रामबाण योग :- 99 -:
बादयान ( स्टार एनिस ) -
Illicium verum Hook.f. (इलिसियम वेरम) Illicium san-ki Perr.,कुल : Magnoliaceae (मैग्नोलिएसी), अंग्रेज़ी नाम : Star anise (स्टार एनिस), संस्कृत-ताराभफलम्, आकर्षगंधी, हिन्दी-बादियान खटाई, बादयान; कहते है। इसका प्रयोग मसालों तथा चाय में किया जाता है। इसका आकर तारे के जैसा होता है। इसके बीज प्रत्येक पुटक में एक, छोटे, चमकीले भूरे वर्ण के होते हैं। फल तथा बीजों में सौंफ जैसी हलकी सुगन्ध आती है। बादियान खटाई मधुर, कषाय, वातशामक, दीपन, पाचन, मूत्रल, कफनिसारक, सुगन्धित तथा दुर्गन्धनाशक होती है। यह पाचन संस्थान पर विशेष प्रभावकारी होती है, यह आमाशय एवं पक्वाशयगत विकारों में विशेष लाभप्रद होती है। यह जीवाणुरोधी, वातानुलोमक, कफनिसारक, उत्तेजक, मूत्रल, आमाशय की क्रिया को बढ़ाने वाला, पूयरोधी तथा दंतशूल नाशक होती है।
#- फंगल इन्फेक्शन - चक्रफूल में एंटीफंगल गुण पाये जाते है जो आपको फंगल इन्फेक्शन से बचाता है।
#- अनिद्रा- चक्रफूल चूर्ण आधा चम्मच गाय के गुनगुन दूध के साथ सेवन करने से अनिद्रा में लाभ होता है।
#- प्रतिशयाय - 7 बादियान खटाई का फाण्ट बनाकर पिलाने से प्रतिश्याय का शमन होता है।
#- कर्णशूल - 1-2 बूँद बादियान खटाई तैल को कान में डालने से कर्णशूल का शमन होता है।
#- दंतशूल - 1-2 बूंद बादियान खटाई बीज तैल को दांतों में लगाने (स्थानिक प्रयोग) से दंतशूल का शमन होता है।
#- यौवन ( लावण्य ) - एक गिलास पानी में चक्रफूल का पावडर व मधु मिलाकर सेवन करने से आप लम्बी उम्र तक यौन रूप से स्वस्थ रहेंगे ।
#- मंदाग्नि - समभाग सोंठ, बादियान खटाई, दालचीनी तथा बड़ी इलायची को चूर्ण कर गाय के दूध में डालकर पीने से यह दूध का पाचन करता है तथा जठराग्नि को प्रदीप्त करता है।
#- कास - बादियान खटाई बीज तैल (1-2 बूंद) को छाती पर लगाने से कास में लाभ होता है।
#- श्वास- कास - 1 ग्राम बादियान खटाई में 2 ग्राम मुलेठी मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से कास तथा श्वास में लाभ होता है।
#- यौनरोग - चक्रफूल यौन शक्ति के लिए भी जाना जाता है इसके सेवन से सैक्स ड्राइव बढ़ती है । हर तरह से सैक्सुअल समस्याओं से बचने के लिए चक्रफूल को भोजन में समाहित करें।
#- बच्चो का उदरशूल - बादियान खटाई के तैल को बालकों के उदर पर मालिश करने से उदरशूल का शमन होता है।
#- अजीर्ण - 1 ग्राम बादियान खटाई, 1 ग्राम सोंठ तथा 1 ग्राम जीरा मिलाकर कवाथ बनाकर पीने से उदरशूल तथा अजीर्ण में लाभ होता है।
#- दर्दनिवारक - चक्रफूल तैल को जोडो पर मालिश करने से जोडो के दर्द में आराम मिलता है।
#- घाव, चोट, सूजन - चक्रफूल के तैल लगाने से आराम आता है।
#- ऐंठन - चक्रफूल चूर्ण 5 ग्राम गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में होने वाली ऐंठन को दूर करता है।
