Monday 15 March 2021

रामबाण:-14-:

रामबाण:-14-:


परिचय: जो व्यक्ति यौन संबन्ध नहीं बना पाता या जल्द ही शिथिल हो जाता है, वह नपुंसकता का रोगी होता है। इसका सम्बंध सीधे जननेन्द्रिय से होता है। इस रोग में रोगी अपनी यह परेशानी, किसी दूसरे को नहीं बता पाता या सही उपचार नहीं करा पाता, मगर जब वह पत्नी को संभोग के दौरान पूरी सन्तुष्टि नहीं दे पाता, तो रोगी की पत्नी को पता चल ही जाता है कि वह नंपुसकता के शिकार हैं। इससे पति-पत्नी के बीच में लड़ाई-झगड़े होते हैं और कई तरह के पारिवारिक मन मुटाव हो जाते हैं। बात यहां तक भी बढ़ जाती है कि आखिरी में उन्हें अलग होना पड़ता है।

कुछ लोग शारीरिक रूप से नपुंसक नहीं होते, लेकिन कुछ प्रचलित अंधविश्वासों के चक्कर में फसकर, सेक्स के शिकार होकर मानसिक रूप से नपुंसक हो जाते हैं। मानसिक नपुंसकता के रोगी अपनी पत्नी के पास जाने से डर जाते हैं। सहवास भी नहीं कर पाते और मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है।

कारण: नपुंसकता के दो कारण होते हैं। शारीरिक और मानसिक। चिन्ता और तनाव से ज्यादा घिरे रहने से मानसिक रोग होता है। नपुंसकता शरीर की कमजोरी के कारण होती है। ज्यादा मेहनत करने वाले व्यक्ति को जब पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता, तो कमजोरी बढ़ती जाती है और नपुंसकता पैदा हो सकती है। हस्तमैथुन, ज्यादा काम-वासना में लगे रहने वाले नवयुवक नपुंसक के शिकार होते हैं। ऐसे नवयुवकों की सहवास की इच्छा कम हो जाती है।

लक्षण: मैथुन के योग्य ना रहना, नपुंसकता का मुख्य लक्षण है। थोड़े समय के लिए कामोत्तेजना होना, या थोड़े समय के लिए ही लिंगोत्थान होना, इसका दूसरा लक्षण है। मैथुन अथवा बहुमैथुन के कारण उत्पन्न ध्वजभंग नपुंसकता में शिशन पतला, टेढ़ा और छोटा भी हो जाता है। अधिक अमचूर खाने से धातु दुर्बल होकर नपुंसकता जाती है।

#- नपुंसकता से परेशान रोगी को औषधियों खाने के साथ कुछ और बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे सुबह शाम किसी पार्क में घूमना चाहिए, खुले मैदान में, किसी नदी या झील के किनारे घूमना चाहिए। सुबह सूर्य उगने से पहले घूमना ज्यादा लाभदायक है। सुबह साफ पानी और हवा शरीर में पहुंचकर शक्ति और स्फूर्ति पैदा करती है। इससे खून भी साफ होता है।

#- नपुंसकता के रोगी को अपने खाने (आहार) पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। आहार में पौष्टिक खाद्य पदार्थों में गाय का घी, दूध, मक्खन के साथ सलाद भी ज़रूर खाना चाहिए। फ़ल और फ़लों के रस के सेवन से शारीरिक क्षमता बढ़ती है। नपुंसकता की चिकित्सा के चलते रोगी को अश्लील वातावरण और फिल्मों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इसका मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इससे बुरे सपने भी आते हैं, जिसमें वीर्यस्खलन होता है।


#- शीघ्रपतन - ईसबगोल की भूसी 5 ग्राम और मिश्री 5 ग्राम दोनों को रोज सुबह के समय खायें और ऊपर से गाय का दूध पी लें। इससे शीध्रपतन की विकृति खत्म होती है।

#- नामर्दी- ईसबगोल की भूसी और बड़े गोखरू का चूर्ण 20-20 ग्राम तथा छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण 5 ग्राम इन सबका चूर्ण बनाकर रोज 2 चम्मच गाय के दूध के साथ लें।


