Tuesday 13 January 2015

(३)- गौ चिकित्सा-घाव के कीड़े ।

(३)- गौ चिकित्सा-घाव के कीड़े ।

१ - रोग - पशुओं के घाव में कीड़े पड़ जाने पर ।
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औषधि - नीलकंठ पक्षी का पंख -- पशुओ के शरीर के घावों में कीड़े पड़ जाने पर नीलकंठ पक्षी के एक पंख को लेकर बारीक - बारीक काटकर रोटी में लपेटकर पशु को खिला देने से रोगी पशु के सारे कीड़े मर जायेंगे । और कैसा भी घाव होगा ७-८ दिन में अपने आप भर जायेगा । दवा को खाते ही कीड़े मरकर बाहर आ जायेंगे ।१% कीड़े नहीं मरे तो । तीन - चार दिन के बाद एक खुराक और दें देना चाहिए ।


२ - घाव में कीड़े पड़ना
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कारण व लक्षण - अक्सर यह रोग घाव पर एक प्रकार की हरी मक्खी के बैठने से होता है । पहले मक्खी घाव पर अपना सफ़ेद मल ( अघाडी ) छोड़ देती है । वही मल दिनभर में कीड़े के रूप में बदल जाता है । एक विशेष प्रकार की सफ़ेद मक्खी , जो कि आधा इंच लम्बी होती है , वह मल के रूप में कीड़े ही छोड़ती है ।

१ - औषधि - रोग - ग्रस्त स्थान पर, घाव में बारीक पिसा हुआ नमक भर दिया जाय और पट्टी बाँध दी जाय, जिससे घाव पक जायगा और कीड़े भी मर जायेंगे । घाव पकने पर कीड़े नहीं पड़ते हैं ।

२ - औषधि - करौंदे की जड़ १२ ग्राम , नारियल का तैल २४ ग्राम , करौंदे की जड़ को महीन पीसकर छान लें । फिर उसमें तैल मिलाकर ,घाव में भरकर , ऊपर से रूई रखकर पट्टी बाँध दें । तत्पश्चात् पीली मिट्टी या कोई भी मिट्टी बाँध कर लेप कर दें ।

३ - औषधि - अजवायन के तैल को रूई से घाव पर लगाकर पट्टी बाँध देने से कीड़े एकदम मर जाते है । अजवायन का तैल किसी और जगह पर लग जाय तो तुरन्त नारियल का तैल लगा देना चाहिए , अन्यथा चमड़ी निकलने का भय रहता है ।

४ - औषधि - बड़ी लाजवन्ती का पौधा ३६ ग्राम , लेकर रोगी पशु को रोटी के साथ दिन में दो बार खिला दें । इससे कीड़े मर जायेंगे । उसकी एक बीटी भी बनाकर रोगी पशु के गले में काले धागे से बाँध दें ।

५ - औषधि - मालती ( डीकामाली ) १२ ग्राम , नारियल का तैल १२ ग्राम , मालती को बारीक पीसछानकर नारियल के तैल में घोंट लें ।फिर पशु के घाव पर लगाकर रूई रखकर पट्टी बाँध दें । दवा हमेशा ताज़ी ही काम मे लानी चाहिए ।

६ - औषधि - मोर पंख जलाकर राख १२ ग्राम , नारियल तैल १२ ग्राम । मोरपंख को जलाकर छान लें फिर उसे तेल में मिलाकर घाव पर लगा दें । और रूई भिगोकर घाव पर रखकर ऊपर से पट्टी बाँध दें । फिर मिट्टी से उस पर लेप कर दें ।
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