रामबाण योग :- 50 -:
#- नींबू बिजौरा नाम से आपको पता चल ही गया होगा कि यह एक प्रकार का नींबू है, लेकिन इसका आकार आम नींबू से बड़ा होता है। वैसे तो आम नींबू का इस्तेमाल भी घरेलू उपचारों में बहुत किया जाता है, उसी तरह नींबू बिजौरा का इस्तेमाल आयुर्वेद में कई जाने-अनजाने बीमारियों के इलाज के लिए औषधी के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। यह अद्भुत नींबू है । चरक के हृद्य एवं छर्दिनिग्रहण गणों में तथा सुश्रुत-संहिता में नींबू बिजौरा के गुण-धर्म का उल्लेख मिलता है। इसका फल नींबू से काफी बड़ा होता है। यह मीठे और खट्टे के भेद से दो प्रकार का होता है। मीठे फल का बिजौरा लाल-गुलाबी रंग का होता है। इसका छिलका बहुत मोटा होता है। इसके मध्यम कद के झाड़ीनुमा वृक्ष होते हैं। इसके पत्ते कुछ बड़े, चौड़े और लम्बे होते हैं। फूल सफेद रंग के तथा सुगन्धित होते हैं। इसके फल गोल, आगे के भाग में उभारयुक्त तथा अधिक बीजयुक्त होते हैं। फल की छाल छोटे-छोटे उभारों से युक्त मोटी, सुगन्धित तथा स्वाद में कड़वी होती है। नींबू बिजौरा का वानास्पतिक नाम Citrus medica Linn. (सिट्रस मेडिका)Syn-Citrus alata (Tanaka) Yu. Tanaka होता है। इसका कुल Rutaceae (रूटेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Citron (सिट्रॉन) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि नींबू बिजौरा और किन-किन नामों से जाना जाता है । बीजपूर, मातुलुङ्ग, बीजफलक, रुचक, फलपूरक, बीजपूरक, बीजक, अम्लकेशर, बीजपूर्ण, पूर्णबीज, सुकेशर, मातुलिङ्ग, सुपूर, गन्धकुसुम, सिन्धुपादप, जन्तुघ्न, पूरक, रोचनफल, लुङ्ग, केसरी, केसराम्ल, मध्यकेसर,बिजोरा नींबु, तुंज; के नाम से जानते है।
#- नींबू बिजौरा के अनगिनत फायदों के बारे में जानने के पहले इसके औषधीय गुणों के बारे में जानने की जरूरत है- इसके फूल पाचन शक्ति को बढ़ाने, ग्राही (absorbing), लघु, शीतल तथा रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) से आराम दिलाने वाला होते हैं। नींबू बिजौरा फूलों की केशर पाचन को बेहतर बनाने, लघु, ग्राही, खाने की इच्छा बढ़ाने, गुल्म या ट्यूमर, पेट संबंधी रोग, सांस संबंधी समस्या, खांसी, हिक्का, शोष या सूखा रोग, मदात्यय (Intoxication), विबन्ध या कब्ज, अर्श या पाइल्स तथा छर्दि या उल्टी के कष्ट से आराम दिलाने वाला होता है।
#- यह दीपन, कंठ्य, जीभ तथा हृदय को शुद्ध करने वाला, दमा-खांसी, अरुचि, पित्त तथा प्यास ज्यादा लगने की बीमारी को कम करने में मदद करती है। इसकी जड़ कृमिनाशक है तथा कब्ज में प्रयोग की जाती है।
फूलों की केसर से निकाला गया रस कमरदर्द, कफ, अरुचि, मदात्यय (Intoxication), विबन्ध या कब्ज, बवासीर और उल्टी के परेशानी को दूर करने में मदद करताहै। इसकी जड़ लघु, दर्दनिवारक, वातकारक, रक्तपित्त, अर्श या बवासीर, कृमि, विसूचिका (Cholera) तथा कब्ज के कष्ट से राहत दिलाने वाली होती है।
इसके फल का रस पीठ और कमर का दर्द, हृत्शूल (angina pectoris) तथा कफवातशामक होता है।
इसकी फलमज्जा मधुर, स्निग्ध, बलकारक, दीपन, वातपित्त से आराम दिलाने वाला, गले के दर्द से राहत दिलाने वाली, तीक्ष्ण तथा लघु होती है। इसकी फल की त्वचा कड़वी, गर्म, गुरु, स्निग्ध, तीक्ष्ण, कफवात से आराम दिलाने वाली, छर्दि तथा अरुचि नाशक होती है।
