत मिलती है।
#- बच्चों की खाँसी - अगर किसी भी तरह खांसी कम नहीं हो रही है तो 5-10 मिली दमनक के पत्ते का काढ़ा पिलाने से बच्चे की खांसी दूर होने में मदद मिलती है।
#- जलशोफ - 5-10 मिली दमनक पत्ते के रस का सेवन करने से जलशोफ में लाभ होता है, लेकिन सेवन का तरीका सही होना लाजमी होता है।
#- पेटदर्द - दमनक के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से का पेट दर्द को कम करने में असरदार तरीके से काम करता है।
#- पेट के कीड़े -दमनक का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से पेट की कृमियों तथा पेट दर्द से राहत पाने में मदद मिलती है।
#- पेटदर्द -दमनक के पत्ते के काढ़े में 1 ग्राम दालचीनी चूर्ण डालकर पिलाने से पेट दर्द दूर होता है।
#- उदररोग -दमनक के पौधे से बने काढ़े में 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से पेट संबंधी समस्या में लाभ मिलता है।
#- बदहजमी- अगर खान-पान में गड़बड़ी होने के कारण बदहजमी की समस्या कम नहीं हो रही है तो दमनक के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से जठराग्नि बढ़ती है।
#- आँतों के कीड़े - 10-20 मिली दमनक पत्ते के काढ़े में 65 मिग्रा हींग चूर्ण डालकर पिलाने से आंतों के कृमि मर जाते हैं। इससे कृमि होने की समस्या धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है।
#- यकृतविकार - अगर लीवर संबंधी बीमारियों से परेशान है तो दमनक का इस्तेमाल इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है, दमनक के तेल में शर्करा मिलाकर प्रयोग करने से पीलिया तथा अन्य यकृत्-विकारों में लाभ होता है।
#-यकृतविकार -दमनक के पत्तों को पीसकर पेट पर लगाने से यकृत्विकार का शमन होता है तथा पत्रों का काढ़ा बनाकर बफारा देने से भी यकृत् के विकारों का शमन होता है।
#- गर्भाशय दर्द - दमनक के वायवीय-भागों से बने चूर्ण (1 ग्राम) में सूखे आर्दक चूर्ण मिलाकर, काढ़ा बनाकर प्रयोग करने से गर्भाशय के दर्द से राहत पाने में लाभ होता है।
#- मासिक धर्म - फूल के आगे के भाग एवं पत्ते से बने फाण्ट (10-20 मिली) का सेवन करने से मासिक धर्म संबंधी बीमारियों तथा रजोनिवृत्तिजन्य (मेनोपॉज)-विकारों में लाभ होता है।
#- रक्तस्राव स्तम्भन - दमनक का औषधीय गुण का लाभ पाने के लिए इसके पत्तों को पीसकर लेप करने से रक्त का स्तम्भक और घाव जल्दी भरता है।
#- एलर्जी - अगर किसी बीमारी के कारण एलर्जी से परेशान हैं तो पौधे को पीसकर लेप करने से अनूर्जता में लाभ होता है।
#- शिशुरोग , कम्पवात - दमनक का अर्क कंपवात के असर को धीरे-धीरे कम करने में लाभदायक होता है। इसको बच्चों के सिर पर लगाने से राहत मिलती है।
#- ज्वर रोग - दमनक के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से ज्वर से राहत मिलने में आसानी होती है।
#- दौर्बल्य - 10 ग्राम पत्तो में 10 ग्राम शतावरी जड़ को मिलाकर उसका काढ़ा बनाएं और इस काढ़े को 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से शारीरिक बल बढ़ता है।
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