१-गौ- चिकित्सा
..............गौ- चिकित्सा..............
१ - खूरपका-मूहंपका:- सतअजवायन २०ग्राम , मुश्ककपुर २० ग्राम ,पीपरमैंटसत् ३ग्राम ,लौंगतैल ३ ग्राम , शुद्ध हींग ५ ग्राम ,।
हींग को बारीक पीसकर,सभी चीज़ों को मिलाकर काँच की बोतल में भरकर दो घंटे धूप में रखकर तैयार हो जायेगा ।
ढक्कन टाईट रखे नहीं यह औषधि उड़ने लगती है ।
विधी- एक नाल पानी में बड़े पशुओं के लिए २० बूँद व छोटे पशुओं के लिए पाँच बनूँ मिलाकर देवें तथा दूसरी खुराक एक हफ़्ते बाद देने से पशुओं में यह बिमारी नहीं आयेगी ।
२ - मूहँ पकारोग - जूवाॅसा - १५० ग्राम , अजमोदा - १५० ग्राम , चीता ( चित्रक सफ़ेद ) -१०० ग्राम , बड़ी इलायची - ५० ग्राम , इलायची को कूटकर बाक़ी सभी दवाओं को साढ़े तीन किलो पानी में उबालकर ,छानकर पानी की एक-एक नाल सुबह-सायं देने सेल लाभ होता है ।
३ - दूध में ख़ून आना,बिना सूजन के -- सफ़ेद फिटकरी फूला २५० ग्राम , अनारदाना १०० ग्राम , पपड़ियाँ कत्था ५० ग्राम , कद्दू मगज़ ( कद्दूके छीले बीज ) ५० ग्राम ,फैड्डल ५० ग्राम ,
सभी को कूटपीसकर कपडछान कर लें । ५०-५० ग्राम की खुराक बनाकर सुबह-सायं देने से ख़ून आना बंद हो जाता है ।
४ - अंजीर बेलरोग -( गले में बड़ी -बड़ी गाँठें बन जाना और पककर फूटना ) --:- तूतीया ( नीला थोथा ) -३० ग्राम , मूर्दा सिंह-२० ग्राम , सफ़ेद तैल - १०० ग्राम , पीस छानकर तीनों को आपस में मिलाकर मरहम बना ले ।
गाँठों पर प्रतिदिन मरहम लगाये पर ध्यान रहें कि हम हाथ से न लगावें क्योंकि लगाने वाले को नुक़सान हो सकता है ।
५ - अंजीर बेल -- तूतीया -३० ग्राम , मूर्दा सिंह - १० ग्राम , बबना का तैल - १०० ग्राम , तारपीन का तैल ५० ग्राम , पीस छानकर चारों को आपस में मिलाकर मरहम बना लेवें । प्रतिदिन गाँठों पर लगाये लाभ अवश्य होगा। इसे भी हाथ से न लगायें ।
६ - डौकलियों दूध उतरना ( थोड़ी -थोड़ी देर बाद पवसना,( दूध उतरना ) एक बार में पुरा दूध नहीं आता ) रसकपूर -१० ग्राम , टाटरी नींबू - ३० ग्राम , जवाॅखार -३० ग्राम , फरफेन्दूवाँ - ५० ग्राम , कूटपीसकर कपडछान करके १०-१० ग्राम की खुराक बना लेवें । १० ग्राम दवा केले में मिलाकर रोज खिलाए ।
७ - थन फटना ( थानों में दरारें पड़ना ) -- रूमीमस्तगीं असली - ३ ग्राम , शुद्ध सरसों तैल -२० ग्राम , जस्त - १० ग्राम , काशतकारी सफेदा -२० ग्राम , सिंहराज पत्थर - १० ग्राम , पपड़ियाँ कत्था -५ ग्राम ।
रूमीमस्तगीं को सरसों के के तैल में पकाने लेवें । और बाक़ी सभी चीज़ों को कूट पीसकर कपडछान कर लें फिर पके हूए सरसों के तैल में मिलाकर मरहम बना लें ।
दूध निकालने के बाद थनो को धोकर यह मरहम लगाये प्रतिदिन लाभ अवश्य होगा ।
८ - निकासा ( थनो मे व बाँक में सूजन आना ) -:- सतावर -१०० ग्राम ,फरफेन्दूवाँ -१०० ग्राम , कासनी-१०० ग्राम ,खतमी- ५० ग्राम , काली जीरी -५० ग्राम , कलौंजी -३० ग्राम , टाटरी -३० ग्राम कूटपीसकर छान लेवें ।
इसकी दस खुराक बना लेवें । और एक किलो ताज़े पानी में मिलाकर नित्य देवें ।
९ - निकासा- निकासा मे कददू को छोटे - छोटे टुकड़ों में काटकर गाय- भैंस को खिलाने से भी बहुत आराम आता है ।
१० - योनिभ्रशं रोग ,दतना, बेल बाहर आना,( गाभिन गाय की योनि से बैठते ही बच्चा बाहर की ओर निकलना ) - चूना - १ किलो , पाँच किलो पानी में उबालकर ,ठन्डा कर, बीच- बीच में हिलाते रहे तीन दिन तक । और तीसरे दिन पानी को निथार कर ५० M L पानी एक माह तक रगुलर देनें से लाभ होता हैं । यह रोग यदि कैल्शियम की से हुआ तो ठीक होगा । नहीं तो गाय जहाँ पर बँधती है कही वह फर्श ढालदार तो नहीं ,क्योंकि गाभिन गाय को समतल फ़र्श पर ही बाँधते है ।
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