Friday, 25 July 2014

४ - गौ - चिकित्सा

४ - गौ - चिकित्सा

............... गौ - चिकित्सा.............

१ - घटरोल ( कण्ठ अवरोध ) --पशुओं के गले में दोनों और दो बड़े -बड़े गोले ऊभर आते है और एक या दो घन्टे में ही पशु का दम घुटने लगता है तथा बाद में उसकी मृत्यु हो जाता है ।
अपनी घरेलू बिल्ली की लैटरीन ( शौच ) को लेकर सूखाकर घर में रखनी चाहिऐ जैसे ज़रूरत पड़ने पर बिल्ली की शौच को पानी में घोलकर २-३ नाल बनाकर पशु के गले में डाल देना चाहिए । अगर पशु के पेट में चली जायेगी तो अवश्य ही ठीक होगा । और पशु घन्टा भर में ही चारा खाना शुरू कर देंगा ।

२ - गा़़़य - भैंस डिलिवरी के बाद अपनी जेर को खा जाती है -- तो एेसी स्थिति में किसान को तुरन्त इस योग का उपयोग करें। अरण्डी का तैल २००ग्राम , अलसी का तैल २०० ग्राम , नौसादर १०० ग्राम , शुद्ध हींग २० ग्राम , कालीमिर्च २० ग्राम , अदरक १०० ग्राम , पुराना गुड़ ५०० ग्राम , इन सभी को कूटकर चार खुराक बना लीजिए और एक खुराक को आधा किलो पानी में पकाकर ठंडा कर लें जब पीने लायक हो जायें तब नाल से गाय-भैंस को सुबह -सायं पीला दें । दो दिन देने से अवश्य ठीक होगा ।

३ - मूतार ( बैल - भैंसा ) की गर्दन में सूजन आने के बाद पक जाना -- यह बिमारी वज़न ढोनेवाले पशुओं की गर्दन में हो जाता है । एसे में किसान को असली रूमीमस्तगीं ५ ग्राम , राल २० ग्राम , गूगल १० ग्राम , मूर्दा सिंह १० ग्राम , सिन्दुर १० ग्राम , नील ३ ग्राम , मोमदेशी ३० ग्राम , इन सभी दवाओं को कूटकर १५० ग्राम ,सरसों के तैल मे मिलाकर एक उबाल देकर डिब्बे में रख लें और पशु को धूप में बाँध कर उसकी गर्दन पर लगाये ।
दवाई को हाथ से नही लगानी चाहिए , किसी लकड़ी की चम्मच से लगाना चाहीए , दवाई गर्दन पर पतली- पतली दवा लगाना चाहिए नहीं तो गर्दन को जला देगी , और ध्यान रहे जबतक ठीक न हो जबतक पशु को हल व बूग्गी में नहीं जोड़ना चाहिए ।

४ - गलदाना ( पशु की पुँछ पीछे से गलना शुरू होती है और ऊपर तक गलने लगती है ) --आवॅला २५० ग्राम ,
चिरायता १५० ग्राम , बाबची ५० ग्राम , सौंप १५० ग्राम , इन्द्र जौं ५०ग्राम , फूलगुलाब ५० ग्राम , इन सभी दवाइयों को कूटकर ५०-५० ग्राम की खुराक बना लें तथा एक खुराक को एक किलो पानी में पकालें , जब पानी तीन पाँव रह जायें तब छानकर नाल से पशु को देना । एक खुराक प्रतिदिन देवें ।

५ - जकड़ा रोग ( गाय -भैंस के पैरों में वायु विकार के कारण पशु खड़ा नहीं हो पाता ) -- बकरबेल, हाड़ा बेल , ( । ) यह बेल काष्ठिय पौधों पर चढ़ती है और तने से लिपटी रहती है । और पत्तियों को तोड़ने से इसके डंठल से दूध निकलता है ।
बकरबेल २ किलो की कूट्टी काटकर २० भाग करलें । एक भाग सवा किलो पानी में उबालें और एक किलो शेष रहने तक उबाले यह एक खुराक के लिए प्रयाप्त है । अब मेंथी का चूर्ण १ किलो , कूटकी २०० ग्राम , मालकंगनी २०० ग्राम , कालीजीरी १०० ग्राम , इन दवाइयों को कूटकर चालीस खुराक बना लेंएक खुराक लेकर ।बकरबेल की पानी में बनी खुराक दोनों को मिलाकर सुबह -सायं देने से लाभ होगा यह दवाई दस दिन तक दवाई खिलाऐ ।
मालिश के लिए मरहम-- तारपीन का तेल १५० ग्राम , सरसों का तैल २५० ग्राम , मोम देशी १०० ग्राम , सज्जी १०० ग्राम , मर्दा सिंह २५ ग्राम , को लेकर सज्जी व मूर्दा सिंह को कूटछानकर बाक़ी दवाइयों को मिलाकर किसी बर्तन में रखकर धीमी आँच पर गर्म कर ले , यह मरहम बन जायेगा । एकबार पशु को स्नान के बाद लगाये । लाभ अवश्य होगा ।

५ - गाय - भैंस को हीट में लाने के लिए -- करन्जवा बीज ३० बीज , चोहटली बीज ( लाल कून्जा बीज ) ३० दाने , लौंग ३० दाने , मुहावले बीज १० दाने , सभी को लेकर कुटकर १५ खुराक बना लें । एक खुराक रोज़ सायं को केवल रोटी में देनी चाहिए ़, दवा गाय को हीट आने तक देवें ।

६ - पशुओं में गर्भधारण के लिए -- जो पशु बार-बार हीट पर आने पर भी गर्भ नही ठहरता इसके लिए सिंहराज पत्थर १५० ग्राम , जलजमनी के बीज १५० ग्राम , खाण्ड २५० ग्राम , खाण्ड को छोड़कर अन्य सभी दवाईयों को कूटकर तीनों दवाईयों को आपस में मिला लें और तीन खुराक बनालें , एक खुराक नई होने ( गर्भाधान ) कराने के तुरन्त बाद , दवाई में थोड़ा सा पानी मिलाकर लड्डू बनाकर गाय को खिला देना चाहिए ।५-५ घंटे के अन्तर पर तीनों खुराक देवें । गाय गर्भधारण करेगी ।






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