#- नपुंसकता- सफेद प्याज़ का रस 8 मिलीलीटर, अदरक का रस 6 मिलीलीटर और शहद 4 ग्राम, गाय का घी 3 ग्राम मिलाकर 6 हफ्ते खाने से नपुंसकता खत्म हो जाती है।

#- नामर्दी- सफेद प्याज़ को कूटकर दो लीटर रस निकाल लें। इसमें 1 किलो शुद्ध शहद मिलाकर धीमी आग पर पकायें, जब सिर्फ शहद ही बच कर रह जाए, तो आग से उतार लें और उसमें आधा किलो सफेद मूसली का चूर्ण मिलाकर चीनी या शीशे के बर्तन में भर दें। 10 से 20 ग्राम तक दवा सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खाने से नामर्दी मिट जाती है।

#- धातुक्षीणता - जामुन की गुठली का चूर्ण रोज गाय के गर्म दूध के साथ खाने से धातु (वीर्य) का खत्म होना बन्द हो जाता है।

#- नपुंसकता - छुहारे को गाय के दूध में देर तक उबालकर खाने से और उसी दूध को पीने से नपुंसकता खत्म होती है।

#- नपुसंकता - रात को पानी में दो छुहारे और 5 ग्राम किशमिश भिगो दें। सुबह को पानी से निकालकर दोनों मेवे को गाय के दूध के साथ खायें।

#- धातुक्षीणता - बादाम की गिरी, मिश्री, सौंठ और काली मिर्च कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर, कुछ हफ्ते खाने से और ऊपर से गाय का दूध पीने से धातु (वीर्य) का खत्म होना बन्द होता है।

#- जननांग रोग- बादाम को गर्म पानी में रात में भींगने दें। सुबह थोड़ी देर तक पकाकर पेय बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर रोज़ पीऐं, इससे मूत्रजनेन्द्रिय संस्थान के सारे रोग खत्म हो जाते हैं।

#- स्तम्भन - रोज गाजर का रस 200 मिलीलीटर पीने से मैथुन शक्ति (संभोग) बढ़ती है।

#- स्तम्भन - गाजर का हलवा, रोज़ 100 ग्राम खाने से सेक्स की क्षमता बढ़ती है।

#- नपुंसकता- कौंच के बीज के चूर्ण में तालमखाना और मिश्री का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर 3-3 ग्राम की मात्रा में खाने और गौदुग्ध के साथ पीने से नपुंसकता (नामर्दी) ख़त्म होती है।

#- नपुसंकता- कौंच के बीजों की गिरी तथा ताल मखाने के बीज। दोनों को 25 - 25 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर छान लें, फिर इसमें 50 ग्राम मिस्री मिला लें। इसमें 2 चम्मच चूर्ण रोज़ गौदूग्ध के साथ खाने से लाभ होता है।

#- मैथुनशक्ति- गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला सभी बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज़ मिस्री और गाय के घी के साथ खाने से प्रबल मैथुन शक्ति विकसित होती है।

#- धातुक्षीणता - जायफल का चूर्ण लगभग आधा ग्राम शाम को गाय के दूध के साथ खाने से 6 हफ्ते में ही धातु (वीर्य) की कमी और मैथुन में कमजोरी दूर होगी।

#- जायफल का चूर्ण एक चौथाई चम्मच मधु मिलाकर सुबह - शाम गाय के दूध के साथ खाऐं और जायफल तेल सरसों के तेल में मिलाकर शिश्न (लिंग) पर मलें।

#- दुर्बलता- बेल के पत्तों का रस 20 मिली लीटर निकालकर, उसमें सफेद जीरे का चूर्ण 5 ग्राम, मिस्री का चूर्ण 10 ग्राम के साथ खाने और गाय के दूध पीने से शरीर की कमजोरी ख़त्म होती है।

#- शिशन रोग- बेल के पत्तों का रस लेकर, उसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर शिशन पर 40 दिन तक लेप करने से नपुंसकता में लाभ होगा।

#- स्तम्भन - सफेद मूसली और मिस्री, बराबर मिलाकर, पीसकर चूर्ण बना कर रखें और चूर्ण बनाकर 5 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खाने से शरीर की शक्ति और खोई हुई मैथुन शक्ति, वापस मिल जाती है।