#- पित्तज शिरोरोग - सिर में दर्द होता है उससे राहत दिलाने के लिए बिजौरा नींबू की केसर को पीसकर, पेस्ट बनाकर सिर पर लेप करने से पित्तज-शिरोरोग से आराम मिलता है।
#- शिरशूल - 1-2 ग्राम बिजौरा नींबू जड़ की छाल चूर्ण में गाय का घी मिलाकर सेवन करने से सिरदर्द कम होता है।
#- कानदर्द - कान में दर्द होने पर 1-2 बूँद बीजपूर फल-के रस को कान में डालने से कान के दर्द से आराम मिलता है।
#- कर्णशूल - 65 मिग्रा सज्जीक्षार को 30-40 मिली बिजौरा नींबू के रस में मिलाकर, छानकर कान में डालने से कर्ण बहना, कान में दर्द तथा कान में जलन से आराम मिलता है।
#- कानदर्द - 50 मिली नींबू रस में 50 मिली तेल को डालकर, पकाकर, छानकर 1-2 बूँद कान में डालने से कर्ण दर्द से आराम मिलता है।
#- कृमिदन्तजन्य शूल - बिजौरा नींबू जड़ की पेस्ट की बत्ती बनाकर इस वर्त्ति को दांत पर रखकर चबाने से दांत में कीड़ा होने के कारण जो दर्द होता है उससे जल्दी आराम मिलता है।
#- मुखदुर्गन्ध - फल के छिलकों को चबाने से सांस या मुँह की बदबू से जल्दी राहत मिलती है। इसके लिए नींबू बिजौरा का औषधीय गुण बहुत लाभप्रद होता है।
#- मुखशोथ - बिजौरा के फूल के केशर के साथ सेंधानमक तथा काली मरिच का चूर्ण मिलाकर गोली बनाकर चूसने से मुखशोथ , मुख की जड़ता आदि मुख संबंधी रोगों से आराम मिलता है।
#- स्वरवर्धनार्थ - बिजोरा नींबू के प्रयोग से कंठ का स्वर बेहतर करने के लिए चमेली के पत्ते, इलायची, शहद, बिजौरा नींबू के पत्ते, धान की खील तथा पीपल इन औषधियों से बने अवलेह को 5-10 मिली मात्रा में सेवन करने से गले की आवाज बेहतर होती है।
#- हिक्का , कास - 5-10 मिलीग्राम बिजोरा फलस्वरस में कालानमक तथा शहद मिलाकर पीने से हिक्का , कास तथा खांसी में लाभ होता है।
#- छर्दि -
बिजौरा
नींबू
की
10-20
ग्राम
जड़
को
200
मिली
पानी
में
उबालकर
चतुर्थांश
शेष
का
काढ़ा
बनाकर
पिलाने
से
छर्दि
या
उल्टी
से
राहत
मिलती
है।
#- छर्दि -भोजन करने के बाद अगर उल्टी आती है तो शाम के समय बिजौरा नींबू का ताजा रस 5-10 मिली मात्रा में पिलाना चाहिए।
#- छर्दि -10-20 मिली बिजौरा फल के रस में शर्करा, शहद तथा पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से छर्दि या उल्टी से राहत मिलती है।
#- पेट के कीड़े - -5-10 ग्राम बिजौरा नींबू बीज चूर्ण को गर्म जल के साथ देने से पेट की कृमि से मुक्ति मिलने में आसानी होती है। होता है।
#- पेट के कीड़े - बिजौरा नींबू के फल के छिलकों का काढ़ा बनाकर पिलाने से पेट की कृमियों के कष्ट से आराम मिलता है।
#- रक्तार्श व रक्तातिसार - बिजौरा नींबू की जड़ की छाल तथा फूलों को चावल के धोवन के साथ पीसकर थोड़ा जल तथा शहद मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार तथा रक्तार्श में लाभ होता है।
#- पित्तज विकार - 10-20 मिली बिजौरा नींबू रस में समान मात्रा में शहद मिलाकर और इसमें जल मिलाकर शर्बत बना लें, इस शर्बत में 500 मिग्रा सोंठ, 500 मिग्रा मरिच तथा 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण मिलाकर पिलाने से जलन, उल्टी आदि पित्तज विकारों से आराम दिलाता है।
#- गुल्म तथा कामला रोग - हींग, अनारदाना, विड्लवण तथा सेंधानमक के चूर्ण में 4 गुना बिजौरा फल का रस मिलाकर पीने से वातज-गुल्म (ट्यूमर) में लाभ होता है।
