४५ - गौ - चिकित्सा.अण्डकोषरोग।
साँड़ के अण्डकोष ( पोतो ) में सूजन
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साँड़ के अण्डकोषो में अचानक चोट लगने पर या वायुविकार ( बादी ) होने पर पोतों में सूजन आती है । तथा साँड़ को बेचैनी रहती है । वह पिछलेवाले दोनों पैर फैलाकर खड़ा रहता है और अक्सर उसको बुखार भी बना रहता है ।
१ - औषधि - नीम की पत्तियों तथा नमक का उबला हुआ पानी से गुनगुना होने पर दोनों समय झराई ( सेंकना)
चाहिए, फिर रूई द्वारा पानी को पोंछकर आग वर्णित दवाई लगानी चाहिए । विधारा की पत्ती ६० ग्राम , नारियल तैल ६० ग्राम , विधारा की पत्तियों को बारिक पीसकर कपडेद्वारा रस निकालकर उसे तैल में मिलाकर , गुनगुना करके रोगी के पोतों पर दोनों समय आराम होने तक मालिश करे ।
२ - औषधि - मालती बेल का पञ्चांग २४ ग्राम , नारियलतैल ४८ ग्राम , मालतीबेल को महीन पीसकर तैल में मिलाकर साँड़ के पोतों पर आराम होने तक मालिश करें ।
३ - औषधि - पलाश ( ढाक ) के फूल ९६० ग्राम , पानी १० लीटर , फूलों को पानी में उबालकर गुनगुना होने पर पानी से फूल निकालकर एक कपड़े में रखकर साँड़ के पोतों पर बाँध देना चाहिए । और उसी गरम पानी से पहले पोतों को सेंकना चाहिए । यह क्रिया आराम आने तक करनी चाहिए ।
४ - औषधि - सूर्यमुखी के फूल ९६० ग्राम , पानी १० लीटर , फूलों को पानी में डालकर उबालना चाहिए फिर गुनगुने पानी से पोतों की दोनों समय ,आराम आने तक सिकाई करनी चाहिए ।
५ - औषधि - सूर्यमुखी के बीज ६० ग्राम , नारियल तैल १२० ग्राम , बीजों को महीन पीसछानकर तैल में मिलाकर गरम करना चाहिए और गुनगुना होने पर रूई को फैलाकर यह पेस्टउसके ऊपर फैलाकर पोतों पर रखकर पट्टी बाँध दें यह क्रिया आराम होने तक दोनों समय करनी चाहिए ।
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