#- कामशक्ति - सफेद मूसली 250 ग्राम बारीक चूर्ण बना लें। उसे 2 लीटर गाय के दूध में मिलाकर खोया बना लें। फिर 250 ग्राम गाय के घी में डालकर इस खोए को भून लें। ठंडा हो जाने पर आधा किलो पीसकर शक्कर (मिश्री) मिलाकर पलेट या थाली में जमा लें। सुबह -शाम 20 ग्राम खाने से काम शक्ति बढ़ती है।

#- नपुंसकता- सफेद मूसली, सतावर, असगंध 50 - 50 ग्राम कूट छान कर, 10 ग्राम दवा सोते समय 250 मिली लीटर, गाय के कम गर्म दूध में खांड़ के संग मिलाकर लें।

#- कामशक्तिवर्धनार्थ- सफेद मूसली 20 ग्राम, ताल मखाने के बीज 200 ग्राम और गोखरू 200 ग्राम। तीनों को पीसकर चूर्ण बनाकर रखें, फिर इसमें से 5 ग्राम चूर्ण गाय के दूध के साथ खायें।

#- नपुसंकता - सफेद मूसली और मिस्री, बराबर मात्रा में कूट पीसकर चूर्ण बनाकर 6 ग्राम की मात्रा गाय के दूध से खाने से नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है।

#- नपुसंकता- भीगे चने सुबह - शाम चबाकर खाने से ऊपर से बादाम की गिरी के साथ गाय का दूध पीने से, मैथुन शक्ति बढ़ती है और नंपुसकता ख़त्म होती है।

#- नपुसंकता - शतावर को गाय के दूध में देर तक उबाल कर मिस्री मिला लें और उस दूध को पीने से ही कुछ महीनों में नपुंसकता (नामर्दी) ख़त्म हो जाती है।

#- नपुसंकता - शतावर, असगंध, एला, कुलंजन और वंशलोचन का चूर्ण बनाकर रखें। 3 ग्राम चूर्ण में 6 ग्राम शक्कर को मिलाकर खाने से और फिर ऊपर से गाय का दूध पीने से कुछ महीनों में नपुंसकता (नामर्दी) ख़त्म होती है।

#- नपुसंकता - शतावर और असगन्ध के 4 ग्राम चूर्ण को गाय के दूध में उबाल कर पीने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।

#- दुर्बलता - शतावर का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम को मिश्री मिले गाय के दूध में, सुबह - शाम डालकर पीऐं, इससे नपुंसकता दूर होती है। शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।

#- मैथुनशक्ति - सेमल के पेड़ की छाल के 20 मिली लीटर रस में मिस्री मिलाकर, पीने से शरीर में वीर्य और मैथुन शक्ति बढ़ती है।

#- बाजीकरण- 10-10 ग्राम सेमल के चूर्ण और मिश्री को 250 ग्राम गाय के दूध के साथ घोट कर सुबह-शाम लेने से बाजीकरण यानी संभोग शक्ति ठीक होती है और नपुंसकता भी दूर हो जाती है

#- स्तम्भन - बड़ी गोखरू का फांट या घोल सुबह-शाम लेने से काम शक्ति यानी संभोग की वृद्धि दूर होती है। 250 मिलीलीटर को खुराक के रूप में सुबह और शाम सेवन करें तथा रात मे सोते समय गाय का दूध पीने से सम्भोगकाल में वृद्धि होती है।

#- नपुंसकता - बड़ा गोखरू और काले तिल, इन दोनों को 14 ग्राम की मात्रा में कूट-पीस लें। फिर इस को 1 किलो गाय के दूध में पकाकर खोआ बना लें। यह एक मात्रा है। इस खोयें को खाकर ऊपर से 250 मिली लीटर गाय के निकाले दूध के साथ पी लें। 40 दिन तक इसको खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है।

#- कामोत्तेजना- 25 ग्राम बड़ी गोखरू के फल का चूर्ण, 250 ग्राम गाय के दूध में ालकर उबालकर रखें, इसमें से थोड़ा-थोड़ा बार-बार पिलाने से कामोत्तेजना बढ़ती है।