#- मूत्र विकार - बिजौरा नींबू जड़ की छाल के 2-5 ग्राम चूर्ण का सेवन सुबह शाम जल के साथ करने से मूत्र-विकारों से आराम मिलता है।
#- वृक्क विकार - 10-15 मिली बिजौरा फल के रस में 65 मिग्रा यवक्षार (saltpeter) तथा शहद मिलाकर सेवन करने से किडनी में दर्द आदि किडनी संबंधी बीमारियों में होता है।
#- गुर्दे की पथरी - 10-15 मिली बिजौरा फल के रस में सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से अश्मरी या पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है।
#- खुजली रोग - खुजली के परेशानी को दूर करने में गन्धक का औषधीय गुण बहुत फायदेमंद होता है। बिजौरा नींबू फल के रस में मिलाकर लगाने से खुजली में आराम मिलता है।
#- चर्मरोग - बिजोरा नींबू के बीजों को पीसकर लेप करने से सूजन तथा चर्म रोगों में भी लाभ होता है।
#- अपस्मार - बिजौरा फल के रस में नीम पत्ते का रस तथा निर्गुण्डी पत्ते के रस में मिलाकर 3 दिन तक नाक से देने से अपस्मार या मिर्गी में लाभ होता है।
#- रक्तपित्त - बिजौरा नींबू जड़ के चूर्ण और फूल के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर 1-2 ग्राम चूर्ण को चावल की मांड के साथ सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
#- ज्वर -फल रस में थोड़ा कुनैन बुरक कर सुबह, दोपहर तथा शाम पिलाने से पित्तज्वर और नियत-कालिक-ज्वर का आराम होता है। पत्तों का काढ़ा भी लाभकारी होता है।
#- ज्वर -10-20 मिली बिजौरा जड़ छाल के काढ़े को दिन में तीन बार पिलाने से बुखार में आराम मिलता है।
#- ज्वर -नींबू की कली, मधु तथा सेंधानमक को एक साथ पीसकर तालु पर लेप करने से पित्तज्वरजन्य तृष्णा का शमन होता है।
#- ज्वर -बिजौरा नींबू के पत्तों का काढ़ा बनाकर 15-20 मिली मात्रा में पिलाने से ज्वर से आराम मिलता है।
#- दर्द -1-2 ग्राम मूल चूर्ण को गाय के घी के साथ मिश्रित कर सेवन कराने से दर्द से आराम मिलता है।
#- कुक्षिशूल - -5-10 मिली जड़ के रस में 65 मिग्रा यवक्षार मिलाकर सेवन करने से कुक्षिशूल (stigma) तथा कमर दर्द से आराम मिलता है।
#- पीड़ा युक्त स्थान -बिजौरा नींबू के पत्तों को गर्मकर पीड़ा युक्त स्थानों पर बाँधने से लाभ होता है।
#- छाती की पीड़ा - बिजौरा नींबू के 10 मिलीग्राम रस में 500 मिलीग्राम यवक्षार और 2 चम्मच मधु मिलाकर पिलाने से छाती की पीड़ा का शमन होता है।
#- शोथ -बिजौरा मूल के साथ अरनी मूल, देवदारु, सोंठ, कटेरी और रास्ना समभाग मिलाकर पीसकर लेप करने से घाव तथा वातज सूजन को कम करने में लाभकारी होता है।
#- विषघ्न –
निद्रा
लाने
वाले
तीक्ष्ण
विषों
के
प्रभाव
को
नष्ट
करने
के
लिए
10-20
मिली
बिजौरा
नींबू
के
रस
को
थोड़ी
-
थोड़ी
देर
से
पिलाना
चाहिए।
#- विष चिकित्सा -विषैले जीवों के काटने से जो विष चढ़ जाता है, उसे उतारने के लिए इसका 20-30 बूँद अर्क पिलाना चाहिए।
#- बिजौरा नींबू फल के रस को वर्षा में सेंधानमक के साथ, शरद् में मिश्री या चीनी के साथ, हेमन्त में नमक, अदरख, हींग, काली मरिच तथा शिशिर व भ्रंशत में भी हेमन्त के समान व ग्रीष्म में गुड़ के साथ इसका सेवन अति लाभप्रद होता है।
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