Monday, 5 April 2021

रामबाण :- 31 -:

रामबाण :- 31 -:


#- तृष्णा - अधिक प्यास लगती है, तो धनिया के पानी में मधु, और मिश्री मिलाकर पीने से पित्त के कारण लगने वाली प्यास मिटती है।

#- शिरोभ्रम - इसी तरह, 175 ग्राम धनिया के पेस्ट को, 1 लीटर पानी में मिला लें। इसे रात भर छोड़ कर सुबह छान लें। इसमें 100 ग्राम मिश्री, तथा 100 ग्राम मधु मिला लें। इसे 10-15 मिली की मात्रा में पीने से लाभ होता है। हरा धनिया के फायदे इस बीमारी में  बहुत काम आता है।

#- प्यास व जलन - इसके अलावा, 10-20 मिली धनिए के काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से प्यास, और जलन शांत होती है।

#- तृष्णा - 175 ग्राम धनिया कल्क को 1 लीटर जल में मिलाकर रात भर छोड़कर सुबह छानकर जल में 100 ग्राम मिश्री तथा 100 ग्राम मधु मिलाकर 10-15 मिलीग्राम मात्रा में पीने से अथवा 10-20 मिलीग्राम धनिये के क्वाथ में शर्करा मिलाकर पीने से तृष्णा तथा दाह का शमन होकर स्रोतों का शोधन होता है।

#- गला सुखना व प्यास - बराबर-बराबर मात्रा में धनिया (dhania), आंवला, वासा, मुनक्का तथा पित्तपापड़ा लें। इनका चूर्ण बना लें। 25 ग्राम चूर्ण को 200 मिली पानी में रात भर भिगो दें। इसे सुबह-शाम छानकर, मिश्री मिला लें। इसे पीने से प्यास मिटती है, और मुंह के सूखने की परेशानी में लाभ होता है

#- बच्चो की खाँसी - बच्चों को खांसी होने पर चावलों के पानी में, 10-20 ग्राम धनिया को घोंट लें। इसमें चीनी मिलाकर सुबह, दोपहर, तथा शाम को पिलाना है। इससे बच्चों की खांसी, और दमे में लाभ होता है। 

#-बुखार व बवासीर - अदरक का रस 10 मिली, गुड़ 10 ग्राम, धनिया 5 ग्राम, अजवायन 5 ग्राम लें। इनके साथ ही, काला जीरा 5 ग्राम, दालचीनी 5 ग्राम, इलायची, तथा मोथा 5-5 ग्राम लें। इनका गाढ़ा काढ़ा बना लें। काढ़ा की 2-4 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे खांसी, बुखार, बवासीर, टीबी आदि बीमारी में लाभ होता है। 

#- भूख बढ़ाने हेतू - रात भर पानी से भिगोए हुए धनिया के बीजों को, छिलका रहित होने तक अच्छी तरह धो लें। इन बीजों (coriander seeds) को सुखाकर, भून लें। इसमें मरिच, हल्दी, सेंधा नमक, तथा नींबू के रस को मिला लें। इसे थोड़ी मात्रा में लेकर चबाने से भूख बढ़ती है।

#- उदर विकार - धनिया से बने काढ़ा का सेवन करने से आंतों के रोग में लाभ मिलता है। धनिया के सूखे फलों से बने काढ़ा का सेवन करने से पित्तज-विकार, कंठ की जलन, उल्टी में लाभ मिलता है। 

#- बदहजमी - धनिया से बने काढ़ा को गाय के दूध, एवं चीनी मिला लें। इसे पीने से पाचनतंत्र के विकार में फायदा होता है।

#- पाचनतन्त्र ठीक रखने हेतू - धनिया, लौंग, सोंठ, तथा निशोथ को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे गर्म पानी के साथ 2-2 ग्राम, सुबह-शाम सेवन करें। इससे पाचन-शक्ति ठीक रहती है।

#- पाचनतंत्र दुरुस्त - धनिया, तथा सोंठ से बने 20 मिली काढ़ा में एरंड मूल का चूर्ण (1 ग्राम) मिला लें। इसे दिन में दो बार पिलाने से भोजन ठीक से पचता है।

