Thursday, 20 May 2021

रामबाण योग :- 91 -:

रामबाण योग :- 91 -:

महाबला -

वानस्पतिक नाम : Sida rhombifolia Linn. (साइडा रॉम्बिफोलिया)Syn-Sida altheifolia Sw.
कुल : Malvaceae (मालवेसी),अंग्रेज़ी नाम : Arrow leaf sida (ऐरो लीफ साइडा)
संस्कृत-क्षेत्रबला, महाबला; हिन्दी-पीला बरियार, भीउन्ली, लाल बेरेला, पीतबला; कहते है।

समस्त भारत के मैदानी भागों तथा जंगलों गांवों के आस-पास पड़ी परती भूमि में महाबला के पौधे पाए जाते हैं।महाबला का क्षुप 30-150 सेमी ऊँचा, छोटा, सीधा, शाखित, एकवर्षायु अथवा बहुवर्षायु होता है।महाबला मधुर, वातानुलोमक, धातुवर्धक, बल्य, वृष्य, शुक्रवृद्धिकारक तथा त्रिदोषशामक होती है।यह मूत्रकृच्छ्र, ज्वर, हृद्रोग, दाह, अर्श, शोफ, विषमज्वर, मेह, विष तथा शोफनाशक होती है।महाबला का अर्क-वातानुलोमक तथा मूत्रकृच्छ्रशामक होता है।इसके मूल तथा पत्र स्वादु, वाजीकर एवं बलकारक होते हैं।इसकी काण्डमज्जा विशोधक तथा मृदुकारी होती है।

#- शिर:शूल - महाबला पञ्चाङ्ग को पीसकर मस्तक पर लेप करने से शिरशूल का शमन होता है।

#- दन्तशूल - महाबलामूल का प्रयोग दातून के रुप में करने से दंतशूल का शमन होता है।

#- फुफ्फुस क्षय - महाबला पञ्चाङ्ग का क्वाथ बनाकर पीने से फूफ्फूस क्षय में लाभ होता है।

#- प्रवाहिका - महाबलामूल से निर्मित शीतकषाय (हिम) का सेवन करने से प्रवाहिका में लाभ होता है।

#- अजीर्ण - महाबलामूल कल्क का सेवन करने से अजीर्ण का शमन होता है।

#- त्रिदोषजमूत्र विकार - मूल तथा पत्र से निर्मित क्वाथ का सेवन करने से मूत्रकृच्छ्र तथा अन्य त्रिदोषज मूत्रविकारों का शमन होता है।

#- श्वेतप्रदर - महाबलामूल कल्क में मधु मिलाकर सेवन करने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।

#- आमवात, पेशी उद्वेष्टन - महाबलापञ्चाङ्ग कल्क का लेप करने से आमवात तथा पेशी उद्वेष्टन में लाभ होता है।

#- त्वचारोग - महाबला मूल तथा पत्रों से निर्मित कल्क का लेप करने से क्षत एवं व्रण का शीघ्र रोपण होता है।

#- ज्वर - महाबला पञ्चाङ्ग स्वरस को (10 मिली) प्रतिदिन दिन में तीन बार सेवन करने से सविरामी ज्वर में लाभ होता है।

#- शोथ - महाबला पत्र कल्क का लेप करने से सर्वांङ्ग शोथ में लाभ होता है।



Sent from my iPhone

No comments:

Post a Comment