#- कामोत्तेजना - बड़ी गोखरू के फल का चूर्ण 2 ग्राम को मिश्री और गाय के घी के साथ सेवन करें तथा ऊपर से मिस्री मिले गाय के दूध का सेवन करने से कामोत्तेजना बढ़ती है।

#- हस्तमैथुन के कारण दौर्बल्य- हस्तमैथुन की बुरी लत से पैदा हुई नपुंसकता को दूर करने के लिए 1-1 चम्मच, गोखरू के फ़ल का चूर्ण और काले तिल को शहद में मिलाकर सुबह- सायं गाय के दूध से नियमित रूप से कुछ हफ्तों तक सेवन करें। इससे नपुंसकता में लाभ होता है।

#- वीर्यक्षीणता - गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली, सफेद सेमर की कोमल जड़, आंवला, गिलोय का सत और मिस्री, बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम से लगभग 20 ग्राम तक चूर्ण गाय के दूध के साथ खाने से नपुंसकता और वीर्य की कमजोरी दूर होती है।

#- नपुंसकता- गोखरू को 3 बार गाय के दूध में उबालकर तीनों बार सुखाकर चूर्ण बनाकर मिश्री पावडर मिलाकर खाने से नपुंसकता दूर होती है।

#- नपुंसकता - गोखरू का चूर्ण और कालेतिल बराबर मिलाकर बकरी के दूध में पकाकर शहद में मिला लें और खायें। इससे अनेक प्रकार की नपुंसकता ख़त्म होती है।

#- नपुंसकता - देशी गोखरू 150 ग्राम पीसकर छान लें। इसे 5 - 5 ग्राम सुबह - शाम शहद में मिलाकर चाटने तथा एक गिलास गाय के दूध के साथ पीने से नपुंसकता (नामर्दी) में लाभ मिलता है।

#- नपुंसकता - गोखरू, तालमखाना, शतावर, कौंच के बीजों की गिरी, बड़ी खिरेंटी तथा गंगरेन इन सबको 100 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा में रात के समय फांककर ऊपर से गाय का गरम दूध पियें। 60 दिनों तक रोज़ खाने से वीर्य बढ़ता है और नपुंसकता दूर होती है।

#- मैथुनशक्ति - विदारीकन्द के चूर्ण को गाय के घी, दूध और गूलर के रस के साथ खाने से प्रौढ़ पुरुष भी नवयुवकों की तरह मैथुन शक्ति प्राप्त कर सकता है।

#- नपुंसकता- 5 ग्राम विदारीकन्द को पीसकर लुगदी बना लें। इसे खाकर ऊपर से 5 ग्राम गाय का देशी घी और मिस्री मिलाकर, गाय के दूध के साथ पियें। यह बल और वीर्य को बढ़ाता है तथा इससे नपुंसकता दूर होती है।

#- नपुसंकता- सूखे सिंघाड़े को कूट पीसकर गाय के घी और मिश्री के साथ हलवा बनाकर खाने से कुछ ही हफ्ते में नपुंसकता ख़त्म हो जाती ै।

#- नपुसंकता - तरबूज़ के बीजों की गिरी 6 ग्राम, मिस्री 6 ग्राम मिलाकर, चबाकर खाने से और ऊपर से गायें का दूध पीने से शरीर में शक्ति विकसित होने से नपुंसकता (नामर्दी) ख़त्म होती है।

#- वीर्यस्तम्भनशक्ति - गेंदे के बीज 4 ग्राम और मिस्री 4 ग्राम को पीसकर, गाय के दूध के साथ कुछ दिनों तक खाने से वीर्य स्तंभन शक्ति का विकास होता है।

#- धातु- वीर्यपुष्टता - कैथ के सूखे पत्तों का चूर्ण 6 ग्राम रोज़ खाकर ऊपर से मिस्री मिलाकर, गाय का दूध पीने से धातु (वीर्य) बढ़ता है।

#- मैथुनशक्ति- उड़द की दाल 40 ग्राम को पीसकर शहद और गाय के घी में मिलाकर खाने से पुरुष कुछ दिनों में ही मैथुन (संभोग) करने के लायक बन जाता है।

#- उड़द की दाल , गाय का घी व मिश्री के थोड़े से लड्डू बना लें। उसमें से 2-2 लड्डू खायें और ऊपर से गाय का दूध पी लें। इससे नपुंसकता दूर होती है।