#- पाचनतंत्र दुरुस्त - बराबर-बराबर मात्रा में धनिया, और सोंठ का काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मिली मात्रा में सुबह-शाम पीने से पाचन-शक्ति बढ़ जाती है।

#- आमाजीर्ण और शूल - धनिया और सोंठ का क्वाथ पीने से शूल और आमाजीर्ण का शमन होता है तथा बस्ति का शोधन होता है।

#- पेट गैस - पेट में गैस होने पर 10-15 मिली धनिया तेल का सेवन करने से आराम मिलता है।

#- अपच - धनिया, और सोंठ का काढ़ा पीने से पेट दर्द, और अनपच ठीक होती है। 

#- अरूचि - रातभर भिगोये हुए धनिया के बीजों को , छिलका रहित होने तक धोकर , फिर भूनकर, कालीमिर्च , हल्दी, सैंधानमक तथा नींबू स्वरस मिलाकर थोड़ा- थोड़ा चबाने से अरूचि में लाभ होता है।

#- गर्मी से होने वाला पेटदर्द- पेट दर्द में 2 ग्राम धनिया चूर्ण (dhaniya powder)को, 5 ग्राम मिश्री के साथ मिला लें। इसे दिन में दो-तीन बार देने से गर्मी से होने वाले पेट दर्द में लाभ होता है।

#- बच्चों का पेटदर्द - 5 ग्राम धनिया को 100 मिली पानी में रात में भिगो लें। इसे सुबह मसलकर, छानकर रखें। इस पानी को बच्चों को पिलाने से पेट दर्द में लाभ होता है।

#- पेटदर्द - 10-20 मिली धनिया का जूस (coriander juice) को 10 मिली सिरके में मिलाकर लगाने से पेट दर्द ठीक हो जाता

#- क़ब्ज़ - 120 मिली पानी को मिट्टी के बरतन में डालकर, रात भर रहने दें। सुबह इसे छानकर, 13 ग्राम खांड डाल लें। इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से कब्ज में लाभ मिलता है।

#- आँख रोग - 20 ग्राम धनिया को कूटकर, एक गिलास पानी में उबाल लें। इस पानी को कपड़े से छान लें। इसे एक-एक बूंद आंखों में डालने से आंख के रोग जैसे- आंखों में होने वाली दर्द, आंखों से पानी बहने की परेशानी में फायदा होता है।

#- आँखों का दर्द - धनिया का जूस को बकरी के दूध में मिला लें। इसे आंख में एक-एक बूंद डालने सेआंखों का दर्द ठीक हो जाता है।

#- आँखदर्द - धनिया बीज, और जौ को बराबर-बराबर लेकर पीस लें। इसका गाढ़ा लेप बना लें। इसे आंखों पर बांधने से आंख के दर्द ठीक हो जाते हैं।

#- आखदर्द - धनिया के 20-25 ग्राम ताजे पत्तों को पीस लें। इसमें चने का आटा मिलाकर लेप करने से आंखों के दर्द ठीक होते हैं।

#- आँखों मे जलन - आंखों में जलन होने पर धनिया के पत्तों की चटनी बनाकर खाने से आराम मिलता है। 

#- आँखों की सूजन व दर्द- 20 ग्राम धनिया को 400 मिली पानी में उबालें। जब यह एक चौथाई बचे, तो इससे आंखों को धोएं। इससे आंख की सूजन, और दर्द में फायदा होता है।

#- आँखरोग - 10-20 ग्राम धनिया, या इसकी 20-30 हरी पत्तियों को पीस लें। इससे चेहरे पर लगाने से आंखों के रोग में लाभ होता है।

#- नकसीर - धनिया के 20 ग्राम पत्तों को पीस लें। इसमें थोड़ा-सा कपूर मिला लें। इसे 1-2 बूंद नाक में डालने से, और सिर पर मलने से, नाक से खून बहना (नकसीर) बंद हो जाता है ।

#- मुखदुर्गन्ध - धनिया को नियमित रूप से चबाएं। इससे सांसों से आने वाली बदबू मिटती है। 

#- सिरदर्द - बराबर-बराबर मात्रा में धनिया, और आंवला को रात भर पानी में भिगोकर, सुबह पीसें, और छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से गर्मी से होने वाले सिर दर्द में आराम मिलता है। 