#- आंत्रशूल - बादियान खटाई फल का फाण्ट बनाकर 10-12 ग्राम की मात्रा मानें पिलाने से आध्मान, प्रवाहिका, ऐंठन-युक्त आंत्रशूल तथा उदरशूल में लाभ होता है।
#- सूखी खाँसी - चक्रफूल में थाइमो और एथोल नामक तत्व होते है जो सर्दी-जुकाम , गले की ख़राश होने पर 1 ग्राम बादियान खटाई के फल को पीसकर 1 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से शुष्क कास में अत्यन्त लाभ होता है।
#- उदर विकार - विशेषज्ञों की माने तो चक्रफूल के सेवन से पेट विकार दूर होते है। इसके सिए रोज़ाना चक्रफूल का सेवन करें, हालाँकि इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए शारीरिक क्षमतानुसार प्रयोग करें । इसके लिए दो चक्रफूल को एक गिलास पानी में उबालकर चूल्हे से उतारकर स्वादानुसार कालानमक व नींबू मिलाकर सेवन करे।
#- एंटीवायरल - चक्रफूल इम्यूनिटी बुस्ट कर वायरल संक्रमण से लड़ने के लिए महान प्रतिरक्षा बढ़ाने के गुण होते है।क्योकि इसमें एंटीअॉक्सीडेंट और इंफ्लेमेटरी व एंटीबक्टीरियल , पॉलीफेनॉल्स, फ्लेवोनॉयडस , एंटीफंगल गुण होते है साथ ही कैलशियम , फास्फोरस , विटामिन ' ए' विटामिन 'सी' व कई तरह के एंज़ाइम होते है , यह स्वांनफ्लू से भी रक्षा करता है।यह सेहत व सुन्दरता बढ़ाता है।
#- लावण्य - चक्रफूल को पीसकर पेस्ट बना लें इस पेस्ट को शहद या ऐलोवीरा जैल में मिलाकर चेहरे पर फेसपैक की तरह लगाकर सुबह नींबू पानी से मुँह को धोने से लावण्य मे निखार आता है व झुर्रियाँ शान्त होती है।
#- चक्रफूल में एंटीअॉक्सीडेंट , विटामिन A , विटामिन E जैसे कई मिनरल पाये जाते है। जो त्वचा को टाइट , बेदाग़ , और झुर्रियों से निजात दिलाता है चक्रफूल में पाये जाने वाले विटामिन बढ़ती उम्र के लक्षणों को रोकते है । चक्रफूल में रेडिकल्स को कन्ट्रोल करने की क्षमता पायी जाती है जिसकी वजह से त्वचा गोरी , टाइट और फाइन लाइंस बनी रहती है इससे त्वचा खिली-खिली नज़र आएगी व हमेशा जवाँ दिखाई देगी । एक छोटी चम्मच चक्रफूल पावडर , आधा चम्मच काफ़ी पावडर , आधा चम्मच चावल का आटा , एक चम्मच शहद इनका पेस्ट बनाकर गर्दन व त्वचा पर 15-20 मिनट तक लगा रहने दें । इसके बाद ताज़े पानी मे नींबू मिलाकर धौ लें।
#- चक्रफूल चाय - चक्रफूल की चाय बनाने के लिए एक कप पानी में 2-3 चक्रफूल , 3-4 तुलसी पत्तियाँ , 2 कालीमिर्च , 2 लौंग डालकर खौलाएं ताकि इसमें मौजूद तत्व गुण और फ्लेवर पानी में मिल जायें गैस से उतारकर स्वादानुसार शहद मिलाकर पीने से बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाती है और इम्यूनिटी स्ट्रोंग होती है।
#- स्तन्यवर्धक - महिलाओं में प्रसव हो जाने के बाद स्तनों में दूध नहीं निकलता है । जिसकी वजह से शिशु भूखा रहता है । उसका ठीक तरह से मानसिक व शारीरिक विकास नहीं हो पाता है ऐसे में महिलाओं को चक्रफूल चूर्ण 3-4 ग्राम , 300 ग्राम गुनगुना गाय का दूध व स्वादानुसार मधु मिलाकर सेवन करना चाहिए क्योकि चक्रफूल में कुछ ऐसे मिनरल पाये जाते है जो स्तनों में दूध की वृद्धि करने में सहायक होते है ।