#-वीर्यपुष्टता - इमली के बीजों को भून लें, फिर उनके छिलके अलग करके, उनका चूर्ण बनाकर रोज़ 3 ग्राम चूर्ण मिस्री में मिलाकर गाय के दूध के साथ खाने से वीर्य शक्ति बढ़ने लगती है और नपुंसकता दूर हो जाती है।

#- शीघ्रपतन - तुलसी की जड़ और ज़मीकन्द को पान में रखकर खाने से शीघ्रपतन की विकृति खत्म होती है।

#- धातु दुर्बलता में तुलसी के बीज 1 ग्राम गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।

#- नामर्दी - तुलसी के बीज या तुलसी की जड़ के चूर्ण में पुराना गुड़ समान मात्रा में मिलाकर 3-3 ग्राम की गोली बना लें। इसकी 1-1 गोली सुबह-शाम गाय के ताजे दूध के साथ लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।

#- नपुंसकता- तुलसी की मंजरी या जड़ के 1 से 3 ग्राम बारीक चूर्ण में गुड़ मिलाकर गाय के ताजे दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है।

#- लिंग लेप - गंधक और शहद को पीसकर लेप बना लें। इस लेप को शिश्न (लिंग) पर लेप करें। इससे वीर्य स्तंभन शक्ति में वृद्धि होती है।

#- नपुंसकता - काली मूसली का पाक गाय के घी बनाकर खाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

#- नपुंसकता - काली मूसली 10 ग्राम की मात्रा तथा स्वादानुसार मिश्री मिलाकर गाय के दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

#- नपुंसकता - काली मूसली की जड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम मिस्री मिले, गाय के हल्के गर्म दूध के साथ खाने से नपुंसकता में कुछ हद तक लाभ होता है।

#- कामोत्जना - काले तिल, सोंठ, पीपल, मिर्च, भारंगी और गुड़ समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े को 21 दिनों तक पीने से शरीर की गर्मी बढ़ती है।

#- नपुंसकता - जावित्री डेढ़ ग्राम, जायफल 10 ग्राम, बड़ी इलायची 10 ग्राम और अफीम आधा ग्राम को मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके 2 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर सर्दियों में लगभग एक महीने तक रात्रि खाने से नपुंसकता मिट जाती है।

#- नपुंसकता - ग्वारपाठे का गूदा और गेहूं का आटा बराबर मात्रा में लेकर गाय का घी मिला लें। फिर इसके दुगुने वज़न के बराबर शक्कर ( मिश्री ) लेकर हलुआ बनाकर खाने से 7 दिन में नपुंसकता दूर होती है।


#- नामर्दी - अगर का चोया, पान में मिलाकर खाने से नामर्दी में लाभ होता है।

#- नपुसंकता - गाय का घी : सहवास से 1 घण्टा पहले शिश्न पर लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग घी की मालिश करने से नपुंसकता नहीं रहती है।

#- नपुंसकता - मालकांगनी के तेल की 10 बूंदे नागबेल के पान पर लगाकर खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है।
नोट : औषधि खाने के साथ गाय के दूध और घी का प्रयोग ज्यादा करें।

#- नपुंसकता - मांलकांगनी के बीजों को गाय के दूध से खीर बनाते समय उसमें मिलाकर खीर पकायें तथा खीर में मिश्री मिलाकर खाने से नपुंसकता मिट जाती है।

#- नपुंसकता - मालकांगनी के दाने 50 ग्राम और 25 ग्राम शक्कर (शुगर) को आधा किलो गाय के दूध में डालकर आग पर चढ़ा दें। जब दूध का खोया बन जाए, तब उतारकर मोटी - मोटी गोली बनाकर रख लें और रोज़ 1 - 1 गोली सुबह - शाम गाय के दूध के साथ खायें। इससे नपुंसकता दूर होती है।

#- नपुंसकता - बड़ी कटेरी की 25 ग्राम ताजी जड़ की छाल को गाय के दूध में उबालकर पीने से नपुंसकता मिट जाती है।
नोट : खटाई और बादीयुक्त समान ना खाऐं।