#- सिरदर्द - धनिया का गाढ़ा काढ़ा बना लें। इसे 6 ग्राम की मात्रा में रोज सेवन करें। इससे सिर दर्द में आराम होता है। 

#- कण्ठमाला - कंठ के रोग में 10-20 ग्राम धनिया को पीसकर, जौ के सत्तू में मिलाकर कंठ पर लगाएं। इससे कंठ के रोग ठीक हो जाते हैं।

#- कण्ठदर्द - धनिया के 5-10 ग्राम बीजों को दिन में दो-तीन बार चबाने से कंठ का दर्द ठीक हो जाता है। 

#- गंज, पालित्य - गंजेपन की समस्या के इलाज के लिए धनिया के 100 ग्राम चूर्ण (dhaniya powder)को, 100 मिली सिरका के साथ पीसकर, सिर पर लेप करें। इससे गंजेपन में लाभ होता है। 

#- पित्ति उछलना - त्वचा रोग, जैसे- शरीर में पित्ती उछलने पर, धनिया के पत्तों के रस (coriander juice) को शहद के साथ मिलाकर लगाना चाहिए। 

#- उल्टियाँ - हरा धनिया को अम्ल द्रव्य, और नमक के साथ पीस लें। इसे थोड़ी-थोड़ी देर पर खाने से उल्टी रुक जाती है। 

#- गर्भवती को उल्टियाँ - हरा धनिया के 30-40 मिली काढ़े में, 10 ग्राम मिश्री, और चावल का पानी 20 मिली मिला लें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से गर्भवती महिलाओं को होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।

#- गर्भवती की उल्टियाँ - धनिया, सोंठ, तथा नागरमोथा को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। 10-30 मिली काढ़ा में मिश्री मिलाकर, गर्भवती स्त्री को पिलाने से उल्टी ठीक हो जाती है। इससे अन्य लोगों को भी लाभ मिलता है।

#- दस्त - दस्त में फायदे के लिए 10 ग्राम भुना हुआ धनिया खाएं। इससे दस्त में लाभ होता है।

#- दस्त - इसी तरह, बराबर-बराबर मात्रा में धनिया, अतिविषा, कर्कटश्रृंगी, तथा गजपिप्पली से चूर्ण बना लें। इस चूर्म को 1/2-1 ग्राम मात्रा में लेकर, मधु मिलाकर सेवन करें। इससेबच्चों की उल्टी, और दस्त पर रोक लगती है।

#- दस्त - धान्यपञ्चक (धनिया, सोंठ, नारगमोथा, सुगन्धवाला, बेल का गुदा) से बने काढ़ा का सेवन करने से दस्त में लाभ होता है।

#- दस्त - दस्त में जलन, तथा प्यास लगने पर धनिया, तथा सुगन्धबाला का काढ़ा बना लें। 20-40 मिली काढ़ा को ठंडे जल के साथ पीना चाहिए। प्यास के साथ-साथ दर्द अधिक हो, तो धनिया, तथा सोंठ का काढ़ा पीने से लाभ (dhania benefits in hindi)होता है। 

#- पेचिश - पेचिश में 20 ग्राम धनिया को एक गिलास पानी में भिगोकर पीस छान लें। इसे सुबह पिएं। 

#- दस्त - धान्यक आदि द्रव्यों से बने धान्यक चतुष्क काढ़ा (15-20 मिली) का सेवन करें। इससे पित्त विकार के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है। 

#- रक्तातिसार , ख़ूनी पेचिश - 20 ग्राम धनिया पावडर को एक गिलास पानी में भिगोकर मिश्री मिलाकर प्रात: सायं पीने से रक्तातिसार बन्द होता है।

#- अतिसार - अतिसार रोग में दाह, प्यास लगने पर धनिया तथा सुगन्धवाला से निर्मित 20-40 मिलीग्राम क्वाथ को शीतल करके पीना चाहिए तथा तृष्णा के साथ शूल की अधिकता हो तो धनिया तथा सोंठ का क्वाथ पीने से लाभ होता है।

#- अतिसार - 10 ग्राम भूना धनिया खाने से अतिसार में शीघ्र लाभ होता है।

#- अतिसार - 4 लीटर जल तथा 250 ग्राम धनिया कल्क से यथाविधि सिद्ध किए हुए दो गुना गौघृत को मात्रानुसार सेवन करने से पित्तातिसार ( पित्त बढ़ने के कारण लगने वाले दस्त ) में दीपन- पाचन होकर अतिसार का शमन होता है।

