रामबाण योग :- 73 -:
पियारांगा ( पीतरंगा )-
#- पियारांगा पीले रंग की होती है। यह पौधा दिखने में पिस्सूमार के पौधे जैसा लगता है लेकिन दोनों में अंतर करना बहुत आसान है। पिस्सूमार के पौधे की जड़ पतली होती है और उसमें से दुर्गंध आती रहती है। यह पौधा कफ और वात से जुड़े दोषों को दूर करने में मदद करता है। पियारांगा का वानस्पतिक नाम Thalictrum foliolosum DC. (थैलिक्ट्रम फोलियोलोसम) Syn-Thalictrum dalingo Buch.-Ham. ex DC. है. यह Ranunculaceae (रैननकुलैसी) कुल का पौधा है। आइए जानते हैं कि अन्य भाषाओं में पियारांगा को किन नामों से जाना जाता है। Sanskrit :पीतरंगा; Hindi : पियारांगा, पीली जड़ी, ममीरो, ममीरी, पिंजरी;
पियारांगा विशेषत कफवातशामक होता है। यह सर्पविष तथा विसूचिका (हैजा/कालरा) नाशक होता है। इसका मूल मृदुविरेचक, मूत्रल, ज्वरघ्न, बलकारक, चक्षुष्य तथा दंतशूलशामक होता है।
#- शिर:शूल - सिरदर्द होने पर तुरंत पेनकिलर दवाइयां खाने की बजाय घरेलू उपायों से इसे ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार पियारांगा की जड़ को गुलाबजल के साथ पीसकर माथे पर लेप लगाने से सिरदर्द से जल्दी आराम मिलता है।
#- खाँसी - अगर आप खांसी से परेशान हैं तो पियारांगा का उपयोग करें। इसके लिए 2 ग्राम काली मिर्च में, 2 ग्राम पियारांगा की जड़ को पीसकर छोटी-छोटी चने की आकर की गोलियां बना लें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली खाएं। इसके सेवन से खांसी और कफ दोष वाली समस्याओं में फायदा मिलता है।
#- खाँसी - 2 ग्राम ममीरी ( पियारांगा ) मूल, काली मिर्च और सोंठ को मिलाकर काढ़ा बनाकर पिएं। इसके सेवन से भी खांसी दूर होती है।
#- पेट में अपच, जलन - 1-2 ग्राम पियारांगा की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से अपच, पेट में जलन, अजीर्ण, अग्निमांद्य तथा विसुचिका आदि रोगों में लाभ मिलता है।
#- अग्निमांद्य - 2 ग्राम ममीरी ( पियारांगा ) मूल में सोंठ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से पेट की जलन और अपच अग्निमांद्य , अजीर्ण की समस्या ठीक होती है।
#- बवासीर - खराब जीवनशैली और गलत खानपान के कारण अधिकतर लोग कब्ज की समस्या से पीड़ित हैं। कब्ज की समस्या को बार बार अनदेखा करने पर आगे चलकर बवासीर की बीमारी हो जाती है। इसलिए कब्ज या बवासीर को अनदेखा ना करें बल्कि घरेलू उपाय अपनाएं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि पियारांगा की जड़ को पीसकर लेप लगाने से बवासीर में लाभ मिलता है।
#- त्वचारोग - त्वचा में खुजली, जलन या सूजन जैसी समस्याओं के इलाज में पियारांगा का उपयोग करना लाभदायक है। इसके लिए पियारांगा की जड़ का पेस्ट बनाकर उसका लेप लगाएं।
#- शोथ - पियारांगा पञ्चाङ्ग को उबालकर, पीस लें। उसमें नमक मिलाकर सूजन वाली जगह पर लगाएं। इससे सूजन में कमी आती है।
#- शोथ - 2 ग्राम ममीरी ( पियारांगा ) मूल में 3-4 ग्राम सहिजन छाल मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को पीने से सूजन में फायदा मिलता है।
#- मिरगी - 500 मिग्रा पियारांगा की जड़ में 1 लौंग और 1 काली मिर्च मिलाकर इसे गाय के दूध के साथ पीस लें। इस मिश्रण को बच्चों को पिलाने से मिरगी के लक्षण कम होते हैं।
#- ज्वर - आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि पियारांगा के उपयोग से बुखार के लक्षणों में कमी आती है। बुखार होने पर 2 ग्राम गिलोय तथा 2 ग्राम पियारांगा ( ममीरी ) की जड़ का काढ़ा बनाकर पिएं। इसे पीने से बुखार में आराम मिलता है।
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