#- नामर्दी - कलौंजी का तेल और जैतून का तेल को बराबर मात्रा मिलाकर 4 ग्राम तैल व 250 ग्राम गाय के दूध में पीने से नामर्दी मिट जाती है।

#- स्तम्भन - जदवार 2 ग्राम को गाय के दूध के खाने से काम शक्ति (संभोग) बढ़ती है।

#- लिंग मालिश - जवासीद की गोंद को अकरकरा के साथ पीसकर तिल के तेल में मिलाकर लिंग पर लेप करने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।

#- नपुंसकता - धतूरे के बीज, अकरकरा और लौंग बराबर मात्रा में पीसकर चने के बराबर गोलियां बनाकर रोज सुबह-शाम 1-1 गोली का सेवन करें।

#- नपुंसकता - बहेड़े का चूर्ण 6 ग्राम, 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर रोज़ खाने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर हो जाती है।

#- नपुंसकता - महुए के 25 ग्राम फूलों को 250 मिली लीटर गाय को दूध में उबालकर पीने से कमजोरी की नपुंसकता (नामर्दी) मिट जाती है।

#- नपुंसकता - सेमर की छोटी जड़ों को छाया में सुखाकर पका दें। पकाने के बाद इसकी जड़ों को खाने से नपुसंकता (नामर्दी) दूर होती है।

#- लिंग का टेढ़ापन - सुहागा, कूट और मैनसिल को बराबर मिलाकर चूर्ण बनाकर चमेली के रस और तिल के तेल में पकाकर लिंग पर मलें। इससे लिंग का टेढ़ापन दूर होता है।

#-नपुंसकता - गोरखमुण्डी 75 ग्राम कूट छानकर इसमें 75 ग्राम खांड़ मिला लें। 10 ग्राम दवा सोते समय गर्म गर्म खांड़ मिले गाय के दूध के साथ लें।

#- नामर्दी - गोरखमुण्डी के फूलों के चूर्ण को नीम के रस के साथ लेने से नपुंसकता (नामर्दी) में लाभ होता है।

#- कामशक्तिवर्धनार्थ - लगभग 2 ग्राम कुलिंजन के चूर्ण को 10 ग्राम शहद में मिलाकर खाने से और ऊपर से गाय के दूध में शहद को मिलाकर पीने से काम शक्ति बढ़ती है।

#- कामशक्तिवर्धनार्थ - 10 ग्राम असगन्ध नागौरी के बारीक चूर्ण को गाय के 500 मिली लीटरगाय के दूध में उबालें। जब 400 मिली लीटर दूध रह जाऐ, तब उसमें शहद मिलाकर 40 दिन तक पिऐं। इससे काम शक्ति बढ़ती है।

#- नपुंसकता - दालचीनी 75 ग्राम कूटकर छान लें। 5 ग्राम को पानी में पीसकर सोते समय लिंग पर सुपारी (लिंग का अगला हिस्से) को छोड़कर लेप करें और 2 - 2 ग्राम को सुबह - शाम गाय के दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता (नामर्दी) में आराम मिलता है।

#- नामर्दी - सेम्भल ,सीम्बल की जड़ 100 ग्राम कूट छानकर 5 - 5 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम प्रयोग करने से नपुंसकता (नामर्दी) में आराम मिलता है।

#- नामर्दी - मल्ल सिंदूर एक ग्राम का चौथा भाग, शहद और अदरक के रस को सुबह-शाम लें। इससे हस्तमैथुन से हुई नामर्दी दूर हो जाती है।

#- कामशक्ति - हल्दी और कपूर 10 - 10 ग्राम पीस लें, फिर 5 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लेना चाहिए।

#- स्तम्भन - चनसूर 10 ग्राम को गाय के दूध में उबालकर मिस्री के साथ सुबह-शाम खाऐं। इससे संभोग की शक्ति बढ़ जाती है।

#- कामशक्ति - कुलिजंन को मुंह में रखकर चूसते रहने से भी काम शक्ति में वृद्धि होती है।

#- नपुंसकता - जंगली उशवा के चूर्ण में 10 ग्राम का काढ़ा बनाकर रोज़ 1 मात्रा पीते रहने से नपुंसकता दूर होती है।