#- योनिरोग - योनि से असामान्य रक्तस्राव हो रहा हो, तो 10-20 मिली धनिया काढ़ा को दिन में दो-तीन बार पिलाने से मेनोरेजिया में लाभ होता है। 

#- मूत्ररोग - मूत्र रोग में 10 ग्राम हरा धनिया, तथा 10 ग्राम गोक्षुर के फलों को 400 मिली पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई बचे तो 20-30 मिली काढ़ा में घी मिलाकर सुबह-शाम पिलाएं। इससे मूत्र रोग में लाभ (dhaniya ke fayde) होता है। 

#- अर्श - बवासीर में लाभ के लिए 10-20 ग्राम धनिया के बीजों को, एक गिलास पानी, और 10 ग्राम मिश्री के साथ उबालकर पिलाएं। इससे बवासीर से बहने वाला खून रुक जाता है।

#- अर्श - इसी तरह हरड़, गिलोय, तथा धनिया को समान मात्रा में लेकर चार गुने पानी में उबालें। जब यह एक चौथाई बच जाए, तो गुड़ डालकर सेवन करने से बवासीर में लाभ (dhaniya ke fayde)होता है। 

#- संधिदर्द - जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो 6 ग्राम धनिया के चूर्ण में, 10 ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाएं। इससे जोड़ों के दर्द में फायदा होता है। 

#- बुखार - पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में 10 ग्राम धनिया, और 10 ग्राम चावल को रात भर भिगो दें। इस काढ़ा को 30 मिली मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से बुखार में लाभ (dhaniya ke fayde)होता है। धनिया के औषधीय गुण बुखार के  लक्षणों से राहत दिलाने में फायदेमंद (dhania benefits in hindi)होता है। 

#- त्रिदोषहर - नियमित रूप से आधा चम्मच धनिया चबाने से तीनों दोषों का शमन करता है क्योंकि यह त्रिदोषहर होता है।

#- रक्तपित्त शामक - एक चम्मच धनियां को रात मे भिगोकर प्रतिदिन ख़ाली पेट लेने से रक्तपित्त शान्त होता है।

#- मस्तिष्कवर्धक - एक चम्मच धनिया मे मिश्री मिलाकर प्रात : काल सेवन करने से मस्तिष्क बढ़ता है याददाश्त अच्छी होती है।

#- व्रण - धनिया के पत्ते पीसकर चोट या घाव पर लगाने से वेदना को हर लेते है तथा सूजन का शमन करते है।

#- बाजीकरण - धनिया के बीज चूर्ण मे मिश्री मिलाकर, धनिया के बीज उष्ण प्रकृति के होने कारण एक चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से यह बाजीकारक, बलकारक होते है।

#- अध्मान , अफारा - 10-15 मिलीग्राम धनियां तैल का सेवन करने से अफारा में तुरन्त लाभ होता है।

#- अध्मान व रक्तार्श - धनिया से निर्मित क्वाथ में गौदुग्ध एवं मिश्री मिलाकर पीने से अध्मान , अजीर्ण, रक्तार्श में अतिशय लाभ होता है।

#- पित्तज्वर जन्य अन्तर्दाह - 20 ग्राम धनिया को 120 मिलीग्राम जल में डालकर एक मिट्टी के बर्तन में डालकर रातभर पड़ा रहने दे , प्रातःकाल शीतकषाय को छानकर 13 ग्राम खाँड़ डालकर थोड़ा- थोड़ा पीने से पित्तजन्य अन्तर्दाह का शमन होता है। यह अत्यन्त तृष्णा और बिबन्ध में भी लाभकारी होता है।

# कामशक्ति व मासिकधर्म - धनिया के पत्तों को व बीजों को अधिकमात्रा में सेवन करने से मनुष्य की कामशक्ति कम होती है , मासिकधर्म रूक जाता है और दमे की बिमारी को बढ़ाता है।

#- दर्पनाशक - इसके दर्प का नाश करने के लिए , शहद और दालचीनी का प्रयोग करना चाहिए ।


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