रामबाण योग :- 80 -:
पुत्रजीवक -
पुत्रजीवक एक औषधि है जिसका सेवन संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। संतान की प्राप्ति के लिए महिलाएं रूद्राक्ष की तरह इसके बीजों की माला गले में धारण करती हैं। इसके बीजों को धागे में गूथकर पुत्र प्राप्ति के लिए स्त्रियां गले में पहनती हैं। बच्चों के गले में भी पहनाती हैं जिससे वे स्वस्थ बने रहें। इसके बीज, पत्ते या जड़ को दूध के साथ सेवन करने से कमजोर गर्भाश्य को मजबूती मिलती है और महिला को पुत्र की प्राप्ति होती है। इसे भारत में पुत्र प्राप्ति के आयुर्वेदिक मेडिसिन या पुत्र प्राप्ति की दवा के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्राचीन युग से पुत्रजीवक का प्रयोग आयुर्वेद में प्रजनन संबंधी रोगों (reproduction) के लिए औषधि के रूप में किया जाता रहा है। पितौजिया मधुर, कड़वा, रूखा और ठंडे तासीर का होता है। यह कफवात दूर करने में भी मदद करता है। पुत्रजीवक का पेड़ (patanjali putrajeevak tree) 12-15 मी ऊँचा, छोटे से मध्यम आकार का सदाहरित वृक्ष होता है। इसके फल गोल-नुकीले, अण्डाकार होते हैं। बीज बेर की गुठली के जैसे कड़े, झुर्रीदार तथा 5 मिमी व्यास (डाइमीटर) के होते हैं। इसके फल वेदनाशामक होते हैं। इसके बीज के सेवन से कमजोरी और सूजन कम होने के साथ-साथ शरीर के मल-मूत्र निकालने में भी मदद करते हैं। यहां तक कि पुत्रजीवक के पत्ते काम शक्ति बढ़ाने में भी मदद करते हैं। पुत्रजीवक का वानस्पतिक नाम Putranjiva roxburghii Wall. (पुत्रंजीवा रॉक्सबर्घाई) Syn-Drypetes roxburghii (Wall.) Hurus होता है। लेकिन पुत्रजीवक Euphorbiaceae (यूफॉर्बिएसी) कुल का है। अंग्रेजी में उसको Child life tree (चाइल्ड लॉइफ ट्री) कहते हैं। Sanskrit-पुत्रजीव, पुत्रजीवक, गर्भद, यष्टीपुष्प, अर्थसाधक; Hindi-जियापोता, पितौजिया, पुत्रजीव, जुति, कहते है।
#- सिर दर्द - अगर दिन भर काम करने के बाद सिर में दर्द होता है तो पुत्रजीवक का इस्तेमाल इस तरह से करें। पुत्रजीवक फल के रस को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिरदर्द कम होता है।
#- उरोग्रह , छाती की जकड़न - सर्दी-खांसी के कारण छाती में जो कफ जम जाता है उसको निकालने में पुत्रजीवक काम करता है। पुत्रजीवक के रस को थोड़ा गर्म करके (5 मिली) में हींग डालकर पीने से छाती की जकड़न दूर होती है। इससे छाती से कफ निकल जाता है और राहत मिलती है।
#- प्यास - कभी-कभी किसी बीमारी के कारण बार-बार प्यास लगने का एहसास होता है। पुत्रजीवक के पत्ते एवं बीज का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से प्रतिश्याय (Coryza)या तृष्णा (प्यास) में लाभ होता है।
#- श्लीपद - हाथीपांव के इलाज में पुत्रजीवक का सेवन करना फायदेमंद होता है। 5-10 मिली पुत्रजीवक के रस का सेवन करने से हाथी पांव रोग के परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।
#- विस्फोट ( फोड़ा ),फून्सी - पुत्रजीवक फल मज्जा को पीसकर लेप करने से दर्द वाला फोड़ा-फून्सी कम होता है। इसके अलावा पुत्रजीवक (putrajivak) की छाल को पीसकर लेप करने से फोड़े-फून्सी मिटते हैं।
#- ग्रन्थि - कक्षा प्रदेश , कान, गला , आदि में उत्पन्न गाँठ तथा ताम्रवर्ण के फोड़ों पर पुत्रजीवक कल्क का लेप करने से लाभ होता है।
#- फोड़ा - फुन्सी - पुत्रजीवक की छाल को पीसकर लेप करने से फोड़ा - फुन्सी मिटते है।
#- ज्वरनाशक - मौसम बदला कि नहीं बुखार के तकलीफ से सब परेशान हो जाते हैं। बुखार के लक्षणों से राहत पाने के लिए10-20 मिली पुत्रजीवक पत्ते के काढ़े का सेवन करने से ज्वर में लाभ होता है।
#- बिच्छुदंश - बिच्छु या साँप के काटने पर उसके जहर के असर को कम करने में पुत्रजीवक बीज (patanjali putrajeevak beej) असरदार रूप से काम करता है। पुत्रजीवक का सेवन करने पर विष का प्रभाव कुछ हद तक कम होता है। 1-2 ग्राम पुत्रजीवक फल मज्जा को नींबू के रस में पीसकर पीने से विष के असर करने का गति कम होता है।
#- विष चिकित्सा - 1-2 ग्राम पुत्रजीवक फल मज्जा को नींबू के रस में पीसकर पीने से विषवेग का शमन होता है।
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