रामबाण योग :- 74 -:
पिस्ता -
#- पिस्ता का पेड़ (pista tree) लगभग 10 मीटर ऊँचा, छोटा, आम के वृक्ष के जैसा दिखता है। इसके पत्तों पर एक प्रकार का कीटकोष (कीड़ों का घर) बनता है। यह एक ओर से गुलाबी, और दूसरी ओर से पीला-सफेद रंग का होता है। इसके फल 10-20 मिमी लम्बे एवं 6-12 मिमी व्यास के होते हैं। पिस्ता फल का छिलका हल्के पीले से गहरे पीले रंग के होते हैं। पिस्ता फल के बाहरी छिलके को निकाल कर, भीतर के पीले भाग को खाने में प्रयोग किया जाता है, इसे ही गिरी कहते हैं। गिरी पर लाल रंग का महीन छिलका होता है। आयुर्वेद के अनुसार, पिस्ता कफ-पित्त-वर्द्धक, वात दोष से आराम दिलाने वाला, शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है। पिस्ता के पेड़ में फूल और फल जनवरी से जून महीने में आते हैं।आमतौर पर पिस्ता को लोग आहार के रूप में खाते हैं। डायट पर रहने वाले लोग भी पिस्ता का सेवन करते हैं। पिस्ता में फाइबर, कार्बोहाइड्रेड, एमिनो एसिड, फैट होता है, जो ना सिर्फ सिर दर्द , मुंह की दुर्गंध, दस्त, खुजली में फायदेमंद होता है बल्कि कमजोरी दूर करने के साथ-साथ यादाश्त को तेज करने में मदद करता है। इसके फल का प्रयोग मेवे की तरह पौष्टिक पकवान बनाने में, तथा औषधि-कार्य में किया जाता है। इसके फलों का छिलका भी औषधि-कार्य में प्रयोग किया जाता है।
पिस्ता का वानस्पतिक नाम Pistacia vera Linn. (पिस्टेशिया वेरा) है और यह Anacardiaceae Name , Sanskrit – मुकूलक, अभिषुक, चारूफल , Hindi-पिस्ता, गुली पिस्ता कहते है।
#- सिरदर्द - आजकल की तनाव भरी और प्रतियोगिता वाली जीवनशैली के कारण सिरदर्द एक आम बीमारी हो गई है। दिन भर के तनाव के कारण, या खान-पान में बदलाव के कारण भी थकान और सिर दर्द की परेशानी होती है। कंप्यूटर पर काम करने के कारण भी सिर में दर्द होने लगता है। पिस्ता का दर्द निवारक गुण सिर दर्द को कम करने के काम आता है। पिस्ते के बीज के तेल को सिर पर लगाने से राहत मिलती है।
#- सिरदर्द - 1-2 बूँद पिस्ता तैल को नाक में डालने ( नस्य लेने ) से शिर:शूल का शमन होता है।
#- रूखे बाल - बाल, रूखे बाल की समस्या से ग्रस्त हैं, और वे इससे उबरने के लिए उपाय ढूंढते हैं। आपको पता नहीं कि पिस्ता बालों को मजबूत करने में सहायता करता है। यह बालों से जूएं निकालने में भी मदद करता है।
पिस्ता की छाल से काढ़ा बनायें, और उससे सिर धोएं। इससे सिर के बाल मजबूत होते हैं
#- जूएँ - पिस्ता के पेड की छाल का काढ़ा बनाकर उससे सिर धोने से सिर की जूएँ मर कर बाहर निकल जाती है और जूओं से भी निजात मिलता है।
#- मुखदोर्गन्धय , मसूडारोग - अक्सर खान-पान में गलती होने पर पेट में गड़बड़ी हो जाती है, और उसके कारण मुंह से बदबू आने लगती है। कभी-कभी मसूड़ों की बीमारी के कारण भी ऐसी समस्या होती है। पिस्ता खाने के फायदे इस रोग में मिलते हैं। अगर मसूड़े रोगग्रस्त हैं तो पिस्ते की गिरी को चबायें। इससे मुंह से दुर्गंध आने की परेशानी ठीक होती है।
#- बवासीर - बवासीर को पाइल्स भी कहते हैं, यह एक बहुत ही दर्ददायक रोग है। बीमारी गंभीर हो जाने पर बवासीर के घाव से खून निकलने लगता है। रोगी को हर बार मल त्याग करने पर असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है। इस दर्द से आराम पाने के लिए पिस्ता का इस तरह से इस्तेमाल करें-पिस्ता के पेड़ की छाल को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाएं। इससे दर्द से आराम मिलता है।
#- अतिसार, प्रवाहिका - जो लोग बराबर दस्त से परेशान रहते हैं वे पिस्ता का उपयोग कर सकते हैं। पिस्ता के पेड़ की छाल का काढ़ा बना लें। इसे पीने से दस्त पर रोक लगती है।
#- शीतपित्त, पित्ति उछलना - ( इसे पित्ती रोग या पित्ती का उछलना भी कहते हैं। इसमें त्वचा पर लाल-लाल दाने आने लगते हैं, जिसमें खुजली होने लगती है। ) इस रोग में पिस्ता के बीज के तेल को लगाने से लाभ मिलता है।
