Friday, 25 July 2014

९ - गौ - चिकित्सा.ठण्डरोग ।

९ - गौ - चिकित्सा.ठण्डरोग ।

########## पशु का अकड़ जाना ############

१ - ठण्ड लगने के कारण , सर्दी व वर्षा में बँधे रहने से प्राय: पशु अकड़ जाते हैं । अन्य कारणों से भी कभी-कभी पशु अकड़ जाते है । सूखा कपासिया खिलाने से भी पशु अकड़ जाते हैं ।
लक्षण -- ऐसी हालत में पशु अच्छी तरह चल नहीं सकते, दूधारू पशु दूध देने में कभी कर देते हैं । पशु के रोयें ( रोंगटे ) खड़े हो जाते है ।

# - औषधि - - मीठा तैल ५०० ग्राम , काला नमक ६० ग्राम , लेकर नमक को पीसकर तैल में मिलाकर सुबह- सायं ऊपर लिखी दवा की मात्रा पिलानी चाहिऐ ।

# - औषधि - - गुड़हल की अन्तरछाल ९६० ग्राम , पानी ४८०० ग्राम , छाल को बारीक कूटकर उसे पानी में उबालकर, लगभग चौथाई दवा रहने पर उसे छानकर रोगी पशु को दोनों समय इसी मात्रा में दें । आराम होने तक यह दवा देते रहना चाहिऐ ।

# - औषधि - - मेंथी के बीज ४८० ग्राम , पानी २४०० ग्राम , तथा मेंथी के बीज को बारीक पीसकर, या पानी के साथ उबालें । गाढ़ा होने पर ठण्डा कर रोगी पशु को दोनों समय अच्छा होने तक पिलायें ।
दूधारू पशु को यह दवा पिलाने पर दूध को रोज़ाना तौलना चाहिऐ ।जैसे-जैसे पशु अच्छा होता जायेगा , उसके दूध की मात्रा बढ़ती जायेगी ।

# - औषधि - - ढाक ( टेसू ) सूखे फल ४८० ग्राम , पानी ३७६० ग्राम , ढाक के फुलों को पानी में उबालकर औटाते रहे चौथाई पानी रहने पर कपड़े में छानकर कुनकुना पानी रोगी पशु को दोनों समय आराम होने तक पिलाते रहे। ढाक के फूल ९६० ग्राम , बारीक कूटकर १४ किलो ६०० ग्राम , पानी में डालकर उबालना चाहिऐ ,जब करीब ३ किलो पानी रह जायें , तब उसे उतार लेना चाहिऐ और उससे दिन में एक समय पशु को नहला देना चाहिए ढाक के उन्हीं फूलों को कपड़े में बाँधकर नहलाते समय गरम पानी में पोटली को भिगोकर उसे रगड़ते जायँ उससे ज़्यादा फ़ायदा होगा ।


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