रामबाण योग :- 47 -:
#- बकायन - इसकी जड़ तीक्ष्ण, तिक्त, स्तम्भक, तापजनक, वेदनाहर, विशोधक, क्षतिविरोहक, पूयरोधी होती है। इसके पत्ते तिक्त, स्तम्भक होते हैं। इसकी जड़ की छाल प्रदाहनाशक और विषरोधी होती है। इसके बीज तिक्त, कफनिसारक, कृमिघ्न एवं वाजीकारक होते हैं। इसका बीज का तेल विरेचक, कृमिघ्न, विशोधक, शीघ्रपाकी एवं बलकारक होता है।
#- आँख रोग, काजल - बकायन के एक किग्रा हरे ताजे पत्तों को पानी से धोकर अच्छी प्रकार से कूट-पीसकर रस निकाल लें। रस को पत्थर के खरल में घोटकर सुखा लें। इसे दोबारा 1 से 2 बार खरल करें। खरल करते समय 3 ग्राम तक भीमसेनी कपूर मिला दें। इसको सुबह और शाम आंखों में काजल की तरह लगाने से मोतियाबिन्दु और आंखों की अन्य बीमारियों जैसे आंखों से पानी बहने, लालिमा, आंखों में खुजली होने और अंधेपन की बीमारी में लाभ होता है।
#- आँखें फुलना - महानिम्ब के फलों की छोटे टुकड़े को आंखों पर बाँधने से पित्तज दोष के कारण होने वाली बीमारी में लाभ होता है।बकायन के फलों को पीसकर छोटी टिकिया बना लें। इसे आंखों पर बाँधते रहने से आंखों के फूलने की समस्या ठीक होती है।
#- प्रसूतिकाल का दर्द - प्रसूति काल में गर्भाशय में दर्द और मस्तक के दर्द हो तो बकायन के पत्तों और फूलों को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे सिर और पेड़ू पर बाँधने से लाभ होता है।
#- सिर के फोड़े व जूएँ - बकायन के फूलों और पत्तों को पीसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं। बकायन के फूलों के 50 मिली रस को सिर पर लगाने से त्वचा, सिर और मुंह पर फोड़े होने की समस्या में फायदा होता है।
#- गण्डमाला, कुष्ठ - 5 ग्राम महानिम्ब की छाल को छाया में सूखा लें। इसमें 5 ग्राम पत्ते को कूटकर 500 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो इससे गले पर लेप करें। इससे गंडमाला और कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
#- मुँह के छालें - बकायन की छाल और सफेद कत्था को 10-10 ग्राम की मात्रा में लें। इनका चूर्ण बनाकर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
#- मुखरोग - 20 ग्राम महानीम की छाल को जला लें। इसे 10 ग्राम सफेद कत्थे के साथ पीसकर मुंह के अंदर लगाने से लाभ होता है।
#- श्वासनली की सूजन - महानीम की जड़ और पत्तों का काढ़ा बना लें। काढ़ा को 15-30 मिली मात्रा में पिलाने से खांसी और सांस की नली की सूजन ठीक होती है।
#- पेटदर्द - पेट दर्द होने पर महानीम के औषधीय गुण से फायदा होता है। आप 3-5 ग्राम पत्तों का काढ़ा बना लें। इसमें 2 ग्राम शुंठी का चूर्ण मिलाकर पिलाने से पेट दर्द ठीक होता है।
#- पेड के कीड़े - महानीम के 50 ग्राम ताजी छाल को कूटकर, 300 मिली जल में मिला लें। इसका काढ़ा बनाएं। जब पानी एक चौथाई बच जाए तो इसे बच्चों को एक बड़ा चम्मच सुबह और शाम पिलाएं। इससे आंतों के कीड़े खत्म होते हैं।
#- पेट के कीड़े - 20 ग्राम बकायन की छाल को 2 लीटर पानी में उबालें। 750 मिली पानी शेष रहने पर थोड़ा गुड़ मिला लें। इसे तीन दिन तक 20-50 मिली की मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
#- पेट के कीड़े - 20 मिली बकायन के पत्ते के काढ़ा को सुबह-शाम पिलाएं। इससे भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
#- पित्त की थैली की पथरी - महानीम के 5 मिली पत्ते के रस में 500 मिग्रा यवक्षार मिला लें। इसे पीने से गालब्लैडर स्टोन की बीमारी में फायदा होता है। गालब्लैडर की पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है।
#- मधुमेह - महानीम के एक या दो बीजों की गिरी को चावल के पानी के साथ पीस लें। इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाकर सेवन करं। इससे डायबिटीज पर नियंत्रण पाने में सफलता मिलती है।
#- बवासीर - महानीम के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज किया जा सकता है। आप बकायन के सूखे बीजों को कूट लें। इसे लगभग 2 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करें। इससे खूनी और बादी तरह के बवासीर में बहुत लाभ होता है।
#- बवासीर - महानीम के बीजों की गिरी और सौंफ को समान मात्रा में पीस लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। 2 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
