Saturday 7 November 2015

(१३)-गौ- चिकित्सा-पेट के कीड़े ।

(१३)-गौ- चिकित्सा-पेट के कीड़े ।

१ - पशुओं के पेट में कीड़े ( Worms )
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कारण- लक्षण :- दुर्गन्ध व दूषित आहार के कारण पेट में कीड़े पड़ जाते है । जो अन्दर ही अन्दर पशु का रक्त चूसकर अत्यन्त कमज़ोर कर देते है । इन सफ़ेद रंग के कीड़ों को पशु के गोबर में सहजता से देख सकते हैं । पेटदर्द व भूख की वृद्धि होने पर भी कमज़ोरी , खाँसी , आँखों से कम दिखना , ख़ून की कमी , त्वचा का स्वाभाविक रंग बदल जाने से इस रोग को सहज ही जाना जा सकता हैं ।

पशुओं को सड़ा - गला खानें या पोंखर- तालाब का गन्दा पानी पीने आदि कारणों से प्राय: हो पशुओं के पेट में कीड़े पड़ जाते है । यह रोग प्राय: छोटे पशुओं यानि बछड़ों को होता हैं , किन्तु कभी- कभी बड़े पशुओं को भी हो जाता हैं ।

इस रोग से ग्रस्त पशु चारा- दाना तो बराबर खाता- पिता रहता है , किन्तु उसका शरीर नहीं पनपता हैं । वह प्रतिदिन दूबला होता जाता हैं । ध्यान से देखने पर उसके गोबर में छोटे- छोटे कीड़े चलते हुए दिखाई देते है मुख्यतया यह कीड़े दो प्रकार के होते हैं -- १- लम्बे कीड़े , २- गोल कीड़े ।

छोटे बछड़े प्राय: मिट्टी खाने लगते हैं , जिससे उनके पेट में लम्बे कीड़े हो जाते हैं । इन्हीं कीड़ों के कारण उन्हें अक्सर क़ब्ज़ हो जाती हैं अथवा मैटमेले रंग के बदबूदार दस्त आने लगते है ।

१ - औषधि :- असली दूधिया हींग १ तौला , गन्धक पावडर ५ तौला , दोनों को आधाकिलो पानी में घोलकर पशु को नाल द्वारा पिलानी चाहिए ।

२ - रात को भिगोई हुई खेसारी की दाल का पानी सवेरे के समय पशु को पिलायें और कुछ समय के बाद दाल भी खिला दें ।

३ - सुबह - सायं थोड़ी - थोड़ी मात्रा में नीम का तेल लगातार ८-१० दिन तक पिलाना भी इस रोग में गुणकारी होता हैं ।

४- नमक व नींबू की पत्तियाँ हुक्के के बाँसी जल में मिलाकर बोतल में कुछ दिन बन्द करके रखने के बाद सेवन कराना लाभदायक रहता हैं ।

५ - अनार के पेड़ की छाल २५ ग्राम , को कुटपीसकर पानी में मिलाकर दना लाभकारी होता हैं ।

६ - कत्था ५ ग्राम , कपूर ३ माशा , खडिया मिट्टी १ तौला , इन सब को माण्ड , गाय के दूध से बनी छाछ तो अच्छा रहता हैं , वरना गरमपानी में मिलाकर देनें से लाभप्रद होता हैं ।

७ - पलाश पापड़ा व अनार के पेड़ की जड़ की छाल २-२ तौला , बायबिड्ंग व कबीला आधा- आधा छटांक लें सभी को बारीक पीसकर गाय के दूध से बनी दही या छाछ में मिलाकर पिलाने से दोनों ही प्रकार के कीड़े बाहर निकल जाते हैं ।

८ - भाँग मेहन्दी , सफ़ेद ज़ीरा , बेलगिरी सभी १-१ तौला , कपूर ६ माशा , सभी को कुटपीसकर आधाकिलो चावल का माण्ड या गाय के दूधँ से बनी छाछ में मिलाकर देने से लाभँ होता हैं ।

