Tuesday, 13 January 2015

(४१) - गौ - चिकित्सा. नज़र व झनका रोग ।

(४१) - गौ - चिकित्सा. नज़र व झनका रोग ।


१ - चटकाने ( झनका ) की बीमारी
===========================

कारण व लक्षण - यह बादी की बिमारी और नस की ख़राबी की वजह से हो जाती है । सुबह के समय पशु अपने पैर को बार - बार उठाता और ज़मीन पर रगड़ता है । इसको चटकाने की बीमारी कहते है । यह पिछले पैरों में होती है तथा कभी - कभी एक और कभी दोनों पैंरो में हो जाती हैं ।

१ - औषधि - अरहर ( तुहर ) ९६० ग्राम , पानी १९२० ग्राम , तुहर को पानी में डालकर उसे १० घन्टे भिगोकर पशु को खिलाया जाय । प्रतिदिन , सुबह - सायं उपर्युक्त मात्रा को एक खुराक में दें । उनाडू तुअर ( देर में होने वाली अरहर ) खिलाने से ज़्यादा फास होता है ।

२ - औषधि - तुअर की चूरी १४४० ग्राम , पानी ३ लीटर , तुअर की चूरी को पानी में १०-१२ घन्टे गलाकर सुबह - सायं दोनों समय उक्त मात्रा में खिलाना चाहिए । गर्मी की ऋतु में ८ घन्टे ही भिगोना चाहिए । भिगोते समय नमक ६० ग्राम मिला देना चाहिए । इसके बाद खिलाना चाहिए ।

---------------------- @ -----------------------


२ - पशुओं को नज़र लगना
======================

कारण व लक्षण - अच्छे स्वस्थ और ख़ूबसूरत पशुओ को अक्सर नज़र लग जाया करती है । अधिक दूध देनेवाले दूधारू पशु , अच्छे बछड़े इसके अधिक शिकार होते हैं । और पशु सुस्त रहता है । उसके कान ढीले पड़ जाते है । बच्चे दुध पीना छोड़ देते हैै और दूधारू पशु दूध नहीं देते और लात मारकर अलग हो जाते है । कभी - कभी दूध में ख़ून भी आने लगता है ।
१ - औषधि - सुन्दर बेल १२० ग्राम , रोटी के साथ दोनों समय ,अच्छा होने तक दोनों समय देना चाहिए ।

टोटका -:-

१ - औषधि - बहेड़ा का फल १५ नग लेकर उसमें छेद करके धागे में पिरोकर रोगी पशु के गले में बाँध देना चाहिए । बच्चे, पशु को नज़र लग जाने के कारण वे फल अपने - आप फूट जायेंगे । जितने फल फूट जायँ ,उतने ही फल फिर बाँध देने चाहिए ।

२ - औषधि - पत्थरचटा पाषाण भेद ९ ग्राम लेकर रोगी पशु को ,दोनों समय धूनी दी जाय ।पशु अवश्य ठीक होगा

३ - औषधि - पत्थर पर का कोष्ठा १ नग , मीठा तैल ५ ग्राम , कोष्ठे को तैल में भिगोकर आग पर रखकर पशु के चारों और धूनी देने से ठीक होगा ।

४ - औषधि - मड़सिग ( संगमरमर ) वृक्ष की डाली का एक खूँटा बनाकर घर में गाड़कर उससे रोगी पशु को बाँधा जाय ।

५ - औषधि - बजरंग बली की मूर्ति के बायें हाथ की ओर से थोड़ा मली सिन्दुर लेकर आग पर रखकर , रोगी पशु के चारों ओर दो दिन तक धूनी देनी चाहिए ।





Sent from my iPad

No comments:

Post a Comment