१९- गौसंहिता
़़़़़़़़गोबर,गोमय ़़़़़़़़़़
१. अग्रंमग्रं चरंतीना, औषधिना रसवने ।
तासां ऋषभपत्नीना, पवित्रकायशोधनम् ।।
यन्मे रोगांश्चशोकांश्च , पांप में हर गोमय ।
अर्थात- वन में अनेक औषधि के रस का भक्षण करने वाली गाय ,उसका पवित्र और शरीर शोधन करने वाला गोबर ।तुम मेरे रोग औरमानसिक शोक और ताप का नाश करो ।
२. गोमय वसते लक्ष्मी - वेदों में कहा गया है कि गाय के गोबर लक्ष्मी का वास होता है ।गोमय गाय के गोबर रस को कहते है ।यह कसैला एंव कड़वा होता है तथा कफजन्य रोगों में प्रभावशाली है ।गोबर को अन्य नाम भी है गोविन्द,गोशकृत,गोपुरीषम्,गोविष्ठा,गोमल आदि।
३. गोबर गणेश की प्रथम पुजा होती है और वह शुभ होता है ।मांगलिक अवसरों पर गाय के गोबर का प्रयोग सर्वविदित है ।जलावन एंव जैविक खाद आदि के रूप में गाय के गोबर की श्रेष्ठता जगत प्रसिद्ध है ।
४. गाय का गोबर दुर्गन्धनाशक,शोधक,क्षारक,वीर्यवर्धक ,पोषक,रसयुक्त ,कान्तिप्रद और लेपन के लिए स्िनग्ध तथा मल आदि को दूर करने वाला होता है ।
५. गोबर मे नाईट्रोजन ,फास्फोरस ,पोटेशियम ,आयरन ,जिंक,मैग्निज ,ताम्बा ,बोरोन,मोलीब्डनम्,बोरेक्स,कोबाल्ट-सलफेट,चूना ,गंधक,सोडियम आदि मिलते है ।
६. गाय के गोबर में एेन्टिसेप्टिक,एन्टिडियोएक्टिव एंव एन्टिथर्मल गुण होता है गाय के गोबर में लगभग १६ प्रकार के उपयोगी खनिज तत्व पाये जाते है ।
७. मैकफर्सन के अनुसार गोबर के समान सुलभ कीटनाशक द्रव्य दूसरा नहीं है रूसी वैज्ञानिक के अनुसार आण्विक विकिरण का प्रतिकार करने में गोबर से पुती दीवारें पूर्ण सक्षम है ।भोजन का आवश्यक तत्व विटामिन बी-१२ शाकाहारी भोजन में नहीं के बराबर होता है ।
८. गाय की बड़ी आँतो में विटामिन बी-१२ की उत्पत्ति प्रचूर मात्रा में होती है पर वहाँ इसका आवशोषण नहीं हो पाता अत: यह विटामिन गोबर के साथ बहार निकल आता है प्राचीनकाल में ऋषि-मूनि गोबर के सेवन से पर्याप्त विटामिन बी -१२ प्राप्त कर स्वास्थ्य लाभ लेते थे ।गोबर के सेवन तथा लेपन से अनेक व्याधियाँ समाप्त होती है ।
९. प्रो.जी. ई. बीगेंड,- इटली के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक ने गोबर पर सतत प्रयोग से सिद्ध किया कि गोबर में मलेरिया एंव क्षयरोग के जीवाणुओ को तुरन्त नष्ट करने की क्षमता होती है ।
१०- गाय का गोबर मल नहीं है यह मलशोधक है ,दुर्गन्धनाशक है एंव उत्तम वृद्धिकारक तथा मृदा उर्वरता पोषक है ।यह त्वचा रोग खाज,खुजली,श्वासरोग,जोड़ो के दर्द सायटिका आदि में लाभदायक है ।गोबर में बारीक सुती कपड़े को गोबर को दबाकर छोड दे थोड़ी देर बाद इस कपड़े को निचोड़कर गोमय प्राप्त कर सकते है ।इससे अनेक त्वचा रोगों में स्नान करते है ,मुहासे दूर करके चेहरे की कान्ति बनाये रखता है ,गोमय के साथ गेरू तथा मूलतानी मिट्टी व नीम के पत्तों को मिलाकर नहाने का साबुन बनाया जाते है यह चेहरे की झुरियाँ दूर करता है ।
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़़़़़़़़गोबर,गोमय ़़़़़़़़़़