९ - बायबिडंग १ तौला , गन्धक १ तौला , हींग १ तौला , पलाश पापड़ा २ तौला , हराकसीस ६ माशा , सनायपत्ति १ छटांक , इन सबको तीन पाँव गरम पानी में घोलकर पिलाना चाहिए यह बड़ा गुणकारी हैं ।
नीलाथोथा ६ माशा , फिटकरी १ तौला , सबको पीसकर आधाकिलो पानी में घोलकर पिलाना हितकर रहता हैं यदि अन्य दवाओं से लाभ न हो तो तभी इस दवा का प्रयोग करें साथ ही यह भी ध्यान रहे की नीलेथोथे का प्रयोग अधिक न करें , क्योंकि यह तेज़ ज़हर हैं ।

१० - सरसों या अरण्डी का तेल आधा शेर , तारपीन का तेल २ तौला , दोनों को मिलाकर पशु को पिला दें , एक घन्टे के अन्दर पशु को खुलकर दस्त आ जायेगें और उसमें बहुत से कीड़े निकलते दिखाई देगें , इसके बाद ऊपर वाली दवा का उपयोग करने से कीड़ों के अण्डे व बचें हुए कीड़े भी मर जायेंगे ।

११ - बछड़ों के लिए इन दवाओं का प्रयोग करना हितकर होगा -- नीम की पत्ति सरसों का तेल २५-२५ ग्राम , नमक १ तौला , सभी कुटपीसकर गाय के दूध से बना खट्टा छाछ में मिलाकर पशु को पिलाने से लाभ होता हैं ।

१२ - कपूर १ माशा , हींग २ माशा , अलसी का तेल २ छटांक , तारपीन का तेल १ तौला , सभी को आपस में मिलाकर बछड़े को प्रात:काल ही ख़ाली पेट पिला देनें से कीड़े गोबर के साथ बाहर आकर निकल जायेगें ।

१३ - पेट के कीड़े -- एसे में दो टी स्पुन फिटकरीपावडर रोटी में रखकर गाय को खिलाये दिन मे एक बार , तीन चार दिन तक देने से पेट के कीड़े मर जाते है ।

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२ - पेट में कीड़े पड़ना
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कारण व लक्षण - यह रोग छोटे बछड़ों को अक्सर होता है । सड़ा - गला , गंदा , चारा - दाना , मिट्टी आदि खाने से यह रोग हो जाता है । कभी - कभी कीड़ों वाला पानी पी जाने से भी पशु के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं । कभी - कभी अधिक दूध पी लेने पर उसके हज़म न होने पर भी बछड़ों के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं । और रोगी पशु भली प्रकार खाता - पीता तो रहता है । पर वह लगातार दूबला होता जाता है । छोटा बच्चा दूध और चारा खाना बन्द कर देता है । उसके गोबर में सफ़ेद रंग के कीड़े गिरते हैं । बच्चे को मटमैले रंग के दस्त होते हैं ।

१ - औषधि - ढाक ,पलाश ,के बीज ७ नग , नमक ३० ग्राम , पानी १२० ग्राम , सबको महीन पीसकर , छलनी से छानकर , पानी में मिलाकर ,रोगी बछड़ों को , दो समय तक , पिलाया जाय ।

२ - औषधि - नीम की पत्ती ३० ग्राम , नमक ३० ग्राम , पानी २४० ग्राम , पत्ती को पीसकर , उसका रस निकालकर , नमक मिलाकर , रोगी बच्चे को दो समय तक , पिलाया जाय । इससे अवश्य आराम होगा ।

आलोक -:- एनिमा देने पर गिडोले गोबर के साथ बाहर आ जायेंगे । यदि एनिमा न मिले तो मलद्वार में पिचकारी द्वारा पानी डालकर भी एनिमा का काम लिया जा सकता हैं।

