रामबाण :-35-:
#- तनाव, सिरदर्द - तनाव के परेशान रहने के कारण सिर के दर्द से परेशान रहते हैं तो धमासा के पत्तों को पीसकर माथे पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है।
#- गले की सूजन - धमासा पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुखपाक (Stomatitis), गले के दर्द तथा अन्य मुँह संबंधी समस्याओं में लाभ होता है। इसके अलावा धमासा पञ्चाङ्ग को पीसकर गले में लगाने से गले की सूजन से आराम मिलता है।
#
-
खाँसी
- देवदारु
,
शटी
,
रास्ना
,
कर्कट
शृंगी
तथा
धमासा
के
समान
भाग
में
चूर्ण
(1-2
ग्राम
)
में
मधु
तथा
तिल
तेल
मिलाकर
सेवन
करने
से
वातदोषयुक्त
कफज
कास
से
आराम
मिलता
है।
#- फुफ्फुस रोग - धमासा के रस को गन्ने के रस के साथ उबालकर, उसका अवलेह बनाकर सेवन करने से फुफ्फुस रोगों में लाभ होता है।
#- हिक्का रोग - अगर आप अक्सर हिक्के के कष्ट से परेशान रहते हैं तो 10-30 मिली धमासा काढ़े में शहद मिलाकर पिलाने से हिक्का से आराम मिलता है।
#- छर्दि - 1-2 ग्राम धमासा चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से कफज छर्दि में लाभ होता है। इससे बलगम के कारण जो उल्टी होने लगती है उससे आराम मिलता है।
#- कुष्ठ , मधुमेह - दुरालभा चूर्ण का सेवन करने से ग्रहणी, खून की कमी, कुष्ठ, प्रमेह या डायबिटीज, रक्तपित्त (कान, नाक के खून बहने की बीमारी) तथा कफज संबंधी बीमारी से आराम मिलने तथा स्वर एवं वर्ण की वृद्धि होती है।
#- उदावर्त - बड़ी आँत के समस्या से परेशान हैं तो 5 मिली धमासा पत्ते के रस को पीने से उदावर्त या बड़ी आँत के समस्याओं से राहत मिलने में आसानी होती है।
#- ज्वरयुक्त
अतिसार
- धमासा
के
साथ
समान
मात्रा
में
मुनक्का
मिलाकर
,
काढ़ा
बनाकर
10-20
मिली
काढ़े
का
सेवन
करने
से
दस्त
होने
के
साथ
अगर
बुखार
हुआ
है
,
उससे
जल्दी
राहत
पाने
में
आसानी
होती
है।
#- मूत्राघात
- अगर
पेशाब
करते
वक्त
आपको
परेशानी
होती
है
और
वह
रूक
-
रूक
कर
आती
है
तो
धमासा
का
सेवन
इसके
इलाज
में
लाभप्रद
होता
है।
#
-
मूत्रकृच्छ्र
-
धमासा
रस
से
पकाए
हुए
दूध
में
घी
मिलाकर
सेवन
करने
से
मूत्रकृच्छ्र
या
मूत्र
संबंधी
समस्याओं
में
लाभ
होता
है।
#- विद्रधि या अल्सर - धमासा पञ्चाङ्ग को पीसकर लगाने से विद्रधि, व्रण या घाव, मसूरिका या चेचक तथा गले की गांठों के इलाज में मदद मिलती है।
#-व्रण - धमासा के रस को घाव पर लगाने से घाव में पाक नहीं होता तथा घाव शीघ्र भर जाता है।
#- व्रण का पीब -धमासे का काढ़ा बनाकर व्रण को धोने से घाव में पूय या पीव नहीं बनती तथा घाव जल्दी भर जाता है।
#- पामा या खुजली - आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा संबंधी समस्या होना आम बात हो गया है। धमासा तने की छाल को पीसकर लगाने से पामा में लाभ होता है।
#- श्वेतकुष्ठ - कुष्ठ के लक्षण ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है तो धमासा पत्ते को पीसकर लगाने से रोमकूप के सूजन तथा श्वेत कुष्ठ के इलाज में लाभकारी होता है।
#- भ्रम रोग -10-20 मिली धमासा काढ़े में 5 मिली गौघृत मिलाकर सेवन करने से भ्रम के इलाज में मदद मिलती है।
#- रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहना) - समान मात्रा में धमासा, पर्पट, कमल-नाल तथा चन्दन से बने (1-2 ग्राम) पेस्ट का सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
#- बार-बार बुखार हो जाता है - तो धमासा पञ्चांग क्वाथ 10-20 मिलीग्राम का इस्तेमाल इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है।
#- पित्तज रोग -धमासा के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पीने से बुखार तथा पित्तज संबंधी समस्याओं से आराम मिलता है।
#- बुखार - 10-30 मिलीग्राम -धमासा से बने काढ़े में जल मिलाकर स्नान करने से बुखार से आराम मिलता है।
#- सभी प्रकार के बुखार -गिलोय, सोंठ, नीम छाल, अडूसा पञ्चाङ्ग, कुटकी, हरड़, पोहकर मूल, भृंगराज तथा धमासा का समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़े में शहद मिलाकर पीने से सभी प्रकार के बुखार से आराम मिलता है।
#- शोथ - सूजन के कष्ट को दूर करने के लिए धमासा को गाय के दूध में पकाकर प्रभावित स्थान पर लेप करने से सूजन से आराम मिलता है।
#- सर्पदंश - धमासा पञ्चाङ्ग के पेस्ट को सांप के काटे हुए जगह पर लगाने से सांप के विषाक्त प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
#- रक्तशोक, अर्शोध्न - धमासा पञ्चांग चूर्ण 2 ग्राम प्रतिदिन लेने से रक्त साफ होकर बवासीर में लाभ होता है।
#- मोह, मद, भ्रम - धमासा स्वरस 5-10 ग्राम प्रातःकाल ख़ाली पेट पीने से मोह, भ्रम, मद को शान्त करता है।
Sent from my iPhone
No comments:
Post a Comment