#- दौर्बल्य - छोटी माई की दाल का चूर्ण 5 ग्राम से 10 ग्राम का काढ़ा बनाकर तैयार कर रोज़ 2 बार सेवन करने से लाभ होता है।

#- शारीरिक पुषटता - पटुओक (सन) के बीज का तेल खाने कें काम में आता है। जिससे शरीर हुष्ट पुष्ट होता है, कामोत्तेजना बढ़ती है। इस तेल की मालिश से चोट मोच का दर्द भी जल्दी ठीक होता है।

#- नपुंसकता - नपुंसकता और कामशक्ति में कमजोरी आने पर 60 ग्राम लहसुन की कली को गाय के घी में तलकर रोजाना खाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

#- कामोत्जना - लहसुन की एक पुतिया घी में भूनकर शहद मे साथ खाने से कामोत्तेजना बढ़ती है।

#- नपुंसकता - रोज़ लगभग 20 दिन तक 4 - 5 लहसुन की कलियां गाय के दूध के साथ खाने से नपुंसकता में लाभ होता है।

#- नपुंसकता - प्याज़ के रस में गाय का घी और शहद मिला कर खाने से नपुंसकता दूर होती है। प्याज़ का रस 10 से 20 मिली लीटर रोज सुबह - शाम लें।

#- कामोत्जना - प्याज़ के हिस्से का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम मिस्री मिले, गाय के दूध के साथ सुबह-शाम प्रयोग करने से कामोत्तेजना की वृद्धि होती है।

#- लिंग लेप - जबाद कस्तूरी शिश्न यानी लिंग पर लेप करने से संभोग करने में ज्यादा आनन्द मिलता है। मगर इससे गर्भधारण नहीं होता है।

#- नपुंसकता - अगर का पुराना सेंट 1 से 2 बूंद को पान में डालकर खाने से बाजीकरण होता है और नपुंसकता दूर होती है।

#- बाजीकरण - छोटी इलायची: बाजीकरण के लिए छोटी इलायची का चूर्ण लगभग आधे से दो ग्राम तक सुबह - शाम खाऐं या मिस्री मिले गाय के गर्म - गर्म दूध के साथ रोज़ रात को सोने से पहले खाऐं।

#- नपुंसकता - केवटी मोथा के बीज 10 ग्राम पीसकर, मिस्री मिले गर्म गाय के दूध के साथ रोज़ शाम को पीने से नपुंसकता दूर हो जाती है।

#- कामोत्तेजना - फरहद: सफेद फूल वाले फरहद की जड़ पीसकर 5 से 10 ग्राम को गाय के ठंडे दूध के साथ सुबह शाम पिलाने से कामोत्तेजना बढ़ती है।

#- नपुंसकता - (मुनगा): सहजना के फूलों को गाय के दूध में उबाल कर रोज़ रात को मिस्री मिलाकर पीने से नपुंसकता की बीमारी दूर होकर लाभ होता है।

#- वीर्यदोष - गुंजा (करजनी) की जड़ 2 ग्राम गाय के दूध में पकाकर भोजन से पहले रोज़ रात में खाने से पूरा लाभ होता है। वीर्य सम्बन्धी समस्त दोष दूर होते हैं।

#- नपुंसकता - केवांच (कपिकच्छू) के बीजों के बीच का हिस्सा का चूर्ण 2 से 6 ग्राम रोज़ रात को सोते समय मिस्री मिले गाय के गर्म दूध के साथ पीने से लाभदायक होता है।

#- नपुंसकता- अतिबला के बीज 4 से 8 ग्राम सुबह शाम मिस्री मिले गाय के गर्म दूध के साथ खाने से नपुंसकता में पूरा लाभ होता है।

#- वीर्यवर्धनार्थ - पटेरा (एरफा) के फूल 3 से 6 ग्राम को घोंटकर पीसकर सुबह - शाम मिस्री मिले गाय के दूध के साथ खाने से वीर्य बढ़ता है।

#- लिंग मालिश - जमालगोटा के तेल को लिंग के ऊपर लगाने से लाभ मिलता है।

#- नपुंसकता - नपुंसकता को दूर करने के लियें तालमखाना के बीज का चूर्ण, 2 से 4 ग्राम केवाचं के बीज के साथ मिस्री मिले ताजे निकाले गाय के दूध के साथ सुबह - शाम पीने से लाभ होता है।