३ - पेट में जोकी होना ( पेट मे कीड़े )
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पेट मे जोकी होने का तात्पर्य भी पेट मे कीड़े होना हैं। कभी - कभी गन्दे स्थानों में सडागला चाराअथवा सडी - गली
घास खा लेने से पशु के पेट मे जोकी हो जाते हैं । जिसके कारण पशु हमेशा सुस्त रहता हैं तथा दाँत किटकिटाता हैं और अपने शरीर को चाटा करता हैं । पौष्टिक चारा खिलाने पर भी पशु का स्वास्थ्य दिन- प्रतिदिन गिरता चला जाता हैं । कभी- कभी उसके गोबर मे छोटे- छोटे कीड़े भी दिखाई देते हैं ।

#- उपचार :-

(१)- औषधि :- पीड़ित पशु को हुक्का के पानी मे तम्बाकू मिलाकर पिलाना लाभकारी होता हैं ।

(२) - औषधि :- १ पाँव सरसों का पावडर , आधा सेर गाय के दूध से बनी दही मे मिलाकर पिलाना लाभप्रद होता हैं ।

(३) - औषधि :- नीम का तैल पशुओं को पिलाने से भी कीड़े मर जाते हैं ।

(४) - औषधि :- एक छटांक पलाश के बीज पानी मे पीसकर पिलाने से भी कीड़े मर जाते हैं ।

(५) - औषधि :- करेला की पत्तियाँ या नीम की पत्तियाँ या पुनर्नवा की पत्तियाँ पीसकर पिलाने से भी कीड़े मर जाते हैं ।

(६) - औषधि :- बायबिडंग के दानों को पीसकर पानी मे मिलाकर देने से भी सभीप्रकार के कीड़े मर जाते हैं ।

(७) - बेलपत्र पीसकर गाय के दूध से बनी छाछ मे मिलाकर पिलाना भी लाभदायक सिद्ध होता हैं ।


४ - गाय- भैंस के बच्चों के पेट मे कीड़े
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बच्चों के पेट मे एक प्रकार के छोटे- छोटे कीड़े हो जाते हैं । कीड़ों का रोगी सदा दाँत किटकिटाया करता हैं ।खाँसता है तथा मिट्टी भी खाता हैं । पेट में दर्द भी होता है , जिससे रोगी पशु छटपटाता रहता हैं । उसके कान नीचे लटक जाते हैं । अॉव मिश्रित दस्त में कीड़े निकलते रहते हैं ।

१ - औषधि - नीम की पत्ती का रस आधा छटाक छोटे बच्चों को पिलाना चाहिए । बड़े पशुओं के लिए इसकी मात्रा आधा पॉव कर देनी चाहिए ।

२ - औषधि - सरसों का तैल १ छटाक छोटे पशुओं के लिए तथा बड़े पशुओ को एक पॉव मे पिलाना चाहिए ।

३ - औषधि - पलाश का बीज १ तौला मट्ठा या पानी मे पीसकर छोटे पशु को पिलाना चाहिए । बड़े पशु को एक छटाक पलाशबीज पीसकर देना चाहिए ।

४ - औषधि - अनार की छाल १ तौला ( छोटे पशु के लिए ) या एक छटाक बड़े पशु के लिए पानी मे पीसकर पिलाना चाहिए ।

५ - औषधि - हल्दी एक तौला ,( छोटे पशु के लिए ) या एक छटाक बड़े पशुओं के लिए पानी मे पीसकर पिलाना चाहिए लाभप्रद होता हैं ।

६ - औषधि - अजवायन १ तौला , ( छोटे पशु के लिए ) या बड़े पशु के लिए १ छटाक पानी मे पीसकर गरम करके पिलाना चाहिए ।

७ - औषधि - सनई की पत्ती या नीम की पत्ती या बेल की पत्ती पानी मे पीसकर पिलाना हितकर होता हैं ।

८ - औषधि - हींग चवन्नी भर , पानी मे पीसकर पिलाना लाभप्रद होता हैं ।


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