#- मुखदोर्गन्धय - मुँह की दुर्गन्ध किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है । मुँह से आने वाली दुर्गन्ध की वजह से स्वयं को दुसरो के सामने शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता है। चक्रफूल में माइक्रोबियल , एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीअॉक्सीडेंट तत्व पाये जाते है जो मुँह की दुर्गन्ध को हमेशा के लिए ख़त्म कर देते है । 1 गिलास पानी मे 1 चम्मच चक्रफूल चूर्ण व 1/4 चम्मच सेंधानमक , 1/4 चम्मच हल्दी पावडर , 1/4 चम्मच फिटकरी पावडर का क्वाथ बनाकर गरारा करना चाहिए व भोजन में चक्रफूल को शामिल करें।
#- दाँतो का पीलापन - दाँतो का पीलापन न सिर्फ़ व्यक्ति की सुन्दरता को प्रभावित करता है अपितु शुक्र हँसने पर भी रोक लगा देता है। क्योकि प्रत्येक व्यक्ति को मोतियों जैसे चमकते दाँत पसन्द है । दाँतो के पीलेपन से मुक्ति दिलाने में चक्रफूल बेहद लाभकारी औषधि है। चक्रफूल सिर्फ़ दाँतो के पीलापन को दूर करने में ही मददगार नहीं होता है बल्कि यह दाँतो को मज़बूत बनाता है साथ ही दाँतो से होने वाले रक्तस्राव को भी रोकता है। इसके अतिरिक्त मसूड़ों में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में भी चक्रफूल लाभकारी होता है इसके लिए , 10 चक्रफूल पावडर , 10 नींबू का सूखा छिलका , 10 संतरा के सूखे छिलके पीसकर मंजन बनाकर दिन में तीन बार मंजन करने से लाभ होता है।
#- पाचनशक्ति - पाचनशक्ति यानि पाचनतन्त्र मानसिक व शारीरिक रोगों का जन्मदाता है। पाचनतन्त्र के ख़राब होने की वजह से कब्ज , गैस , पेट फुलना , पेट मे सूजन , पेटदर्द , सिरदर्द , त्वचा रूखी होना , खट्टी डकारें आना जैसे कई रोगों से शरीर रोगग्रस्त होना । चक्रफूल में फास्फोरस ,विटामिन C और कई तरह के एंज़ाइम पाए जाते है। जो पाचनतन्त्र को मज़बूत और शक्तिशाली बनाने के लिए 6 चक्रफूल , 10 ग्राम सौंफ , 50 ग्राम अजवायन , 5 ग्राम दारूहल्दी , 5 ग्राम ज़ीरा, सभी घटकों को पीसकर रख ले । एक गिलास पानी में एक चम्मच चूर्ण डालकर पकाकर भोजनोपरान्त पीने से पाचनतन्त्र मज़बूत होता है।
#- मानसिक विकार - चक्रफूल एक गुणकारी फूल है जिसके तैल का इस्तेमाल मुख्यरूप से अरोमा थेरेपी में किया जाता है । इसके तैल से आने वाली सुगंध मस्तिष्क को शान्त बनाती है । जिसकी वजह से व्यक्ति तनाव या डिप्रेशन का शिकार होने से बच जाता है। अत: चक्रफूल तनाव से मुक्ति दिलाने में फ़ायदेमंद होता है। इसलिए रोज़ सुबह चक्रफूल तैल को बालों मे मालिश करने से मस्तिष्क को शान्ति व ठंडक मिलती है।
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