Monday, 3 May 2021

रामबाण योग :- 53 -:

रामबाण योग :- 53 -:


#- जंगली प्याज कंद (bulb) वाला शाकीय पौधा होता है। इसके शल्क कन्द नाशपाती आकार का होता है तथा स्वाद में यह तीखा होता है। जंगली प्याज जून से सितम्बर तक फलता और फूलता है।
जंगली प्याज प्रकृति से कड़वा, तीखा और गर्म तासीर का होता है। इसके सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ती है। यह कृमिरोग, उल्टी, कुष्ठ तथा विष के असर को कम करने में सहायता करता है। इसके अलावा यह वात को तो कम करता है लेकिन पित्त को बढ़ाता है।  जंगली प्याज कफ निकालने और सूजन कम करने में भी सहायक होता है। 
जंगली प्याज का वानास्पतिक नाम Urginea indica (Roxb.) Kunth  (अर्जीनिया इण्डिका) Syn-Urginea senegalensis Kunth है। जंगली प्याज Liliaceae (लिलिएसी) कुल का होता है। जंगली प्याज को अंग्रेजी में Indian squill (इण्डियन सिक्विल) कहते हैं।

#- ब्रोंकाइटिस , श्वासनलिका शोथ - ब्रोंकाइटिस

में

मुँह

,

नाक

और

फेफड़े

के

बीच

का

हवा

का

मार्ग

 

सूज

जाता

है।

विशेष

रुप

से

ब्रोंन्कियल

ट्यूब्स

के

लाइनिंग

में

सूजन

जाती

है।

जंगली

प्याज

के

20 मिलीग्राम

रस

का

सेवन

करने

से

ये

सूजन

कम

हो

जाता

है।

 



 #- बच्चो के कृमिरोग - बच्चों को सबसे ज्यादा कृमि रोग होता है।  वन पलाण्डु का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में पीने से पेट में जो कृमि होता है वह नष्ट हो जाता है। कृमि के कारण जो पेट में दर्द होता है उससे भी राहत मिलती है।

#- उदररोग - जंगली प्याज का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में पीने से पेट संबंधी सामान्य समस्याओं में लाभ मिलता है। प्याज के औषधीय गुण पेट संबंधी समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है।

#- गुर्दे की पथरी - जंगली प्याज के कंद का काढ़ा बनाकर पीने से किडनी के बीमारी में तथा अश्मरी या किडनी स्टोन को तोड़कर निकालने में बहुत मदद मिलती है।

#- गर्भाशयगत स्राव - अगर गर्भाशय या यूटेरस से ब्लीडिंग हो रहा है तो जंगली प्याज स्वरस20 मिलीग्राम का प्रयोग बहुत लाभकारी होता है। इसका प्रयोग गर्भाशयगत रक्तस्राव की चिकित्सा में किया जाता है


 #- कामला रोग - शल्ककंद का क्वाथ 20 मिलीग्राम की मात्रा में पीने से कामला मे लाभ होता है।

#-आमवात , गठियारोग -आजकल अर्थराइटिस की परेशानी किसी भी उम्र में हो जाती है। जंगली प्याज के कंद को पीसकर त्वचा में लगाने से आमवात के दर्द से आराम मिलता है।


#- दद्नु , कण्डूरोग - अगर किसी कारण एलर्जी के रुप में खुजली हो गया है तो जंगली प्याज के कंद को पीसकर त्वचा में लगाने से जोड़ो का दर्द और खुजली दोनों में आराम मिलता है।



#- अल्सर का घाव , नासूर - कई बार ऐसा होता है कि अल्सर का घाव ठीक होने का नाम ही नहीं लेता है।  जंगली प्याज घाव को ठीक करने और भरने में सहायता करता है। जंगली प्याज का काढ़ा बनाकर व्रणों को धोने से घाव जल्दी ठीक होता है।यदि आन्त्रिक घाव है तो 20 मिलीग्राम की मात्रा में पीने से लाभ होता है।
 
#- पैरों के तलवों की जलन - अगर आप पैरो के तलवों की जलन से परेशान है तो जंगली प्याज आपको आराम दे सकती है, इसके लिए आपको इसको मसलकर लेप बनाये।इस लेप को तलवो में लगाने पर जलन से जल्दी आराम मिलता है। 


#- हृदयरोग - हृदय रोग में जंगली प्याज के स्वरस 20 मिलीग्राम की मात्रा का सेवन फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें पाये जाने वाले कुछ तत्व हृदय की क्रियाशीलता को बनाये रखने में सहायक होते हैं। 


#- चोट लगने पर - अगर आपको शरीर में किसी स्थान पर चोट लग गयी है और आप उसको जल्दी ही घर में ठीक करना चाहते है तो जंगली प्याज का लेप फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि इसमें रोपण (हीलिंग) का गुण पाया जाता है जो कि चोट को जल्दी भरने में सहायक होता है। 


#- गुर्दारोग - गुर्दे के रोग में जंगली प्याज का 20 मिलीग्राम स्वरस का प्रयोग फायदेमंद होता है, क्योंकि जंगली प्याज मूत्र की प्रवृति को बढ़ाकर गुर्दे के रोगों के लक्षणों को कम करने में सहायता करता है। 


#- मूत्ररोग - मूत्रावरोध में जंगली प्याज का रस 20 मिलीग्राम की मात्रा में प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि, ये मूत्र की प्रवृति को बढ़ाकर अवरोध को धीरे-धीरे   दूर करने में मदद करता है। 


#- जंगली प्याज़ अत्याधिक प्रयोग - इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से मिचली (उत्क्लेश), मूत्र से खून आना, दिल का दौरा एवं मृत्यु भी हो सकती है।   


#- कुष्ठ रोग - जंगली प्याज़ स्वरस को कुष्ठ पर लगाने से आराम आता है।

#- विषदोष - जंगली प्याज़ स्वरस को 20 मिलीग्राम की मात्रा मे पिलाने व लगाने से विषदोष का नाश होता है।



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