#- खुजली रोग - पिस्ता के तने की छाल व पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रभावित स्थान को धोने से सूखी खुजली मिटती है।
#- दौर्बल्य - पिस्ता खाने के फायदे आप शारीरिक कमजोरी में ले सकते हैं। इससे शारीरिक और मानसिक दुर्बलता व रक्तविषमयता लाभ लेने के लिए पिस्ता के बीजों को भूनने के बाद सेवन करें।
#- त्वचारोग - कभी-कभी किसी दवा के साइड इफेक्ट के कारण, या प्रदूषण के दुष्प्रभाव के कारण, या फिर त्वचा में रूखेपन के कारण खुजली की समस्या हो जाती है। पिस्ता के पेड़ (pista tree) की छाल तथा पत्तों का काढ़ा बना लें। इससे प्रभावित स्थान को धोएं। इससे सूखी खुजली मिटती है।
#- याददास्त बढ़ाने के लिए - बच्चे हों या बूढ़े, किसी को भी यह समस्या हो सकती है। बच्चों में अगर याद रखने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है तो उसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है। आप स्मरण शक्ति की कमी जैसी समस्या में पिस्ता की गिरी, बादाम, पके नारियल की गिरी, शक्कर या मिश्री तथा गाय के घी को समान मात्रा में मिला लें। इसका 2-5 ग्राम मात्रा में सेवन करें। इसके साथ गाय का दूध पिएं। इससे लाभ मिलता है।
#- हृदय - पिस्ता खाना हृदय के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार यह बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होते है जिस से हृदय रोग होने की संभावना कम हो जाती है।
#- आँतों के रोग - पिस्ता खाना कोलन यानि आँतो के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि पिस्ते पाये जाने वाले कुछ विशेष प्रकार के तत्व कोलन को मजबूती प्रदान करते हैं। पिस्ता के सेवन से कोलन की श्लेष्मा झिल्ली में सूजन नहीं होती है और कोलन को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करती है।
#- कैंसररोधी - पिस्ता का सेवन कैंसर के रोकथाम में सहायक होता है। एक रिसर्च अनुसार पिस्ता में कैंसररोधी तत्त्व पाए जाते हैं जो कि कैंसर को रोकने में मदद करते है।
#- बालों के रोग - पिस्ता का सेवन और पिस्ते का तेल बालों पर लगाना, दोनों ही फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें पाये जाने वाला विटामिन -ई , बालों को मजबूती देता है साथ ही पिस्ता में स्निग्ध गुण पाया जाता है जो कि स्कैल्प की ड्राईनेस को दूर कर बालों को जड़ों से मजबूत बनाता है और बालों को झड़ने से रोकता है।
#- मोटापा - वजन को घटाने में पिस्ता का सेवन एक अच्छा उपाय माना जा सकता है क्योंकि इसमें पाया जाने वाले फाइबर और अन्य तत्व जल्दी-जल्दी भूख लगने की प्रवृत्ति को नियंत्रित करते है। जिससे बार- बार खाने की इच्छा नहीं होती और वजन को नियंत्रित होने में मदद मिलती है।
#- 3-3 ग्राम जीरक द्वय , त्रिकटू , नागरमोथा , इलायची , लौंग , जायफल , तेजपत्र , पिस्ता , चिलग़ोज़ा , बादाम , नारियल , प्रियालफल मज्जा , चंदन , अनार , वंशलोचन , तालिसपत्र , जावित्री , दालचीनी , प्रवाल बेर, श्रंगाटक तथा धनियां में 1.5 ग्राम केशर तथा 35 ग्राम चिकनी सुपारी का चूर्ण व 375 मिलीग्राम गाय का दूध मिलाकर , पकाकर , 185 ग्राम गौघृत तथा 185 ग्राम मिश्री मिलाकर पकाकर रख लें प्रतिदिन , प्रात:सायं 2-2 ग्राम की मात्रा में खाने से ग्रहणी , रक्तार्श , निर्बलता , तथा अरूची में लाभ होता है।
#- पिस्ता चूर्ण 100 ग्राम , 10 ग्राम पीप्पली चूर्ण , सौंफ 100 ग्राम, धागामिश्री 150 ग्राम , 100 ग्राम मुलेठी , मिलाकर , चूर्ण बनाकर रखे । नित्यप्रति सुबह सायं 1-1 चम्मच चूर्ण को गाय के दूध के साथ लेने से , वीर्यवर्धक ( वीर्य बढ़ाने वाला ) , वृष्य ( जिसके कारण वीर्य व आनंद बढ़ता है) , धातुवर्धक ( धातु को बढ़ाने वाला ) , बृहण ( पोषण करने वाला ) बलकारक व सौन्दर्यवर्धन करता है।
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