Sunday 13 July 2014

३-गौ-सहिंता- गौदुग्ध

३-गौ-सहिंता
..............
१.गौदुग्ध के प्रतिदिन सेवन करने वाले व्यकि्त को बुढापा नहीं सताता है वृद्धावस्था में होने वाली तकलीफो से मुक्ति मिल जाती है।

२.शारीरिक ,बौद्धिक श्रम की थकावट तारे, दूध के सेवन से राहत दिलाती है।

३.भोजन के पूर्व में छाती में दर्द या डाह होता है तो भोजन पश्चात गौदुग्ध केसेवन से दर्द/डाह शान्त हो जाता है।

४.वे व्यकि्त जो अत्यन्त तीखा,खट्टा,कड़वा,खारा,दाहजनक गर्मी करने वाला अौर विपरीत गुणोंवाले पदार्थ खाते है उनको सा़ंयकाल भोजनोपरांत गौदुग्ध का सेवन करना चाहिए,जिससे हानिकारक भोजन से होने वाली विकृतियाे का दुष्प्रभाव समाप्त हो जाता है

५.गौदुग्ध से तुरन्त वीर्यशिक्त उत्पन्न होती है,जबकि आवाज स्े वीर्यवर्धक पैदा होने में अनुमानत: एक माह का समय लगता है।माँस,अण्डे एंड अन्य दासी पदार्थों केसेवन से वीर्यवर्धक का नाश होता है जबकि गौदुग्ध से वृद्धि होती है ,लम्बी बीमारी से त्रस्त व्यकि्त को नवजीवन मिलता है।

६.गौदुग्ध शरीर में उत्पन्न होनेवाले जहर का नाश करता है।एलौपैथि दवाईया ,फर्टीलाईजर,रासायनिक खाद,कीटनाशक दवाईयाें आदि से वायु जल एंव अन्न के द्वारा शरीर में उत्पन्न होने वाले जहर को समाप्त करने की क्षमता केवल गौदुग्ध में ही है।

७.आयुर्वेद में गाय के ताजे निकाले दूध को अति उत्तम कहा गया है।

८.गाय के ताजे दूध को ब्रहममुर्हत में प्रात: ४बजे से ६बजे के बीच में खड़े रहकर प्रतिदिन नाक के द्वारा पीने से रात्रि अंधकार में भी देखा जा सकता है।

९.गाय के दूध से बनने वाले व्यंजन जैसे पैसे,बर्फी,छेड़, रसगूल्ला इत्यादि पौष्टिक स्वादिष्ट,बलवर्धक,वीर्यवर्धक एंव शरीर का तेज बढानेवाले होते है

१०.गौदुग्ध से बनने वाले व्यंजन लम्बे समय तक खराब नहीं होते जबकि भैंस एंव अन्य पशुओं के दूध से बनने वाले व्यंजन जल्दी खराब होते है


Sent from my iPad

No comments:

Post a Comment