#- बवासीर - बकायन के जमीन पर गिरे हुए पके फलों के अन्दर के 8-10 बीजों को जल के साथ पीस लें। इसकी 50 मिग्रा की गोलियां बनाकर छाया में सूखाकर रख लें। सुबह और शाम एक-एक गोली बासी जल के साथ सेवन करें। इसके साथ ही 1-2 गोली गुड़ के शरबत में घिसकर मस्सों पर लेप करें। इससे बवासीर का उपचार होता है।
#- ख़ूनी बवासीर - बकायन के बीजों की गिरी में समान-भाग एलुआ व हरड़ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को कुकरौंधा के रस के साथ घोटकर 250-250 मिग्रा की गोलियां बना लें।इसे सुबह और शाम 2-2 गोली जल के साथ लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। इससे रक्तस्राव बंद हो जाता है, और कब्ज दूर होता है।
#- गर्भाशय व मासिक विकार - 5 मिली महानिम्ब के पत्ते के रस को पिलाने से गर्भाशय और मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभ होता है।
#- गर्भाशय की सफ़ाई - बकायन के 10 मिली पत्ते के रस में 3 मिली अकरकरा का रस मिला लें। इसे सुबह-शाम खाली पेट पिलाने से गर्भाशय साफ होता है।
#- गर्भाशय विकार - महानीम के 10 मिली पत्ते के रस में 3 मिली अकरकरा चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम खाली पेट पिलाने से गर्भाशय संबंधी विकार ठीक होता है।
#- मासिकधर्म विकार - 6 मिली महानीम के फूलों के रस में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह के समय चाटने से मासिक धर्म विकार ठीक होता है।
#- मासिकधर्म विकार - 10-20 मिली बकायन की छाल का काढ़ा पीने से मासिक धर्म खुलकर होने लग जाता है।
#- ल्युकोरिया - बकायन के बीज और सफेद चन्दन को बराबर भाग में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में बूरा मिला लें। इसे 6 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
#- गठिया - गठिया में महानीम के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। आप इसके लिए महानीम के बीज लें। इसे सरसों के साथ पीस लें। इसे गठिया वाले अंग पर लेप करें। इससे गठिया में तुरन्त लाभ होता है।
#- सायटिका रोग - 10 ग्राम बकायन की जड़ की छाल लें। इसे सुबह और शाम जल में पीस-छानकर पिएं। इससे सायटिका की गंभीर बीमारी में भी लाभ होता है।
#- त्वचारोग - बकायन के 10-20 फूलों को पीसकर लेप लगाने से त्वचा के फोड़े, पुंसी और खुजली आदि रोगों में लाभ होता है।
#- घाव - घाव के इलाज में महानीम के औषधीय गुण से फायदा होता है। आप घाव के उपचार के लिए महानीम के पत्ते लें। इसका रस निकालकर घाव को धोएँ। इससे लाभ होता है।
#- घाव, चोट - त्वचा पर फोड़ा, चोट, और घाव हो तो बकायन के 8-10 पत्तों का पेस्ट बना लें। इससे लेप करना लाभकारी होता है।
#- घाव - बकायन के पत्तों का काढ़ा बना लें। इससे घाव को धोने से घाव ठीक होता है।
#- सूजन - शरीर के किसी भी अंग में सूजन हो तो महानीम के फायदे ले सकते हैं। इसके लिए महानीम के 10-20 पत्तों को पीस लें। इसे सूजन वाले अंग पर लगाकर पट्टी बांध दें। इससे सूजन कम होता है।
#- त्वचा के कीड़े - 50 मिली सिरका में महानीम के 8-10 सूखे फल चूर्ण को मिलाकर पेस्ट बना लें। इससे त्वचा पर लेप करने से त्वचा के कीड़े खत्म होते हैं।
#- त्वचा के कीड़े - बकायन के 8-10 सूखे फलों को 50 मिली सिरके में पीस लें। इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा पर कीड़े लगने वाली बीमारी में लाभ होता है।
#- फोड़े , फुन्सियां - बकायन के फूलों के रस का लेप करने से खुजली, त्वचा पर होने वाले फोड़े, और पस वाले फोड़े ठीक होते हैं।
#- बकायन को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः- बीज का चूर्ण-1 से 3 ग्राम, छाल- 6 से 12 ग्राम , छाल का काढ़ा- 50-100 मिली , पत्ते का रस- 5 से 10 मिली , पत्ते का चूर्ण- 2 से 4 ग्राम ।
#- महानिम्ब का प्रयोग अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। इसके अधिक प्रयोग से विषाक्त लक्षण उत्पन्न होते हैं।यह लिवर संबंधी नुकसान व आमाशय संबंधी नुकसान तथा बीमारी होने की स्थिति में मंजीठ और जावित्री का इस्तेमाल करें।
Sent from my iPhone
No comments:
Post a Comment