#- नपुंसकता - भंगरैया के बीज मिस्री मिले गाय के गर्म दूध में डालकर दूध सेवन करने से नपुंसकता दूर होती है।

#- कामोत्जना - मधुरसा की जड़ का रस 5 ग्राम से 10 ग्राम सुबह - शाम शहद के साथ खाकर गाय का दूध पीने से शरीर मज़बूत बनाता है और कामोत्तेजना भी बढ़ती है।

#- दौर्बल्य - विष्णुकान्ता का रस 20 से 40 मिली लीटर या काढ़ा 40 से 80 मिली लीटर तक सुबह - शाम खाने से पूयमेह, शुक्र मेह, दुर्बल्यता (कमजोरी) आदि कष्ट दूर हो जाते है।

#- पुरूषत्व - वनतुलसी के बीज 3 से 7 ग्राम लेकर मिस्री मिले गाय के दूध से लेने से लाभ होता है।

#- पुरूषत्व - बड़ (बरगद) का दूध 20 से 30 बूंद रोज़ सवेरे बताशे या मिश्री पर डालकर खाने से पुरुषत्व शक्ति बढ़ती है।

#- नपुंसकता या धात गिरना - सुबह 5-6 बजे तकबरगद के पेड के दूध को बताशे में दूध की 5 -10 बूंदें सुबह - शाम रोज खाने से लाभ होता हैं।

#- वीर्यवर्धनार्थ - बरगद के पेड़ की कोंपले और गूलर के पेड़ की छाल 3 - 3 ग्राम और मिस्री 6 ग्राम इन सबको पीसकर लुगदी सी बना लें और 3 बार मुंह में रखकर खालें और ऊपर से 250 मिली लीटर गाय का दूध पी लें। 40 दिन तक खाने से वीर्य बढ़ता है और संभोग से ख़त्म शक्ति बढ़ती है।

#- शीघ्रपतन - सिरिस के फूलों का रस 20 से 40 मिली लीटर की मात्रा में सुबह - शाम मिस्री मिले गाय के दूध के साथ खाने से लाभ होगा और इससे शीघ्रपतन में भी लाभ होगा।

#- वीर्यप्रगाढता - सिरिस के बीज का चूर्ण 1 से 2 ग्राम को मिस्री मिले गाय के दूध के साथ सुबह - शाम लेने से वीर्य गाढ़ा होता है।

#- शारीरिक क्षीणता - सिरिस की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गाय के घी में शक्कर मिलाकर गाय के गर्म दूध के साथ 2 बार खाऐं। अगर फूलों का रस, बीज का चूर्ण और छाल का चूर्ण एक साथ मिस्री मिले दूध के साथ खाया जाए, तो शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है।

#- नपुंसकता - सिरस के थोड़े से बीज सुखाकर पीस लें। इसमें 3 ग्राम चूर्ण सुबह - शाम गाय के दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

#- वीर्यवर्धनार्थ - नपुंसक व्यक्ति को मुनक्का खाने से वीर्य की वृद्धि होती है।

#- नामर्दी - ज्वार को अपने खाने के रूप में लेने से नपुंसकता दूर होती है।

#- वीर्यवर्धनार्थ - कलम्बी का साग रोज खाने से वीर्य बढ़ता है।

#- वीर्यवर्धनार्थ - चौपतिया साग नपुंसकों के लियें फायदेमन्द है। क्योंकि इसमें वीर्य को बढ़ाने का गुण होता है।

#- कामशक्ति - भूईछत्ता को शक्कर (शुगर) मिले गाय के दूध में बराबर रूप से उबाल कर खाने से काम शक्ति और शारीरिक शक्ति दोनों बढ़ती है।

#- वीर्यवर्धनार्थ - रोहू मछली वीर्यवर्द्धक होता है। इसलियें नपुंसकों के लियें अनुकूल खाद्य है। हिलसा मछली भी रोहू की तरह वीर्य वर्धक होती है।

#- नामर्दी - नपुंसकता में अंबर आधा से एक ग्राम सुबह - शाम मिस्री मिले गाय के दूध के साथ खाने से लाभ होता है।


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