१. अग्रंमग्रं चरंतीना, औषधिना रसवने ।
तासां ऋषभपत्नीना, पवित्रकायशोधनम् ।।
यन्मे रोगांश्चशोकांश्च , पांप में हर गोमय ।
अर्थात- वन में अनेक औषधि के रस का भक्षण करने वाली गाय ,उसका पवित्र और शरीर शोधन करने वाला गोबर ।तुम मेरे रोग औरमानसिक शोक और ताप का नाश करो ।
२. गोमय वसते लक्ष्मी - वेदों में कहा गया है कि गाय के गोबर लक्ष्मी का वास होता है ।गोमय गाय के गोबर रस को कहते है ।यह कसैला एंव कड़वा होता है तथा कफजन्य रोगों में प्रभावशाली है ।गोबर को अन्य नाम भी है गोविन्द,गोशकृत,गोपुरीषम्,गोविष्ठा,गोमल आदि।
३. गोबर गणेश की प्रथम पुजा होती है और वह शुभ होता है ।मांगलिक अवसरों पर गाय के गोबर का प्रयोग सर्वविदित है ।जलावन एंव जैविक खाद आदि के रूप में गाय के गोबर की श्रेष्ठता जगत प्रसिद्ध है ।
४. गाय का गोबर दुर्गन्धनाशक,शोधक,क्षारक,वीर्यवर्धक ,पोषक,रसयुक्त ,कान्तिप्रद और लेपन के लिए स्िनग्ध तथा मल आदि को दूर करने वाला होता है ।
५. गोबर मे नाईट्रोजन ,फास्फोरस ,पोटेशियम ,आयरन ,जिंक,मैग्निज ,ताम्बा ,बोरोन,मोलीब्डनम्,बोरेक्स,कोबाल्ट-सलफेट,चूना ,गंधक,सोडियम आदि मिलते है ।
६. गाय के गोबर में एेन्टिसेप्टिक,एन्टिडियोएक्टिव एंव एन्टिथर्मल गुण होता है गाय के गोबर में लगभग १६ प्रकार के उपयोगी खनिज तत्व पाये जाते है ।
७. मैकफर्सन के अनुसार गोबर के समान सुलभ कीटनाशक द्रव्य दूसरा नहीं है रूसी वैज्ञानिक के अनुसार आण्विक विकिरण का प्रतिकार करने में गोबर से पुती दीवारें पूर्ण सक्षम है ।भोजन का आवश्यक तत्व विटामिन बी-१२ शाकाहारी भोजन में नहीं के बराबर होता है ।
८. गाय की बड़ी आँतो में विटामिन बी-१२ की उत्पत्ति प्रचूर मात्रा में होती है पर वहाँ इसका आवशोषण नहीं हो पाता अत: यह विटामिन गोबर के साथ बहार निकल आता है प्राचीनकाल में ऋषि-मूनि गोबर के सेवन से पर्याप्त विटामिन बी -१२ प्राप्त कर स्वास्थ्य लाभ लेते थे ।गोबर के सेवन तथा लेपन से अनेक व्याधियाँ समाप्त होती है ।
९. प्रो.जी. ई. बीगेंड,- इटली के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक ने गोबर पर सतत प्रयोग से सिद्ध किया कि गोबर में मलेरिया एंव क्षयरोग के जीवाणुओ को तुरन्त नष्ट करने की क्षमता होती है ।
१०- गाय का गोबर मल नहीं है यह मलशोधक है ,दुर्गन्धनाशक है एंव उत्तम वृद्धिकारक तथा मृदा उर्वरता पोषक है ।यह त्वचा रोग खाज,खुजली,श्वासरोग,जोड़ो के दर्द सायटिका आदि में लाभदायक है ।गोबर में बारीक सुती कपड़े को गोबर को दबाकर छोड दे थोड़ी देर बाद इस कपड़े को निचोड़कर गोमय प्राप्त कर सकते है ।इससे अनेक त्वचा रोगों में स्नान करते है ,मुहासे दूर करके चेहरे की कान्ति बनाये रखता है ,गोमय के साथ गेरू तथा मूलतानी मिट्टी व नीम के पत्तों को मिलाकर नहाने का साबुन बनाया जाते है यह चेहरे की झुरियाँ दूर करता है ।
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